Meri Shaadi Shuda Darji Padosan


हेलो दोस्तों कैसे हो, पहचाना क्या? टॉप हिन्दी चुदाई कहानी गन्दी कहानिया
इतना भरोसा तो है अपने दोस्तों पे के भूले नही हो और भगवान की कृपा से सब ठीक ही होंगे, पुराने दोस्त तो सब जानते ही है, लेकिन कुछ नए दोस्त भी है उनकी जानकारी के लिये बतादूं, मेरा नाम दीप पंजाबी है और मैं श्री मुक्तसर साहिब पंजाब से हूँ।
एक बार फेर कई महीनो बाद आपकी सेवा में एक नई कहानी लेकर हाज़िर है।
सो ज्यादा इंतज़ार न करवाते हुए सीधा कहानी पे आते है। ये कहानी मेरे एक दोस्त के साथ घटित घटना है और उसी का कहना है के इसे देसी कहानी के चाहने वालो से समक्ष रखा जाये। जिस से दूसरे दोस्त भी लुत्फ़ उठा सके।
तो आगे की कहानी मेरे दोस्त सावन वर्मा की ज़ुबानी…
हलो मित्रो मेरा नाम सावन वर्मा, उम्र करीब 28 वर्ष, बी.ऐ दूसरे साल का स्टूडेंट, राजस्थान किशनगढ़ बास का रहने वाला हूँ, ये कहानी मेरी एक पड़ोसन और मेरे बीच हुए सेक्स के बारे में है। सो उम्मीद है आपको जरूर पसन्द आएगी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
सबसे पहले तो हमारी कहानी की नायिका यानि के हमारी पड़ोसन पूजा के बारे में बतादूं। वो शादीशुदा है, उसकी उम्र लगभग 28 वर्ष, रंग गेंहुआ, पतली सी कमर वाली लड़की है। लड़की इसलिए बोल रहा हूँ, के उसे देखकर अंदाज़ा भी नही लग सकता के वो दो बच्चों की माँ भी होगी। उसके दो बच्चे एक बेटी और एक बेटा है। हमारे गांव में उसका मायका है। किसी वजह से पिछले साल उसके पति से उसका झगड़ा हो गया और तब से अपने माँ बाप के यहाँ ही रहती है। वो यहां रहकर सिलाई का काम करती है और आस पड़ोस की औरतो और बच्चों के कपड़े सिल्कर अपना और अपने बच्चों का पेट पाल रही है। गांव के बहुत से लड़के उसपे डोरे डालने को तयार बैठे है। लेकिन पूजा किसी को भी घास नही डालती।
एक दिन ऐसे ही मैं अपने कॉलज से वापिस लौटा ही था तो आते ही देखा के मेरे घर पे पूजा और उसके दोनों बच्चे आये हुए थे। मेरी माँ उनके साथ बैठकर बाते कर रही थी।
मेने पास से गुज़रते ही उनको नमस्ते बोला और माँ के साथ बरामदे में ही पड़े खाट पे बैठ गया। माँ उठकर मेरे लिए पानी लेने चली गयी। अब मैं, पूजा और उसके दोनों बच्चे ही बैठे थे। उनके हाथ हसी मज़ाक करने लगा।
वो – और सुनाइए, सावन आपकी पढ़ाई कैसे चल रही है ?
मैं – बहुत बढ़िया जी, आप बताइये आपकी जिंदगी कैसे बसर हो रही है?
