Mere Dost Ki Maa Meena – Part 1


देसी कहानी पढ़ने वाले सभी लौड़ेधारियों और चूत की मल्लिकाओं को राहुल का एक बार फिर से खड़े लण्ड का प्रणाम। आज जो कहानी आप पढ़ने जा रहे हैं वो मेरे पक्के दोस्त मयूर खन्ना की मम्मी के बारे में है। आपसे गुज़ारिश है कहानी पूरी पढ़ने के बाद ही सभी मयूर की मॉम के नाम का अपना अपना पानी निकाले।
मेरा दोस्त मयूर और मैं कॉलेज में साथ में पढ़ते हैं। मैं कभी कभी उसके साथ उसके घर में आता जाता रहता हूँ। मयूर के घर में उसकी 55 साल की माँ मीना, 26 साल की उसकी बहन स्वाति रहती है, उसके पिताजी प्रभाकर किसी बड़ी कम्पनी में विदेश(अमेरिका) में कार्यरत हैं।
मयूर काफी अमीर परिवार से ताल्लुक रखता है। उसका घर भी काफी बड़ा है। मैं उसके घर पहली बार उसी के साथ गया तो हमारा स्वागत एक बूढ़ी औरत ने किया जो मयूर की माँ मीना है। आंटी है तो बूढी लेकिन आंटी का सुडौल बदन देखकर आज भी कई लोग मुट्ठ मारते हैं।
आंटी ने गुलाबी रंग की चिपली फिसलनदार नाईटी पहन रखी है, आंटी का बदन मोटा है और बूब्स सुडौल है, बूब्स का आकर नाईटी में स्पष्ट पता चल रहा है, आंटी दिखने में दूध की तरह गोरी-चिट्टी लगभग 53 से 55 साल के मध्य की सुन्दर मोटी औरत है जिसने मांग में सुर्ख लाल रंग का सिंदूर भरा हुआ है।
हाथों में लाल रंग की चूड़ियाँ पहनी हुयी है, हाथों और पैरों के नाखूनों में गुलाबी रंग की नेल पोलिश आंटी के सेक्सिपन में 4 चाँद लगा रही है, आंटी के गले में एक सोने की चेन और मंगलसूत्र है, मतलब पूरी तरह से एक परफेक्ट सुशील, शादीशुुदा, संस्कारी भारतीय नारी के लक्षण आंटी में विद्यमान हैं।
पहली बार आंटी को देखने में ही वो मेरी नज़रो में चढ़ गयी, उसकी ख़ूबसूरती से मेरी आँखें चकाचौंध हो गयी और मेरे मन में अपने दोस्त की माँ के बारे में गंदे, हवसपूर्ण विचार पनपने लगे, आंटी ने दरवाजा खोलकर मयूर और मेरा वेलकम किया।
मीना(मुझे पूछते हुए)- वेलकम बेटा, कैसे हो, नाम क्या है आपका ?
