Ishika Meri Chudakkad Padosan


हेल्लो दोस्तों आपका दीप पंजाबी काफी दिनों बाद आपकी सेवा में एक नई कहानी लेकर हाज़िर है। पहले तो माफ़ी चाहता हूँ के आपको इतने दिन कहानी का इंतज़ार करना पडा। आप तो जानते ही हो घर के काम काज ही ऐसे होते है के मौज़ मस्ती के लिए बहुत कम समय निकलता है।
पिछले हफ्ते मैं रिश्तेदारी में एक शादी पे गया हुआ था। वहां मेरा कालज टाइम का दोस्त अक्षय भी आया हुआ था। ये कहानी मुझे उसने ही सुनाई और साईट पे छापने की विनती की।
सो आगे की कहानी उसी की ही ज़ुबानी..
हलो दोस्तों मेरा नाम अक्षय है ओर मैं पंजाब का ही रहने वाला हूँ।
मेरी उम्र 30 साल है और मेरी शादी हो चुकी है। मैं एक सरकारी जॉब करता हूँ। ये कहानी मेरी पत्नी मीनाक्षी की सहेली इशिका की है।
उसकी उम्र 27 साल, रंग गोरा, पंजाबी सूट में क्या क्यामत लगती है।
सो ज्यादा वक्त जाया न करते हुए सीधा कहानी पे आते है।
बात पिछले साल की है जब मेरा परिवार पंजाब से दिल्ली में काम की वजह से शिफ्ट हुआ था। मेरा रोज़ाना घर आना जाना बड़ा मुश्किल का काम था। सो दिल्ली में ही किराये के मकान में रहने लगे। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
कई दिनों बाद हमारे पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया था। वो भी पंजाब से गया था पर उनका शहर कोई और था। परिवार में राजीव, इशिका और उनका 5 साल का बेटा गौरव था। राजीव एक कार बनाने वाली कम्पनी में काम करता था। अजनबी शहर में कोई अपने इलाके का मिल जाये तो सोचो केसा लगता है? बस वही हाल हमारा था।
कुछ ही दिनों में इस नए परिवार से अच्छी जान पहचान हो गयी और एक दूसरे के घर अक्सर ही आ जाया करते थे। मीनाक्षी और इशिका की भी गहरी दोस्ती हो गयी। वो दोनो आम बातो से लेकर बैडरूम तक की बाते आपस में शेयर कर लेती थीं।
वो घण्टो तक एक दूसरे के घर बैठकर बाते करती रहती। मेने कभी ध्यान नही दिया के क्या बाते करती है, परन्तु एक दिन रात को चुदाई के वक़्त मीनाक्षी ने बताया इशिका की सेक्स लाइफ अच्छी नही है। मेने उस दिन कोई ध्यान नही दिया और सेक्स करके सो गया।
एक हफ्ते बाद एक दिन राजीव के बेटे गौरव के जन्मदिन की छोटी सी पार्टी रखी गयी। जिसमें हम दो परिवारो के इलावा और कुछ ही लोग शामिल थे। मैं और मीनाक्षी पूरा दिन इशिका के घर ही रहे।
मीनाक्षी को अँधेरा होने से पहले घर भेज दिया और खुद वहां अकेला रुक गया। देर रात तक पार्टी चलती रही। मैं शुरू से ही ड्रिंक नही करता था, परन्तु उस दिन राजीव के ज्यादा ज़ोर डालने पे थोड़ी सी दारू पी ली थी।
मेरा ये पहला तज़ुर्बा था, कड़वी कड़वी दारू आँखे बन्द करके पी गया। दो पेग में ही मेरा दिमाग चकराने लगा ओर घबराहट सी महसूस होने लगी और एक बार उलटी भी आ गयी। सारे कपड़े खराब हो गए।
राजीव ने मुझे अपने कपड़े पहनने के लिए दिए। मेने राजीव को बोला, ”यार मुझे घर तक छोड़ दो, मुझे चक्र आ रहा है। वेसे भी मीनाक्षी मेरा इंतज़ार कर रही होगी। वो घर पे अकेली है।
वो बोला,” इसे भी अपना ही घर समझो, और मैं घर पे फोन करके बोल देता हूँ के दरवाजा अच्छी तरह से बन्द करके सो जाओ। अब चल जाकर मेरे कमरे में सोजा। अभी रात भी बहुत हो गयी है। कल सुबह घर चले जाना। मैं न चाहते हुए भी मुह हाथ धोकर मैं उसके साथ आकर उसके कमरे में आकर सो गया।
