Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti – Episode 17


योग कंप्यूटर पर इतनी देर तक गुथम गुत्थी करने के कारण थके हुए नजर आ रहे थे।
वो बड़ी ही मीठी मुस्कान के साथ बोले, “क्या हुआ था प्रिया? तुम सपने में मुझे धीरे धीरे क्या करने को कह रही थी? क्या तुम मुझे तुम्हारा यह प्रोग्राम जल्दी से देख कर खतम करना नहीं चाहती? या फिर तुम कुछ और सपना देख रही थी?”
मैं क्या जवाब देती? मेरी तो हालत ही खराब हो रही थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं कहाँ हूँ और मेरे इर्दगिर्द क्या हो रहा है?
मैंने योगराज को मुझ पर झुककर मुझे ध्यान से देखते हुए पाया। मेरे दिमाग में उस समय जैसे हज़ारों घंटियाँ बज रही थीं। मैं उस भयावह सपने से उभर नहीं पायी थी।
कुछ पल के लिए तो मुझे ऐसा लगा की कहीं योग स तरह प्यार भरी मीठी आवाज बनाकर मुझे धोखा तो नहीं दे रहे? कहीं वह मेरी सहानुभूति पाने की कोशिश तो नहीं कर रहे? कहीं मुझे बहेला फुसला कर मुझे चोरी छुपी चोदने का प्लान तो नहीं कर रहे?
कहीं अचानक ही वह मुझे पकड़ कर एक करारा थप्पड़ मेरे गाल पर जड़ कर कहीं मुझे विवश कर मेरी चूत के लिए अपनी भूख वह शांत करना तो नहीं चाहते?
पर उनका चेहरा तो कुछ और ही कह रहा था। वह एकदम गंभीर और शांत लग रहे थे। यह तो सपने से उलटी ही बात हो रही थी। मैंने उनके सवाल का जवाब देना टाल ने में ही अपना भला समझा।
मैं उन्हें पूछा, “आपने मेरा प्रोग्राम देखा क्या?”
योग जवाब देते हुए कुछ ज्यादा ही गंभीर हो गए। मैंने उस रात के पहले योगराज जी को इतना गंभीर नहीं देखा था। गंभीर होने के उपरान्त वह थोड़ा जज्बाती हो रहे थे ऐसा मुझे लगा।
योग के गला जैसे रुंध सा गया जब उन्होंने कहा, “मैंने तुम्हारा प्रोग्राम ना सिर्फ देखा, बल्कि मैंने तुम्हारे प्रोग्राम को इतनी बारीकी से जांचा है की क्या कहूं। मुझे इस बारे में तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है।”
मेरी जान हथेली में आगयी। एक भयंकर आशंका मेरे पुरे बदन में फ़ैल गयी। मैं समझ गयी की योग ने हमारा प्रोग्राम पूरा नकार दिया था, रिजेक्ट कर दिया था और वह अब बड़ा धमाका करने वाले थे की हमारा प्रोग्राम कूड़े दान में फेंकने के काबिल था।
मेरे माथे पर पसीने की बुँदे आने लगीं। मेरी शकल रोनी सी हो गयी। मैं योग का फैसला सुनना नहीं चाहती थी। पर फिर सोचा की आखिर सच का सामना तो हिम्मत के साथ करना ही पडेगा।
योग ने मेरे कन्धों पर एक हाथ रखते हुए कुछ भावुकता भरे स्वर में कहा, “प्रिया डार्लिंग! यह तुम्हारा औइर तुम्हारी टीमम का डिज़ाइन किया हुआ प्रोग्राम मेरे देखे हुए प्रोग्रामों में से मेरी जिंदगी का सबसे सर्वोत्तम प्रोग्राम है। मेंरी समझ में यह नहीं आता की आप की टीम ने इतना सटीक, संक्षिप्त, सुगठित और फिरभी इतना विस्तृत प्रोग्राम कैसे बनाया? आपके छोटे से दिमाग में इतना प्रोफेशनल प्रोग्राम कैसे बना? प्रिया डार्लिंग, आज तुमने मुझे अपने इस प्रोफेशनलिजम से जित लिया। मैं तुम्हारे काम से मात खा गया।”.
मैंने देखा की योग सर की आँखों में भाविकता से भरे आंसू छलक रहे थे।
यह सूना तो मैं बेहोश सी हो गयी। मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। मैंने योग सर की और आश्चर्य और अविश्वास भरी नज़रों से देखा। मुझे समझ में नहीं आया की उन्होंने वाकई में क्या कहा। मुझे लगा की वह मेरे साथ कोई भद्दा मज़ाक कर रहे थे।
एक उच्च कक्षा के प्रोफेशनल प्रोग्रामर से ऐसी भूरी भूरी प्रशंशा की मैंने कोई उम्मीद नहीं राखी थी। जो उन्होंने कहा था वह मुझे हजम नहीं हो रहा था। मुझे लगा की शायद मैंने सही नहीं सूना।
मैंने कुछ आशंका भरे स्वर में योग से पूछा, “सर, आप ने क्या कहा?”