मैं- नमस्ते आंटी, मेरा नाम राहुल है।
मयूर(मुझे बताते हुए)- ये मेरी मॉम है राहुल भाई।
मैं- हाँ भाई पता है तेरी मॉम है, और कौन होगी वरना।
मीना- मयूर बेटा कभी मिलवाया नहीं तुमने मुझे राहुल से।
मयूर- तो आज मिल लो मॉम।
आंटी- अरे बच्चों बाहर ही खड़े खड़े सब बाते करोगे या अंदर भी आओगे, चलो अंदर आओ जल्दी से, अंदाजा लगाओ मेने तुम्हारे लिए क्या बनाया है ? राहुल पहले तुम बताओ बेटा।
मैं- पता नहीं आंटी जी, आप ही बता दो।
आंटी- अरे ऐसे थोड़े ही होता है, जरा सोचो तो सही, तुम बताओ मयूर बेटा।
मयूर- मॉम आई थिंक आपने इडली बनायीं है।
आंटी- वाव।।। सो इंटेलीजेंट मयूर, अच्छा ह्यूमर है तुम्हारा।
मयूर(इतराते हुए)- वो तो बचपन से ही है, लेकिन कभी घमंड नहीं किया।
(हम सब हंसने लगते है और इसके बाद आंटी हमारे लिए इडली लाती है और हम बड़े चाव से इडली खाते हैं। बहुत ही लाजवाब इडली बनायीं थी आंटी जी ने। मेरे जाने का समय हो गया था, लेकिन आंटी ने मुझे वहीँ रुकने को कहा)
मैं- ओके आंटी मैं चलता हूँ।
आंटी- अरे बेटा इतनी जल्दी, आज यही रुक जाओ, आराम करो, कल चले जाना।
मयूर- हाँ राहुल भाई आज यहीं रुक जा, कल चला जइयो।
मैं- आप लोग इतनी जबरदस्ती कर रहे हो तो ठीक है। रुक जाता हूँ।
(आंटी खुश हो जाती है और मुझे अपने गले लगा लेती है जिससे कि आंटी के बूब्स मेरी छाती से दब जाते हैं और मेरा बदन सिहर उठता है और लण्ड खड़ा हो जाता है, ऐसी अनुभूति मुझे शायद ही पहले कभी हुयी हो, जब आंटी मुझ से गले लगी तो उनसे भीनी भीनी इत्र की खुशबु आ रही थी जैसे अमीर लोगों से आती है और आंटी इस बुढ़ापे की उम्र में भी गजब लग रही है, एकदम साफ़ चेहरा, साफ़ नाखून, गोरा बदन, गोरे हाथ पैर, अप्सरा जैसे लग रही है, अगर आप देखना चाहते हैं आंटी कैसी लगती है तो गूगल में “पून्नम्मा बाबू” मलयालम अभिनेत्री सर्च करना, मयूर की मॉम मीना आंटी बिलकुल वैसे ही लगती है)
आंटी- ये.. आज राहुल यही रुकेगा.. क्या खायेगा राहुल डिनर में बताओ ?
मैं- कुछ भी बना देना आंटी, मैं सब कुछ खा लेता हूँ।
आंटी- आज तो स्पेशल बनेगा कुछ राहुल के लिए, मयूर बेटा जा तू मार्केट से चिकन ले आ।
मयूर- ठीक है मॉम। चल राहुल तू भी चल मेरे साथ।
आंटी- अरे राहुल को यहीं रहने दे, मेरे साथ गप्पे शप्पे मारेगा, पहली बार तो आया है।
मयूर- ओके मॉम, मैं आता हूँ, राहुल को बोर मत करना आप प्लीज।
आंटी- अच्छा जी, दोस्त की इतनी चिंता और राहुल ने मुझे बोर कर दिया तो, मेरी चिंता नहीं है तुझे।
मयूर(मेरी तरफ देखते हुए)- राहुल मेरी मॉम को भी बोर मत करना, मैं यूँ गया और यूँ आया।
मैं- तू फिक्र मत कर मयूर भाई तेरी माँ मेरी माँ है मैं बोर नहीं होने दूंगा मॉम को।
आंटी- ओह कितने स्वीट हो तुम दोनों, आज से मेरे दो बेटे हैं, राहुल आज से मुझे माँ कहकर बुलाना ओके ?
मैं- ओके आंटी, ओह सॉरी मेरा मतलब ओके माँ।
(और हम सब हंसने लगते हैं और मयूर बाजार चला जाता है, अब घर में सिर्फ मैं और आंटी अकेले थे, गप्पे मार रहे थे)
आंटी- राहुल बेटा और बता क्या क्या हॉबी हैं तेरी ?
मैं- बस माँ, कभी क्रिकेट, फुटबॉल खेल लेता हूँ, कभी कभी बाइक में कहीं अकेला दूर निकल जाता हूँ घूमने।
आंटी- ओह।। अच्छा, बाइक में अकेला क्यों जाता है गर्लफ्रेंड नहीं है क्या तेरी ?
मैं(शरमाते हुए)- नहीं माँ, कोई बनी ही नहीं अभी तक।
आंटी- तू कोशिश ही नही करता होगा पगले, वरना तू इतना हैंडसम,जवान है तुझ से लड़की न पटे ऐसा नहीं हो सकता। मयूर की है कोई कॉलेज में पटाई हुयी?
