मित्रो, ये वाक्या तकरीबन छह माह पहले की है, मै दीपक अपने छोटे चाचा के घर उन्नाव गया हुआ था। उनके घर में तो मानो खुशी नाम कि चीज ही नहीं थी, एक ३५-३६ साल की विधवा औरत के लिए जीवन में क्या खुशी और क्या अरमान, बस वो अपना जीवन जी रही थी।
और वो भी अपने बच्चों के खातिर। शीला चाची के घर में उनके ससुर और दो बच्चे थे, चाची बला की खूबसूरत है और साथ ही उनका शारीरिक बनावट काफी आकर्षक है।
उनकी चूची बड़ी बड़ी और चूतड़ गोल गुंबदाकार है, तो उनके चेहरे में चमक थी। लेकिन फिलहाल तो काफी दुख भरा जीवन जी रही थी। मै दीपक २१ साल का एक जवान लड़का हूँ।
मेरा चेहरा सांवला है, और मेरा बदन गठीला है मेरी लंबाई तकरीबन ६ फीट है। मेरा मूसल लंड ७-८ इंच लम्बा और २, इंच मोटा है।
मम्मी के कहने पर मै चाची से मिलने उन्नाव चला गया और सुबह की बस पकड़कर उन्नाव तकरीबन ०९:०० बजे पहुंचा। फिर उनके घर के लिए मैंने रिक्शा लिया, मैं अपने साथ एक छोटा सा बैग ले कर आया था।
जब मैं चाची के घर पहुंचा तो चाची को पहले से पता था कि मै आने वाला हूं। मैंने सबसे पहले उनके ससुर और सासू को प्रणाम किया और फिर मैं अपने चचेरे भाई बहन को खोजने लगा।
चाची बोली – वो दोनो अभी स्कूल के लिए निकले है, तुम अपने कपडे बदलो मै तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं।
तो मै चाची के कमरे में ही अपना बैग खोलकर बरमूडा निकाला और फिर तौलिया कमर से लपेटकर जींस और शर्ट खोलकर खूंटी पर टांग दिया। फिर मैंने जांघिया उतारकर बरमूडा पहना और कमरे से बाहर निकलकर आंगन की ओर आ गया।
फिर मैं हाथ मुंह धोकर चाची के कमरे में चला गया। कुछ देर बाद चाची एक ग्लास पानी और चाय लेकर आई, तो मैने उनके बेड पर ही बैठकर पानी पीया और फिर चाय पीने लग गया।
चाची गुलाबी रंग की साड़ी और डीप गले वाला ब्लाऊज पहन कर बहुत सुंदर लग रही थी। वो मेरे पास बैठकर मुझे देखते हुए कुछ बोलने का प्रयास कर रही थी, फिर मैंने चाय पीकर कप बेड के नीचे रखा और मैं चाची को देखता हुए बोला।
मैं – चाची आपकी उदासी देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है, आप अपने आप को संभालिए।
तो चाची के नयन आंसू की धार छोड़ने लगे, और मै उनके करीब खिसककर उनको चुप होने के बोलता हुआ उनके कंधे पर हाथ रखने लग गया।
मैं – चाची प्लीज़ चुप हो जाइए, मै आपको आंसू देने नहीं आया हूं।
फिर मेरा हाथ जो उनके कंधे को थामे हुए था, वो थोड़ा नीचे की ओर सरक गया। उनके बूब्स पर मेरा हाथ लगते हि मेरे बदन में करेंट दौड़ पड़ा, और वो अपने आंसू को पोंछकर मुझसे लिपट गई।
तो मेरा हाथ उनकी कमर पर आ गये, पर ये आलिंगन भावनात्मक था ना कि मेरा मन उनके खूबसूरत जिस्म पर गया था। खैर पल भर तक चाची मेरे सीने से चिपकी रही और मुझे भी शकुन मिल रहा था।