योग ने दुबारा वही कहा जो उन्होंने पहले कहा था। मुझे फिर भी मेरे कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। हां यह सही है की मुझे अपने काम पर विश्वास था। और वास्तव में जो शब्द योग सर ने कहे थे वह सही थे। मैंने और मेरी टीम ने जो महेनत की थी यह उसका सफल परिणाम था।
मैं जानती थी की प्रोग्राम वाकई में वाणिज्य के हिसाब से उच्च कक्षा का था उसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं थी. धीरे धीरे जो योग सर ने कहा वह दिमाग में घुसने लगा। वास्तव में तो वह एकदम सही कह रहे थे।
मैं अत्याधिक भावावेश में सराबोर हुई थी। मेरी जिंदगी का और मेरी टीम एवं मेरे अपने प्रोफेशनलिजम का यह सबसे मूल्यवान प्रमाणपत्र था। मैं योग के पास गयी और मैं वही भावावेश में उनके सामने प्रस्तुत हुई। उन्होंने अपनी बाहें फैलायीं और मैं उनमें समा गयी।
मैंने उनको बड़ा ही गाढ़ आलिंगन करते हुए कहा, “योग सर, आपकी यह मेरे कामकी प्रशंशा मेरे लिए मेरी जिन्दगी की सर्व श्रेष्ठ और सबसे मूलयवान भेंट है।”
योग सर मेरे भाव पूर्ण आलिंगन से कुछ ख़ास चलित नहीं हुए, बल्कि अपने ही प्रवाह में वह उसी भावावेश में बोले, “मैंने एक एक लिंक (जोड़ी), हर एक डेटा सेट को इतनी शूक्ष्मता और कठोरता से तराशा। कहीं कोई कमी, कोई गलती ढूंढने की बड़ी कोशिश की। पर यह प्रोग्राम इतना स्मूथ है की मुझे कुछ नहीं मिला। मैं अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहा हूँ की यह प्रोग्राम तुमने बनाया…
मैं तुम्हारा और उन सब महिलाओं का गुनेहगार हूँ की जिनकी काबिलियत के बारे में मैंने आजतक उलटी पुलटि बातें की। मैंने आपकी और उन महिलाओं की काबिलियत के बारे में मेरे कटु वचनों द्वारा दिल दुखाया इस लिए मैं बहुत ही शर्मिन्दा हूँ और उन सब से माफ़ी माँगता हूँ।”
तब तक मैं उस अजीबो गरीब उलझन से बाहर आ चुकी थी। मैं नार्मल हो चुकी थी।
मैं योग सर की और आगे बढ़ी और उनका हाथ मेरे हाथों में लेकर बोली, “जिसका अंत सही हो वह सही है। मैंने भी आपका एप्प देखा है। आपका एप्प मेरे प्रोग्राम से कोई भी कंप्यूटर पर सहज रूप से ही लिंक हो जाएगा। क्या हम कोशिश करें?”
पर तब मैंने योग सर की थकी हुई आँखों को देखा। वह थके हुए दीखते थे। मुझे लगा उनको कुछ सहज एवं तनाव मुक्त माहौल चाहिए।
मैंने कहा, “योग सर, काम को छोड़ते हैं। मैं समझती हूँ अब सफलता मनाने का, सेलिब्रेट करने का समय है। क्या आपके पास शैम्पेन है? मेरा मन करता है की सेलिब्रेट किया जाय।”
योग ने मुझे अपनी हाजरी में इतना आरामदायक स्थिति में पहली बार पाया। वह आश्चर्य से मुझे देखते रहे। योग हमेशा मेरा मन भांप लेते थे। उन्होंने मुझे पहले अपनी हाजरी में हमेशा बेचैन पाया था। अब मुझे तनाव मुक्त पाकर वह खुश नजर आ रहे थे। उन्हें मेरा यह परिवर्तन अच्छा लगा ऐसा मैंने महसूस किया।
उन्होंने जवाब में कहा, “क्यों नहीं डार्लिंग? शैम्पेन की कोई कमी नहीं है। चलिए”
हम चल कर उनके ड्राइंग रूम में पहुंचे। फिर उन्होंने कहा, “आप बैठिये। मैं बस थड़ी ही देर में नहा कर आता हूँ।”
मैंने अपने कंधे हिलाकर मुस्करा कर कहा, “जरूर शौक से जाइये। इसे आप अपना ही घर समझिये।”
योग जैसे ही बाथरूम गए तो मैं उठकर उनके घर की बालकॉनी में गयी जहां से सारा शहर रौशनी के गहनों में लदी हुई दुल्हन की तरह सजा हुआ नजर आ रहा था।
निचे मुख्य रस्ते पर सरपट दौड़ती गाड़ियां अत्यंत आकर्षक लग रहीं थीं। वहां से इंसान छोटे से कीड़े मकोड़े की तरह दिख रहे थे। दूर समंदर की लहरें दिख रही थीं। थोड़ी देर ताज़ी हवा में सांस लेने के बाद मैं वापस ड्राइंग रूम में आयी।
