माँ मेरे पास आयी और बड़ी जोर से मुझपर चिल्लाई
माँ – कामिनी मेरी गैर मौजूदगी में ये सब करती है तो जब अपने दोस्तों के पास जाती है तो क्या क्या करती है। तुझे जरा शर्म है की नहीं। मुझसे झूठ बोलकर ये हरकत कर रही है तू।
उन्होंने शान की ओर देखा और कहा – और तू। कौन ये हे तू ? क्या नाम है तेरा ? और मेरी बेटी के साथ ये सब करनेकी हिम्मत कैसी हुई।
वो जोर जोर से शान पर चिल्लाने लगी।
शान बहोत डर गया था। एक तो नया शहर। मेरे अलावा किसी को जनता भी नहीं था। सच कहूं तो उसकी चेहरे को देख लग रहा था की उसकी गांड ही फट गयी थी। उसकी मुँह से एक शब्द नहीं निकल रहा था।
माँ फिर से मेरी देखकर कहने लगी – इसे तो मैं बादमे देख लुंगी। लेकिन तुझे अभी सबक सिखाती हु। अभी तेरे पापा को फ़ोन करके उन्हें तेरे कर्म बताती हूँ।
वो पापा को सचमे फ़ोन लगाने लगी। मैं काफी डर गयी थी। क्यों की अगर पापा को कुछ भी पता चलता तो वो मेरा घर बहार निकलना बंद कर देते। मैं झट से माँ के पैरो पर गिड़गिड़ाने लगी। मैंने उनसे कहा की पापा से कुछ मत कहना वो जैसा कहेंगी मैं वैसा करुँगी। उन्होंने मुझे उठाने को कहा। मैं उठी और उनके ओर देखने लगी।
माँ – तुम दोनों यही रुको। अपनी जगह से जरा भी हिलना मत।
इतना कह कर वो थोड़ी दूर जाने लगी। जाते समय वो कुछ अलग ही ढंग से चलने लगी थी। काफी गांड मटका मटका कर चल रही थी। थोड़ी दूर जाकर वो किसी से फ़ोन पर बातें करने लगी।
मैंने शान की ओर देखा। वो मेरी माँ को बड़ी प्यार से घूर रहा था। यहाँ हम दोनों की गांड फटी पड़ी है और ये मेरी माँ को घूर रहा है। मैंने उसे कोनी मारी और कहा – क्या कर रहे हो ? ऐसे क्या देख रहे हो।
शान – यार तेरी माँ तो कमल की है। कसम से ऐसा जिस्म आजतक नहीं देखा मैंने।
और वो लंड को अपने पैंट के ऊपर से एडजस्ट करने लगा। और तभी माँ हमारी ओर मुड़ी और शान को ऐसा करते देख लिया। उन्होंने फ़ोन रखा और वो हमारे ओर आयी। और शान पर चिल्लाने लगी।
इतना सब कुछ हुआ और फिर भी तुम अपने हरकतों से बाज नहीं आरहे हो है ना। वो शान की लंड की ओर देख रही थी। पता नहीं मुझे क्या हुआ। मैंने जल्दी से शान की पैंट खोलकर उसके लंड को आज़ाद किया। उसका लंड पूरी तरह से तन गया था।
मैंने उसके लंड को पकडा और माँ से कहा – माँ इसके बारेमे आपका क्या ख़याल है।
माँ – ये क्या कह रही हो। वो चिल्लाकर कहने लगी।
मैं माँ के पीछे गयी। उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनके चूत पर हाथ फेरने लगी। साड़ी के ऊपर से ही माँ की चूत की गर्मी महसूस हो रही थी। मैंने झट से शान को इशारे से बुलाया। शान अपना तना हुआ लंड लेकर माँ के नज़दीक आया। और अपने होठों को माँ के होठों पर रख कर उन्हें चूसने लगा। किस करने लगा। शान का लंड माँ की चूत को स्पर्श कर रहा था। माँ अब मदहोश हो रही थी। ५ मिनट तक मैं और शान माँ को गर्म करते रहे। फिर उन्होंने झट से अपने आप को हम दोनों के कैद से आज़ाद कर दिया।
मैं – माँ सच कहो कैसा लगा ये लंड।
माँ लंड के ओर देख रही थी। उन्होंने कहा – लंड तो अच्छा है। काफी मोटा है। आजतक इतना मोटा लंड कभी नहीं देखा। तुम दोनों ने मुझे काफी गर्म कर दिया है।
मैं – तो अपनी इस गर्मी को शांत भी कर लो। चलो साथ में मजा करते है।
माँ – साली तू कुछ नहीं करेगी। तू चुप चाप यहाँ बैठ। इस लंड का मजा तो सिर्फ मैं लुंगी। अगर ज्यादा कुछ बोली ना तो सीधा पापा से तेरी शिकायत कर दूंगी।
इतना कहकर माँ शान के लंड को पकड़ कर उसे अपने कमरे में ले गयी और कमरा बंद कर दिया। पापा के डर से मैं कुछ नहीं बोली।
