Nayi Dagar, Naye Humsafar – Episode 14


राहुल ने सैंड्रा के करीब पहुंच गुस्से में उसके ब्रा और पैंटी को खिंच कर निकाला और उसे नंगा कर दिया। जोर से खींचने से सैंड्रा के मम्मे ऊपर नीचे जेली की तरह उछलने लगे। राहुल ने उसके मम्मो को काटा और खिंच कर छोड़ दिया।
मैंने अपने ब्रा को बांधते हुए देखा, सैंड्रा के गौरे मम्मे पर दाँतों के काटने से लाल रंग का घेरा बन गया था। मुझे लग गया आज वो अपनी मर्दानगी सैंड्रा को साबित करके रहेगा। उसने सैंड्रा के दूसरे मम्मे का भी यही हाल किया और सैंड्रा हल्का सा चीखने के अलावा कुछ न कर पायी।
मैंने शुक्र मनाया, एक तो मैं राहुल के कोप का शिकार नहीं बनूँगी वरना अशोक को क्या बोलती ये लव बाइट किसने दिया। दूसरा ये कि मुझे अब दो लोगो के साथ नहीं चुदवाना पड़ेगा। मैंने जल्दी से अपने बाकी के कपड़े भी पहन लिए।
राहुल अब सैंड्रा के मम्मो को बुरी तरह से अपने मुँह में भर भर के चूस रहा था और सैंड्रा आहें भरते हुए राहुल के लंड को अपने हाथो में पकड़े रगड़ रही था। वहां का माहौल बहुत गरम हो गया था।
राहुल से मुझे कोई प्यार तो था नहीं, तो मुझे कोई जलन नहीं हो रही थी। ये ख़ुशी जरूर थी कि मैं पहले बिना किसी सफलता के उसका ध्यान अपनी ओर खींचने का प्रयास करती रहती थी और आज उसकी प्राथमिकता मैं थी।
जोसफ के मोटे लंड की तरह राहुल मजा तो नहीं दिला पाता मगर राहुल के गुस्से भरे जोश से वो कमी शायद पूरी हो सकती थी।
राहुल ने सैंड्रा के मम्मे छोड़े तो सैंड्रा ने नीचे बैठ कर राहुल का लंड अपने मुँह लिया और आगे का दो तीन इंच का हिस्सा अपने मुँह में अंदर बाहर कर रगड़ने लगी और पीछे के आधे हिस्से पर अपनी पतली उंगलियों से तेजी से आगे पीछे रगड़ने लगी।
सैंड्रा के इस आक्रमण से राहुल अब मुँह फाड़कर आहें भरने लगा। राहुल को पहली बार इस तरह चीखते देख मैं हिल गयी। मैं अपने आप पर काबू रख रही थी।
थोड़ी ही देर में लंड चूसने से सुड़प सुड़प की आवाजे आने लगी थी, शायद राहुल का पानी निकलना शुरू हो गया था, पर सैंड्रा थोड़ी देर और चूसती रही। जब उसने राहुल का लंड अपने मुंह से बाहर निकाला तो लंड पूरा चिकना हो चूका था और सैंड्रा के मुँह से राहुल के पानी की लारे छूटने लगी।
राहुल ने सैंड्रा को खड़े किया और मेरे एकदम नजदीक पड़े टेबल पर लेटा दिया और उसके पाँव टेबल के बाहर थे, जिन्हे राहुल ने अपने हाथों में पकड़ रखे थे।
उसने झुकते हुए अपना मुँह सैंड्रा की चूत पर रखा और उसकी चूत पर इस तरह मुँह मारने लगा जैसे मरे हुए जानवर पर पक्षी अपनी चोंच मार मांस नोचते हैं। वो जब भी अपना मुँह चूत से दूर हटाता तो सैंड्रा चीखती, क्यों कि वो मुँह उठाते वक्त उसकी चूत के होंठो का कोई हिस्सा अपने मुँह में भर कर बाहर खींच रहा था।
सैंड्रा बुरी तरह से सिसकिया मार तेज तेज आवाजे निकाल राहुल को और उकसा रही थी। चूत तो सैंड्रा की चूसी जा रही थी मगर महसूस मुझे भी हो रहा था।
राहुल अब खड़ा हो गया और सैंड्रा की चूत में अपना लंड घुसाने लगा। एक झटके में उसका लंड उसकी चूत में फिसल गया। ये सब जोसफ का किया कराया था, उसने ही सैंड्रा की चूत को बार बार चोद चोद कर पूरा खोल दिया था कि कोई दूसरा मर्द शायद उतने मजे नहीं ले पाए।
