अब हम दोनों जीजू साली अस्पताल में राज की माँ की देखभाल के लिए रुक गए। माजी और सोनिया को खाना खिलाया । इतने में रात हो गयी। हम दोनों हाल में ही एक बेंच पर बैठे थे। करीब 12 बजे तक हम दोनो बाते करते रहे।
सोनिया — जीजू तो क्या सोचा आपने ?
मैं — किस बात के लिए रानी ?
रानी — (इशारे से) वो परसों वाली बात का।
मैं— सोचना क्या है बोलो ?
सोनिया — पर आपने तो वादा भी किया था मेरी मदद करने का।
मैं — हाँ किया था, मैं कौनसा भाग रहा हूँ अपनी बात से, पर पता भी चले किस तरह की मदद चाहते हो मुझसे। (चाहे मैं सारी बात समझ चूका था, पर उसके मुंह से सुनना चाहता था)
सोनिया — आप सब कुछ जानकर भी अनजान बन रहे ओ जीजू,
मैं — नही तो, बोलो भी क्या मदद करू आपकी?
पैसे चाहिए बोलो कितने दू, एक लाख, पांच लाख बोलो कितने का चेक भरू।
सोनिया — नही मुझे ऐसी कोई मदद नही चाहिए जो पास होकर भी माँगनी पड़े।
मैं — तो फेर साफ साफ बोलो न सोनिया।
सोनिया — (मुंह दूसरी तरफ फेर कर)– जीजू मुझे आपसे बच्चा चाहिए और मुझे आस है के आप मुझे निराश नही करोगे।
इतना बोलकर 2-3 मिनट के लिए हाल में सनाटा छा गया।
मैं — सोनिया मैं तुम्हारी मजबूरी समझ सकता हूँ, पर मैं किरण से बहुत प्यार करता हूँ, उससे बेवफाई भी नही कर सकता।
मेरा इंकार सुनकर वो अपना मुंह हाथो में लेकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।
मैंने उसके कंधे पे हाथ रखकर उसे चुप करवाना चाहा, पर उसने रोते हुए ही अपना कन्धा मेरे हाथ से छुड़वा लिया और बोली,” जीजू प्लीज़ डोंट टच मी, गिव मी अलोन प्लीज़ ऐट टाइम।
मैं — सोनिया प्लीज़ समझने की कोशिश करो यार, अगर आपकी जगह किरण होती तो क्या राज़ उनकी बात मान जाता ?
सोनिया आँखे पोंछकर बोली,” आप बोल लिए अब मेरी सुनो।
आप क्या चाहते हो आपकी साली साहिबा को लोग बाँझ बोलें ? या आप क्या चाहते हो आपकी साली किसी ऐरे गेरे के निचे सोये? या आप क्या चाहते हो आपकी साली किसी ऐरे गेरे के बच्चे को जन्म दे ?
देखो जीजू, आप घर के आदमी हो, इस लिए आपसे बात कर ली मैंने वरना यह काम मैं गली के किसी भी लड़के को थोड़ा सा लालच देकर करवा सकती हूँ पर नही करुँगी क्योंके मुझे अपनी और अपने परिवार की इज़्ज़त की बहुत परवाह है। मैं नही चाहती लोग मेरे पति को ताने सुनाये, मैं नही चाहती मेरे माँ बहन को लोग गालिया दे।
वो गुस्से में एक ज़ख़्मी नागिन की तरह फुंकारे मार रही थी।
मैं — नही सोनिया, मैं ऐसा बिलकुल भी नही चाहता, बस अपनी मज़बूरी बताई थी।
सोनीया — यदि आपकी वजह से किसी माँ को बच्चा, दादी को पोता, नानी को नाती मिल जाता है तो इसमें आपको क्या दिक्कत है?
