दोस्तों मेरा नाम मोनाली है। लेकिन सभी लोग मुझे प्यार से मोना कहते है। तो आप मुझे प्यार से मोना डार्लिंग कह सकते हो।
दोस्तों देसी कहानी पर मैंने काफी सारी कहानियाँ पढ़ी है तो सोचा क्युँ ना मैं भी अपनी ज़िन्दगी का एक बेहतरीन लम्हा कहानी के जरिये आप तक पहुँचाऊ। तो बिना वक़्त जाया किये मैं कहानी शुरू करती हूँ।
दोस्तों मेरी उम्र २१ साल है। दिखने में काफी सेक्सी हूँ।
मैं इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष में पढ़ रही हूँ। ये बात तब की है जब मेरी इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष की परीक्षा ख़त्म हुई थी। दोस्तों तब तक मैं इंटरनेट की दुनिया से वाकिब नहीं थी।
लेकिन परीक्षा ख़त्म होने के बाद मेरी एक दोस्त ने मुझे फेसबुक सोशल नेटवर्किंग साइट से रूबरू करवाया। पहले तो मुझे वो काफी बोरिंग लगता था लेकिन धीरे धीरे मेरी नए नए लोगों से दोस्ती होने लगी और मुझे काफी मजा आने लगा। अब मैंने दिन का ज्यादातर समय फेसबुक पर बिताने लगी।
और इसीके चलते फेसबुक पर मेरी मुलाक़ात शान से हुई। वो मुझे काफी आकर्षक लगता था। शान की उम्र २४ वर्ष थी। वो दिखने में साधारण सा ही था। ५ फ़ीट ६ इंच का कद, औसत बॉडी।
ब आप सोच रहे होने इतने साधारण से लड़के से मैं क्यों आकर्षित हुई तो मैं बताना चाहूंगी की वो दिखने में भलेही साधारण सा था लेकिन वो था काफी दिलकश। वो काफी अच्छी बातें करता था। कुछ अलग ही अंदाज़ था उसकी बातों में। और यही वजह है की मैं उसकी तरफ आकर्षित हुई।
हम हर रोज कमसे काम एक घंटा तो बात करते ही थे। हम एक दूसरे से इतने खुल चुके थे की अब हमारी ज्यादा तर बातें सेक्स को लेकर होनी लगी थी। और मैं तो जब भी सेक्स के बारेमे सोचती या सुनती मेरी चूत तो गीली हो जाती।
शान अपनी बातों से मुझे काफी उत्तेजित करता था। इतना उत्तेजित करता था की मैं बिना अपनी चूत में उंगली किये सो नहीं पाती थी। एक दिन हम बात कर रहे थे तो मैंने उससे पूछा – शान एक बात बताओ तुम्हे सबसे ज्यादा किस्मे दिलचस्पी है ? लड़की में या औरत में ?
तो उसका झट से जवाब आया औरत में।
मैं – औरत में ऐसा क्या होता है जो लड़की में नहीं ? तुम लड़के औरत में इतनी रूचि क्यों रखते हो ?
शान – यार ऐसी बात नहीं है। मुझे लड़कियों में भी दिलचस्पी है, लेकिन एक औरत जो मज़ा देती है वो ज्यादातर लड़कियां नहीं दे पति।
पता नहीं उस वक़्त मेरे मन में क्या आया। मैंने उससे कहा – ऐसा जरुरी नहीं है। एक जवान लड़की भी किसी तजुर्बेदार औरत से ज्यादा मजा दे सकती है।
शान – अच्छा, तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे तुम खुद किसी और से ज्यादा मजा दे सकती हो।
मैं – हां। चाहो तो आजमा सकते हो।
अब मैं सोच में पद गयी की ये क्या जवाब देगा। अगले २ मिनट तक उसका कोई जवाब नहीं आया। मैं उसको फिरसे मैसेज करने ही वाली थी की उसने एक तस्वीर भेजी।
वो तस्वीर उसके लंड की थी। मैं तो उसे देखती ही रह गयी। लंड ज्यादा बड़ा नहीं था। ५.५ इंच का था। मैंने आजतक इससे भी बड़े लंड लिए थे लेकिन वो सब मोटाई में काम थे। शान के लंड की लम्बाई भलेही काम थी लेकिन मोटाई काफी ज्यादा थी।
१ मिनट तक बिना पलके झपकाए मैं उसे देख रही थी। तभी मैंने देखा की उसने एक मैसेज भी भेजा था उसने लिखा था – क्या इसे ले पाओगी ? इसको खुश कर पाओगी ?
मैंने कुछ अलग अंदाज़ में उसे जवाब दिया। मैंने अपने चूत की तस्वीर भेजी और लिखा – इसे ये आराम से खा जाएगी।
शान का जवाब आया – अच्छा। अब तो लगता है आजमाना पड़ेगा। क्या तुम सचमे मेरे साथ सेक्स करना चाहोगी ?