ड्राइंग रूम में कुछ किताबें अलमारी में राखी हुई थीं तो कुछ इधर उधर बिखरी हुई थीं।
जब मैं उन किताबों को लेकर एक साथ रखने लगी तब मेरा ध्यान तस्वीरों पर गया। पहले मेरा ध्यान इन तस्वीरों पर नहीं गया था।
वहाँ कुछ तस्वीरें थीं जिसमें योग कोई लड़की के साथ पहाड़ों की वादियों में नजर आ रहे थे। अचानक मैंने देखा की तस्वीरों में मैं योग के साथ नजर आ रही थी।
मुझे अपने आप पर यकीन नहीं हुआ। भला मैं तो कभी भी योग सर के साथ कहीं भी नहीं गयी, फिर यह मेरी तस्वीर कैसे योग सर के साथ बनी? मैं बड़ी उलझन में पड़ गयी।
मैंने उन तस्वीरों को जब और गौर से देखा तो पाया की एक औरत जिसकी शक्ल हूबहू मुझसे मिलती थी वह अलग अलग पोज़ में योग सर की बाहों में, सर से सर टकराये हुए, एक दूसरे का हाथ पकड़ कर टहलते हुए, किस करते हुए और कई दूसरे पोज़ में देखा।
उस औरत की शक्ल, बदन का आकार, लम्बाई, कद, कमर का घुमाव यहां तक की गाँड़ की गोलाई और स्तनोँ की साइज मुझ से इतनी हद तक मिलती थी की कोई भी धोखा खा जाए।
योग सर जिस कदर उस औरत को देख रहे थे तो मुझे यकीन हो गया की योग उस औरत से बेतहाशा प्यार करते थे।
यह औरत कौन थी जिसे योग सर चकोर जैसे चाँद को निहारता है ऐसे देख रहे थे? तब मुझे याद आया की योग सर के ऑफिस से आयी वह लड़की भी मुझे कह रही थी की योग सर भी मेरी और जैसे चाँद को चकोर देखता रहता है ऐसी नज़रों से देखते हैं।
वह औरत जरूर वह योग सर की कोई ख़ास थी। जरूर उनकी प्रेमिका या पत्नी होगी। वह योग सर की क्या लगती थी?
क्या योग सर के जीवन में भी कोई औरत थी जिसे वह इतना ज्यादा चाहते थे? यह सवाल मुझे खाने लगा।
यह सब मेरे लिए योग सर के जीवन के एक नए पन्ने जैसा लग रहा था।
आगे कहानी जारी रहेगी, पढ़ते रहिएगा!!
[email protected]

शेयर
real kannada sex storieswww telugu sex storys inchoot lund comindian wife sex storyhindi sxy khaniyahindi sex storismaa ka gand maracar sex storiesgand mari storyonline kambi kathakaltamilkamakathakalhindi sx storyhousewife in sexreal stories in hindichudae kahani hindiaunty desi sexmalayalam sex chat storiesbhabhi ka muthindi sex story balatkarbhanjikichudaimalayalam prone storiesbengali best sex storywww tamil kamaveri kathaikal comx tamil sex storynangi storychudai desi kahanibest porn hindihindi sex story bookwww bangali sex story comgandi kahani 2016deshikahanichudai com hindi meshadi ki pehli raat storyindian virgin sexpahle chudaihindi sex storuesdoctor chodabig family kamakathaikalxxx girl on girltamil kamakathakikaltamil list 2015sex stories of indian womenkannada sex atoriesdeepika pantydesi sex stiriesdidi ki salwardesi kahani hinditamil sex kathi comlund bur mezid storymami ki brachoda chodi hindi storykannada mole kathebaap beti ki sex storybhabhi aur devar ki chudaianniyai otha kathai tamilchudayi hindi storybhabhi gand chudai12 saal ki behan ki chudaikahani romanticdesi boudir gudtamil velaikari otha kathaigirl on girl sexabout sex storybhabhi ki sisterjavajavi kathaमेरी लुल्ली, अकड़ने लगीreal sex stories in tamilchachi ke sath sex videochoti bahan ki seal todideai taleswww desi story comwww indian sex free