शायद मेरा ये सवाल समय की नज़ाकत के हिसाब से सही नही था, फेर भी मेने पूछ ही लिया।
मेरी बात सुनकर उसके चेहरे की हंसी, पता नही कहाँ गायब हो गयी।
एकदम हँसता चेहरा उदास हो गया और आँखों से अश्रुधारा बहने लगी।
जिसे उसने साडी के पल्लू से साफ़ किया लेकिन कुछ भी बोली नही। इतने में मेरी माँ रसोई से मेरे लिए पानी, खाने की थाली लेकर आई। माँ को पास आते देखकर, उसने अपना चेहरा पोंछ लिया और कहा,” सावन आप खाना खालो, बाद में किसी दिन फुरसत में मिलकर बात करेंगे, अब मुझे घर जाना है, काम भी बहुत देने वाला पड़ा है।
पूजा को जाते देखकर माँ बोली,” रुक पूजा किधर जा रही है, बेटा ! आओ तुम भी खाना खाकर जाना और अभी तो आई थी। इतनी भी क्या जल्दी है। थोडा टाइम तो और बैठो।
वो — नही आंटी जी, वो काम देने वाला बहुत पडा है। फेर किसी दिन फुर्सत में आउंगी।
माँ — चलो ठीक है, लेकिन जाती जाती सावन की एक कमीज़ लेती जाना , पता नही कैसेे बटन तोड़ लाया है। अभी जाकर लगा देना, शाम को सावन ले आयेगा, सुबह यही कमीज़ कॉलज जाते वक्त पहननी है।
वो — कोई बात नही आंटी पकड़ा दो, शाम तक बटन लगा दूंगी।
वो मेरी कमीज़ लेकर चली गयी और मैं खाना खाने लगा, लेकिन मेरे दिमाग में एक बात ही खटक रही थी के वो रोई क्यों ??
शाम को मैं बाहर खेलने चला गया। जब वापिस आ रहा था तो याद आया के पूजा से कमीज़ वापिस लेते जानी है।
इसी उलझन तानी में मैं उसकी बैठक में चला गया जहां उसने एक बड़े से बैंच पे सिलाई मशीन रखी हुई थी और खुद कुर्सी पे बैठकर मेरी कमीज़ के बटन लगा रही थी।
मुझे आया देखकर उसने काम वहीं छोड़ दिया और उठकर अंदर से एक और कुर्सी ले आई और मेरी तरफ बढ़ाकर मुझे बैठ जाने का इशारा किया।
मैंने बैठते ही भूमिका बांधते हुए पूछा,’” क्यों पूजा जी बटन लग गए क्या ??
वो – हांजी बस यही आखिर वाला ही लगा रही हूँ, आपको कोई जल्दबाजी तो नही है।
मैं – नही जी, आप आराम से काम करो, लेकिन एक बात समझ में नही आई।
वो – कोनसी ??
मैं – यही के दोपहर को जब मेने आपका हाल पूछा तो आप भावुक क्यों हो गयी थी?
जहां तक मुझे याद है, मेने कुछ गलत नही बोला, सिर्फ आपका हाल ही तो पूछा था।
वो – नही नही ऐसी कोई बात नही थी। बस आपने ज़िन्दगी बसर का पूछा तो मन भर आया के कैसेे पति के होते हुए भी विधवा जैसी ज़िन्दगी जी रही हूँ। अब आप तो अच्छी तरह से समझते हो पति बिना पत्नी का क्या हाल होता है ? यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
हर कम में जहां आदमी को आगे आना चाहिए, वहां एक औरत को आगे आना पड़ता है। कहने को तो घर पे मर्दों में मेरा बापू, मेरा भाई भी है। लेकिन एक पति की जगह ये बाप बेटे के रिश्ते नही ले सकते। पिछले एक साल से उनका (अपने पति का) इंतज़ार कर रही हूँ के कब आये और कब हमे माँ बच्चो को हमारे असली घर पे ले जाये। यहां मायके में मेरा दम घुटता है। वैसे भी लड़की का असली घर तो उसका सुसराल ही होता है। सावन, सही पूछो तो मेरा यहां एक पल भी दिल नही लगता। बस मज़बूरी में रह रही हूँ । चाहे माँ बापू भाई सब बहुत लाड प्यार करते है अपने नाती, नातिन और बेटी को, लेकिन फेर भी दिल बस उनको ही मांगता है।
इस बार भी वो भावुक हो गयी और उसकी आँखों की नमी साफ झलक रही थी।
मेने उसकी सारी बात सुनी और उसे हौंसला दिया के फ़िक्र न करो, सब ठीक हो जाएगा और एक दिन जरूर ऐसा आएगा जब आपको आपका पति जरूर लेने आएगा।
कमीज़ वापिस लेकर जैसे ही घर की और मुड़ा तो उसने पूछा,” आपको घर पे जाने की कोई जल्दी तो नही है न सावन।
उसका दुबारा ऐसा पुछना, मुझे थोड़ा अजीब लगा।
मैं – नही तो क्यों क्या हुआ ???
