Mosa Ji Ki Tanhai Dur Ki – Part 1


हैलो दोस्तो, अर्शदीप कौर उर्फ चुद्दकड़ अर्श फिर से आपके सामने है अपनी नई हिन्दी सेक्स कहानी के साथ और सब पाठकों को मेरा सलाम। मेरे सभी चाहनेवालों के लंडों से अपनी चूत चुदवाते हुए मेरा बहुत बहुत प्यार। मैंने पिछली हिन्दी सेक्स स्टोरी ” मौसेरे भाई के कुंवारे लंड का मजा” में बताया कि कैसे रणबीर के लंबे लंड ने मेरी चुदाई की आग बुझाई। अब वो अपनी बड़ी बहन के घर चला गया और मौसा जी घर आ गए।
मौसा जी का नाम जीवन है और आयु 50 साल है। उनका रंग गोरा और और कद 5 फीट 9 इंच है। मौसा जी के ज्यादातर बाल सफेद हैं लेकिन वो हेयर कलर लगा के काला रखते हैं और चेहरा क्लीन शेव है। मौसा जी अपने जिस्म को फिट रखने केलिए कसरत करते हैं और उनका जिस्म जवानों जैसा है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
जिस दिन मौसा जी ने आना था, उस दिन मुझे मौसी जी का फोन आया कि मौसा जी मुझे बस स्टॉप आकर फोन करेंगे और मैं उनको स्कूटी पर घर ले जाऊं। मौसी जी ने मुझे हिदायत भी दी कि जब मौसा जी शाम को शराब पीने लगें तो मैं उनको ज्यादा न पीने दूं। लेकिन उनको क्या मालूम था जिसे वो रोकने को बोल रहे हैं वो खुद उनके पति के साथ बैठ कर शराब का मजा लेगी और शबाब का मजा देगी।
शाम को 6 बजे मौसा जी का फोन आया और मैं उनको लेने बस स्टॉप चली गई। मैंने नीली जींस के साथ सफेद टॉप पहना हुआ था। मौसा जी मेरे पीछे बैठ गए और मैं स्कूटी चलाने लगी। मैं बीच बीच में जोर से ब्रेक लगा देती ताकि मौसा जी मुझ से सट जाएं। मैं मौसा जी को गर्म करना चाहती थी और चुदना भी। क्योंकि एक बार मैंने मौसा जी को अपनी बड़ी बेटी को चोदते देखा था।
मौसा जी ने उसकी बहुत मस्त चुदाई की थी और लंड भी काफी तगड़ा, मोटा और लंबा है। उस दिन से मैं मौसा जी से चुदने केलिए बेकरार थी लेकिन मुझे मौका नहीं मिला था और आज इस मौके को गंवाना नहीं चाहती थी। मुझे यह भी पता था कि मौसा जी बहुत चोदू किस्म के आदमी हैं। मुझ में उनकी बहुत दिलचस्पी थी। जब भी मैं उनके सामने होती तो वो अपनी ठर्की नज़रों से मेरे सेक्सी बदन को घूरते रहते।
वो मेरे जिस्म का ऐसे जायज़ा लेते जैसे उनकी आंखों में एक्स रे लगा हो और मेरा बदन कपडो़ं के नीचे से दिखाई देता हो। वो बहुत बार अनजान बन कर मेरे बड़े-बड़े बूब्ज़ और गांड को भी छू लेते। उनका स्पर्श इतना सेक्सी होता था कि उनके छूने मात्र से ही मैं गर्म हो जाती थी।
वैसे तो रणबीर ने मेरी बहुत अच्छी चुदाई की थी लेकिन फिर भी मौसा जी के लंबे मोटे लंड के बारे में सोच कर मेरे अंदर चुदाई की आग भड़कने लगी। चुदाई की आग होती ही ऐसी है कि लंड का ख्याल आते ही चूत को जलाने लगती है और वही मेरे साथ हो रहा था। रणबीर ने मेरी चुदाई की आग बहुत अच्छी तरह शांत की थी लेकिन मौसा जी को देखकर फिर से भड़क उठी। मेरे दिल में बेटे के बाद उसके बाप से चुदने का रोमांच आने लगा।