मगर मैंने देखा उसका लंड पूरा अंदर नहीं फिसला, तीन इंच जाने के बाद अपने आप रुक गया और राहुल को थोड़ा और जोर से धक्का मारना पड़ा।
राहुल का लंड इतना मोटा तो था कि जोसफ को थोड़ी बहुत टक्कर दे सकता था। मैं अपने बारे में सोचने लगी। कल जब जोसफ मुझे चोदेगा और मेरा छेद एक बार में ही बड़ा कर देगा तो ! मेरा पति अशोक तो फिर मेरे मजे ही नहीं ले पायेगा। अशोक का तो राहुल से थोड़ा पतला लंड हैं।
मेरी तो ज़िन्दगी भर की सेक्स लाइफ ख़राब हो जाएगी, क्यों कि मुझे भी मजा नहीं आएगा। शायद तब मुझे राहुल ही सहारा दे पायेगा, वैसे भी अब तो वो मुझे चोदने के लिए तैयार हो गया था। मेरे पास जरुरत पड़ने पर बैकअप प्लान था।
अपने बारे में सोचते सोचते मैं उन दोनों के बारे में भूल गयी जो वहा लगे पड़े थे। सैंड्रा अब दहाड़े मारते हुए चीख रही थी क्यों कि राहुल अब जानवरो की तरह उसे चोदते हुए उसको सबक सीखा रहा था। मेरा दिल दहल उठा उसका ये वहशी रूप देख कर। जोसफ का लंड जरूर जानवरो जैसा हैं पर उसने चुदाई इंसानो की तरह ही की थी।
शायद हर मर्द अपनी भड़ास औरतो की चूत पर ही निकालता हैं। ये राहुल क्या कभी मुझ पर भी इसी तरह जानवरो की तरह भड़ास निकालेगा। सैंड्रा को तो फिर भी जोसफ की आदत हैं वो सहन कर लेगी, पर मैं कैसे करुँगी। एक तरफ सैंड्रा की चीखें तो दूसरी राहुल के धक्को से ठाक ठाक की आवाजे तीव्र गति से ऊँची आवाजे। एक डरावना माहौल हो चूका था
मेरी चूत में किसी ने चींटिया छोड़ दी हो वैसा लगने लगा। ध्यान देने वाली बात थी सैंड्रा दर्द से चीख रही थी फिर भी राहुल को भड़काते हुए और जोर से करने को बोल रही थी। वो क्यों अपने पैरो पर पत्थर मार रही थी समझ नहीं आया, कुछ औरतो के अरमान बहुत ज्यादा ही जंगली होते हैं।
एक सामान्य आदमी इतनी देर में थक कर रुक जाता पर राहुल की गति में बिलकुल बदलाव नहीं आया। ऐ.सी. चालू होने के बावजूद राहुल के पसीना बहने लगा था। वो तो जैसे जिम में था और सैंड्रा कोई कसरत करने की मशीन थी। मैं अब राहुल की परफेक्ट शेप वाली गांड और जाँघे देख रही थी।
उसकी सारी मसल्स चोदने में लगी शक्ति से अकड़ कर फुल गयी थी। अब मेरी खुद की चुदने की इच्छा होने लगी थी, पिछली बार सैंड्रा को जोसफ के साथ करते देख मैंने अपने हाथों से अपना कर लिया था पर यहाँ तो मैं कही जा भी नहीं सकती थी सैंड्रा ने मना किया था।
थोडी देर इसी तरह चोदने के बाद राहुल ने सैंड्रा चोदना बंद कर उसी टेबल पर उल्टा लेटा दिया और उसके पाँव नीचे जमीन पर सीधे खड़े थे।
राहुल उसकी गांड के पीछे खड़ा हुआ और अपने एक हाथ से उसकी गांड को चौड़ा किया और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत में गुसा दिया , लंड ज्यादा बिना परेशानी के बड़ी आसानी से अंदर चला गया था और राहुल ने अगले ही क्षण वापिस निकाल दिया।
उसको कुछ सुझा और उसने अपना लंड सैंड्रा की गांड के छेद में घुसाने की कोशिश की। मगर लंड की टोपी से ज्यादा अंदर जा ही नहीं पाया।
सैंड्रा एकदम चीखी और पीछे डालने से उसको मना किया । मुझे याद आया पीछे का छेद तो उसने जैक के लिए सुरक्षित रखा हुआ हैं ताकि किसी मोटे लंड से जैक वाला छेद चौड़ा ना हो जाये।