मैं- नहीं माँ, वो भी मेरे ही जैसा है।
आंटी- उफ्फ्फ मेरे दोनों बेटे ऐसे सीधे साधे, साधू बाबा हो क्या जो नहीं पटाई अभी तक कोई, अभी तक तो तुमने बहुत कुछ कर देना था, तुमने तो नाक कटवा दी है सही में राहुल बेटा। दिक्कत क्या है क्यों नही पटाई अभी तक कोई तुमने।
मैं- मयूर का तो पता नहीं माँ, लेकिन मुझे कोई पसंद ही नहीं आती।
आंटी- अच्छा कैसी लड़की पसंद है तुझे ?
मैं- आपके जैसी, जैसे आप हो मोटी सुडौल, खाते पीते घर से लगती हो। मुझे ऐसी लड़की ही पसंद है, कहीं मिलती ही नहीं।
आंटी- चल हट बदमाश कहीं का, मैं तो अब बूढी हो चुकी हूँ।
मैं- नहीं माँ आप सच मुच अभी भी जवान लड़कियों को टक्कर देती हो, मुझे तो आप पहली नज़र में पसंद आ गए थे सच्ची में। तेरी कसम।
आंटी- गंदे बच्चे, मुझे चने की झाड़ में चढ़ा रहा है, शर्म कर बेटा, अपने दोस्त की मम्मी पे डोरे डाल रहा है तू।
मैं- डोरे नहीं आंटी, आपको सच्चाई से वाकिफ करा रहा हूँ, आप बहुत खूबसूरत हो, मयूर ने कभी कहा नहीं आपसे ?
आंटी- उसको कहाँ अपनी माँ की फिक्र है, लेकिन अब मेरा नया बेटा बना है तू, तेरे मुह से अपनी तारीफ सुन कर अच्छा लगा राहुल बेटा।
मैं- दीदी कहाँ है, मयूर की दीदी भी है वो दिख नहीं रही।
आंटी- ओह अच्छा, स्वाति।। वो ऑफिस गयी है अभी आने वाली होगी, तू मिला है क्या उससे ?
मैं- नहीं नहीं आंटी, वो मयूर ने मुझे मोबाइल में फोटो दिखायी थी।
(दरअसल कॉलेज में मयूर ने मुझे अपने मोबाइल में उसकी दीदी की फोटो दिखाई थी जिसमे उसकी दीदी ने खुले गले का एक टॉप पहन रखा था, बाहें पूरी नंगी थी, बूब्स की घाटी दिख रही थी, बूब्स के ऊपर छाती में एक काला तिल था जो गोरे बदन की शोभा बढ़ा रहा था, टॉप इतना छोटा था कि मयूर की दीदी की गहरी नाभी स्पष्ट दिख रही थी, वो फोटो देखते हुए मेरा लण्ड झटके मारने लगा था जिससे मयूर बेखबर था, उसकी दीदी थोडा मोटी थी, गोरी थी लेकिन बहुत सेक्सी लग रही थी। उसकी दीदी की फोटो को याद करके मेने पता नहीं कितनी बार मुट्ठ मारी होगी)
आंटी- ये मयूर को इतना टाइम क्यों लग गया, फोन करती हूँ इसे।
(आंटी ने मयूर को फोन किया तो मयूर ने बताया कि उसे घर पहुचने में समय लग जायेगा, उसके रॉकी भैया उसे जबरन पार्टी में ले गए हैं, मीना आंटी नाराज हो गयी लेकिन मेरे मन में लड्डू फूटने लगे, मीना आंटी ने गुस्से से फोन काट दिया)
मैं- क्या हुआ आंटी क्या कहा मयूर ने, आप इतनी टेंशन में क्यों हो।
आंटी- अरे इसके ताऊ का बड़ा लड़का रॉकी बहुत बिगड़ा हुआ है, मयूर को पार्टी में ले जा कर उसे ड्रिंक करवाता है, अभी देख लो, तुम्हे यहाँ घर में रोककर पार्टी में चला गया, बोलता है देर रात में आएगा, लेकिन तुम देखना राहुल बेटा, वो कल सुबह तक ही आयेगा।
(आंटी उदास हो जाती है और सोफे में बैठ जाती है)
मैं- कोई बात नहीं आंटी, आपका एक बेटा तो घर ही में है।
आंटी- अब उससे मास मंगाया था रात के खाने में बनाने को, मैं अब क्या बनाऊ तेरे लिए, तू ही बता ये अच्छी बात है क्या।
मैं- आंटी जो भी आप प्यार से बनाओगी मैं खुशी खुशी खाऊंगा, अब गुस्सा छोडो, दिल न तोड़ो, अच्छा आपके हाथ से ही खाऊंगा, अब तो खुश ??
