प्रिय पाठक गण, अकसर मेरी हिन्दी सेक्स कहानिया लम्बी होती हैं और शायद कुछ लोगोँ को बोरिंग भी लगे, क्यूंकि मैं कहानियों में पटकथा पर और जो भावावेश और जज्बा होता है उस पर ज्यादा बल देता हूँ।
यह हिन्दी सेक्स कहानी वैसे तो साधारणसी है पर इसमें वही भाव आपको दिखेंगे। अगर आपमें धैर्य एवं भाव को परखने की शूक्ष्मता के लिए जो समय और सोच चाहिए उसका अभाव है तो आपको मेरी हिन्दी सेक्स स्टोरी नहीं भाएगी।
राज और कमल की दोस्ती स्कूल में मशहूर थी। उनके घर नजदीक ही थे और उनके माता पिता एक दूसरे को जानते थे।
वह शुरू से सेकंडरी हाई स्कूल तक साथ साथ पढ़े, क्रिकेट खेले और बहोत मस्तियाँ भी की। कमल राज से एक क्लास सीनियर था। उनकी दोस्ती कैसे इतनी गहरी हुयी इसके पीछे एक कहानी थी।
कहानी कुछ इस तरह थी की जब राज छठवीं क्लास में था तब उसीकी स्कूल में सीनियर क्लास में एक हट्टाकट्टा लड़का था जो हमेशा राज का मजाक उड़ा कर राज को तंग करता रहता था।
एकबार जब राज ने उसका विरोध किया तो उसने राज को एक घूंसा मारा। राज गिर गया और उसके दाँतो से खून बहने लगा।
तब कमल ने उस मोटे लड़के की पिटाई की और राज को बचाया। उस लड़के से लड़ते हुए कमल को भी चोटें आयीं और काफी खून निकला।
पर बात यहां ख़तम नहीं हुई। वही मोटा लड़का शहर के पुलिस अफसर का बेटा था। कमल से पिटाई होने के बाद वह तिलमिला उठा था, और एक दिन मौक़ा मिलते ही उसने राज को स्कूल छूटते ही स्कूल के बाहर ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपनी गाडी में उठवा लिया, और राज को शहर के बाहर दूर एक नाली के पास पिटाई करके लहू लुहान हालत में फेंक दिया।
कमल जैसे ही स्कूल से बाहर निकला तो बच्चों ने उसे बताया की राज को उस मोटे लड़के ने दोस्तों से मिलकर कैसे अगुवा किया था।
कमल आग बबूला हो गया, पर उसे राज की चिंता थी। वह तुरंत अपनी साइकिल पर निकला और उस मोटे लड़के के घर के बाहर कुछ पौधों की आड़ में छुपकर वह मोटे लड़के का इंतजार करने लगा।
जब वह लड़का अपने घर पहुंचा की कमल ने लपक कर कार में बैठे हुए मोटे लड़के की गर्दन दबोच ली और जोर से दबायी। वह लड़का छटपटाने लगा और कमल के हाथों से चार करारे थप्पड़ रसीद होने पर उसने अपना गुन्हा कुबूल किया।
कमल के कहने पर उसने राज को जहां पिटाई कर के छोड़ा था वहाँ ले गया।
उसी गाडी में कमल राज को अस्पताल ले गया और उसकी जान बचाई। मोटे लड़के के पिता जो पुलिस में थे वह बड़े सज्जन थे। अपने बेटे की करतूत पर बड़े शर्मिन्दा हुए और बेटे को सबके सामने दो थप्पड़ लगाए और कमल और राज के माता पिता को बेटे की शिकायत ना करने के लिए प्रार्थना की।
राज के माँ बाप तो कमल के पाँव पकड़ कर उसका अहसान मानने लगे। इस वाकये के बाद राज के माता पिता कमल के घर आये और उसकी बड़ी प्रशंसा की।
राज और कमल के कुटुंब की दोस्ती और गहरी हो गयी। राज की माँ और कमल की माताजी एक दूसरे की पक्की सहेलियाँ बन गयीं। राज कमल को बड़े भाई की तरह मानने लगा।
कमल हमेशा उसे छोटे भाई की तरह प्यार करता था। राज की माँ कमल को इतना प्यार करती थी की वह सबको कहती थी की “अगर मेरी बेटी होती तो मैं कमल के साथ उसकी शादी जरूर करती।”
घर से राज या कमल कोई भी चीज़ लाते तो वह मिल बाँट कर खाते। उनकी दोस्ती बचपन से ही गाढ़ी हो गयी। राज के लिए भी कमल का वजूद कोई देवी देवता से कम नहीं था।
राज को कोई भी छोटा मोटा फैसला करना होता था, तो वह कमल से पूछता और वही करता जो कमल उसे कहता। इतना ही नहीं, जब कभी कमल अपने घर में सोया होता था और राज उसे मिलने आता, तो तुरंत कमल के पाँव दबाने लगता था।
कमल स्कूल में एक अच्छा खासा क्रिकेटर माना जाता था। नियमित व्यायाम करने के कारण उसका बदन गठीला और आकर्षक था। अपनी स्कूल की टीम का वह कप्तान था। कमल सुन्दर बदन का, आकर्षित आँखों वाला और मनमौजी था।
उसकी एक आदत थी, की वह जो दिल में आता था बोल देता था या कर देता था। कमल मजबूत शरीर का था और राज थोड़ा कमजोर, दुबला पतला था। पढ़ाई में राज हमेशा अव्वल आता था। कमल भी पढ़ाई में ठीक ही था।
उनकी दोस्ती बढ़ती गयी और उन दोनों की जोड़ी पुरे स्कूल में मशहूर हो गयी। कमल रंगीन तबियत का था। राज थोड़ा गंभीर किस्म का था।
छठी सातवीं कक्षा से ही अक्सर कमल राज से लड़कियों के बारे में बातें करता।
धीरे धीरे राज भी कमल के साथ स्कूल की लड़कियों के बारे में बातें करने लगा। जब वह दोनों बात करते तो मालूम होता की उन दोनों की नजर अक्सर एक ही लड़की पर टिकती थी।
एक बार कमल ने राज से पूछा, “राज यार हम दोनों को एक ही लड़की क्यों पसंद आती है? अगर हमने एक ही लड़की शादी के लिए भी पसंद की तो क्या होगा?”