वैसे भी राहुल का लंड अभी गुस्से से फूलकर कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था, सैंड्रा का छेद उसे सहन नहीं कर पायेगा। राहुल जबरदस्ती उसके गांड के छेद को भेदने की कोशिश कर रहा था और सैंड्रा अपना हाथ पीछे ले जाकर उसको रोक रही थी। राहुल ने सैंड्रा की पतली कलाइयों को पकड़ा और उसकी कमर पर रख अपने एक हाथ से दबोच लिया।
राहुल ने अब फिर अपना पूरा जोर लगा अपना लंड सैंड्रा की चूत में घुसाना शुरू किया और वो थोड़ा थोड़ा अंदर जाने लगा, मगर अब सैंड्रा के चीखे सबसे तेज थी, वो दर्द की चीखे थी ये पक्का था। मुझे उस पर दया आने लगी, राहुल को उस पर ऐसा जुल्म नहीं करना चाहिए था, भले ही उसने हमारे साथ कुछ भी किया हो।
सैंड्रा अपने जाल में खुद फंस चुकी थी और तड़प रही थी। दूसरी तरफ राहुल दो इंच से ज्यादा अपना लंड उसकी गाड में नहीं डाल पा रहा था। वो जितना जोर लगाता सैंड्रा उतना चीखती। राहुल से अब और अंदर नहीं डाल पा रहा था तो उसने मेरी तरफ देखा और मदद मांगी ।
राहुल:”प्रतिमा, तुम इस छिनल की गांड पकड़ कर चौड़ी करो मैं इसमें और अंदर डालता हूँ। ”
मैं सैंड्रा की हालत देख बिलकुल नहीं हिली, इस पर राहुल मुझ पर चिल्लाया।
राहुल: “करो ना, इसने हमारे साथ क्या किया नहीं पता क्या।”
मैं सहम कर पूरा हिल गयी। मैंने आगे बढ़ कर अपने दोनों हाथ सैंड्रा की गांड के दोनों हिस्सों पर रखे। उसकी गांड मेमोरी फोम की तरह नाजुक और मुलायम थी।
मैंने दबा के उसके गांड के दोनों हिस्सों को एक दूसरे से दूर कर उसकी दरार को चौड़ा किया। बड़ी आसानी से उसकी दरार खुल गयी और मैंने उसकी गांड का गुलाबी छेद देखा जो पूरी तरह से राहुल के मोटे लंड से भर कर फंसा हुआ था।
मैं जैसी ही दरार खोली तो राहुल का लंड खिसकता हुए थोड़ा और अंदर गया और साथ ही सैंड्रा जोर से चीखी।
राहुल ने मुझे और जोर लगा के गांड चौड़ी करने को कहा और मैंने मन मार कर अपना जोर लगाया और साथ ही साथ राहुल ने भी और एकदम से उसका लंड एक इंच एक साथ अंदर घुस गया और पीछे से सैंड्रा की दहाड़।
मैं ऐसे ही पकड़े खड़ी रही और अब राहुल थोड़ा बहुत आगे पीछे हो धक्के मारने लगा। उसका लंड अटक अटक कर सैंड्रा की गांड चोदने लगा। सैंड्रा अब लगभग रोते हुए चीख रही थी।
थोड़ देर में ही राहुल का लंड अब सैंड्रा की गांड को गीला कर चूका था तो ज्यादा आराम से आगे पीछे हो चोदने लगा। जिससे सैंड्रा की चीखे थोड़ी कम हो गयी और मैंने उसकी गांड को छोड़ दिया। राहुल अब भी जोर जोर से सैंड्रा की गांड पर चोट मार रहा था जिससे ठाप ठाप ठाप की आवाज आने लगी। राहुल इस बीच हिंदी में उसको गालियां देते हुए गुस्सा निकाल रहा था।
स्साली सफ़ेद चुड़ैल, बड़ा शौक था मुझसे चुदाने का अब ले। आज तेरी ऐसी गांड फाड़ूंगा कि दस दिन तक चुदाना तो दूर चल भी नहीं पाएगी।
राहुल के मुँह से पहली बार ऐसी भाषा सुन मैं शर्मिंदा हो गयी। उससे मुझे ये सब उम्मीद नहीं थी। शायद वो अपने साथ मेरा भी बदला सैंड्रा से निकाल रहा था।
सैंड्रा: “आअह्ह, क्या बोल रहा हैं दूसरी भाषा में, अहहह, गाली दे रहा हैं !”
