Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 21


सुनीता ने जस्सूजी से एक वचन माँगते हुए कहा, “जस्सूजी मैं और आप दोनों, आपकी पत्नी ज्योतिजी को और मेरे पति सुनील को हमारे बिच हुई प्रेम क्रीड़ा के बारे में कुछ भी नहीं बताएँगे। वैसे तो उनसे छुपाने वाली ऐसी कोई बात तो हुई ही नहीं जिसे छिपाना पड़े पर जो कुछ भी हुआ है उसे भी हम जाहिर नहीं करेंगे…
मैं हमारे बिच हुई प्रेम क्रीड़ा को मेरे पति सुनील और आप की पत्नी ज्योतिजी से छिपा के रखना चाहती हूँ ताकि सही समय पर उन्हें मैं इसे धमाके से पेश करुँगी की दोनों चौंक जाएंगे और तब बड़ा मजा आएगा।”
कर्नल साहब सुनीता की और विस्मय से जब देखने लगे तब सुनीता ने जस्सूजी का हाथ थाम कर कहा, “आप कैसे क्या करना है वह सब मुझ पर छोड़ दीजिये। मैं चाहती हूँ की आपकी पत्नी और मेरी दीदी ज्योतिजी से मेरे पति सुनीलजी का ऐसा धमाकेदार मिलन हो की बस मजा आ जाये!”
सुनीता का आगे बोलते हुए मुंह खिन्नता और निराशा से मुरझा सा गया जब वह बोली, “मेरे कारण मैं आपको चरम पर ले जा कर उस उन्मादपूर्ण सम्भोग का आनंद नहीं दे पायी जहां मेरे साथ मैं आपको ले जाना चाहती थी…
पर मैं चाहती हूँ की वह दोनों हमसे कहीं ज्यादा उस सम्भोग का आनंद लें, उनके सम्भोग का रोमांच और उत्तेजना इतनी बढ़े की मजा आ जाए। इस लिए जरुरी है की हम दोनों ऐसा वर्तन करेंगे जैसे हमारे बीच कुछ हुआ ही नहीं और हम दोनों एक दूसरे के प्रति वैसे ही व्यवहार करेंगे जैसे पहले करते थे। आप ज्योतिजी से हमेशा मेरे बारे में ऐसे बात करना जैसे मैं आपके चुंगुल में फँसी ही नहीं हूँ।”
जस्सूजी ने सुनीता अपनी बाहों में ले कर कहा, “बात गलत भी तो नहीं है। तुम इतनी मानिनी हो की मेरी लाख मिन्नतें करने पर भी तुम कहाँ मानी हो? आखिरकार तुमने अपनी माँ का नाम देकर मुझे अंगूठा दिखा ही दिया ना?”
जब सुनीता यह सुनकर रुआंसी सी हो गयी, तो जस्सूजी ने सुनीता को कस कर चुम्बन करते हुए कहा, “अरे पगली, मैं तो मजाक कर रहा था। पर अब जब तुमने हमारी प्रेम क्रीड़ा को एक रहस्य के परदे में रखने की ठानी ही है तो फिर मैं एक्टिंग करने में कमजोर हूँ।
मैं अब मेरे मन से ऐसे ही मान लूंगा की जैसे की तुमने वाकई में मुझे अंगूठा दिखा दिया है और मेरे मन में यह रंजिश हमेशा रखूँगा और हो सकता है की कभी कबार मेरे मुंहसे ऐसे कुछ जले कटे शब्द निकल भी जाए। तब तुम बुरा मत मानना क्यूंकि मैं अपने दिमाग को यह कन्विंस कर दूंगा की तुम कभी शारीरिक रूप से मेरे निकट आयी ही नहीं और आज जो हुआ वह हुआ ही नहीं…
आज जो हुआ उसे मैं अपनी मेमोरी से इरेज कर दूंगा, मिटा दूंगा। ठीक है? तुम भी जब मैं ऐसा कुछ कहूं या ऐसा वर्तन करूँ तो यह मत समझना की मैं वाकई में ऐसा सोचता हूँ। पर ऐसा करना तो पडेगा ही। तो बुरा मत मानना, प्लीज?”