हम घर आ गए और मौसा जी अपने रूम में सामान रखने चले गए। मैं पानी लेकर उनके रूम में चली गई और मौसा जी ने पानी पिया और मेरे बदन का अपनी नज़रों से जायज़ा लिया। मेरा ध्यान उनके लंड पर था जो मौसा जी की पैंट में धीरे-धीरे खड़ा होकर उभार बना रहा था। मैं खाली गिलास लेकर किचन में आ गई और चाय बनाने केलिए गैस पर पानी चढ़ा दिया।
पीछे से मौसा जी आ गए और मुझे चाय न बनाने केलिए कह कर बाईक लेकर बाहर चले गए। मुझे मालूम था कि मौसा जी शराब लेने गए हैं। मौसा जी ने मुझे खाना न बनाने को भी कहा क्योंकि वो होटेल से खाना लेकर आएंगे। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
करीब साढ़े सात बजे मौसा जी घर आ गए। उन्होंने मुझे खाना पकड़ा कर शराब की बोतल लेकर अपने रूम में चले गए। मौसा जी ने मुझे आॅमलेट बनाने को कहा और मैं आॅमलेट उनके रूम में ले गई। मौसा जी तब तक थोड़ी शराब पी चुके थे और मुझे अपने पास बैठकर आॅमलेट खाने को कहा। मैंने मौसा जी से कहा आॅमलेट कम पडे़गा तो पांच मिनट में और बना कर लाती हूं।
मैं मौसा जी के रूम से निकल कर अपने रूम में आ गई। मैंने सफेद हॉफ टॉप और लाल शार्ट स्कर्ट पहन ली और नीचे से लाल ब्रा और पैंटी पहनी। ये ड्रेस मुझे मेरे एक चोदू यार ने गिफ्ट की थी और मैं इस ड्रेस में किसी पोर्न स्टार से कम नहीं लगती थी।
ये ड्रेस इतनी सेक्सी है कि अगर इसे पहन कर बाहर चली जाऊं तो हर देखने वाला मर्द मुझे चोद कर ही छोडे़गा। मैं आॅमलेट और खाली गिलास लेकर रूम में आ गई। मौसा जी आधी के करीब बोतल पी चुके थे और उनकी आंखों में नशा दिखाई दे रहा था।
मैंने आॅमलेट और खाली गिलास टेबल पर रख दिया। मौसा जी ने मुझे ऊपर से नीचे तक सेक्सी नज़र से देखा और पूछा ये खाली गिलास, बेटा ये खाली गिलास क्यों लेकर आई। मैंने सामने सोफे पर बैठते हुए कहा मेरे लिए है मौसा जी, मैं भी शराब लूंगी।
मौसा जी ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा पागल हो तुम, मैं तुम्हारे पापा जैसा हूं और तुम मुझ से ऐसी बात कर रही हो। मैंने तपाक से जवाब दिया जब जोती दीदी (मौसा जी की बड़ी बेटी ) के साथ बैठकर शराब पी सकते हो और उसको चोद सकते हो तो मुझे क्यों नहीं।
मौसा जी ने हैरानी से मुझे देखा और सेक्सी स्माईल देते हुए मेरे गिलास में शराब डाल दी। हम दोनों ने चीयर्स किया और गिलास खाली कर दिए। मैने अपनी ब्रा से सिगरेट का पैकेट और लाईटर निकाल कर सिगरेट सुलगा ली और मौसा जी को दे दी।
मौसा जी ने एक कश लगाया और सिगरेट मेरे होंठों पर लगा दी। मेरे कश लगाने के बाद मौसा जी खुद कश लगाने लगे तो मैंने सिगरेट पकड़ कर उनको कश लगवाया। ऐसे ही हमने सिगरेट खत्म की और फिर मैंने मौसा जी को अपने हाथ से शराब पिलाई और मौसा जी ने मुझे।
ऐसा करते-करते शराब खत्म हो गई और मुझे अभी सरूर नहीं हुआ था। मौसा जी के पास और शराब नहीं थी तो मैं अपनी शराब की बोतल ले आई।
मैं वापस आ कर मौसा जी के बगल में बैठ गई और दो बड़े-बड़े पैॅग बना लिए। हमने एक-दूसरे को शराब पिलाई और मौसा जी ने मेरी भरी हुई चिकनी जांघों पर हाथ फिराते हुए कहा कि जब से जोती की शादी हुई है वो बिल्कुल तन्हा हो गए हैं और उनकी पत्नी को सेक्स में दिलचस्पी नहीं है।