मेरी चूत में काफी खुजली हो रही थी। मुझे लंड की सख्त जरुरत थी। लेकिन इस रंडी ने मुझसे मेरा लंड छीन लिया था। मैं इतनी तड़प रही थी की मेरी मुँह से मेरी माँ के लिए रंडी जैसे शब्द निकल रहे थे। मैं उनके कमरे की दरवाजे के पास गयी और कान लगाकर अंदर की आवाज़ें सुनने लगी।
अंदर से सिसकारियां और कामुक आवाज़ें आने लगी। जिससे मैं और गर्म होने लगी। मैं अपनी उँगलियों से अपने चूत को शांत करने की कोशिश करने लगी। लेकिन लंड काम तो लंड ही करता है।
तकरीबन २० मिनट बाद दरवाजा खुला। शान बहार आया। मैं वही दरवाजे के बहार जमीन पर ही बैठ थी। शान ने मुझे उठाया। मुझे शान पर काफी गुस्सा आरहा था। मुझे प्यासा छोड़ वो खुद अपनी प्यास बुझा रहा था।
शान में मुझे इशारे से चुप रहने को कहा और मुझे घर के दूसरे कोनो में ले गया।
मैं – तुम मुझसे बात मत करो। मुझे प्यासा छोड़ तुम मेरी माँ की ही लेने लग गए।
शान – मोनाली ऐसा न कहो। क्या हमारे पास कोई विकल्प था। उन्होंने पापा को बताने की धमकी दी तो हम और क्या करते।
शान की बात तो सही थी। लेकिन वो भी तो गलत ही कर रही है ना। मुझे कुछ ऐसा चाहिए जिससे मैं उन्हें ब्लैकमैल कर सकू और उन्हें अपनी मुट्ठी में कर सकू। तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया।
मैंने शान से कहा की फिरसे अंदर जाते समय दरवाजा बंद मत करना। मेरे इतना कहने पर ही उसे आगे क्या प्लान समझ में आया। उसने मेरी चूत पर हाथ फेरा और कहा इसे तैयार रखना थोड़ी देर बाद इसकी बारी है। मेरी मुँह आह्हः की आवाज़ निकली।
तभी माँ ने शान को आवाज़ दी। शान ने मुझे आंख मारी और वो अंदर चला गया। मेरे कहे मुताबिक शान ने दरवाजे को खुला रखा। मैंने अपने मोबाइल से माँ की हरकतों की सारी रिकॉर्डिंग करने लगी।
मैंने रिकॉर्डिंग करते समय इस बात का ध्यान रखा की शान का चेहरा थिकसे न दिखे। ज्यादा फोकस मैंने माँ पर ही रखा। जब मुझे लगा की मैंने अच्छा खासा रिकॉर्डिंग कर लिया है तो मैं सीधा उनके कमरे में घुसी। मुझे देख माँ मुझ पर फिरसे चिल्लाने लगी।
माँ – साली तू यहाँ क्या कर रही है। तुझसे कहा था ना की मैं तुझे कुछ करने नहीं दूंगी। चल जा अब यहाँ से बहार।
उन्होंने शान की ओर देखा – और तुझे मैंने दरवाजा ठिकसे बंद करने को कहा था ना।
मैं और शान एक दूसरे की ओर देखने लगे और जोर जोर से हसने लगे। माँ को कुछ समझ नहीं आरहा था। मैंने अपने मोबाइल पर वीडियो चालू किया। वो वीडियो देख माँ के होश उड़ गए।
मैं – अब पापा से मेरी शिकायत करके दिखा। मुझे प्यासा रख खुद अपनी प्यास बुझा रही है रंडी साली।
अब माँ की गिड़गिड़ाने की बारी थी। माँ रो रो कर मुझसे माफ़ी मांगने लगी। और वीडियो डिलीट करने कहने लगी।
मैं और शान बस जोर जोर से हंस रहे थे। मैंने और शान ने जल्दी से माँ के हाथों को पलंग से बाँध दिया। अब माँ मेरे सामने बिलकुल नंगी थी।
मैंने माँ की जिस्म को बड़ी ध्यान से देखा। माँ सचमे क़यामत थी। किसी भी उम्र के आदमी का लंड खड़ा हो जाये ऐसा जिस्म था उनका। उनके बड़े बड़े दूध जैसे स्तन चिकनी चूत। आह्हः कमाल की माल थी मेरी माँ। उनका जिस्म देख मुझे थोड़ी ईर्ष्या हो रही थी।
मैंने अपने सरे कपडे उतरे और उनके ऊपर चढ़ गयी। मैं उनके बड़े बड़े स्तनों को आने मुँह में लेकर चूसने लगी। उन्हें मसलने लगी। बिच बिच में मैं उनके चूची को काटने लगी।
जब भी मैं उनकी चूची को कांट लेती उनकी मुझ से जोर से आह्हः निकलती। शान पलंग के कोने में बैठ कर इन सब का मजा ले रहा था। मैं उनकी जिस्म को चूमते चूमते निचे आने लगी और उनकी चूत पर आकर रुक गयी। मैंने बढ़ी प्यार से उनकी चूत को देखने लगी। फिर मैंने अचानक से उनके चूत पर हमला बोल दिया।
