Maa Beti Delhi Me Bani Randiyan – Part 2


अब आगे की कहानी – उन्होंने हमारी गांड सटा कर हमें खड़ी कर दिया और हमारे सामने आ गए। सतीश ने मेरे बूब्ज़ बूब्ज़ पर मुंह रख लिया और संजीव ने मम्मी के बूब्ज़ पर। वो हमारे बूब्ज़ के निप्पलों पर जीभ घुमाते हुए हमारे बूब्ज़ को प्यार से चूसने लगे और हम उनके बालों को सहलाने लगीं। कुछ देर बाद दोनों वहशी हो गए और बहुत जोर जोर से हमारे बूब्ज़ को चूसने लगे। हम उनके सिर पकड़ कर अपने अपने बूब्ज़ पर दबाने लगीं।
जितनी बेरहमी से वो हमारे बूब्ज़ चूसते उतना ही हमें ज्यादा मजा आता। जब वो हमारे बूब्ज़ के निप्पलों को दांतों में पकड़ कर जोर से खींच लेते तब हमारे मुंह से अपने-आप मसती भरी आह निकल जाती। कुछ देर बाद उन्होंने हमें घुमा दिया और अब संजीव मेरे बूब्ज़ नोचने लगा और सतीश मम्मी के। ऐसा लग रहा था वो हमारे बूब्ज़ से सारा रस निकाल कर पीना चाहते हों। अब उनका अगला निशाना बना हमारा नाजुक, गोरा और चिकना पेट। वो दोनों घुटनों के बल नीचे बैठ गए और हमारे पेट पर जीभ घुमाकर चाटने लगे।
हम दोनों मां बेटी मचलने लगीं और उनके बालों से खेलने लगीं। वो हमारी गहरी नाभि में जीभ डालकर घुमाते और हम मचलती हुई उनका सिर अपने पेट पर दबा लेतीं। वो अदला-बदली करके हमारे पेट को चूम और मुंह में लेकर चूसते। हम दोनों मस्ती में मचलती हुई अपनी गांड एक दूसरे से रगड़ती हुई उनकी कामुक हरकतों का मजा ले रही थीं। वो दोनों हमारी भरी हुई जांघों को हाथों से सहलाते हुई पेट को चूम और चूस रहे थे।
उन्होंने हमें हमारी पीठ जोड़ कर एक छोटे से टेबल पर बैठा लिया जिस पर सिर्फ एक आदमी बैठ सकता था और हमारी गांड आधी ही टेबल पर थी। उन्होंने हमारी टांगें खोल कर चौंडी़ कर लीं और खुद घुटने मोड़कर फर्श पर बैठ गए। संजीव मेरी टांगों के बीच बैठ गया और सतीश मम्मी की टांगों के बीच बैठ गया। वो लोग हमारी भरी हुई, गोरी एवं चिकनी जांघों को सहलाने और चूमने लगे। हम पर भी सेक्स की खुमारी चढ़ी हुई थी और हम अपने बूब्ज़ पकड़ कर दबा रही थीं।
तभी उन्होंने अपना मुंह हमारी चूत पर लगा दिया और चूत के ऊपर जीभ से चाटने लगे। हम दोनों उनका सिर पकड़ कर उनका मुंह अपनी चूत पर दबाने लगीं। वो हमारी चूत को मुंह में भरकर चूसते और खींच लेते। इस खींचातानी में बहुत आनंद आ रहा था और हम कामुक आवाजें निकाल रही थीं। उन्होंने अपनी जीभ हमारी चिकनी चूत में डाल दी और चाटने लगे। हम दोनों मचलती हुई उनका सिर चूत पर दबा कर अपनी गांड हिला कर चूत उनके चेहरे पर रगड़ने लगीं। उन्होंने अदला-बदली कर के हमारी चूत का दो दो बार स्वाद चखा।
अब हमनें उन दोनों को उनकी गांड जोड़ कर खड़े कर दिया। मैं संजीव के सामने और मम्मी सतीश के सामने आ गई। हम उनके कान, गाल और गर्दन को चूमने हुए उनकी सुडौल छाती पर आ गईं।हम उनकी छाती पर जीभ घुमाने और चूमने लगीं। हमनें उनकी छाती के निप्पलों पर जीभ घुमानी चालू की और उनके मुंह से कामुक आंहें निकलने लगीं। वो हमारा सिर पकड़ कर अपनी छाती पर दबाने लगे और हमारी नंगी एवं मुलायम पीठ सहलाने लगे।