महीने में एक आध बार सेक्स करती है और जब करती है बस टांगें फैला कर लेट जाती है और मजा नहीं आता। जोती उनकी तन्हाई का सहारा थी और अकेले में मौसा जी को जानूं बुलाती थी।
मैने मौसा जी के गाल को चूमा और कहा जब तक मैं यहां हूं अपने प्यारे मौसा जी को तन्हा नहीं होने दूंगी। मौसा जी ने एक एक और बड़ा पैॅग बनाया और मैं उनकी गोद में बैठ गई। हम एक-दूसरे के हाथ से शराब पीने लगे और नीचे से मौसा जी का खड़ा लंड मेरी गांड पर चुभने लगा। हम एक-दूसरे की आंखों में बहुत कामुक नज़रों से देखने लगे और नशा हमारी काम ज्वाला के अंगारे भड़काने लगा।
हमनें गिलास खाली कर के टेबल पर रख दिए और मैं अपने होंठों को मौसा जी के होंठों पर रखकर चूमने लगी। मौसा जी ने अपने एक हाथ को मेरी पीठ के ऊपर से घुमा कर मेरा नाजुक पेट सहलाने लगे और दूसरा हाथ मेरी भरी हुई चिकनी जांघों पर घुमाने लगे। मैंने मौसा जी का चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और जोर से उनका निचला होंठ मुंह में लेकर चूसने लगी।
मौसा जी भी मेरे ऊपर वाले होंठ को अपने मुंह में लेकर चूसते हुए रसपान करने लगे। हमारे बदन से काम ज्वाला के अंगारे दहकने लगे। मैं अपनी टांगें दोनों तरफ करके मौसा जी की गोद में बैठ गई और हम एक-दूसरे को जोरदार तरीके से चूमने लगे। हम एक-दूसरे के मुंह में जीभ डालकर मुंह के अंदर से रसपान करते हुए एक-दूसरे की जीभ की मुंह में भरकर चूसने लगे।
हम एक-दूसरे के होंठों को चूमते एवं चूसते हुए बीच बीच में दांतों से हल्का हल्का काट भी लेते। ऐसे करते-करते हम दोनों चुदाई की दुनियां में खो से गए, हमें होश नहीं था कि क्या हो रहा है। हम दोनों पूरी तरह काम देव की वश में थे और जो काम देव करवा रहा था हम कर रहे थे।
मैंने मौसा जी के कान बारी से मुंह में भरकर चूसने एवं काटने लगी और नीचे से मौसा जी के खड़े लंड को अपनी मोटी गांड से मसलने लगी। मैंने मौसा जी को थोड़ा आगे किया और उनकी टी शर्ट खींच कर निकाल दी। मैं मौसा जी के के मजबूत कंधों पर हाथ रखकर उनकी गर्दन के नीचे जीभ से चाटने लगी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
इससे मौसा जी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गए और उन्होंने मेरी पीठ जोर से मसलते हुए मेरी स्कर्ट ऊपर उठा दी और मेरे बड़े-बड़े गोल चूतड़ दबाने चालू कर दिए। मैंने अपना मुंह और नीचे किया और मौसा जी की सुडौल छाती के निप्पलों पर जीभ फेरते हुए मुंह में भरकर जोर जोर से चूसने लगी। मौसा जी मेरे सिर को अपनी छाती पर दबाने लगे और मैं उनके निप्पलों को चूसते हुए दांतों से काटने लगी।
मौसा जी ने मुझे थोड़ा पीछे किया और मेरा टॉप खींच कर निकाल दिया। मैं ब्रा पहने हुए उनकी गोद में बैठी थी और मौसा जी ब्रा के ऊपर से मेरे बड़े-बड़े बूब्ज़ दबाने लगे। मौसा जी ने मेरे कानों, गालों एवं गर्दन को चूसते काटते हुए मेरी ब्रा की हुक खोलकर मेरे बड़े-बड़े गोल बूब्ज़ को ब्रा की कैद से आजाद कर दिया।