जस्सूजी ने फिर थम कर थोड़ी गंभीरता से सुनीता की और देख कर कहा, “पर जानूं, मैं भी आज तुमसे एक वादा करता हूँ। चाहे मुझे अपनी जान से ही क्यों ना खेलना पड़े, अपनी जान की बाजी क्यों ना लगानी पड़े, एक दिन ऐसा आएगा जब तुम सामने चल कर मेरे पास आओगी और मुझे अपना सर्वस्व समर्पण करोगी…
मैं अपनी जान हथेली में रख कर घूमता हूँ। मेरे देश के लिए इसे मैंने आज तक हमारी सेना में गिरवी रखा था। अब मैं तुम्हारे हाथ में भी इसे गिरवी रखता हूँ…
अगर तुम राजपूतानी हो तो मैं भी हिंदुस्तानी फ़ौज का जाँबाज़ सिपाही हूँ। मैं तुम्हें वचन देता हूँ की जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक मैं तुम पर अपना वचन भंग करने का कोई मानसिक दबाव नहीं बनाऊंगा। इतना ही नहीं, मैं तुम्हें भी कमजोर नहीं होने दूंगा की तुम अपना वचन भंग करो।”
सुनीता ने जब जस्सूजी से यह वाक्य सुने तो वह गदगद हो गयी। सुनीता के हाथ में जस्सूजी का आधा तना हुआ लंड था जिसे वह प्यार से सेहला रही थी। अचानक ही सुनीता के मन में क्या उफान आया की वह जस्सूजी के लण्ड पर झुक गयी और उसे चूमने लगी। सुनीता की आँखों में आँसू छलक रहे थे…
सुनीता जस्सूजी के लण्ड को चूमते हुए और उनके लण्ड को सम्बोधित करते हुए बोली, “मेरे प्यारे जस्सूजी के प्यारे सिपाही! मुझे माफ़ करना की मैं तुम्हें तुम्हारी सहेली, जो मेरी दो जॉंघों के बिच है, उसके घर में घुस ने की इजाजत नहीं दे सकती। तुम मुझे बड़े प्यारे हो। मैं तुम्हें तुम्हारी सहेली से भले ही ना मिला पाऊँ पर मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ।”
सुनीता ने जस्सूजी के पॉंव सीधे किये और फिर से सख्त हुए उनके लण्ड के ऊपर अपना मुंह झुका कर लण्ड को अपने मुंह में लेकर उसे चूमने और चूसने लगी।
हर बार जब भी वह जस्सूजी के लण्ड को अपने मुंह से बाहर निकालती तो आँखों में आँसूं लिए हुए बोलती, “मुझे माफ़ करना मेरे जस्सूजी के दूत, मुझे माफ़ करना। मैं तुम्हें तुम्हारी सखी से मिला नहीं सकती।”
सुनीता ने फिर से जस्सूजी के लण्ड को कभी हाथों से तो कभी मुंह में चूस कर और हिला कर इतना उन्माद पूर्ण और उत्तेजित किया की एक बार फिर जस्सूजी का बदन ऐसे अकड़ गया और एक बार फिर जस्सूजी के लण्ड के छिद्र में से एक पिचकारी के सामान फव्वारा छूटा और उस समय सुनीता ने उसे पूरी तरह से अपने मुंह में लिया और उसे गटक गटक कर पी गयी।
उस दिन तक सुनीता ने कभी कभार अपने पति का लंड जरूर चूमा था और एक बार हल्का सा चूसा भी था, पर उनका वीर्य अपने मुंह में नहीं लिया था।
सुनीता को ऐसा करना अच्छा नहीं लगता था। पर आज बिना आग्रह किये सुनीता ने अपनी मर्जी से जस्सूजी का पूरा वीर्य पी लिया। सुनीता को उस समय जरासी भी घिन नहीं हुई और शायद उसे जस्सूजी के वीर्य का स्वाद अच्छा भी लगा।