हमनें उनके निप्पलों को मुंह में भर लिया और चूसने लगीं। हम उनके निप्पलों को मुंह में भरकर जोर से खींच खींच लेतीं और उनके मुंह से आंहें निकलनी तेज हो गईं। हम जितनी जोर से उनके निप्पलों को चूसती और खींचती उतने ही जोर से वो मस्ती में चिल्लाते। हमनें भी उनको बदल बदल कर उनकी छाती के मजे लूटे। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
हम उनके पेट को चूमते हुए उनके लंबे, मोटे एवं जानदार लंड तक पहुंच गईं। हम घुटनों के बर फर्श पर बैठ गईं और लंड हिलाने लगीं। हमनें उनके लंड के लाल टोपे से चमड़ी पीछे की और टोपे को अपने कोमल एवं रसीले होंठों से चूम कर टोपे पर जीभ घुमाने लगीं। हमने उनके लंड के टोपे पर जीभ घुमाते हुए लंड मुंह में ले लिया। हम उनके लंड को चूसने लगीं और ऊंची ऊंची आंहें भरते हुए लंड चुसाई का मजा लेने लगे।
हम उनके लंड जोर से चूसने लगीं और उनके लंड को गले की गहराई में उतार का चूसने लगीं। कुछ देर बाद मैंने और मम्मी ने लंड बदल कर चुसाई चालू कर दी। कुछ देर आराम से लंड चुसाई करवाने के बाद उन्होंने हमें सिर से पकड़ा और हमारे मुंह में झटके देने लगे।
वो जोर जोर से अपनी गांड हिला हिला कर हमारे मुंह को चोदने लगे। वो जोर से शॉट मार कर अपना लंड हमारे गले में उतार देते और कुछ देर वहां रखने के बाद बाहर खींच लेते। जैसे ही वो लंड बाहर खींच लेते हम लंबी सांस लेती और उनका लंड फिर से हमारे गले की गहराई की सैर करता। उनके लंड गले के अंदर-बाहर होने से गप्प गप्प की आवाजें आने लगीं, हमारे मुंह से हममम हममम की आवाजें और और उनके मुंह से आहहह आहहह की आवाजें निकल रही थीं। इन आवाजों से पूरा रूम कामुकता के रंग में रंग गया था।
उन्होंने हमें हमारे बूब्ज़ जोड़ कर खड़ी कर दिया। संजीव मेरे पीछे और सतीश मम्मी के पीछे आ गया। मेरी और मम्मी की गांड वैसे ही उभरी हुई हैं लेकिन हाई हील की वजह से और भी उभर आई थी। उन्होंने हमारे चूतडो़ं को हाथों से सहलाया और आईने के पास पडा़ हमारा नारियल का तेल उठा लिया। उन्होंने हमारी गांड के छेद के ऊपर और ऊंगली डालकर छेद के भीतर अच्छी तरह से तेल लगा दिया।
उन्होंने अपने लंड पर तेल लगाकर तेल का डिब्बा साईड पर रख दिया और हमें अपने चूतडो़ं की फांकें खोलने को कहा। हमनें अपने अपने चूतडो़ं की फांकें खोल दीं और उन्होंने हमारी गांड के छेद पर लंड टिका लिए। संजीव ने मेरे कंधे के ऊपर से मम्मी के होंठों को चूमते हुए मेरी गांड में जोरदार शॉट मारा। एक ही शॉट में लंड फच्च की आवाज से मेरी गांड की गहराई में समा गया। सतीश ने मम्मी के कंधे के ऊपर से मेरे होंठों को चूमते हुए मम्मी की गांड में लंड उतार दिया।