राज ने फ़ौरन कहा, “तो फिर हम दोनों ही उस लड़की से शादी करेंगे।“
कमल: “पर एक लड़की से दो मर्द शादी नहीं कर सकते।“
राज: “तो फिर हम क्या करेंगे? तो मैं वह लड़की तुम्हारे लिए छोड़ दूंगा। मैं उससे शादी नहीं करूंगा।”
राजकी बात सुन कर कमल राज को गले लगा कर बोला, “नहीं यार, ऐसा नहीं हो सकता। हमारी यारी के बिच में कोई लड़की नहीं आनी चाहिए। अगर ऐसी नौबत आयी तो हम दोनों अलग-अलग लड़कियों से शादी तो करेंगे, लेकिन दोनों लडकियां हम दोनों की पसंदगी की ही होंगीं और हमारी बीबियाँ हम दोनों की होंगी ना की किसी एक की।”
कमल हंस पड़ा, “यह तो बहुत अच्छा होगा। तब तो हम दोनों हमारी दोनों बीबियों के साथ ही रहेंगे और उनके साथ मिल जुल कर एन्जॉय करेंगे। कभी तुम मेरी बीबी के साथ रहना और मैं तुम्हारी बीबी के साथ। कैसी रहेगी? बोलो मंजूर?”
राज ने एक ही पल में कहा, “एकदम मंजूर।”
उस समय इतनी समझ नहीं थी की बीबी कोई बपौती संपत्ति नहीं है की उसे मिलजुल कर बाँटा जाये।
हाई स्कूल पास करने के बाद उन दोनों को अलग अलग कॉलेज में दाखिला मिला और वह कुछ सालों के लिए अलग हो गए। पर उनकी बात फ़ोन पर होती ही रहती थी।
कमल राज को अपनी हर बात बताता और राज कमल को। फ़ोन पर भी वह एक दुसरे की टांग खींचते रहते की कोई लड़की फँसी के नहीं।
कमल की शोहरत बढ़ने लगी, क्यूंकि वह क्रिकेट खेलने में अव्वल था। उसने अपनी स्कूल को इंटर स्कूल खेलों में चैंपियनशिप दिलाई थी। कॉलेज में वह टीम का कप्तान रहा और वहाँ भी उसने अपने झंडे गाड़ दिए।
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स्कूल और कॉलेज में लडकियां कमल पर फ़िदा थीं। कॉलेज में खेलते खेलते ही वह रणजी ट्रॉफी में भी खेलने लगा।
उसके आकर्षक व्यक्तित्व के कारण वह काफी लोकप्रिय बना। उसके फोटो खेलकूद के और फैशन के मैगज़ीन में अक्सर आते रहते थे। यह कहा जाता था की एक न एक दिन वह भारत के लिए जरूर खेलेगा। .
