जिदंगी में कई बार हम ऐसे निर्णय ले लेते है कि बाद में हम पछताते हैं कि ये मैने क्या कर दिया ! ऐसी ही एक कहानी मेरे साथ शेयर की है 25 साल के युवक ज़ीशान ने। आगे की कहानी उसी की जुबानी सुनिए।
मै ज़ीशान, एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता हुं। मेरा निकाह ज़ीनत के साथ हुआ। ज़ीनत मुझसे 2 साल छोटी है और निकाह के पहले वो एक होटल में रिसेपनिस्ट थी। माशाअल्लाह बहुत हसीन है और पहली ही नजर में मैने उसको पसंद कर लिया।
मेरे साथ काम करने वाले मेरे दो जिगरी दोस्त हितेन और तपन भी मेरे रिसेप्शन पर आये थे। हितेन की कुछ महीनो पहले ही हेतल नाम की लड़की से शादी हुई थी और उसकी शादी में मै और तपन भी गए थे।
मेरे रिसेप्शन में ज़ीनत की पक्की सहेली तन्नू भी आयी थी जो कि ज़ीनत के साथ एक ही होटल मे काम करती थी और बहुत सुंदर थी। मेरे दोस्त तपन का दिल तन्नू पर आ गया।
अब तपन मेरे पीछे पड़ गया कि मै ज़ीनत से बात कर उसका मामला तन्नू के साथ फिट करवा दु। मगर मुझे लगा कि वो सिर्फ टाईमपास कर रहा है तो मै हमेशा उसको टालता रहा।
ज़ीनत बहुत लज़ीज खाना बनाती है ये बात मेरे दोस्तो को मेरे लंचबोक्स से पता चल गई थी। शादी के कुछ महीने बाद काफी टालमटोल के बाद दोस्तो की जिद पर मैने उनको अपने घर खाने पर बुलाया।
हितेन, हेतल और तपन मेरे घर आये। हितेन और हेतल शाकाहारी है तो खाना उनके हिसाब से ही बना था। हेतल को पहले कभी मैने इतना ध्यान से नहीं देखा था। शायद शादी के बाद ज़ीनत को नंगा देख और पहली बार चुदाई कर मेरा औरतो को देखने का नजरियां बदल गया था।
हेतल एकदम फिट थी और साड़ी लपेटे बहुत खुबसूरत लग रही थी। उस पारदर्शी साड़ी से हेतल का पतला पेट और नाभी दिख रही थी।
हेतल के मम्मे ज़ीनत की ही तरह काफी बड़े थे और उस पारदर्शी साड़ी से उसका क्लीवेज भी 2-3 बार दिख गया था।
खाने के बाद बातचीत का दौर जारी था। तपन थ्री सीटर सोफे पर बैठा था और उसके पास हेतल बैठी थी और उसके आगे हितेन था।
मै और ज़ीनत एक डबल सोफा सीट पर थे। तपन ने इसी दौरान तन्नू का जिक्र छेड़ दिया।
तपन: “ज़ीनत ये ज़ीशान ने तुमसे तन्नू के बारे में बात की या नहीं?”
ज़ीनत: “तन्नू क बारे में क्या बात है, मुझसे तो ज़ीशान ने कुछ नहीं कहां।”
तपन: “अबे कमीने तुने बात ही नहीं की! चल उधर से उठ और मेरी जगह आ”
तपन और मैने अपनी जगह बदल दी। मै अब हेतल के पास बैठा था। उससे अच्छी सी खूशबू आ रही थी।
तपन अब ज़ीनत के पास बैठ गया और ज़ीनत का हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया।
तपन: “इस ज़ीशान ने मुझे धोखा दिया पर ज़ीनत तुम मुझे वादा करो कि मेरा काम करोगी”
ज़ीनत : “पर बात क्या है ये तो बताओ!”