दोनों ने हमारी गांड में एकसाथ धक्का मारा और मेरे तथा मम्मी के बूब्ज़ आपस में दब गए। जैसे ही उनके लंड हमारी गांड में घुसे तो हमारी गांड के कसे हुए छेदों में लंड घिसने से उनके मुंह से भी आह निकल गई। वो दोनों हमारी गांड में लंड पेलने लगे और हम भी अपनी गांड आगे-पीछे कर के गांड चुदाई का मजा लेने लगीं। कुछ देर बाद उन्होंने अपनी जगह बदल ली, अब संजीव का लंड मम्मी की गांड और सतीश का लंड मेरी गांड में अठखेलियां कर रहा था।
सतीश ने संजीव से कहा भाई इनकी गांड का छेद तो बहुत टाईट है ऐसा लग रहा है जैसे पहली बार गांड में लंड गया हो। संजीव बोला हां भाई टाईट तो बहुत है लेकिन जिस तरह रंडियों जैसे गांड हिला हिला कर दोनों बहनें चुद रही हैं उससे तो नहीं लगता गांड में पहली बार लंड ले रही हैं। तभी मैंने कहा अगर पहली बार गांड में लंड ले रही होतीं तो न हमें मजा आता न उनको और दर्द भी होता। सतीश ने कहा मैं जानता था अब ये साली गश्ती कोई-न-कोई बात निकाल लेगी और मैं मुस्करा दी।
मम्मी बोली बात ये है कि वो अपने पति और मेरी तरफ इशारा करके बोली मेरी छोटी बहन अपने ब्वॉयफ्रेंड से ही चुदाई करती हैं। आज पहली बार किसी दूसरे मर्द का लंड लिया है। मेरे पति और अर्श का ब्वॉयफ्रेंड मुंह, गांड एवं चूत तीनों छेद चोदते हैं लेकिन चुदाई अच्छी नहीं करते और उनके लंड न ज्यादा लंबे न मोटे हैं और थोडी़ देर में ही झड़ जाते हैं। इसी वजह से हमारे छेद टाईट हैं।
वो दोनों बहुत खुश हो गए कि उनके हाथ कम चुदा हुआ माल लगा है। मम्मी आगे बोली हम दोनों बहनें किसी काम से यहां आई थीं और कुछ पैसों की जरूरत भी पड़ गई। वैसे हम घर से भी पैसे मंगवा सकती थी लेकिन हमने सोचा यहां हमें कोई नहीं जानता तो किसी से चुदाई कर के पैसों का इंतजाम किया जाए। पैसों के साथ-साथ चुदाई का सुख मिल जाएगा। जो सुख मुझे मेरा पति और इसको इसका ब्वॉयफ्रेंड नहीं दे पाता वो सुख किसी अजनबी से पा लें।
तभी सतीश बोला आज हम दोनों भाई तुम दोनों को चुदाई का सच्चा सुख देगें और ऐसी चुदाई करेंगे कि हमेशा हमें याद रखोगी। वो जोश में आकर हमारी गांड और भी जोर से चोदने लगे। मैं गांड हिला हिला कर गांड चुदा रही थी और मर्दों के भोलेपन पर हैरान थी। एक तो वो हम मां बेटी को सगी बहनें समझ रहे थे और हमें सिर्फ एक एक मर्द से चुदी हुई समझ रहे थे वो भी बहुत कम। मुझे मम्मी पर बहुत गर्व हुआ कि मम्मी बहुत चालू है और मर्दों को क्या अच्छा लगता है सब जानती है। मर्दों को रिझाने में माहिर खिलाड़ी है।
मम्मी ने खुद को और मुझे बातों-बातों में आज पहली बार किसी दूसरे मर्द ने चुदाई कर रही हैं बहुत आसानी से साबित कर दिया जबकि जितने लंड हम ले चुकी हैं उनकी गिनती खुद हमें भी नहीं और हमसे बड़ी रंडियां उन लोगों ने कभी देखी नहीं होंगीं। अगर एक मर्द का लंड लेने से बदन पर मोहर लगती होती तो मेरे और मम्मी के बदन पर हर जगह अलग अलग मर्दों के नाम की मोहर होती तथा अब हमारे बालों पर मोहर लगने लगती। वो दोनों जोश में आकर हमारी गांड को जोर जोर से चोद रहे थे और हम अपनी-अपनी गांड आगे-पीछे करके बदहवास होकर मस्ती में चीख रही थीं।