मैं समझ नहीं पा रही थी की क्या जवाब दूँ। शान काफी अच्छा था। मैंने कहा – करना तो चाहूंगी लेकिन कैसे ? हम दोनों तो काफी दूर रहते है।
दोस्तों मैं माफ़ी चाहती हूँ मैं आपको हमारे शहर का नाम तो बताना भूल ही गयी। मैं इंदौर से हूँ ( प्राइवेसी के लिए मैंने अपने शहर का नाम अलग बताया है। आशा करती हूँ मेरे ऐसे करने की वजह को आप समझ जाओगे )। और शान कोल्हापुर में रहता है जो की महाराष्ट्र राज्य में है। ये शान का असली पता है।
शान – उसकी चिंता मत करो। मैं काफी दिनों से इंदौर घूमने आने की सोच रहा था। अब तो वह आने की एक वजह भी मिल गयी।
मैं तो काफी खुश हो गयी। ऐसा नहीं की मैं शान के साथ सेक्स के लिए उतावली हो रही थी ( वैसे मैं थोड़ी उत्साहित तो थी ) लेकिन मैं उससे मिलाने को ज्यादा बेताब थी। फिर उसने मुझसे कहा की वो अगले महीने के ७ तारीख को इंदौर आएगा। उसने सारी बुकिंग्स भी कर ली।
फिर क्या। अगले दिन से तो हम और भी खुल कर बातें करने लगे। लेकिन हमने दोबारा एक दूसरे को कोई भी तस्वीर नहीं भेजी। मैं तो बड़ी बेसब्री से ७ तारीख का इंतज़ार करने लगी थी। और आखिर कर इंतज़ार ख़त्म हो गया।
७ तारीख की सुबह उठते ही मैंने पहले अपना फ़ोन देखा। उसका मैसेज आया हुआ था की वो ९ बजे तक इंदौर पहुँच जायेगा। उसने अपने होटल का पता बताया।
होटल पहुँचने का बाद वो फ्रेश होकर थोड़ा आराम करना चाहता था इसलिए उसने सीधा मुझे दोपहर १ बजे मिलने की इच्छा जताई । उसने आगे लिखा की वो दोपहर का खाना मेरे साथ मेरी पसंदीदा रेस्टोरेंट में करेगा। मैं काफी खुश थी। मैं उसे मिलाने को अब और भी बेताब थी।
मैंने १२ बजे घर निकलने का सोचा। फ्रेश होते ही मैंने माँ से कहा की वो मेरे लिए दोपहर का खाना ना बनाये मैं अपने सहेली के घर जाने वाली हूँ उसी के घर खा लुंगी।
और आपको तो पता होगा की ऐसे परीतस्थिति में वक़्त जल्दी से कटता नहीं। मेरे साथ भी वैसा ही हुआ। वक़्त काफी धीरे धीरे कट रहा था। लेकिन आखिर कार १२ बज गए। मैं ज्यादा सज धज कर तैयार नहीं हुई थी। मैंने एक सिंपल सलवार कमीज पहनी ताकि माँ को शक न हो।
मैंने माँ से कहा की मैं अपने सहेली के घर जा रही हूँ और अभी अभी रात में भी खाना खाने का प्लान बना है तो मैं रात का खाना खा कर ही आउंगी। मैं तो मन ही मन कह रही थी खाना तो खाउंगी ही लेकिन साथ में अपनी चूत को शान का लंड भी खिलाऊंगी। और इसी सोच में मेरा हाथ मेरी चूत पर आगया।
तभी माँ ने कहा – अरे बेटी तुम्हारे पिताजी तो आज घर देरी से आने वाले है तो तुम्हे आने में देर भी हो जाये तो कोई आपत्ति नहीं है। खाना खाने घर ही अजाना। मैं – नहीं माँ अभी दोस्तों के साथ बहार खाने का प्लान बना है। आज रत का खाना मैं उनके साथ ही खाउंगी। प्लीज…..