राहुल: “नहीं, तुम्हारे फिगर की तारीफ़ कर रहा हूँ। ”
सैंड्रा : “प्रतिमा, अब तुम कल देखो, मैं तुम्हारी क्या हालत करवाती हूँ जोसफ से। राहुल की वजह से मैं दस दिन लंगड़ा के चलूंगी तो तुम जोसफ की वजह से एक महीना लंगड़ा के चलोगी। तुम्ही ने मेरी गांड पकड़ कर चौड़ी की थी ना।”
मैं अब थर थर कांपने लगी, मुझे तो उस पर दया आ रही थी, पर राहुल की वजह से मैं खुद अब फंस चुकी थी। कल तो जोसफ मेरी जान ही निकाल देगा। सैंड्रा ने कभी जोसफ का जानवर अपनी गांड में नहीं लिया, वो अब मेरी गांड में डलवायेगी ! इसके लिए तो दुनिया का कोई भी जैल लुब्रीकेंट नहीं बना हैं।
राहुल: “उसके साथ कुछ मत करना, उसको मैंने ही करने को बोला हैं। तुम वादा करो कल इसे ज्यादा परेशान नहीं करोगी तो मैं तुम्हे अभी छोड़ देता हूँ। तुम्हे लंगड़ा के नहीं चलना पड़ेगा। ”
सैंड्रा: “ठीक हैं छोडो मुझे। ”
राहुल ने उसे छोड़ दिया। सैंड्रा अब खड़ी हो गयी। उसका लुका पीटा चेहरा बता रहा था उसकी क्या हालत हुई थी। मैंने उसको भोली शकल बनाते हुए सॉरी कहा।
सैंड्रा : “कोई बात नहीं, इसमें तुम्हारी गलती नहीं। आओ राहुल ।”
ये कहते हुए उसने राहुल को सोफे पर बैठाया, और खुद उसकी गोद में दोनों तरफ पाँव चौड़े कर बैठ गयी। और उसका लंड अपनी चूत में घुसा दिया। सोफे का सहारा ले उसने ऊपर नीचे जोर जोर से उछलते हुए राहुल को चोदना शुरू कर दिया। ये नजारा दर्दनाक नहीं था पर प्यारा था। दोनों की मजे के मारे आहें निकलने लगी।
उनकी वो क्रिया और आवाजे सुन मेरे पुरे बदन में जैसे नशा चढ़ने लगा। मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था मेरी पैंटी काफी गीली हो चुकी थी। मैं बाथरूम में जाने लगी पर सैंड्रा ने देख रोक लिया।
सैंड्रा : “जब तक हमारा पूरा ना हो, तुम जा नहीं सकती। ”
मैं: “मुझे वाशरूम जाना हैं, अर्जेंट। ”
सैंड्रा : “मुझे पता हैं क्यों जाना हैं , शर्माओ मत , ये नेचुरल हैं। जो भी करना हैं यही कर लो। ”
उसकी बातें सुन मैं शरमा गयी। खड़ी हो तड़पती रही। उन लोगो ने चोदना जारी रखा।
आह्ह आह्ह ऊह्ह्ह ऊह्ह्ह उम्म आह्ह आह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हम्म्म्म
राहुल के लंड पर फिसलती सैंड्रा की चूत का नजारा मैं देख देख कर अपने को रोक नहीं पा रही थी। राहुल से शर्म भी आ रही थी। मेरे सब्र का बांध अब टूटने लगा था।
मैं राहुल के पीछे की तरफ साइड में जाकर खड़ी हो गयी। सैंड्रा मुझे देख सकती थी पर राहुल नहीं। मैंने एक हाथ अपने मम्मे पर रख मसलना शुरू किया और दूसरा अपनी कैप्री पैंट के ऊपर से ही अपनी चूत पर रख हल्का रगड़ना शुरू किया।
सैंड्रा : “प्रतिमा, कपड़े खोल के कर लो, किसी को बुरा नहीं लगेगा। ”