उन्होंने हमारी गांड से लंड निकाल लिए और एक साथ बैॅड पर लेटा दिया। संजीव मेरे ऊपर तथा सतीश मम्मी के ऊपर आ गया और हमारी टांगें खोल लीं। उन्होंने हमारे होंठों पर होंठ लगा दिए और हमने उनके लंड पकड़ कर अपनी-अपनी चूत के छेद पर लगा लिए। वो हाथों के बल ऊपर उठ गए और हमारी आंखों में आंखें डालकर देखते हुए बोले डार्लिंग लंड चूत में धीरे-धीरे लोगी या एक झटके में। मैं बोलना चाहती थी सालो हम चुद्दकड़ रंडियां हैं एक बार में घुसा दे लेकिन शराफ़त का नाटक करते हुए बोली जैसे आप चाहो हमें तो चुदाई का सुख पाना है फिर क्या पता मिले या न मिले।
संजीव बोला तुम्हारे वाले कैसे डालते हैं मम्मी बोली धीरे-धीरे डालते हैं। सतीश बोला फिर हम एक शॉट में डालेंगे। मैंने शरीफ बनते हुए पूछा दर्द तो नहीं होगा न। संजीव बोला दर्द नहीं बल्कि ऐसा मजा आएगा तुम याद करोगी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैंने आंखों में आंखें डालकर मुस्करा कर हां बोल दिया। उन्होंने हमारी गीली चूत पर लंड रगडे़ और एक जोरदार शॉट मारा। एक शॉट में उनके लंड चूत में समा गए और सीधे बच्चेदानी के मुंह से टकरा गए। हम दोनों के मुंह से जोरदार चीख निकल गई और मचल गईं।
वो दोनों जोर जोर से हमारी चूत में लंड आगे-पीछे करते हुए हमारी चूत का बाजा बजाने लगे और उनकी बजाई हुई धुनें हमारे मुंह से मदमस्त चीखों के रूप में बज रही थीं। वो अपनी गांड ऊपर-नीचे करके हमारी चूत चोद रहे थे और हम अपनी गांड पटक पटक कर उनका साथ दे रही थीं। उनके जोरदार झटकों से हमारे बड़े-बड़े बूब्ज़ डांस कर रहे थे। उन्होंने एक बार फिर जगह बदल ली, अब सतीश का लंड मेरी और संजीव का लंड मम्मी की चूत में खेल रहा था। पूरा कमरा फच्च फच्च की आवाजों, उन दोनों की जोशीली एवं कामुक आहों और मेरी तथा मम्मी की जोरदार मदमस्त चीखों से गूंज रहा था।
उन्होंने मुझे तथा मम्मी को बैॅड पर आमने-सामने घुटने मोड़ कर बैठा दिया। सतीश मेरे पीछे और संजीव मम्मी के पीछे खडा़ हो गया। उन्होंने हमारे सिर पकड़ कर मेरे तथा मम्मी के होंठ मिला दिए। हम दोनों एकदूसरे के होंठ चूमने लगीं और उन्होंने पीछे से हमारी गांड में लंड पेल दिया। वो बहुत जोर से हमारी गांड चोदने लगे और हम भी चूमना छोड़ कर गांड चुदाई का मजा लेने लगीं। हम गांड को गोल गोल घुमा कर लंड को गांड में हिलाने लगीं और वो हमारे मोटे-मोटे एवं गोल चूतडो़ं पर चपत लगाते हुए गांड की गहराई नाप रहे थे।