वो – वो दरअसल आज शाम से ही माई, बापू और बच्चे पास वाले गांव में एक शादी में शामिल होने गए है। वो देर रात तक वापिस आएंगे। सो तब तक मेरे पास रुक जाओ न अकेली हूँ, मेरा भी दिल बहल जायेगा बातो से वरना खाली वक्त भी घर की टेंशन लगी रहेगी। बस एक दो घण्टे की तो बात है।
मुझे उसकी बात ठीक लगी और अपने मोबाइल से घर पे फोन कर दिया के 2 घण्टे लेट आऊंगा।
हमने अंदर से कुण्डी लगाली और बैठकर बाते करने लगे।
बातो बातो में मुझे ये पक्का हो गया के वो चुदासी है और जरा सी मेहनत से चुद सकती है। एक तरफ मुझे डर भी लग रहा था के मेरी पहल करने से वो बुरा न मान जाए। तो दूसरे तरफ शिकार हाथ से न फिसल जाये ये भी चिंता खा रही थी।
मैं अभी इन्ही बातो में उलझा हुआ था के वो बोली,” क्या सावन तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है ??
मैं – नही तो।
वो – एक दम कोरा झूठ, हो ही नही सकता, इतना हैंडसम लड़का और उसकी कोई लड़की दोस्त न हो।।
मैं – नही है यार प्लीज़, यकीन करो मेरा, होती तो तुम्हे तो बताता न।
वो – क्यों नही है, इस उम्र में तो कोई भी लड़का दो दो लडकिया रखता है।
मैं – अभी तक कोई मिली ही नही आपके जैसी सुंदर लड़की, जिसे गर्लफ्रेंड बना सकु।
मैं ये सब कुछ उसका हाथ पकड़ कर, एक ही साँस में उसे बोल गया। इस बार मेरी बातो में मर मिटने वाली भावना प्रबल थी।
वो — अच्छा जी, मुझमे क्या खास है, जो दूसरी लड़कियो में नही है।
(मैंने अक्सर लोगो से सुना था, के लडकिया तारीफ की भूखी होती है, तो ऍन मौके पे मैंने भी सोचा चलो यदि तारीफ करने से काम बनता है, तो हर्ज़ भी क्या है)!
मैंने उसका हाथ पकड़े ही उसकी पहली ऊँगली को नम्बर एक खूबी बताते हुए कहा,” पहली खूबी के आप बहुत खूबसूरत हो। दूसरी खूबी के आप बढ़िया स्वभाव के मालकिन हो।
तीसरी खूबी के आप अपने दिल में कोई बात छूपाते नही हो, मतलब के बातो बातो में सब राज खोल देते हो।
वो – वो कैसे ?
मैं – जैसे के आपने बताया क पति बिना आपका दिल नही लगता,
वो – मेरी बात सुनकर वो जोर की हँसदी और बोली, बड़े बदमाश बच्चे हो आप तो ।
मैं – अभी मेरी बदमाशी देखी कहाँ है आपने ?