कहते हैं ना की अप्रिय का सुन्दर चेहरा भी अच्छा नहीं लगता पर अपने प्रिय की तो गाँड़ भी अच्छी लगती है।
काफी देर तक सुनीता आधे नंगे जस्सूजी की बाँहों में ही पड़ी रही। अब उसे यह डर नहीं था की कहीं जस्सूजी उसे चुदने के लिए मजबूर ना करे।
जस्सूजी के बदन की और उनके लण्ड की गर्मी सुनीता ने ठंडी कर दी थी। जस्सूजी अब काफी अच्छा महसूस कर रहे थे।
सुनीता उठ खड़ी हुई और अपनी साडी ठीक ठाक कर उसने जस्सूजी को चूमा और बोली, “जस्सूजी, मैं एक बात आपसे पूछना भूल ही गयी। मैं आपसे यह पूछना चाहती थी की आप कुछ वास्तव में छुपा रहे हो ना, उस पीछा करने वाले व्यक्ति के बारे में? सच सच बताना प्लीज?”
कर्नल साहब ने सुनीता की और ध्यान से देखा और थोड़ी देर मौन हो गए, फिर गंभीरता से बोले, “देखो सुनीता, मुझे लगता है शायद यह सब हमारे मन का वहम था। जैसा की आपके पति सुनीलजी ने कहा, हमें उसे भूल जाना चाहिए।”
सुनीता को फिर भी लगा की जस्सूजी सारी बात खुलकर बोलना उस समय ठीक नहीं समझते और इस लिए सुनीता ने भी उस बात को वहीँ छोड़ देना ही ठीक समझा।
उस सुबह के बाद कर्नल साहब और सुनीता एक दूसरे से ऐसे वर्तन करने लगे जैसे उस सुबह उनके बिच कुछ हुआ ही नहीं और उनके बिच अभी दूरियां वैसे ही बनी हुई थीं जैसे पहले थीं।
पहाड़ों में छुट्टियां मनाने जाने का दिन करीब आ रहा था। सुनीता अपने पति सुनीलजी के साथ पैकिंग करने और सफर की तैयारी करने में जुट गयी। दोनों जोड़ियों का मिलना उन दिनों हुआ नहीं। फ़ोन पर एक दूसरे से वह जरूर सलाह मशवरा करते थे की तैयारी ठीक हो रही है या नहीं।
एक बार जब सुनीता ने जस्सूजी को फ़ोन कर पूछा की क्या जस्सूजी ज्योतिजी छुट्टियों में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे, तो जस्सूजी ने सुनीता को फ़ोन पर ही एक लंबा चौड़ा भाषण दे दिया।
कर्नल साहब ने कहा, “सुनीता मैं आप और सुनीलजी से यह कहना चाहता हूँ की यह कोई छुट्टियां मनाने हम नहीं जा रहे। यह भारतीय सेना का भारत के युवा नागरिकों के लिए आतंकवाद से निपटने में सक्षम बनाने के लिए आयोजित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम है…
इस में सेना के कर्मचारियों के रिश्तेदार और मित्रगण ही शामिल हो सकते हैं। इस प्रोग्राम में शामिल होने के किये जरुरी राशि देने के अलावा सेना के कोई भी आला अधिकारी की सिफारिश भी आवश्यक है। सब शामिल होने वालों का सिक्योरिटी चेक भी होता है…
इस में रोज सुबह छे बजे कसरत, पहाड़ों में ट्रेक्किंग (यानी पहाड़ चढ़ना या पहाड़ी रास्तों पर लंबा चलना), दोपहर आराम, शाम को आतंकवाद और आतंक वादियों पर लेक्चर और देर शाम को ड्रिंक्स, डान्स बगैरह का कार्यक्रम है…
हम छुट्टियां तो मनाएंगे ही पर साथ साथ आम नागरिक आतंकवाद से कैसे लड़ सकते हैं या लड़ने में सेना की मदद कैसे कर सकते हैं उसकी ट्रेनिंग दी जायेगी। मैं भी उन ट्रैनिंग के प्रशिक्षकों में से एक हूँ। आपको मेरा लेक्चर भी सुनना पडेगा।”