लेकिन उनके बूब्स का मेरे छाती से रगड़ खाना, मेरे मन के अंदर के जानवर को जगा रहा था। अब मै शीला चाची के पीठ को सहलाता हुआ अपनी काम वासना की ओर बढ़ रहा था।
तभी चाची मुझसे अलग हुई और फिर वो कमरे से बाहर चली गई। मै बेड पर आराम से लेट गया, चाची की सासू और ससुर के रहने का कमरा घर के अगले हिस्से में था।
जबकि चाची घर के पिछले हिस्से में रहती थी और बीच में आंगन था। मै करवट बदल कर लेटा हुआ था और फिर मुझे नींद आ गई। सुबह सुबह उठकर मैंने बस पकड़ी थी, इसलिए रात की मेरी नींद पूरी नहीं हुई थी।
अब मैं गहरी नींद में सो रहा था और मेरी आंखे जब खुली तो मेरा दिमाग खराब हो गया। क्योकि चाची मेरे बरमूडा के किनारे से मेरा लंड बाहर निकालकर अपने हाथ में पकड़े उसे सहला रही थी।
उनके स्पर्श से ही मेरी नींद खुली थी। मै मन से खुश था लेकिन दिखावटी गुस्सा करते हुए मैं उठा और चाची डर से मेरा लंड छोड़ कर बैठ गयी। मै बरमूडा के अंदर लंड करते हुए बोला।
मै – चाची आप सर क्यों झुका रखी हैं, ये कोई खिलौना नहीं है बल्कि आपकी जरूरत है।
शीला चाची अब सर उठाकर मुझसे लिपट गई और बोली – हां दीपक ये जरूरत तो मेरी दो साल से पूरी नहीं हुई है।
मैं – ठीक है लेकिन अगर इधर कोई आ गया तो?
शीला – तुम बेफिक्र होकर अपने चाची की जरूरत को पूरा करो, कुछ नहीं होगा।
शीला चाची को बेड पर लिटाकर में उनकी छाती के पास बैठा, और मै उनको घूरता हुआ उनकी साड़ी सीने पर से नीचे कर दिया। अब उनके दोनों बड़े बड़े स्तन सांसों के साथ उफान ले रहे थे।
ऐसा लग रहा था मानो ब्लाऊज फाड़कर चूची बाहर आ जाएगी, तभी मै उनके चेहरे पर चेहरे झुकाया और मैं उनके होंठो को चूमने लग गया। चाची भी मेरे गले में हाथ डालकर मेरे होंठो को चूमने लग गयी।
फिर हम दोनों कामवासना के गिरफ्त में थे। मेरा मुंह उनके होंठो को लेकर चूसने लग गया और वो मेरे पीठ को सहला रही थी। धीरे धीरे मै शीला के चिकने बदन पर सवार हो गया और अब शीला की जीभ मेरे मुंह में थी।
जिसे चूसते हुए मै उनके स्तन का एहसास अपने छाती पर पा रहा था। कुछ देर तक मैं शीला की जीभ को चूसता रहा, और फिर उसको छोड़ कर मैं उसके गाल को चूम रहा था।
अब वो तड़पने लग गयी और मै उसकी गर्दन को चूमता हुआ उसके एक स्तन को मसलने लग गया। तो वो गरम जवानी की तरह मेरे नीचे तड़प रही थी। तभी मै उसकी चूची के नग्न हिस्से को चूमने लग गया।
तो शीला अपने साड़ी को कमर से नीचे सरकाने लग गयी, अब मै एक चूची को मसल रहा था तो दूसरे को चूस रहा था। शीला ने अपना हाथ पीछे किया और उसने अपने ब्लाऊज का हुक खोल कर ब्लाऊज को बाहों से निकाल दिया।
उसके दोनों स्तन ब्रेसियार में मस्त दिख रहे थे, तो मै उसकी चूची को मसलता हुआ उसकी ब्रा को खोलने लग गया। अब बड़ी बड़ी चूची नग्न थी तो मै एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लग गया।