कॉलेज पास होते ही कमल को उसके क्रिकेट में लोकप्रियता के कारण मुंबई में एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिली। उधर राज ने कॉलेज में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के लिए और पढ़ाई की।
दो तीन सालों के बाद कमल की शादी की बात होने लगी। उस समय कमल ने यह शर्त रखी की जो भी लड़की वह पसंद करेगा उसे राज भी मिलेगा और हाँ कहेगा, तभी बात आगे बढ़ेगी।
कुमुद नाम की एक लड़की से शादी के बारे में बात होने लगी, तो कमल ने राज को बुलाया। राज को कुमुद से मिलाया। उसी समय कुमुद को पता लगा की कमल के जीवन में राज की कितनी अहमियत थी।
राज की रजामंदी से कमल की शादी कुमुद के साथ तय हो गयी। कमल की शादी में राज उसका ख़ास दोस्त बना था।
कुमुद कुछ गंभीर और अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व सी लड़की थी। पढ़ाई में वह काफी तेज थी और अपनी कॉलेज में काफी अच्छे नंबर से अव्वल रहती थी।
वह देखने में बहुत सुन्दर थी, पर माँ बाप की तालीम के कारण वह धर्म में आस्था रखने वाली, शर्मीली और संकुचित विचारों की थी।
कुमुद का नाक नक्श सुकोमल और बदन पतला था, पर उसके स्तन उसके बदन के हिसाब से भरे हुए थे। उसकी कमर और नितम्ब उसके ड्रेस में खूब जँचते थे।
राज को सबसे अच्छी लगी कुमुद की आँखें जो बिना बताये जैसे बहुत कुछ कह रही थी। कुमुद की आँखों में एक गंभीरता और सौम्यता थी जो कुमुद के व्यक्तित्व को भलीभाँती प्रदर्शित करते थे।
कमल ने देखा की राज को उसकी भाभी पसंद आयी। कमल ने महसूस किया की कुमुद को देखते ही राज का चेहरा खिल उठता था और उस के चेहरे पर अजीब से भाव दिखाई पड़ते थे।
शायद राज को कमल की होने वाली पत्नी कुमुद काफी भा गयी थी। कमल को लगा की राज के मन में कुमुद के लिये जरूर नरम भाव था।
कमल ने राज से पूछा, “यार मेरी बीबी कुमुद कैसी लगी?”
राज जवाब देने में थोड़ा हिचकिचाया. पर जब राज ने देखा की कमल जवाब लिये बिना उसे छोड़ेगा नहीं, तब वह दबी आवाज में बोला, “भाभी बहुत सुन्दर है यार।”
राज ने कमल की और कुमुद की जोड़ी की खूब तारीफ़ की। खैर, शादी के दरम्यान उनके बिच खूब हंसी मजाक हुआ। कुमुद भी काफी खुशनुमा लड़की थी।
राज कॉलेज में ग्रेजुएशन के आखरी साल में पढ़ रहा था, उसी दरम्यान रानी कॉलेज में पहले साल में पढ़ती थी। जब राज अव्वल दर्जे से पास हुआ तो रानी पहली लड़की थी जिसने उसे बधाई दी।
रानी को देखते ही पहली मुलाक़ात में ही राज उस पर फ़िदा हो गया पर उसने अपने मन के भाव जाहिर नहीं किये। रानी पढ़ाई में थोड़ी कमजोर थी और उसने राज से पढ़ाई में सहायता मांगी।
राज तो रानी से मिलने के मौके ही ढूंढता था। राज ने रानी को शाम को थोड़ी देर कॉलेज में ही बैठ कर पढ़ाना शुरू किया। इस तरह उनकी मुलाकातों का दौर शुरू हुआ।
रानी आधुनिक विचारों वाली लड़की और कॉलेज में खेलकूद में अक्सर अव्वल होती थी। कॉलेज की महिला क्रिकेट टीम की वह कप्तान थी।
जब भी महिला टीम का कोई मैच होता था, तो पूरा कॉलेज टीम को सपोर्ट करने पहुंचता था। यह बात और है की सारे लड़के महिला टीम को सपोर्ट करने कम और रानी को घूरने ज्यादा आते थे। रानी पुरे कॉलेज की शान थी।
रानी के पिता और माँ अपने जमाने में माने हुए खिलाड़ी और एथलिट थे। रानी भी उन्हीं के नक़्शे कदम पर शारीरिक क्षमता पर काफी ध्यान देती थी और खेलकूद के मैदान में और जिम में खासी कसरत एवं परिश्रम कर उसने अपने बदन को फिट रखा था।
लम्बी, सुन्दर और भरे हुए बदन की रानी जब लेग्गीन पहन कर कॉलेज आती, तो सारे लड़के उसकी गाँड़ को घूरते ही रहते। रानी की कमर, जांघें और गाँड़ एकदम सुआकार और सुडौल थी। वह अक्सर जीन्स और टॉप पहनकर कॉलेज आती थी।
रानी की कमर के निचे से उसकी जांघों पर से घूमती हुई उसकी गाँड़ का फैलाव और उसके फुले हुए गालों के बिच की दरार की हलकी सी झलक देखकर लड़के आह भरने लगते।
कोई कोई बार जब वह स्कर्ट पहनकर कॉलेज में आती, तो रानी की कमल की डंडी के सामान जांघें देखकर अच्छे अच्छों की हालत खराब हो जाती थी और ख़ास कर लड़कों में शर्त लगती थी, यह जानने के लिए की उस दिन रानी ने कौन से रंग की पेंटी पहनी होगी।
कॉलेज में रानी को महिला टीम में क्रिकेट खेलते हुए देख कर कई लड़के रानी पर मरते थे, और उसके करीब आने की भरपूर कोशिश करते थे।
रानी का अच्छा खासा फैन क्लब था, पर रानी को राज ज्यादा अच्छा लगा, क्यूंकि वह उसकी हर बात मानता था, रानी के बारे में हमेशा चिंतित रहता था और उसकी बहुत इज्जत करता था।
दोनों में मुलाकातें होती गयीं और देखते ही देखते दोस्ती प्यार में बदल गयी।
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