सुनीलजी को यह छुट्टियां ज्योतिजी के करीब जानेका सुनहरा मौक़ा लगा। साथ साथ वह इस उधेड़बुन में भी थे की इन छुट्टियों में कैसे सुनीता और जस्सूजी को एक साथ किया जाए की जिससे उन दोनों में भी एक दूसरे के प्रति जबरदस्त शारीरिक आकर्षण हो और मौक़ा मिलते ही दोनों जोड़ियों का आपस में एक दूसरे के जोड़ीदार से शारीरिक सम्भोग हो।
वह इस ब्रेक को एक सुनहरी मौक़ा मान रहे थे। जिस दिन सुबह ट्रैन पकड़नी थी उसके अगले दिन रात को बिस्तर में सुनीलजी और सुनीता के बिच में कुछ इस तरह बात हुई।
सुनीलजी सुनीता को अपनी बाहों में लेकर बोले, “डार्लिंग, कल सुबह हम एक बहुत ही रोमांचक और साहसिक यात्रा पर निकल रहे हैं और मैं चाहता हूँ की इसे और भी उत्तेजक और रोमांचक बनाया जाए।”.
यह कह कर सुनीलजी ने अपनी बीबी के गाउन के ऊपर से अंदर अपना हाथ डालकर सुनीता के बूब्स को सहलाना और दबाना शुरू किया।
सुनीता मचलती हुई बोली, “क्या मतलब?”
सुनीलजी ने सुनीता की निप्पलों को अपनी उँगलियों में लिया और उन्हें दबाते हुए बोले, “हनी, हमने जस्सूजी को आपको पढ़ाने के लिए जो योगदान दिया है उसके बदले में कुछ भी तो नहीं दिया…
हाँ यह सच है की उन्होंने भी कुछ नहीं माँगा। ना ही उन्होंने कुछ माँगा और नाही हम उन्हें कुछ दे पाए हैं। तुम भी अच्छी तरह जानती हो की जस्सूजी से हम गलती से भी पैसों की बात नहीं कर सकते। अगर उन्हें पता लगा की हमने ऐसा कुछ सोचा भी था तो वह बहुत बुरा मान जाएंगे।
फिर हम करें तो क्या करें? तो मैंने एक बात सोची है। पता नहीं तुम मेरा समर्थन करोगी या नहीं।
हम दोनों यह जानते हैं की जस्सूजी वाकई तुम पर फ़िदा हैं। यह हकीकत है और इसे छिपाने की कोई जरुरत नहीं है। मुझे इस बात पर कोई एतराज नहीं है। हम जवान हैं और एक दूसरे की बीबी या शौहर के प्रति कुछ थोड़ा बहोत शारीरिक आकर्षण होता है तो मुझे उसमें कोई बुराई नहीं लगती।”
अपने पति की ऐसे बहकाने वाली बात सुनकर सुनीता की साँसे तेज हो गयीं। उसे डर लगा की कहीं उसके पति को सुनीता की जस्सूजी के साथ बितायी हुई उस सुबह का कुछ अंदाज तो नहीं हो गया था? शायद वह बातों ही बातों में इस तरह उसे इशारा कर रहे थे। सुनीलजी ने शायद सुनीता की हालत देखि नहीं।
अपनी बात चालु रखते हुए वह बोले, “मैं ऐसे कई कपल्स को जानता हूँ जो कभी कभार आपसी सहमति से या जानबूझ कर अनजान बनते हुए अपनी बीबी या शौहर को दूसरे की बीबी या शौहर से शारीरिक सम्बन्ध रखने देते हैं। फिरभी उनका घरसंसार बढ़िया चलता है, क्यूंकि वह अपने पति या पत्नी को बहोत प्यार करते हैं…