उसकी आधी चूची मेरे मुंह के अंदर थी, तो मै उसे स्तनपान करने लग गया। शीला मेरे टाईट लंड से परेशान थी और वो बोली – उह आह ऊं और तेज चूसो ना कितनी खुजली हो रही है मेरे छेद में।
फिर मै शीला के दूसरे स्तन को चूसता हुआ उसके पेटीकोट की डोरी को खोलने लग गया। मुझे उम्मीद नहीं थी कि शीला की जवानी का रस मुझे पीने को मिलेगा और उनको याद करके तो कई बार मुठ भी मार चुका था, ।
अब मै उनके स्तन को छोड़ा और उनके साया को हड़बड़ी में खोलने लग गया। शीला अपनी बुर को छुपाने के लिए जांघें सटा रखी थी।
मै शीला की दोनों जांघो को दो दिशा में करता हुआ अपना बरमूडा खोलने लग गया। फिर उनकी जांघों के बीच बैठकर मैंने अपना लंड उनकी बुर से सटाया, चाची की बुर पर घने बार थे।
तो मैने धीरे से अपना सुपाड़ा बुर में पेल दिया और फिर उनकी कमर को थामकर मैंने एक जोर का झटका बुर में दे दिया। शीला चिहुंक उठी और बोली – उई मां इतना कड़ा हथियार ये तो मेरी फ़ाड़ देगा।
मेरे दूसरे झटके ने उसकी बुर में मेरा पूरा लंड घुसेड़ दिया, और फिर मै शीला चाची को जोर जोर से चोदने लग गया। शीला का नग्न बदन मेरे मन को तड़पा रहा था और मै उसकी बुर को चोदता हुआ उसकी चूची को दबाने लग गया।
अब चाची का गोरा मुखड़ा लाल हो चुका था। मैंने ३-४ मिनट शीला को पूरे गति से चोदा, तो वो सिसकते हुए बोली – और तेज और तेज आह उह मेरा पानी निकलने वाला है।
फिर मेरा लंड बुर के पानी को पीकर मस्त हो गया। मै चाहकर भी चाची की बुर नहीं चाट सकता था, इतना घना बाग जो बुर पर था कि कुछ दिख ही नहीं रहा था।
तो मै शीला की चूतड़ के नीचे एक तकिया लगा कर, उसकी जांघों के बीच अपना चेहरा लगा दिया। अब उंगली की मदद से मैंने उनकी बुर को फैलाया, तो उनका छेद एक दम रसीला था।
फिर मै बुर में जीभ घुसा कर बुर को चाटने लग गया, अब वो अपने गान्ड को ऊपर उठा रही थी और उसके हाथ मेरे बाल को कस कर पकड रहे थे। अब मैं बुर में जीभ घुसा घुसा कर रस का स्वाद ले रहा था।
फिर मैंने शीला को कुतिया बना दिया, और अब वो बेड पर वो कोहनी और घुटने के बल हो गई। तो अब मैं उसके गोल गुंबदाकार चूतड़ के सामने बैठकर मै लंड को बुर में घुसाने लग गया।
चाची पीछे सर करके मुझे देख रही थी, तभी मै उसके कमर को थामकर एक जोर का झटका बुर में दिया और दूसरे झटका में तो लंड बुर के अंदर था। अब गपा गप लंड अंदर बाहर होने लग गया।
अब चाची भी अपना गान्ड आगे पीछे करते हुए चुदाई के मजे ले रही थी। मै रिया दीदी कि चुदाई करके इस छेत्र में उस्ताद हो चुका था, लेकिन ८-९ मिनट की चुद्दाई के बाद बुर और लंड दोनों गरम हो गये और मै चींख पड़ा।
मैं – उह आह अब मैं गया ये ले।
तभी मेरे लंड से वीर्य स्खलित होकर उसके बुर को गीला करने लग गया। फिर मैने बुर से लंड निकाला और दोनों अपने अपने कपड़े पहनकर अलग हो गए।