मेरे काफी मानाने के बाद माँ मान गयी। इन सब बातों १० मिनट चले गए थे। अब मुझे जल्दी जाना था। मैंने जल्दी से ऑटो ली और उसके बताये हुए होटल के बहार रुक गयी।
मैंने ऑटो वाले को रुकने को कहा और शान को फ़ोन किया और कहा की मैं होटल के निचे तुम्हारा वेट कर रही हूँ। मैं होटल की गेट की तरफ देख उसके आने का इंतज़ार कर रही थी।
कुछ ५ मं बाद शान गेट से बहार आया। उसने मुझे सामने खड़ी पाया और वो मेरी तरह आने लगा। जैसे जैसे वो मेरे पास आरहा वैसे वैसे मेरी दिल की धड़कने तेज़ हो रही थी। वो मेरे पास आया और उसने मुझे बड़ी प्यार से हाय कहा।
जैसा की मैंने पहली भी कहा था की शान दिखने में ज्यादा हैंडसम नहीं था। साधारण सा दिखने वाला था। लेकिन उसकी आंखे किसी को भी आकर्षित कर करने वाली थी। चेहरे पे एक दिलकश मुस्कान थी।
मैंने भी उसे हाय कहा।क्यूंकि हम वही खड़े रह कर बातें नहीं कर सकते थे मैं उसे सीधा ऑटो में उसे बिठाया और अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट में उसे ले गयी। वह हमने अच्छे से खाना खाया और ढेर सारी बातें भी की।
बिल पे करने के बाद जब हम बहार आये तो उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा – तो क्या तुम अब अपनी बात को साबित करना चाहोगी ?
मैंने उसकी तरफ देखा और अपनी कोनि मरते हुए उससे कहा – अच्छा इतनी जल्दी है तुम्हे। अभी तो खाना खाया कुछ देर रुक तो लो। मैं भागे थोड़ी जा रही हूँ।
मेरी इस बात पर वो भी मुस्कुराया और सहमति दिखाई। फिर हमने ऑटो लिया और उसके होटल गए। वो मुझे अपने कमरे में ले गया।
शान – अगर तुम फ्रेश होना चाहती हो तो हो सकती हो।
नहीं मैं फ्रेश ही महसूस कर रही हो। इतना कह कर मैं बेड पे लेट गयी।
शान ने अपनी कमीज के दो बटन खोलते हुए धीरे धीरे मेरे ऊपर आने लगा। मेरे ऊपर आने के बाद उसने मेरा आँचल को हटाया और बड़ी प्यार से मेरे माथे को चूमा।
फिर धीरे धीरे निचे एते हुए उसने मेरे ऊपरी होठ को अपने दोनों होठों की बिच दबाया और मेरे होठों को चूमने लगा। या यूँ कहु तो मेरे होठ चूसने लगा।
वो बड़ी प्यार से मेरे होठ चूस रहा था। सच कहु तो ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं आया था। शान पूरी तरह से मेरे ऊपर लेट चूका था। जिसकी वजह मैं उसके खड़े लंड को महसूस कर पा रही थी।
बिना रुके ५ मिनट तक उसने मुझे चूमा। मेरे होठों को चूसा। फिर वो खड़ा हुआ और अपने कपडे उतारने लगा। मैंने उसे रोका। उसे कुछ समझ नहीं आया।
वो संदिग्ध नज़रों से मुझे देखा और कहा – क्या हुआ ? क्या तुम ये सब करना नहीं चाहती ? मेरी जान मैं तुम्हे जबरदस्ती नहीं करूँगा। अगर तुम्हे ये सब ठीक नहीं लग रहा है तो कोई बात नहीं मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करूँगा। मैं….
मैंने उसे बिच में ही रोका और कहा – शान ऐसी कोई बात नहीं है। मैं बस ये सब होटल में नहीं करना चाहती। मैं यहाँ असुविधाजनक महसूस कर रही हूँ। तुम जानते हो होटल में…..
मेरे इतना कहते ही वो समझ गया की मेरे कहने का क्या मतलब है। मुझे होटल में सेक्स करना उचित नहीं लगता।
शान अपने दोनों हाथों को मेरे कंधो पर रखा और पूछा – तो मेरी जान अब हम क्या करे।
मैं उसके पैंट के ऊपर से ही लंड पर हाथ फेरा और उसे जोर से दबाते हुए कहा – चिंता न करो। मैंने सारा इंतजाम कर दिया है। मेरे सहेली के घर चलते है। उसके घर में अभी उसके अलावा कोई नहीं है।
अरे लेकिन वो तो है न – शान ने कहा।
अरे तुम चिंता मत करो उसके होने से हमे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।
अरे लेकिन….. वो आगे कुछ कहे उससे पहले मैंने फिरसे उसके लंड को दबाया और कहा – अरे क्यों चिंता कर रहे हो। अगर चाहो तो उसकी चूत भी दिलवा दूंगी। एक चूत पर दूसरी चूत मुफ्त।
शान – अरे नहीं मेरे लिए तो तेरी यही काफी है।
उसने मेरी चूत पे हाथ फेरते हुए खा।
मैं – तो अब बिना वक़्त जाया किये चलो जल्दी से। फिर हम होटल से बहार निकले। हमने ऑटो लिया और सीधा अपनी सहेली घर जाने लगे।
तभी मेरी फ़ोन की घंटी बजी। मैंने देखा तो माँ का फ़ोन था। मैंने शान को चुप रहने का इशारा किया और फ़ोन ले लिया।
मैं – हाँ माँ क्या बात है ?