उसकी आपसे तो दो रिश्तेदारियां बन जायेगी। एक तरफ पापा और दूसरी तरफ मौसा जी।
हाँ इतना आपसे मेरा वादा है के यह बात हम दोनों में ही रहेगी।
वो रोते हुए हाथ जोड़कर बोली,” मान जाओ न जीजू प्लीज़ आपकी साली आपकी मिन्नते कर रही है। एक बच्चे की भीख मेरी झोली में डाल दो न।
उसके करुणामयी विर्लाप से मेरा दिल पसीज गया और मेने उसे गले लगाकर कहा,” ठीक है सोनीया चुप जाओ पहले । थोडा सोचने का टाइम दो मुझे। कल सुबह कोई ठोस फैसला लेंगे। अभी रात बहुत हो गयी सो जाओ थोड़ा। फेर सुबह घर चलेन्गे। मेरी बात मानकर वो उसी लम्बे बेंच पे लेट गयी और मैं दूसरे बेंच पे लेट गया।
गहरी नींद की वजह से पता नही चला कब सवेर हो गयी। करीब 5 बजे मुझे जाग आई। मैने उठकर देखा सोनिया अभी भी सोई हुई थी। मेने पास जाकर उसे उठाया और दोनों अस्पताल के बाहर चाय पीने एक ढाबे पे आ गए। दोनों ने चाय पी और बैठकर बाते करने लगे। इतने में राज का फोन आ गया के वो और किरण अस्पताल उनके लिए चाय और नाश्ता लेकर पहुंच गए है।
हम दोनों उठकर अस्पताल वापिस चले गए और हमने ब्रेड के साथ चाय पी। इतने में राज बोला,” शिवम् भाई आप और सोनिया दोनों घर जाकर नहा धो लो, कल से यहाँ रुके हुए हो। अब हम दोनों यहाँ है माजी की देखभाल के लिए।
हमे उसकी बात ठीक लगी और हम दोनों बाइक लेकर घर आ गए। घर आकर हम नहाये खाना खाया और अपने अपने कमरे में सोने चले गए। सासु माँ और बाबू जी भी अपने कमरे में सोने चले गए। करीब 2 बजे सोनिया मेरे लिये चाय लेकर आई। उस वक्त मैं बनियान और निकर में ही सोया हुआ था। उसने हाथ से झंझोड़ते हुये मुझे चिढ़ाते हुए आवाज़ लगाई।
उठ जाओ मेरे मुन्ने के पापा दोपहर हो गयी है चाय पी लो, और हंस कर गाल पे चिकोटी काट ली।
अब मैं कहाँ से रुकने वाला था। उठते ही सोनिया को दबोच लिया और उसकी गालो पे 3-4 पप्पियाँ ले ली।
जिस से हम दोनों हंस हंस के उस पल का मज़ा लेने लगे।
सोनिया — तो जीजू क्या सोचा आपने ?
मैं — मेरी इस हरकत से भी आपको कोई जवाब की उमीद है।
सोनिया — हाँ जीजू क्योंके ऐसा मज़ाक जीजा साली में आम बात है।
मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैड पे बिठाते हुये कहा,” मुझे तुम्हारा यह न्योता कबूल है सोनिया ।
उसने ख़ुशी से मुझे गले लगा लिया और बोलो थैंक यु जीजू एंड लव यु सो मच, आपका यह एहसान मरते दम तक याद रखूंगी।
फ़िलहाल अभी छोडो माँ बापू को चाय देकर बाद में आती हूँ।
सोनिया अपने माँ बापू को चाय देंने चली गयी तब तक मेने भी अपनी चाय खत्म करली और दुबारा लेटकर सोनिया का इंतज़ार करने लगा।
करीब 10 मिनट बाद सोनिया मेरे कमरे में आई और आते ही दरवाजा अंदर से लॉक कर आई और सारी खिड़कियों को बन्द करके उनपे पर्दे डाल आई तांजो अंदर की कोई भी प्रतिकिर्या बाहर न दिखाई दे ।
बैड पर आते ही सोनिया मुझसे लिप्ट गयी ओर मेरे होंठो पे अपने होंठ सटाकर उनका रसपान करने लगी और काम के आगोश में बहने लगी,” जीजू आप कितने अच्छे हो,
आई लव् यू आलवेज़ माय डिअर जानूू म्मम्मआआह् ।
मैं भी उसके लिप किस का जवाब देने लगा। उसको बैड पे लिटाकर उसके होंठ चूमने लगा।