राजीव दरवाजा और लाईट बन्द करके बाहर पार्टी में चला गया। रात के करीब 12 बजे मेने महसूस किया। किसी ने पीठ के पीछे से मुझे हग किया हुआ है। जहाँ तक मुझे याद था मैं तो अपने घर गया ही नही था।
सो मीनाक्षी के होने का तो सवाल ही पैदा नही होता था। कही ये इशिका तो नही ये सोचकर मेने पलट कर टेबल लैंप जलाया तो देखा, वो इशिका ही थी। एक दम गहरी नींद में सोई हुई थी। खुले बाल, बड़ी सी नाइटी जिसके नीचे न पैंटी और न ब्रा कुछ भी नही था। उसका ये रूप देखकर काम देव मेरे दिमाग में सवार हो गया। मेने लाइट बन्द करके उसकी तरफ मुह कर लिया और सोचा ये शायद राजीव समझकर मेरे साथ लेट गयी है।
मैं हिम्मत करके एक हाथ से उसके बिखरे बालो को चेहरे से हटाने लगा। आगे से कोई विरोध न होने से मेरी हिम्मत बढ़ गयी। मेने दिल को मज़बूत करके उसके नरम नरम होंठो को चूम लिया। गहरी नींद की वजह से फेर कोई विरोध नही हुआ।
इधर मेरा लण्ड पायज़ामा फाड़कर बाहर आने को बेकरार था। मेने उठकर पहले दरवाजा अंदर से अच्छी तरह लॉक किया और दुबारा अपनी जगह पे आने से पहले अपना पायजामा उतार दिया और सिर्फ कुर्ते में ही इशिका के साथ आकर लेट गया। मेने इशिका की नाइटी आगे से उठाकर उसके मम्मो तक ऊपर करदी। उसका कोई भी विरोध नही हो रहा था। जिस से मेरी हिम्मत स्टेप बाय स्टेप बढ रही थी।
उसके ऊपर आकर उसके नरम नरम मम्मो को चूसने लगा। वो आगे से कोई जवाब नही दे रही थी। फेर हल्का हल्का पेट को चूमाँ। जब उसकी चूत में जीभ लगाई तब उसकी आह्ह्ह्ह्ह् निकल गयी।
इधर मेरा डर के मारे बुरा हाल हो रहा था, के कही बोलना न पड जाये। क्योंके वो तो अब भी मुझे राजीव ही समझ रही थी। मैं उसकी चूत चाटे ही जा रहा था। शायद उसने भी थोड़ी दारू पी हुई थी। जिस से उसकी जबान लड़खड़ा रही थीं।
वो बड़बड़ा रही थी के राजीव और ज़ोर से चूसो न, मज़ा आ रहा है।
बहुत दिनों से इसे तुम्हारा लण्ड नही मिला बड़ी खुज़ली हो रही है।
मैं उसकी आज्ञा का पालन किये जा रहा था।
वो – जानू !! आज बड़े बढ़िया तरीके से मेरीे चूत चाट रहे हो, आज से पहले तो कभी ऐसा किया नही आपने।
करीब 5 मिनट की चुसाई के बाद उसने अपना पानी छोड़ दिया और मुझे बोली,” राजीव मेरा तो हो गया अब आप लेटो तुम्हारा भी काम कर देती हूँ।
मैं डरता डरता लेट गया। वो लाइट जलाने के लिए लैंप की तरफ हाथ बढा ही रही थी के मेने उसे पकडकर अपने ऊपर लिटा लिया और उसके होंठो को अपने होंठो से सी लिया। मेरे डर को उसने मेरी कामुकता समझ लिया और मेरे होंठ चूसने लगी। मेने उसका सर पकड़कर निचे लण्ड की तरफ कर दिया।
वो मेरा इशारा समझ गयी और मेरे साढ़े 5 इंची लम्बे लण्ड को मुंह में लेकर चूसने लगी। पता नही उसे शायद कोई शक हो गया था या उसके दिमाग में काम अग्नि ज्यादा भड़क गयी थी। आराम से चलते लण्ड चुसाई के खेल को बड़े तेज़ी से करने लगी।
जब मुझे लगने लगा के मेरा 2 मिनट बाद वीर्य निकलने वाला है। तो मैंने उसके बाल पकड़कर उसे वहां से हटा दिया और अपने ऊपर आने का इशारा किया। वो भी शायद कई दिनों से लण्ड की प्यासी थी। वो खड़े लण्ड पे अपनी चूत सेट करके बैठ गयी और ऊपर निचे होने लगी। कभी वो मेरे होंठ चुस्ती तो कभी मैं उसके लटकते बड़े बड़े मम्मे चूसता।
इस तरह 10 मिनट की चुदाई में वो पहले झड़ गयी और मैंक्ष अगले 5 मिनट तक उसकी चूत से लंड अंदर बाहर करने लगा और फेर मन में घुटी सी आहह्ह्ह्ह्ह् लेकर सारा वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया।