माँ – बेटा तेरे पिताजी को बिज़नेस के सिलसिले में बहार जाना पड़ा। वो अभी घर आए थे। उन्होंने खाना खाया और वो सामान लेकर निकल गए। अब तू भी रात को घर खाना खा कर ही आनेवाली है तो मैंने सोचा मैं भी अपने सहेलियों के साथ बहार खाने का प्लान बना लेती हूँ।
मैं – तो आप कितने बजे जा रही हो ?
माँ – मैं तो अभी निकल रही हूँ। मैंने ये पूछने के लिए फ़ोन किया की क्या तेरे पास घर की चाबी है ?
मैं बहोत खुश हुई।
हाँ माँ मेरे पास घर की एक्स्ट्रा चाबी है। तुम चिंता मत करो तुम जाओ आराम से।
और मैंने फ़ोन रख दिया। मैंने ऑटो वाले भैया को अपने घर का पता बताया और घर की ओर चलने को कहा। शान ने पूछ की क्या हुआ तो मैंने उसे इशारे से ही चुप रहने को कहा।
फिर १० मिनट बाद हम घर पहुंचे। मैंने देखा तो घर बंद था। शान ने ऑटो वाले को पैसे दिए और वो मेर पास आया। वो कुछ कहने से पहले ही मैंने उससे कहा – यार माँ अभी अभी अपनी सहेली के घर गयी है। वो अब रत को आराम से आएगी। अब तो हमारे पास बहोत टाइम है।
मैंने घर का दरवाजा खोला और झट से शान को अंदर खिंच लिया। मैं तो पूरी तरह से पागल हो चुकी थी। अंदर एते ही मैंने उससे लिपट गयी और उसे चूमने लगी। मैंने दरवाजा जोर से धकेल दिया।
हम किस करते हुए सोफे तक आये। हम दोनों में बुरी तरस से वासना जगी हुई थी। मैं सोफे पे बैठी और शान की पैंट और अंडरवियर जल्दी से उतार दी।
आअह्ह्ह्ह जिस लंड को फोटो में देख इतने दिनों से मेरी चूत गीली हो रही वो लंड आज मेरे सामने था। सचमे लंड काफी मोटा था। मैंने उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ा। उसके टोपे पर जैसे ही मैंने अपनी जीभ फेरी शान की मुँह से आह्ह की आवाज़ आयी।
मैंने धीरे धीरे लंड को पूरा मुँह में लेने लगी। मैं अब काफी मस्त हो चुकी थी। मैंने लंड बड़ी प्यार से चूसने लगी। चूसते चूसते मैंने अपनी आंखे ऊपर की और शान के ओर देखा तो वो अपनी आंखे बंद कर मजा ले रहा था।
मैं उसके लंड को और जोर जोर से चूसने लगी। साथ ही साथ मैं उसके अंडकोष के साथ खेलने लगी। लगभग १० मिनट तक मैंने उसके लंड को बड़ी प्यार से चूसा।
फिर उसने मुझे उठाया और और मेरी सलवार को जल्दी जल्दी से उतरने लगा। उसने मेरी पैंटी भी उतर दी और मुझे सोफे पे लिटाया।
वो मेरी चूत की ओर देखते हुए कहने लगा – आह क्या मस्त चूत है यार तेरी। आज तो इसका बुरा हाल करूँगा। इतना कहते है वो मेरी चूत पर जैसे टूट पड़ा। वो बड़ी प्यार से मेरी चूत को चाटने लगा। वो अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक ले जाता।
मेरी चूत पहेली ही काफी गीली हो चुकी थी मैंने उससे कहा – यार मेरी चूत काफी गीली हो चुकी है वो लंड के लिए तरस रही रही प्लीज बादमे चाट लेना पहले अपना लंड मेरी चूत में डाल दो और फाड तो मेरी चूत को। उसने बड़ी प्यार से मेरी और देखा।
फिर वो खड़ा हुआ और उसने अपने सरे कपडे उतार दिए। ओह पैंट तो पहले से ही उतरी हुई थी। उसने अपनी शर्ट उतार दी। उसने अपने लंड के टोपे को मेरी चूत के छोटे से द्वार पर रखा और वो अपने लंड को चूत के अंदर डालने ही वाला था की तभी…
साली रंडी। ये क्या कर रही है।
मैं और शान घबराये। मैंने देखता तो दरवाजे पर माँ खड़ी थी। मैं और शान जल्दी से अपनी कपडे पहनने लगे। माँ बड़ी गुस्से में हम दोनों की ओर आने लगी। सेक्स की आग में मैं मैंने देखा ही नहीं की दरवाजा ठीकसे बंद हुआ था या नहीं।
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