फिर उन्होंने जगह बदल कर हमारी गांड चोदी और हमनें गांड घुमा घुमा कर लंड का मजा लिया। उन्होंने लंड हमारी गांड से निकाल लिए और कमर पकड़ कर गांड ऊपर को उठा ली जिससे हमारी चूत उभर आई। अब संजीव मेरे पीछे था और सतीश मम्मी के पीछे। उन्होंने पीछे से अपना लंड हमारी चूत में घुसा दिया और हमारी चूत चोदने लगे। वो लगातार जोरदार शॉट मार कर हमारी चूत चोद रहे थे और हम अपनी गांड को तेजी से आगे-पीछे हिलाकर चुद रही थीं। उन्होंने एक बार फिर से जगह बदल ली और उसी अवस्था में हमारी चूत चोदने लगे।
अब सतीश का लंड मेरी और संजीव का लंड मम्मी की चूत का बाजा बजाने लगा। एका एक उनकी चोदने की स्पीड बड़ गई और हम भी उतनी तेजी से गांड आगे-पीछे करते हुए जोरदार चीखों से झड़ गईं। उन्होंने अपने लंड चूत से निकाल लिए और हमें घुटनों के बल नीचे बैठा लिया। वो हाथ से अपना अपना लंड हिलाने लगे। संजीव का वीर्य मेरे मुंह पर और सतीश का वीर्य मम्मी के मुंह पर गिरा।
उन्होंने हमें वीर्य को जीभ से चाटकर साफ करने को बोला। मैंने मम्मी के चेहरे से सतीश का वीर्य चाट खर साफ किया और मम्मी ने मेरे चेहरे से संजीव का वीर्य चाट लिया। हम दोनों उनका नमकीन एवं गाढ़ा वीर्य चखते हुए निगल गईं। हमनें बाथरूम में चेहरा साफ किया और बाहर आ गईं। हम चारों मिलकर और नंगे बैठ कर जग में बची हुई शराब पीने लगे।
अभी बची हुई बीयर की दो बोतल और आधी बोतल शराब जग में डाली ही थी कि सर्विस फोन बजा और सतीश ने उठाया। जितने टाईम केलिए उन्होंने रूम बुक किया था पूरा हो गया था। लेकिन उन्होंने पूरी रात केलिए रूम तथा हमें बुक कर लिया और बीयर तथा शराब मंगवा ली। उसके बाद रात में दो बार और चुदाई का रंगारंग प्रोग्राम चला। उन्होंने हमें बारी बारी से चोदा, पहले सतीश ने मम्मी को तथा संजीव ने मुझे और अपना वीर्य हमारी गांड में निकाल दिया।
मुझे अपना फीडबैक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ जरुर करें। ताकि कहानियों का ये दोर देसी कहानी पर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
दूसरी बार संजीव ने मम्मी को तथा सतीश ने मुझे चोदा और अपना वीर्य हमारे मुंह में छोड़ा। जाते टाईम उन्होंने हमें अपना कार्ड दिया। वो पानीपत की एक नामी कंपनी के मालिक थे और काम के सिलसिले में महीने में एक बार दिल्ली आते थे। हमें कहा जब कभी पानीपत आना हो तो फोन कर देना हम पिकअप कर लेंगें। उन्होंने यह भी कहा आज तक जितनी लड़कियों से उन्होंने चुदाई की है हम सबसे सेक्सी हैं और आज उनको चुदाई का सबसे अधिक सुख मिला।
सुबह आंटी रूम में आई और बहुत खुश थी। उसने 15000-15000 रुपए हमारे हाथ में दिए और बोली ये जो पैस तुम लोगों से किए थे। फिर 5000-5000 और दिए और बोली तुम से खुश होकर वो लोग टिप देकर गए हैं। मम्मी ने 5000 रख लिए और 5000 आंटी को देते हुए बोली ये आप रखो हमारी तरफ से गिफ्ट।
अगली कहानी तक सब को चुद्दकड़ अर्श का प्यार भरा सलाम। और मेरा ईमेल पता है “[email protected]”.

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