जब हम दोनों रस्खलित हो गए एक दूसरे को बांहों में लेकर लेटे रहे।
आधे घण्टे बाद वो बोली,”
आपका बहुत बहुत धन्यवाद अक्षय।
उसके मुह से अपना नाम सुनकर मेरी सारी पी हुई दारू उत्तर गयी।
वो बोली, मैं पिछले कई महीनो से तुमसे चुदवाने के सपने देख रही थी। जब मीनाक्षी बताती थी के तुम चुदाई बड़ी अच्छी करते हो तो मेने मन में ठान लिया कैसे भी एक बार तुम्हारे लण्ड का स्वाद चखुगी। सो भगवान की कृपा से आज वो दिन आ ही गया।
मैं – मुझे माफ़ करना इशिका जी, दारू के नशे में मुझसे ये हो गया।
वो – कोई बात नहीं अक्षय जी।
वैसे आपने तो सोचा होगा शयद इसको पता नही चलेगा। पर मुझे शक तब हुआ जब आपने मेरी चूत को चाटना शुरु किया। क्योंके राजीव को ऐसे काम से नफरत है।
आपने मेरी बिलकुल वैसी चुदाई की है। जैसी मीनाक्षी ने बताया था। सो मेरा शक यकीन में बदल गया और सोचा इस से अच्छा मौका न जाने फेर कब मिले। सो इसका ही फायदा उठा लिया जाये।
पहले तो राजीव ही समझकर आपको पीछे से हग किया था। पर आपके द्वारा किये इस कार्य ने मेरे शक को यकीन में बदल दिया।
मेरी सेक्स लाइफ अच्छी नही है। राजीव को सेक्स के वक़्त गोली का सहारा लेना पड़ता है। जिस दिन गोली न हो 2 मिनट में ही खेल खत्म हो
जाता है और मैं प्यासी ही रह जाती हूँ। आप भी शादीशुदा हो। आप तो जानते ही हो शादीशुदा ज़िदगी में सेक्स की क्या अहमियत है।
जब मीनाक्षी बताती थी आप बिना कोई दवाई खाये 10 से 15 मिनट सेक्स करके उसकी हालत पतली लर देते हो | तब दिल ही दिल में मुझे इनसे जलन महसूस होती थी।
एक बार फेर आपका धन्यवाद।
अब जब भी आपका दिल चुदाई को करे। अपना घर समझकर आ जाना। आपकी पूरी सेवा की जायेगी।
सो अब मुझे जाना चाहिए नही तो राजीव मुझे ढूंढते यहाँ आ जायेंगे।
वो नाइटी पहनकर दूसरे कमरे में चली गयी और मैं सो गया।
सुबह जब इशिका मेरे लिए चाय लेकर आई। तो बोली,” उठ भी जाओ मेरे महबूब अभी रात का नशा उत्तरा नही क्या?
मेने आँख खोलकर देखा वो हंस रही थी।
आप चाय पीलो। मुझे राजीव को भी चाय देने जाना है। जब वो चाय रखकर जाने लगी तो मेने इसकी बांह पकड़कर वापिस अपनी तरफ खींच लिया और उसके नरम नरम होंठो को चूमने लगा।
वो – छोडो भी अक्षय, दिन है ये रात नही, कही राजीव ने हमे इस हाल में देख लिया न तो बवाल मच जायेगा।
मैं – पर आपने तो बोला था जब दिल करे आ जाना, समझलो अब दिल कर रह है।
वो – हाँ मानती हूँ दिल कर रहा होगा, पर यार टाइम भी देखो सुबह के 7 बज रहे है।
आज छोड़ दो फेर कभी देखेंगे।
मैंने भी समय की नजाकत को देखते हुए उसे जाने दिया।
वो –  एक रात में ये हाल है, आगे क्या करोगे इतना कहकर वो चाय देने राजीव के कमरे में चली गयी।
मैने चाय पी और उठकर फ्रेश हो गया।
इधर इशिका ने मेरी खराब हुई कमीज़ मशीन में डालकर धो दी। जो के एक घण्टे में सुख गयी और मैं अपने कपड़े पहनकर अपने घर आ गया।
इस तरह मेने उस रात इशिका की जवानी का रस चखा।
आपको कहानी केसी लगी। अपने कीमती कमेंट मुझे इस मेल पते पे भेजना न भूलना, मेरा मेल आई डी है “[email protected]”.
आज के लिए इतना ही फेर आगे किसी दिन एक नई कहानी लेकर हाज़िर होऊँगा। तब तक के लिए नमस्कार।

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