उसके बोलने की ही देर थी और मैंने अपने नीचे वाले हाथ से अपनी पैंट को एक झटके में पैंटी सहित नीचे कर दिया।
सैंड्रा मेरी तरफ देख बोली: “क्या मस्त चूत हैं तुम्हारी।”
ये सुनते ही राहुल ने गर्दन मोड़ी और मेरी तरफ देखने लगा। वो मेरी चूत देख पाता उसके पहले ही मैंने अपना हाथ अपनी चूत पर रख छूपा लिया। फिर भी उसको मेरी चूत के साइड का नंगा एरिया और कूल्हों की हड्डी दिख गयी थी। मेरी नीचे की शेप का उसे अंदाजा हो गया था। वो मुझे ही घूर रहा था और मैंने शर्म के मारे अपना दूसरा हाथ भी नीचे ला ढक दिया।
मेरी तो जैसी सारी इच्छा ही मर गयी थी। मैंने सावधानी से एक हाथ से चूत ढकते हुए दूसरे से अपनी पैंट फिर ऊपर खिंच पहन ली। सैंड्रा और राहुल की आहें लगातार जारी थी और साथ ही मेरी चूत में चूल मच रही थी। मैं वापिस आकर सैंड्रा के पीछे आकर बैठ गयी।
मैंने देखा सैंड्रा की चूत से जैसे दुध की नदिया बह रही थी और सफ़ेद धाराएं राहुल के लंड को पूरा लपेट चुकी थी। यहाँ से राहुल सैंड्रा के पीछे छुपा था और सैंड्रा की पीठ मेरी तरफ थी। मैं सोफे पर पीछे खिसक कर पीठ टिकाये बैठ गयी। पैंट थोड़ी नीचे खिसका कर अपनी पैंटी में हाथ डाल रगड़ने लगी।
मेरे नीचे का माहौल पूरा बरसाती था। पैंटी नीचे पूरी गीली हो चुकी थी। मैं रगड़ रगड़ कर अपना काम पूरा करने लगी। उधर वो दोनों जोर जोर से चिखने लगे। शायद झड़ने वाले थे। अब भर भर के पानी सैंड्रा की चूत से निकल रहा था और राहुल की आहें भारी हो गयी थी उसने अपना पानी लगभग खाली कर दिया था। पर मेरा अभी नहीं हुआ था।
दोनों चीखते हुए झड़ कर शांत हो गए। मैं अभी भी अपनी चूत रगड़े जा रही थी। मेरे कुछ ही सेकंड बाकी थे। परन्तु सैंड्रा अब राहुल के ऊपर से उठने लगी।
मैंने जल्दी से उठ कर अपने कपड़े ऊपर कर लिए और उन दोनों ने शायद हलकी सी झलक देख ली थी कि मैंने अभी अभी बंद किया हैं। मैं वही खड़ी हो गयी। सैंड्रा ऐसे ही नंगी मेरे पास चलते हुए आयी और अपना हाथ हलके हलके से मेरी चूत पर रगड़ने लगी।
मैं तो झड़ने के एकदम मुहाने पर खड़ी थी तो उसके हाथ से होती रगड़ से मेरे अंदर कम्पन होने लगा और मैं खड़े खड़े ही आहें भरने लगी और सैंड्रा हंसने लगी। उसने मुश्किल से दस बार अपना हाथ मेरी कैप्री पैंट के ऊपर से ही मेरी चूत पर रगड़ा और मैं खड़े खड़े ही चीखते हुई झड़ गयी।
सामने से राहुल हम दोनों को देख रहा था, और मैं शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी। सैंड्रा मुझ पर खिलखिलाते हुए आगे बढ़ी और फ़ोन से उसने अपने ड्राइवर को बुला लिया लेने आने के लिए।
सैंड्रा: “राहुल वाशरूम किधर हैं?”