वो – अच्छा जी, चलो दिखाओ कोनसी बदमाशी है आपकी जो अभी तक मेने देखी नही है।
मुझे उसकी ये बात ग्रीन सिग्नल लगी। फेर भी मेने डरते डरते उसे अपनी तरफ खींचा।
उसने भी आत्म समर्पन वाली भावना से खुद को ढीला छोड़ दिया और मेरे गले लग गयी। मेने उसे बाँहो में लिया तो वो लड़कियो वाले नखरों पे उत्तर आई। ये क्या कर रहे हो सावन, छोडो मुझे कोई देख लेगा। तो हंगामा खड़ा हो जायेगा। प्लीज़ छोडो न ये सब गलत है। लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और उसे ऐसे ही गले लगाये उसकी पीठ को सहलाये जा रहा था।
करीब एक साल बाद किसी मर्द की छुहन पाकर वो खुद को रोक न सकी और खुद ही मेरे गले में अपनी बाँहे डाले हुए अपनी आँखे बन्द किये हुए मुझ में समाऐ जा रही थी। मेने उसे थोडा पीछे करके उसके चेहरे को अपने दोनों हाथो में लिया। इस वक़्त भी उसकी आँखे बन्द थी, शायद शर्मा रही थी।
उसकी पतले गुलाब की पत्तियों जैसे होंठो को चूम लिया। कामवेग के आवेश में अंधी वो भी मेरा साथ दे रही थी। ऐसे ही 20-25 मिनट तक हम एक दूसरे को चूमते चाटते रहे। अब मन तो दोनों का था के यही पे ही अगली करवाई डाली जाये। लेकिन उसी वक़्त मेरे घर से पापा का फोन आया के जल्दी आओ कोई जरूरी काम है। सो मैं उसे अपनी मज़बूरी बताकर कल दोपहर को छुट्टी के बाद मिलने का वादा देकर न चाहते हुए भी चला आया, अब आग तो दोनों तरफ लगी हुई थी। बस टाइम की प्रॉब्लम की वजह से प्रोग्राम आगे डालना पड़ा।
अगले दिन कालज में भी मेरा दिल नही लगा। जल्दी से घर पे आकर खाना खाया और माँ को किसी दोस्त के यहाँ जाने का बोलकर सीधा पूजा के घर की तरफ निकल गया। उस वक़्त पूजा अपने कमरे में ही सिलाई कर रही थी और मुझे देखकर एक शरारती सी समाइल पास की, और कुर्सी पे बैठने का इशारा किया। उस वक़्त पूजा की माँ, उसके बच्चे भी वही थे। तो ज्यादा ऐसी बाते हो न सकी।
इधर उधर की बाते करते करते दो घण्टे बीत गए लेकिन उसका परिवार वही का वहीँ रहा। तभी उसकी माँ ने कहा,” बेटा जरा ये पर्ची वाला नम्बर लगाकर देना। मैंने वो नम्बर डायल कर दिया। उसकी माँ बात करने बाहर चली गयी। तो मैंने मौका देखते हुए उसे बोला,” रात को आउगा, दरवाजा खुला रखना, उसने बताया के इसी कमरे में अपने बच्चो के साथ सोऊँगी, आ जाना।
अब घर पे आकर रात का इंतज़ार करने लगा। खेल कूद में दिन भी बीत गया। शाम के 9 बज रहे थे मैंने खाना खाया और टहलने के बहाने बाहर निकल आया। बाहर आकर देखा के पूजा के घर की लाइट्स जल रही थी। जिसके मुताबक वो अभी तक जाग रहे है। थोड़ा इधर उधर टहलने के बाद करीब 10 बजे उसके घर के दरवाजे को जरा सा धक्का दिया और वो खुल गया। अंदर कमरे में अँधेरा ही अँधेरा था तो कुछ भी अंदाज़ा नही था के कोनसे बिस्तर पे कौन लेटा हुआ है ?