तपन: “मुझे तन्नु बहुत पसंद आयी और तुम मेरी उस से मुलाकात करवा कर मेरा मामला उस से जमा दो।”
ज़ीनत : “तुम सिरीयस हो या सिर्फ टाईमपास करना है उसके साथ? वो मेरी बहुत अच्छी सहेली है और मै उसके साथ कोई धोखा नहीं होने दुंगी।”
तपन: “एकदम सिरीयस वाला क्रश है, ये देखो मेरा दिल कितना तेज धड़क रहा है।”
यह कहकर तपन ने ज़ीनत का जो हाथ अब तक पकड़ा हुआ था उसे अपने सीने पर रख दिया। सब लोग मुस्कुरा रहे थे।
ज़ीनत : “अच्छा मान लिया कि तुम सिरीयस हो पर तन्नु को शादी किसी पैसे वाले बिजनसमैन से ही करनी है। तुम्हारा तन्नु के साथ कोई चांस नहीं है। चलो अब हाथ छोड़ो”
तपन: “हाथ तो मैं तब तक नहीं छोड़ुंगा जब तक तुम एक बार मुझे तन्नु से नहीं मिलवा देती। एक मौका तो मुझे मिलना ही चाहिए । हो सकता वो मुझे हां कर दे। तू भी कुछ तो बोल ज़ीशान”
हम बाकी के लोगो ने भी तपन का साथ दिया।
ज़ीनत : “मै तन्नु को अच्छे से जानती हुं। उसको मनाना नामुमकिन है। मै भी देखती हुं तपन कि तुम्हारी जिद कितनी है, कितनी देर तुम मेरा हाथ पकड़े रहोगे”
हितेन ने तपन का उत्साह बढ़ाने को ताली बजा कर डटे रहने को कहां पर मै परेशान था कि वो ज़ीनत का गौरा नरम हाथ पकड़े बैठा था।
बातो का सिलसिला जारी था पर तपन ने ज़ीनत का हाथ नहीं छोड़ा। अंदर से आईसक्रीम लानी थी पर ज़ीनत का एक हाथ तपन के हाथ में था तो ज़ीनत नहीं जा पा रही थी।
मुझे ही वो काम करना था और हेतल मेरी मदद को मेरे साथ किचन में आयी। मैने हेतल को बरतन लाकर दिए और वो सर्व करने लगी। मै हेतल का चेहरा देख रहा था जो बड़े गौर से अपना काम पर ध्यान लगाते हुए भी मुझ से बात कर रही थी।
हेतल किचन के प्लेटफार्म पर झुक कर काम कर रही थी और उसके झुकने से साईड से उसकी साड़ी हटी और मुझे उसका नंगा पेट और छाती पर फुला हुआ ब्लाऊज का उभार दिखा।
मेरे पेंट में मेरा लंड खड़ा हो चुका था। उसकी साड़ी कंधे पर एक पिन से अटकी थी और मै दुआ कर रहा था कि वो पिन निकल जाए तो मुझे काफी कुछ दिख जाएगा। पर हर ख्वाहिश तो पूरी नहीं होती।
मैने हेतल के हाथ से ट्रे लेनी चाही पर उसने मना कर दिया। मेरी उंगलियां जरुर उसकी ठंडी नाजूक उंगलियों से छू गई और मुझे एक करंट सा लगा। फिर जब उसने मेरे हाथ को ट्रे से हटाने के लिए मेरी कलाईं पकड़ी तो मेरे लंड ने मेरी पेंट में जोर का झटका मारा और शायद एक दो बूंद पानी मेरे लंड से निकल गया था। हेतल आईसक्रीम की ट्रे लिए मेरे साथ बाहर आयी।
ज़ीनत: “अब मै आईसक्रीम कैसे खाऊं! एक हाथ तो तपन ने पकड़ा है। ज़ीशान तुम्ही खिलाओ अब”
तपन: “अरे मै खिलाता हुं ज़ीनत को। थोड़ा मक्खन लगाउंगा तो काम जल्दी होगा”
ज़ीनत ने आईसक्रीम का बॉल अपने खाली हाथ में पकड़ा तो तपन ने अपने खाली हाथ में चम्मच पकड़े ज़ीनत को आईसक्रीम खिलाना शुरु किया। फिर उसी झुठे चम्मच से खुद भी आईसक्रीम खाई।
तपन: “अभी आईसक्रीम ज्यादा टेस्टी लग रही है।”
ज़ीनत: “ज्यादा मक्खन मत लगाओ मुझे, कोई फायदा नहीं”
सब लग हंस रहे पर मै असहज महसूस कर रहा था। तपन चाट चाट कर आईसक्रीम खा रहा था और उसी झुठे चम्मच से ज़ीनत को भी खिला रहा था, पर ज़ीनत को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वो भी मजे लेकर चम्मच चाट रही थी।
जब थोड़ी आईसक्रीम का पानी ज़ीनत के होठों पर लग गया तो तपन ने जल्दी से अपनी उंगली ज़ीनत के होठों पर फेर दी। हम में से किसी को भी ये उम्मीद नहीं थी और ज़ीनत भी दंग रह कर तपन को देखने लगी।
तपन: “ज़ीनत, तूम बोलो वो करने को तैयार हुं”
हितेन: “एक काम कर अभी ये उंगली चाट ले, तेरा काम हो जाएगा”
हेतल: “क्या बोल रहे हो आप? गंदे”
तपन ने दुसरी बार नहीं सोचा और तुरंत वो ज़ीनत के होठों के रस से भीगी वो उंगली चाटने लगा।
दोलो लड़कियों ने “छीः” कहते हुए मुंह बनाया। हितेन हंस रहा था पर मुझे अपनी इज्जत खतरे में नजर आ रही थी। तपन ने अपनी उंगली एक बार फिर ज़ीनत के होठों की तरफ बढ़ाई पर ज़ीनत अपना मुंह पीछे कर लिया।
ज़ीनत: “नहीं, बस करो। ऐसी गंदगी की तो मै बिल्कुल हेल्प नहीं करुंगी”
तपन फिर रुक गया पर ज़ीनत को आईसक्रीम तो खिलाता रहा। आईसक्रीम खत्म हुई तो मैने चैन की सांस ली पर ज़ीनत का हाथ अभी भी तपन ने पकड़ा हुआ था।
मैने ज़ीनत को बोला कि वो तपन की हेल्प के लिए मान जाए पर ज़ीनत ने बोला कि वो तपन की और परीक्षा लेगी। थोड़ा समय और बीता पर वो दोनो ही अ़ड़े थे।
ज़ीनत: “अब मुझे वाशरुम जाना है तपन, मेरा हाथ छोड़ो”
तपन: “जब तक हां नहीं बोलोगी, हाथ तो नहीं छुटेगा।”
ज़ीनत: “मै तो वाशरुम जा रही हुं, तुम भी साथ चलोगे?”