(आंटी हंस पड़ती है और मुझे अपने गले लगा लेती है, आंटी गले इस तरह लगती है कि हमारा बैलेंस बिगड़ जाता है और हम दोनों सोफे से निचे गिर जाते हैं, अब मैं जमीन पर आंटी के ठीक ऊपर लेटा हूँ, आंटी हंसने लगती है और आंटी की साँसे मेरी साँसों से टकराती है, आंटी के बूब्स मेरी छाती से दब जाते हैं, मेरा लण्ड बिलकुल खड़ा हो गया है और ठीक आंटी की चूत के ऊपर है और झटके मार रहा है जिसका एहसास आंटी को भी हो रहा है, मैं कुछ देर ऐसे ही आंटी के ऊपर चित्त लेटा रहा, और हम दोनों हंस रहे हैं)
आंटी- अब हट बेटा, ऐसे ही लेटा रहेगा क्या माँ के ऊपर।
मैं- हटने का मन नहीं है माँ, ऐसे ही लेटे रहने दो प्लीज।
आंटी- तुझे अच्छा लग रहा है क्या ?
मैं- हाँ बहुत अच्छा लग रहा है, आपके होंट में लाल लिपस्टिक बहुत मस्त लग रही है माँ।
आंटी- अच्छा, बहुत शरारती है तू, बदमाश कहीं का।
(मेरा लण्ड सलामी दे रहा है, जिसके कारण मुझे जोश चढ़ गया, आंटी और मुझे पसीना भी आ रहा है, और मैं अपने लण्ड को आंटी की चूत में घिसने लगा और हिलने लगा)
आंटी- तू ऐसे हिल क्यों रहा है, शांत रह बेटा, और ये कुछ चुभ रहा है, क्या है ये।
मैं- अह्ह्ह्ह्ह, कुछ नहीं माँ, आप ऐसे ही लेटे रहो बहुत अच्छा लग रहा है मुझेईई उफ्फ्फ।।।
(आंटी समझ गयी कि मैं अपना लण्ड रगड़ रहा हूँ, लेकिन आंटी ने कोई विरोध नहीं किया, ऐसे ही लेटी रही )
आंटी- तू शादी कर ले अब बेटा, तुझे बीवी की बहुत जरुरत है।
मैं- अह्ह्ह्ह, कोई मिलती नहीं आपके जैसी मस्त।।
आंटी- मेरे जैसी तो मैं ही हूँ बस और कोई नहीं, परी हूँ मैं।
मैं- तो तुम से शादी कर लूँ क्या ?
आंटी- चुप, बदमाश कहीं का, लफंगा, आवारा।
(हम ऐसे ही जमीन पर लेटे रहे और मैं अपना लण्ड आंटी की चूत में रगड़ रहा हूँ, मेरा माल निकलने वाला है और मेरी रफ़्तार भी तेज़ हो गयी, मेने आंटी को कस कर जकड लिया और अपने होंट उनके होंट पर रख दिए, आंटी समझ गयी कि मैं अब झड़ने वाला हूँ, आंटी को भी मजा आ रहा है क्यों कि मैं अपना लण्ड ठीक उनकी चूत के ऊपर रगड़ रहा हूँ, मैं आंटी के होंट चूसने लगा, आंटी चुपचाप लेटी रही, न तो कोई विरोध था और न ही साथ दे रही है और फिर मेरा माल निकलने वाला होता है)
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी और इस कहानी के बारे में कुछ भी प्रतिक्रिया देनी हो तो कमेंट करके दें..

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