मैं बेरहमी से उनकी चूत चूसने लगी। बिच बिच उन्हें कांटने लगी। माँ की चूत सचमे काफी स्वादिष्ट थी। शान मेरे पीछे आया और मेरी कमर को थोड़ा ऊपर किया मेरी चूत को चाटकर थोड़ा गिला किया। मैं माँ की चूत चाटने में व्यस्त थी।
तभी शान ने अपने लंड को मेरी चूत की प्रवेश द्वार पर रखा और एक जोरदार झटका मारा और अपना आधा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। इस जोरदार झटके से मेरी तो जैसे आंखे ही निकल आयी हो। अब माँ मेरी ये हालत हंसने लगी थी।
मैं कुछ बोल पाती तभी शान ने एक और झटका मारा अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया। और उसे प्यार से आराम से अंदर बहार करने लगा। कुछ देर तक मुझे थोड़ा दर्द होने लगा। थोड़ी देर बाद मैं खुद कमर आगे पीछे करके लंड को अंदर तक लेने लगी। शान समझ गया की अब मेरा दर्द काम हो गया है।
फिर उसने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी। उसका मोटा लंड अच्छा खासा मेरी चूत का बैंड बाजा रहा था। मैंने माँ की ओर देखा। वो बिचारि मायूस पड़ी थी। वो तड़प रही थी लंड के लिए। लेकिन मुझे काफी मजा आरहा था। १० मिनट तक मैं शान ने मुझे उसी आसान में छोड़ा। फिर उसने अपना लंड बहार निकाला।
मैंने उससे पूछा – क्या हुआ ? लंड क्यों बहार निकला ?
मैं – यार तेरी माँ की तड़प मुझसे अब और देखि नहीं जाती। अब जो हो गया सो हो गया। क्यों ना अब साथ में मजे लिए जाये।
मैंने माँ की ओर देखा। मेरा गुस्सा अब चला गया था। मैंने कहा – ठीक है साथमें मजे करते है।
मेरे इतना कहती ही माँ के चेहरे पर खुंशी आयी। मैंने आगे कहा – लेकिन तुम माँ को इसी अवस्था में छोड़ोगे।
शान ने हां कहा। उसने माँ के पैरों को अपने कन्धों पर रखा। मैने उसके लंड को चूत के द्वार पर रखा और रुकने को कहा। मैं शान के पीछे गयी और उसे पीछे से पकड़ लिया।
फिर मैंने शान को जोर से धकेला और शान ने भी जोर से धक्का मारा और अपना पूरा लंड माँ की चूत में घुसेड़ दिया। शान ने इतना जोरदार धक्का मारा था की अब माँ की आंखे बहार निकलने को थी। मैं शान की चूतड़ पर मारने लगी। इससे शान और भी ज्यादा उत्तेजित हुआ और जोर जोर से माँ की चुदाई करने लगा।
फिर शान ने माँ के हाथों को खोलने को कहा। मैंने वैसा ही किया। मैंने उनके हाथों को खोल दिया। शान पलंग पर लेट गया और माँ को लंड पर बैठने को कहा।
माँ लंड पर बैठ ही रही थी की सहन ने निचे से अपनी गांड उठाई और लंड को माँ की चूत पे पेल दिया और धक्के मारने लगा।
मैं भी अपनी चूत को शान के मुँह पर रख दिया। शान उसे अपनी जीभ से चोदने लगा। अहह सचमे क्या मजा आरहा था। माँ बेटी एक साथ एक हि बिस्तर पर चुद रही थी।
फिर मैंने और माँ ने अपनी जगह बदल दी। अब मैं शान के लंड पर उछल कूद करने लगी थी और माँ अपनी चूत को शान के मुँह पर रख चुसवा रही थी।
इसी तरह शान ने हमें अलग अलग आसन में सारा दिन अच्छे से चोदा। मैं काफी खुश थी। और माँ भी काफी खुश थी।
इतना ही नहीं माँ ने शान को घरमे ही ठहरने को कहा। ताकि हम और भी मजा ले सके। शान को भी सुझाव अच्छा लगा। वो जल्दी से तैयार होकर होटल गया और अपन सामान लेकर आया।
उस दिन पूरी रत शान ने हम माँ बेटी को अच्छे से रगड़ रगड़ कर चोदा। अगले दिन उसने हम दोनों की गांड भी मरी लेकिन वो कहानी मैं फिर कभी लिखूंगी। आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।
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