ज़ीनत खड़ी हो गई तो तपन भी खड़ा हो तैयार था। ज़ीनत ड्राइंगरुम से लगे वाशरुम की तरफ बढ़ी तो पीछे पीछे तपन भी चलने लगा।
हेतल और मैने तपन को रुकने को बोला पर हितेन तो तपन को बढ़ावा दे रहा था। वाशरुम को दरवाजा खुला था, ज़ीनत अब वाशरुम के अंदर थी और तपन बाहर पर उसने हाथ नहीं छोड़ा।
फिर ज़ीनत हंसते हुए बाहर आ गई, उसने बताया कि वो सिर्फ तपन की परीक्षा ले रही थी। हेतल और मै बेवकूफ बन गए थे जो मजाक को भांप नहीं पाएं।
ज़ीनत और तपन फिर उसी सोफे पर आकर बैठ गए। थोड़ी देर बाद हितेन और हेतल विदा लेकर अपने घर चले गए।
तपन: “जब तक जीनत हां नहीं बोलती मै तो हाथ नहीं छोड़ुंगा। मै आज रात यहीं सो जाउंगा, नहीं तो ज़ीनत को अपने घर ले जाऊंगा”
ज़ीशान: “अबे क्या मजाक लगा रखा है, बंद भी कर”
तपन: “मै एकदम सिरीयस हुं, मुझे तन्नु चाहिए”
ज़ीनत: “तन्नु को मनाना नामुमकिन है”
तपन: “मै तन्नु, मन्नु, चन्नु किसी को भी मना सकता हुं”
ज़ीनत: “साबित कर के दिखाओ कि तुम किसी भी लड़की को पटा सकते हो, फिर मै तन्नु से तुम्हारे बारे में बात करुंगी”
तपन: “तुम बस नाम बताओ किसको पटाना हैं”
ज़ीनत: “कोई एसी वैसी लड़की नहीं पटानी है। तन्नु मन से किसी बिजनसमैन की हो चुकी है, तो तुम्हे कोई ऐसी लड़की पटानी है जो पहले ही किसी और की हो चुकी हो।”
तपन: “अब ऐसी लड़की कहां ढुंडु?”
ज़ीशान: “हेतल को पटा कर बता”
उस वक्त मेरे दिमाग पर तो हेतल ही छाई थी तो मैने बिना सोचे समझे हेतल का नाम ले लिया। वो दोनो मेरी शक्ल देखने लगे।
तपन: “अपने हितेन की बीवी हेतल !! अबे दिमाग खराब है क्या?”
ज़ीनत: “मैने ये सोचा नहीं था, पर नोट ए बेड आईडिया। तुम हेतल को पटा कर बताओ तो मानेंगे।”
तपन गहरी सोच में डुब गया और चिंता की लकीरे उसके माथे पर थी।
ज़ीशान: “क्या हुआ फट गई?”
तपन: “मै तो पटा लुंगा और मेरा घर तो तन्नु के साथ बस जाएगा पर इस चक्कर में हितेन हेतल का घर उझड़ जाएगा।”
ज़ीनत: “इतना यकीन हैं तुम्हे खुद पर?”
तपन: “कोशिश तो पुरी करुंगा, पर कुछ गड़बड़ हो तो तुम दोनो संभाल लेना।”
ज़ीशान: “देख लेंगे, तु शुरु तो कर।”
तपन: “तो ठीक है ज़ीनत, तुम्हारा हाथ फाइनली छोड़ रहा हुं पर अपना वादा निभाना, नहीं तो तुम्ही को उठा कर अपने घर ले जाउंगा जब तक कि तन्नु नहीं आ जाती।”
ज़ीनत: “ठीक है, वादा करती हुं”
तपन ने पुरे 1 घंटे से भी ज्यादा देर तक ज़ीनत का हाथ पकड़े रखा था जो अब जाकर छोड़ा।
अगले एपिसोड मे पढ़िए क्या तपन अपने चैलेज को पूरा कर पाएगा और इसका क्या परिणाम होगा।
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