मेने दोनों बिस्तरो को मोबाइल की रौशनी में देखा तो पता चला के उसके दोनों बच्चे एक बिस्तर पे और पूजा अकेली सोई हुई है। मैं चुपके से उसके साथ ही सट के लेट गया और उसे बाँहो में ले लिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मेरा इंतज़ार करते करते शायद उसकी आँख लग गयी थी तो जैसे ही मेरे हाथो की जकड़न उसे महसूस हुई वो जाग गयी और दबी सी आवाज़ में बोली,” ओह आ गए तुम और मेरी तरफ मुह करके लेट गयी। मैं उसको चूमने लगा वो बोली,” एक मिनट रुको, अभी आई।
वो उठकर अच्छी तरह से गली वाला और बैठक का दरवाजा बन्द करके आई और साथ में लेट कर बोली,” लो आ गयी मैं, करलो अपने दिल की हसरत पूरी, आज सारी रात तुम्हारे पास है। जैसे दिल चाहे करलो मेरे साथ, क्या पता कब ऐसा हसीन पल दुबारा हमारी ज़िन्दगी में आये या न आये??
मैंने उसे सारे कपड़े उतार देने को कहा और खुद के भी उतार दिए।
अब हम दो नंगे बदन एक दूसरे को ऐसे लिपटे हुए थे, जैसे चंदन को सांप लिपटा हो। मैंने उसके माथे पे किस किया, वो मौन करने लगी, आह्ह्ह।। फेर उसके कान की पेपड़ी को हल्के हल्के काटने लगा । जिस से वह थोड़ा काम आवेश में आने लगी। फेर होठो को चूमना शुरू किया, जिसमे वो भी मेरी पूरी मदद करने लगी।
अब थोड़ा नीचे गले और उसके मम्मो को मसलने और चूसने लगा। जिस से इसकी काम अग्नि भड़क उठी और वो मेरा सर अपने मम्मो पे ही दबाने लगी। फेर थोडा नीचे उसकी नाभि और स्पॉट पेट को चूमाँ और नीचे उसकी ताजा क्लींनशेव की हुई चूत पे अपने गर्म गर्म होंठो से किस किया। जिस से उसके मुँह से एक आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह निकल गयी और बोली,” सावन राजा, अब और न तड़पाओ बस डाल दो अब और सब्र नही हो रहा और जल्दी से करलो कही छोटा बेटा जाग न जाये।
मैं उसे और बेकरार करना चाह रहा था। लेकिन ज्यादा मज़े की चाह में थोड़े से भी न रह जाऊ, यही सोचकर उसकी मान ली और उसकी चूत को अपने थूक से गीली करके उसपे से हट गया और पूजा के हाथ में अपना तना हुआ 7 इंची मोटा लण्ड पकड़ा दिया। करीब एक साल बाद वो किसी मर्द के लण्ड को छु रही थी । लण्ड हाथ में लेकर उसके साइज़ का जायजा लेने लगी और धीरे से मेरे कान में कहा, आपका लण्ड तो उनके लण्ड से भी बड़ा और मोटा है। आज मज़ा आएगा।
उसने इशारे से लण्ड चूत में डालने को बोला, मैंने जैसे ही लण्ड को उसकी गर्म चूत के मुह पे रख कर पेलना चाहा तो एक साल से चुदी न होने की वजह से बाहर ही फिसल गया। फेर उसने अपनी टाँगें ऊपर उठाई और थोड़ी चौडी करके दुबारा डालने को कहा।
इस बार थोड़ी सफलता मिली और लण्ड का सुपाड़ा उसकी तंग मुँह वाली चूत में धँस गया। जिस से उसको थोड़ी पीड़ा का एहसास हुआ और एक मिनट रुकने को बोला।
एक मिनट बाद जब उसकी पीड़ा थोडी कम हुई तो उसने दुबारा हिट लगाने को बोला। इस बार की जोरदार हिट से लण्ड जड़ तक उसकी चूत में पूरा समा गया और वह पीड़ा से कराहने लगी। कुछ पल ऐसे ही पडे रहने के बाद उसने मुझे ऊपर से ही धीरे धीरे हिलने का आदेश दिया। एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह मैं उसका हर आदेश मानता गया और धीरे धीरे हिलने लगा। जब उसको मज़ा आने लगा तो उसने स्पीड बढ़ाने का आदेश दिया तो मेने धीरे धीरे स्पीड बड़ा दी।
