दोस्तो यह कहानी मेरी सबसे पहले गे मुलाकात कि ही. मै 18 साल का था तबसे मुझे जवान लडके देखकर अजीब सा फिलिंग होता था. जब भी कोई हंडसम तगडा लडका मुझे दिखता तो मेरा लंड तन जाता था.
मैन कई बार सोचा था कि किसी तगडे कुंवारे लंड कि गर्मी महसूस करू. लेकीन अपने शहर मै ऐसा करने कि कोई उम्मीद नही थी .एक बार मुझे दुसरे शहर किसी काम से जाना पडा.
उस शहर के हसीन और कमसीन तगडे लौंडे देखकर मेरा मन उछाल राहा था . लेकीन कैसे किसी लडके को मै बोल सकता था कि मुझे तेरा लंड चाहिये . रात कि बस से मुझे अपने शहर वापस जाना था. रात के आठ बजे कि एक बस मे मै संवार हो गया. बस काफी खाली थी . एक २ बाय २ कि सीट पे एक सांवला गठीला देहाती लडका जिस कि उम्र करीब 23-24 साल कि थी अकेला बैठ था.
बस मे बहुत सारी खाली जगह होते हुये भी मै उसके बगल मे जाकर बैठ गया . उसने कोई आपत्ती नही जतायी तो मै सकून के साथ बैठ गया. माहोल बहुत हसीन था . खाली बस , धीमी बारीश और लंड के लिये बैचैन मेरा दिल और साथ मे तगडा देसी लडका.
मैने उसका नाम पूछा तोः उसने बता या कि उसका नाम नमिष है. मैने उसे अपना नाम बताया आदित्य. बस इतनी हि बात बन गयी. और वोह चुपचाप खिडकी के बाहर देखने लगा. मैने सोचा कि सोने का नाटक करते हुये इसके लंड को महसूस किया जाय.
मैने आंखे बंद कि और मेरा दहीना हाथ हौले हौले उसकी मांसल जांघ पे राख दिया. उसने मना किया नही. मेरा हौसला बढ गया. मैने हाथ और आगे बढाते उसके के लंड के पास राख दिया. फिर भी उसने कुछ न किया तो मेरा दिल जोर से धडकने लगा. आखिरकार हिम्मत बांध के मैने अपना हाथ उसके लंड के उपर राख दिया. उसका लंड आधा तना हुवा था.
उसकी गर्मी मुझे बहुत अच्छी लग रहि थी. मैने उसके लंड को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया. मेरे हाथ कि हरकत से उसका लौडा पुरा तन गया. ऐसा लग रहा था मानो अभी उसकी जीन्स फाडकर लंड बहार आ जायेगा. बहुत दर सहलाते मुझे अच्छा तो लाग रहा था लेकीन उसका लंड अब भी जीन्स के अंदर था . मुझे उसके लंड को नज्दिकी से छुना था.
मैने हलके से उसके कान मे कहा कि बस मे कोई नही है . तुम्हारा लंड बहार निकालु क्या. उसने बहुत नशीली आवाज मे हां भर दि. अब मुझे किसी बात का डर नही था . मैने उसकी झिप खोल दि और उसका देसी तगडा लंड आझाद हो गया. उस लंड को देखते हि मेरा पागल हो गया. २३ साल के देसी गठीले नौजवान का लंड बहुत हसीन था .
पहली बार मैने किसी दुसरे का लंड और वोह भी फडफडाता लंड देखा था . बहुत मस्त लंड था . बिलकुल वर्जिन लंड . काला लंबा लंड उसका गुलाबी टोपा – रीसता हुवा परिकम. उसका पुरा लंड मैने सहाला राहा था . नमिष कि आहें निकल रही थी. मेरा मन कर रहा थी कि उसे मुह मे ले लु. लेकीन नमिष कि क्या रिएक्शन होगी पता नही था.
लेकीन मेरे अंदर कि वासना ने मुझे पागल कर दिया . बिना कुछ सोचे मैने उसका लंड अपने मुह मे ले लिया. जैसे हि मैने उसका खडा लंड अपने अंदर लिया तो नमिष सिहर सा गया . मेरा सर पकड के वोह अपने लंड को मेरे मुह मेईन अंदर तक धकेलने लगा, मैने उसका लंड अपने पुरे मुह मेईन समा लिया.
उसका टोपा उसकी skin सबको मैने अपने ओंठ और जबान से महसूस किया. नमिष के परिकम का स्वाद नमकीन था. दिन भर के पसीने कि खुशबू और परिकम कि खुशबू दोनो साथ मे मुझे और भडका रहे थी.
लगभाग १० -१५ मिनिट तक मैने उसका लंड बहुत प्यार से अपने मुह से चुसा. जैसे हि उसका निकलने वाला था उसने मुझे कहा कि अब मेरा निकलने वाला है. मैने कहा कोई बात नही. और वोह तेझी से मेरे मुह के अंदर झड गया . . उसके वीर्य कि ७-८ दमदार फुन्वारे मेरे हलक के पे सीधे टकरा गई .
वाह उसके वीर्य का स्वाद बहुत अच्छा था. उसके वीर्य को मीन किसी प्यासे कि तरहा पिते गया. उसका लंड झडने के बाद भी कसा हुवा था . उसके वीर्य के स्वाद ने मेरी वासना और भडका दि. मैने उसका लंड चुसते चुसते अपना लंड भी हिला दिया. वैसे तोः तो मै हमेशा मूठ मारा किया करता था.
लेकीन आज पहली बार मेरा झडते हुये मेरे मुह मे किसी का लंड था. इस बार मेरा बहुत माल निकाल आया. जैसे हि उसका निकलने वाला था उसने मुझे कहा कि अब मेरा निकलने वाला है. मैने कहा कोई बात नही. और वोह तेझी से मेरे मुह के अंदर झड गया . . उसके वीर्य कि ७-८ दमदार फुन्वारे मेरे हलक के पे सीधे टकरा गई.
वाह उसके वीर्य का स्वाद बहुत अच्छा था. उसके वीर्य को मीन किसी प्यासे कि तरहा पिते गया.उसका लंड झडने के बाद भी कसा हुवा था . उसके वीर्य के स्वाद ने मेरी वासना और भडका दि. मैने उसका लंड चुसते चुसते अपना लंड भी हिला दिया.
वैसे तोः तो मै हमेशा मूठ मारा किया करता था . लेकीन आज पहली बार मेरा झडते हुये मेरे मुह मे किसी का लंड था. इस बार मेरा बहुत माल निकाल आया. नमिष के लंड को मैने अच्छी तऱ्ह से साफ किया. उसने मुझे बताया कि उसे बहुत अच्छा लगा. उसे अच्छा लगा था और मै तो आसमान मे था..
मैने उसका पता लिया और उससे और मिलने का वादा किया. आज भी नमिष के लंड और वीर्य का स्वाद आता है. वोह पहला ऐसा मर्द था जिसने मेरी लंड कि वासना को समझकर मुझे अपना लंड दिया था.
मेरे कैई सालो कि ख्वाहिश पहली बार पुरी हुई थी. उसका लंड वर्जिन था और उसे भी पहली बार किसी ने चुसा था .आज भी मै कभी कभी नमिष के लंड को य्याद करता हू. उसका लंड मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा लंड है. नमिष के लंड ने मुझे मेरे gay होणे का अहसास और पक्का कर दिया.
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