मेरे बूब्ज़ मौसा जी की आंखों के सामने लहराने लगे और में कंधों को हिला कर अपने बूब्ज़ को छलकाने लगी। मौसा जी ने लपक कर मेरे छलकते हुए नंगे बूब्ज़ को अपने हाथों में थाम लिया और दबाने लगे। मौसा जी मेरे हल्के भूरे निप्पलों को पकड़ कर जोर से खींच कर छोड़ देते और मेरे बूब्ज़ हिलने लगते। मेरे हिलते हुए बूब्ज़ देखकर मौसा जी को बहुत आनंद आ रहा था।
मौसा जी ने मुझे खड़ी कर दिया और खुद कुर्सी पर बैठे-बैठे मेरी स्कर्ट और पैंटी खींच कर निकाल दी। उन्होंने मेरी कमर में हाथ डालकर अपनी तरफ खींच लिया और मेरी भरी हुई जांघों को सहलाने लगे। मेरी नज़र मौसा जी की लोअर पर गई, उनके लंड ने खड़ा होकर तंबू बना लिया था और ऐसा लग रहा था कि उनका लंड लोअर को फाड़कर बाहर निकल आएगा।
मौसा जी ने सीधे होकर मेरे एक बूब को हाथ से दबाना चालू किया और दूसरे बूब को मुंह में लेकर चूसने लगे। मौसा का दूसरा हाथ मेरी गांड के ऊपर अठखेलियां करने लगा। मौसा जी बहुत जोर जोर से मेरे बूब्ज़ को चूसने लगे और उतनी ही जोर से मेरे चूतड़ दबाने लगे।
मैं आंखें बंद करके इन सेक्सी पलों का आनंद ले रही थी और मौसा जी का सिर पकड़ कर अपने बूब्ज़ पर दबा रही थी। जितनी बेरहमी से मौसा जी मेरे बूब्ज़ को चूसते और काटते उतना ही मुझे ज्यादा मजा आता। उनके जोश से एक बात समझ गई थी कि मौसा जी बेरहमी से चुदाई करेंगे जो मुझे बहुत पसंद है।
मौसा जी मेरे बूब्ज़ को चूसना छोड़ कर मेरे नाजुक पेट को चूमने लगे। मौसा जी ने इतनी जोर से मेरे बूब्ज़ को चूसा और रगडा़ कि मेरे बूब्ज़ लाल हो गए और मेरे बूब्ज़ से गर्म गर्म सेक निकलने लगा।
उनके मुझे ऐसे मसलने में मुझे बहुत अच्छा लगा और उनका ये स्टाईल भी बहुत सेक्सी लगा। मौसा जी मेरे मुलायम एवं चिकने पेट को जीभ से चाटने लगे औल मुंह में भरकर खींच कर छोड़ देते। मौसा जी मेरी गहरी नाभि में जीभ घुसाकर चूसने लगे और जब वो मेरी नाभि में जीभ घुसाते तो मेरे बदन के रोम रोम में बिजली रेंगने लगती। मौसा जी मेरे नाजुक पेट को दांतों से कुरेदते हुए मेरी मस्त जांघों पर चुटकी काटने लगे और मैं मस्ती के सागर में डूबने लगी।
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
मौसा जी ने मुझे बैॅड पर उलटा लेटा दिया और नीचे बैठ कर मेरी टांगें खोलकर चूत के पास मुंह किया। वो मेरी जांघों को जोर से पकड़ कर धीरे-धीरे खड़े हो गए। मैं उनसे लिपटी हुई उलटी लटक गई और मौसा जी ने मेरी पतली कमर से कस कर पकड़ लिया।
मेरी चूत मौसा जी के होंठों के पास थी और मेरे होंठों को पास मौसा जी का लंबा मोटा मूसल जैसा लंड फुंकारें मार रहा था। मैंने लपककर मौसा जी के लंड के सुपाडे़ से चमडी़ को पीछे किया और लाल टोपे पर जीभ घुमाने लगी।
मौसा जी मेरी चूत के दाने को अपनी जीभ से रगड़ने लगे और मेरी चूत में जीभ घुसा दी। मैंने मुंह खोलकर मौसा जी का लंबा मोटा लंड मुंह में ले लिया और सिर को आगे-पीछे कर के लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी। मौसा जी मेरी चूत में जीभ हिला हिला कर चाटने लगे और मैं उनका लंड गले में उतार कर चूसने लगी।
बाकी हिन्दी सेक्स स्टोरी अगले पार्ट में और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.

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