मुझे अपना फीडबैक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ जरुर करें। ताकि कहानियों का ये दोर देसी कहानी पर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
करीब 10 मिनट बाद हम इकठे ही एक साथ रस्खलित हुऐ और एक दुसरे को बाँहो में लिये पड़े रहे। करीब आधा घण्टा बीत जाने पे मैंने उनसे जाने का आदेश माँगा, लेकिन वो पूरी रात रुकने का बोल थी थी। मेने उसे कहा के सुबह कालज भी जाना है। लेकिन उसने शर्त रखी के एक बार और करो। मैंने उसका मन बेहलाने की खातिर एक बार और जमकर चोदा। जिस से हम बुरी तरह से थक कर चूर हो गए। थोड़ी देर बाद हमने कपड़े पहने और उसने उठकर गली वाला दरवाजा धीरे से खोला और बाहर का जायजा लिया के कोई देख तो नही रहा और फेर मुझे बाहर भेजकर दरवाजा अंदर से लगा लिया। उस दिन के बाद जब भी वक़्त मिला उसे उसके घर पे कई बार चोदा।
सो दोस्तों ये थी एक और कहानी, अपने मेल के जरिये बताना आपको कैसी लगी ? मुझे आपके मेल्स का इंतज़ार रहेगा।
आप हमे इस पते पे मेल करके कोई भी सुझाव, शिकायत या अपनी आप बीती जो देसीकहानी के माध्यम से अन्य मित्रो तक पुह्चाना चाह्ते है, हमें भेज सकते है, उसके लिए हमारा ईमेल पता है “[email protected]” सो दोस्तों जल्द ही एक नई कहानी लेकर फेर हाज़िर होऊंगा। तब तक के लिए अपने दोस्त दीप पंजाबी को दो इज़ाज़त नमस्कार। टॉप हिन्दी चुदाई कहानी गन्दी कहानिया

शेयर
sexey aunteyhamari adhuri kahani storymaa ki chudai hindi sex storysex tamil chatdesi randiyachoot mardasi story comdesi bhabhiesputhiya kamakathaikalsex talks in hindisavita bhabhi new sex storiesdesi chat videobahanchod bhaisunita bhabi ki chudaideshisex.comsasu maa ki gand maritamil mami sex kathaibangala sex galpomami ki sexy kahanisex hot storydesi sex onlinesex kathikal in tamilmummy ki gaandhindi xxx netrandi chodaodia film streeww dot sexmeri beti ki chudaitamil sex\kaamuk kahanimaa beta chudai kahaniindial sexkutte ne ki chudaidesi gand fucktamil kamakathai ammachut ki chodaebest chudai storybollywood femdomindian sexy chatvalo chodar golposuhagraat appindian chodigay sex stories in hindi languageek chutsagi behen ko chodasxx kahanichut ka bhosda banayanew sexx storykambi kadakal malayalam newmanjubhabhi.comhot aunty gaandsuhagrat ki kahani videogujarati ma nagi vartagroup sex ki kahanipunjabi fudi sexww south indian sexsexxy storyshindi sex story apps comsex storiwsdesi gf chudaichut me lavdaindian sex story youtubesex in girls hosteltamilkamaveri com latestcall girl sexy picturetamil sex story athaidasi bhabidesi chudai hindionly sex storydesy sexxsara zamanavidya balan sex storiessex indian wwwbhabhi ki cjudaitamil dirty stories tamil language newindian teen sex storiessexy khani hindilong hindi sex storybiwi ka rape huasex suhagrat story