उन्हें अपने पति या पत्नी में पूरा विश्वास है की जो हो रहा है वह एक जोश और शारीरिक उफान का नतीजा है। वक्त चलते वह उफान शांत हो जाएगा। इस कारण जो हो रहा है उसे सहमति देते हैं या फिर जानते हुए भी अपने शोहर या बीबी की कामना पूर्ति को ध्यान में रखे हुए ऑंखें मूँद कर उसे नजरअंदाज करते हैं।
जस्सूजी तुम्हारी कंपनी एन्जॉय करते हैं यह तो तुम भी जानती हो। में चाहता हूँ की इस टूर में तुम जस्सूजी के करीब रहो और उन्हें कंपनी दे कर कुछ हद तक उनके मन में तुम्हारी कंपनी की जो इच्छा है उसे पूरी करो। अगर तुम्हें जस्सूजी के प्रति शारीरिक आकर्षण ना भी हो तो यह समझो की तुम कुछ हद तक उनका ऋण चुका रही हो।”
पति की बात सुनकर सुनीता गरम होने लगी। सुनीता के पति सुनीता को वह पाठ पढ़ा रहे थे जिसमें सुनीता ने पहले ही डिग्री हासिल कर ली थी।
उसके बदन में जस्सूजी के साथ बितायी सुबह का रोमांच कायम था। वह उसे भूल नहीं पा रही थी। अपने पति की यह बात सुन कर सुनीता की चूत गीली हो गयी। उसमें से रस रिसने लगा।
सुनीता ने पति सुनील के पायजामे का नाड़ा खोला और उसमें हाथ डाल कर वह अपने पति का लण्ड सहलाने लगी। तब उसे जस्सूजी का मोटा और लंबा लण्ड जैसे अपनी आँखों के सामने दिखने लगा।
पढ़ते रहिये, क्योकि यह कहानी आगे जारी रहेगी!
[email protected]

शेयर
sex stroy comantarvasna hindi sexy storymosi ki chudhaidesi incest sex storiesreal sex storynew porn desikuwari chut ki chudai kahanihindi ki mast kahaniyasasur fuckindian desi mobihindi ki gandi kahaniiss sexindianincestsexstoriesaunty ki jawanidesi bhabhisexnew indian xxxsexy hindi story 2016lesbian sex indian girlssexy storriesdesi story sexwww chudai story comdesi mom porndesi classroom sexnew sex tamil storyindian sex stories.nethindhi sexaunty sex 2016desi chudai storymujhe kutte ne chodakamkta.comgangbag sexchudai mummypapa sex story hindinew adult story in hindihot lesbodost ki maa se shadi kidesi bhabhi suhaagraatmother sex kahanidesi armpit facebooknew story chudaichudai chudaihindi sexy story mastramdesi new porndesi guder photowap desi sexbanda raja bia rani gapachoot ki chudai storybhai behan ki chudai ki kahani hindisavita bhabhi ki chudaebhabhi ki gaandsex novels in malayalamfacebook desi girlstamil font kamakathaikalmami ki malishall tamil kamakathaikaldoctor ki chutpreeti sexybhabhi ko zabardasti chodakamalogam tamil kathaifucking girls storieshindi office sex videobiwi ka rape huakamsin kali ki chudaidese sex storekamukthahindi story in englishchudai tips hindipadosi bhabhichut bhaisexkahaniya hindisacchi chudai ki kahaniwww tamil amma magan kamakathai compassionate desi sexhot aunty stories