वो बोली, जीजू जो करना है जलदी से करलो । हमारे पास टाइम बहुत ही कम है । मुझे माँ बापू कभी भी आवाज़ लगा सकते है। मेने उसकी कमीज़ ऊपर करके उसके सुडोल मम्मो को मुँह में लेकर चूसने लगा और हल्का हल्का निप्पलस को काटने लगा।
वो निचे लेटी उफ्फ्फ….. आआआआअह…. सीईईईई… उई माँ की कामुक आवाज़े निकालकर मौन करने लगी और मेरे बाल सहलाने लगी। करीब 10 मिनट मम्मे चूसवाने के बाद सोनिया बोली” जीजू अब और न तड़पाओ प्लीज़, अब मुझसे रहा नही जा रहा।
प्लीज़ अपना मोटा लण्ड मेरी चूत में डाल दो बस। कितने दिनों से आपके साथ सहवास के लिय तड़प रही हूँ।
मैंने भी उसकी व्याकुलता को समझते हुए उसकी सलवार को टाँगो से निकाल कर बैड पे रख दी और हाथ से बाल रहित चूत का जायजा लिया। चूत उसके चूतरस ने सनी हुई थी। मेने भी अपना निकर निकाल दिया।
मेरा 5 इंची लम्बा 3 इंची मोटा लण्ड देख कर उसकी आँखों में तो जैसे चमक आ गयी और बोली, जीजू किस्मत वाली है किरण दीदी जो उसकी किस्मत में इतना मोटा लण्ड लेना लिखा है। आज अपनी लाड़ली साली की किस्मत में इसकी स्याही से माँ बनने का सुख लिखदो ना ।
मेने भी एक हाथ उठाकर देवताओ
की तरह बोला तथास्तु और हम दोनों हंसने लगें ।
वो बोली लाओ जीजू पहले आपके मोटेे लण्ड को चूत में लेने के लायक तो बना लू। वो बैड से उठकर मुझे लेटने का इशारा करते हुए बोली,” आप लेट जाओ पहले आगे का काम मेरा है।
उसका हुक्म मानकर मैं पीठ के बल लेट गया वह मेरे ऊपर आई और मेरे होंठो से होंट सटाकर लिपकिस करने लग गयी। फेर मेरे छाती पे बालो को सहलाते सहलाते नीचे की और जाती हुई लण्ड को पकड़ कर चूसने लगी।
आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या नजारा था जो शब्दों में बयान नही कर सकता। मैं तो जेसे जन्नत की सैर कर रहा था। आँखे बन्द करके वो मेरे लण्ड को बड़े प्यार से चाट रही थी।
वो कभी मुह में लेकर मुह आगे पीछे कर रही थी। तो कभी मेरे आंडों को होंठो में लेकर चूस रही थी। हम दोनों इतना मज़े में खोये हुए थे के मेरा माल कब उसके मुह में निकल गया मुझे पता नही चला, उसने सारा माल पी लिया और बोली” आपका पानी बहुत स्वादिष्ट है जीजू,
करीब 5 मिनट आराम के बाद वो फेर मेरे लण्ड को चूसने लगी। अब सोये हुए लण्ड की भी नींद खुल गयी। जब उसका मुह लण्ड चूसते चूसते दुखने लगा तो दूर हटकर सोनिया बोली,” अब ठीक है जीजू अब तैयार हो गया है घोडा अपनी रेस के लिए। उसने अपने थूक से गीले किये खड़े लण्ड को हाथ में लेकर अपनी कमीज़ की अगली साइड मुह में लेकर अपनी चूत को लण्ड पे सेट करखे ऊपर बैठ गयी।
लण्ड उसकी डबलरोटी जैसी चूत की फांको में कील की तरह घुसता चला गया। उसके चेहरे के हाव भाव बदल गए। जैसे एक तीखा दर्द हो रहा हो उसको। करीब 5 मिनट वैसे हो बैठी रहने के बाद उसने अपना मोर्चा सम्भाला और उठक बैठक करने लगी। चूतरस और थूक लगने की वजह से लण्ड अब आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।
पहले धीरे धीरे चलते उसके कूल्हे अब एक बुलेट ट्रेन की तरह हरकत करने लगे। करीब 7 मिनट उसकी साँस चढ़ गयी और ज़ोरदार चीख के साथ वह मेरी छाती के ऊपर लेट गयी
उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था। जो के गर्म गर्म मुझे लण्ड पे महसूस हो रहा था। उसका काम तो हो गया था जब के मेरा होना अभी बाकी था।
हांफती हुई सोनिया बोली,” जीजू आपके मोटे लण्ड ने मेरी तो बैंड बज़ादी, पता नही किरण दीदी कैसे झेल लेती है इसे। अब आप ऊपर आ जाओ मुझसे नही होगा बहुत थक गयी हूँ मैं तो आज, हम सेक्स तो करते है पर इतना वाइल्ड नही।
उसके हालात को देखते हुए उसकी चूत में लण्ड निकाले बिना ही उसे लिटाकर ऊपर आकर मैं अपनी कमर हिलाने लगा। वो भी नीचे से अपनी कमर हिला हिलाकर मज़े ले रही थी। कभी मैं उसके होंठ तो कभी उसके मम्मे चूसता।
वो बोली जीजू, राज तो इतने समय में 10 बार जड़ जाता है आप हो के एक बार भी नही झड़े। पता नही वो मेरा उत्साह बढा रही थी या फुद्दू खींच रही थी पर मुझे अपने आप ने गर्व महसूस हो रहा था।
जोश में आकर मेने भी अपनी सपीड और बढ़ा दी और अगले 15 मिनट तक टिके रहने के बाद एक लम्बी आअह्हह्हह् लेकर उसके मखमली बदन पे ही ढेरी हो गया और अपने गर्म गर्म लावे की पिचकारियों से सोनिया की चूत भरदी।
उसके चेहरे पे आई असीम ख़ुशी की झलक देखने को मिली। अब उसकी आँखों में ख़ुशी के आंसू थे ओर मुझे चूमते हुए हाथ जोड़कर बोली,” बहुत बहुत धन्यवाद जीजू आपका मुझे इतनी अनमुल्ली सौगात देने के लियें । आपने मेरी इज़्ज़त जलील होने से बचाली।
आपका यह अहसान मरते दम तक याद रखूंगी।
मेने उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहा, “कोई बात नही साली साहिबा यदि मेरे इतना करने से आपकी ज़िन्दगी में खुशिया आती है तो मैं अपने आपको भाग्यशाली समझुगा। फेर हम उठे कपडे पहनकर इकठे नहाये और चाय बनाकर माँ बापू को दी। फेर हम अस्पताल राज और किरण का खाना लेकर गए। ऐसा लगातार एक हफ्ते तक चलता रहा।
जब भी हमे अकेले रहने का वक़्त मिलता हम जवानी का खेल खेलने लग जाते। जब राज की माँ ठीक होकर घर आ गयी तब हम भी अपने घर आ गए ।
करीब एक महीने बाद मेरे मोबाइल पे सोनिया का फोन आया और बोली, मुबारक हो जीजू आप मौसा बन गए हो, आज प्रेगनेंसी चेक करवायी है और आपकी साली एक महीने के गर्भ से है। मुझे यह बात सुनकर बहूत ही ख़ुशी हुई। मेने उसकी किरण से बात करवायी। वो भी बहुत खुश हुई। इधर किरण भी गर्भवती हो चुकी थी।
दोनों बहनो ने 4 महीने के फर्क से एक एक लड़के को जन्म दिया। दोनों लड़को के नैन नक्श हूबहू एक जैसे थे। फेर कई महीने बाद जब हम फेर सुसराल गए तो सोनिया ने अपना बच्चा सबसे पहले मेरी गोद में दिया और धीरे से मेरे कान में कहा देख लो जीजू हमारे बच्चे को, है न बिलकुल आप जेसा। मैं एक दम हैरान रह गया नाक, चेहरा एक दम मेरे चेहरे जैसा था।
किरन ने मजाक में बोला,” दीदी आप जब गर्भ से थी तो जरूर आपने शिवम् के दर्शन करते होंगे तब ही इसकी शक्ल शिवम् जैसी दी।
मैं और सोनिया एक दूजे की आँखों में झांक कर हसकर बोले हाँ हो सकता है।
और इस तरह एक माँ की झोली भर गयी और उसकी ज़िन्दगी में खुशियो का मेला लग गया।
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