राहुल: “चलो मैं बताता हूँ, प्रतिमा तुम्हे भी जाना हैं वाशरूम।”
मैंने ना में सर हिला दिया।
सैंड्रा : “वो तो पहले ही कपड़ो सहित नहा चुकी हैं अपने ही पानी से । मैंने बोला था कपड़े निकाल कर कर ले। ”
राहुल और सैंड्रा ने अपने कपड़े उठाये, वाशरूम में गए और थोड़ी देर बाद कपड़े पहने हुए आये। मैं तब तक वही खड़ी थी। मेरे कपड़े नीचे से गीले थे और थोड़ा असहज महसूस हो रहा था। मेरा कुर्ता बिलकुल ठीक था। इस लक्की कुर्ते ने मेरी इज्जत बचा ली थी ।
सैंड्रा का ड्राइवर आ गया था वो वो जाने लगी।
सैंड्रा : “थैंक यू राहुल, इस मजेदार चुदाई के लिए। प्रतिमा कल ठीक ग्यारह बजे गेस्ट हाउस पहुंच जाना। आज तो तुम्हे कुछ नहीं मिला, कल बहुत कुछ मिलेगा। बाय ”
सैंड्रा चली गयी और मैं उसको ताकते रह गयी। शाम हो चुकी थी और ऑफिस बंद होने वाला था और अब वापिस ऑफिस नहीं जा सकते थे। सीधा घर ही जाना था पर फार्म हाउस काफी बाहरी इलाके में था तो रिक्शा कैब मिलना मुश्किल था। मैंने राहुल की तरफ देख फिर नीचे देखने लगी।
राहुल : “मेरे पास यहाँ रूही की एक दो ड्रेस पड़ी हैं। तुम वो पहन सकती हो। ”
वो अंदर गया और हाथ में रूही की एक फ्रॉक वाली ड्रेस लेकर आया। मैं वो ड्रेस लेकर बाथरूम में गयी, मेरा कुर्ता हालाँकि ख़राब नहीं था पर फ्रॉक के साथ कुर्ता पहन नहीं सकती थी तो खोल दिया।
कैप्री पैंट और पैंटी गीली थी तो उसको खोल अपना शरीर नीचे से साफ़ किया। फिर सीधा फ्रॉक पहन ली। अंदर पैंटी नहीं पहने होने से थोड़ा खाली खाली लग रहा था पर कोई उपाय नहीं था।
मैंने ऊपर से नीचे देखा, वो एक बहुत खूबसूरत ड्रेस थी और मुझ पर फब रही थी। हालांकि किसी और की ड्रेस थी पर रूही तो अब आने वाली नहीं, मेरी इच्छा थी मैं इसे रख लू। मैं ख़ुशी ख़ुशी बाहर आयी। मेरे सामने आते ही राहुल मुझे आँखें फाड़ एकटक देखता ही रह गया। उसके मुँह से एक बार सिर्फ “रूही” निकला।
वो मुझ में आज भी रूही को ही देखता हैं। मुझे उसके दर्द का अहसास हुआ पर मैं उसके दर्द का इलाज नहीं थी। उसने मेरी तारीफ़ की कि मैं उसे रूही की याद दिला रही हु और ये ड्रेस मेरे लिए ही बनी हैं।
उसने मुझे वो ड्रेस रखने की इजाजत दे दी। मैं बहुत खुश हुई। वो मुझे घर तक छोड़ने आया और पुरे रास्ते वो बार बार मुझ देख मुस्कुराते रहा और मैं भी उसको मुस्कुराते हुए जवाब देती रही।
राहुल ने विदा लेते वक्त मुझे कल के लिए बेस्ट ऑफ़ लक बोला और कहा कल जोसफ के साथ काम ख़त्म होने पर मैं सीधा घर पर जा सकती हूँ, मेरी तबियत ख़राब होने के चांस हैं।
अच्छा था कि अशोक नहीं था वरना क्या सोचता, गयी थी कुछ ओर पहन कर और आयी कुछ ओर पहन कर। मैंने कपड़े बदल लिए और फिर याद आया मेरे अपने कपड़े तो वहा बाथरूम में ही छोड़ आयी।
मेरा लक्की कुर्ता वहा छूट गया था, जिसकी मुझे कल जरुरत पड़ेगी। ये उसका अपशकुन था मेरे साथ कल जो होने वाला था।
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