Doctor Swati Ki Virgin Chut Chudai


नमस्कार दोस्तों मेरा नाम अर्जुन है। अगर आपको मेरी कहानी पसंद आए तो रिप्लाइ जरूर करे। और मै आज आप लोगों को अपनी कहानी सुनाने जा रहा हूं जो मेरे और एक राइटर के बीच की है जो सेक्स स्टोरीज लिखा करती हैं।
जब मैने उनकी कहानियां पढ़ी तो मुझे बहुत मजा आया इसलिए मैने उन्हें ईमेल पर शुक्रिया भेजा और ऐसे ही उनसे बात होने सिलसिला चालू हो गया।
हालांकि मैने उनकी कोई तस्वीर भी नहीं देखी और ऐसे ही बातो सिलसिला चलता रहा और हम काफी अच्छे दोस्त बन गए। हम अपनी हर छोटी बड़ी बात एक दूसरे को बताते थे और फिर मैने उन्हें अपनी लंड की तस्वीर भेजी क्युकी मै वर्जिन था और मन में हमेशा ये सवाल रहता था, कि क्या मेरा लंड लड़की को पसंद आएगा इसलिए मै स्वाति से राए जानना चाहता था। जवाब में उसने मेरे लन्ड को अच्छा बताया ।और ऐसे ही लगभग 6 महीने बीत गए।
एक दिन मेरा ऐक्सिडेंट हो गया और मै एक वहां के एक हस्पताल में भर्ती हो गया। जब मेरी पट्टी हो गई तो उसके बाद सीनियर डॉक्टर आई वो इतनी सुन्दर थी कि क्या बताऊं बिल्कुल गोरी और दिखने में श्रद्धा कपूर की तरह थी।
उन्हें देखती ही मेरा लन्ड खड़ा हो गया। उन्होंने उससे बने तम्बू को देख लिया था पर कुछ रिएक्शन नहीं लिया। जब मुझे वहां 2 दिन हो गए और मेरे हांथ चलने लगे तो मैने स्वाति से बात की।
स्वाति : कहां थे इतने दिनों से?
मै : मेरा ऐक्सिडेंट हो गया था।
स्वाति : तुम अब ठीक हो कहा भर्ती हो।
मै : चिंता मत करो मै ठीक हूं।
स्वाति : मुझे बताओ मैं डॉक्टर हूं।
मै : सच्ची तुमने मुझे पहले नहीं बताया।
स्वाति : तुमने कभी पूछा नहीं, अच्छा चलो तुम आराम करो।
मै जैसे ही सोने के लिए लेटता हूं, डॉक्टर आकर मेरा चेक अप करती है, तभी पीछे से आवाज आती है “डॉक्टर स्वाति आपकी यहां जरूरत है।”
मै : क्या तुम स्वाति हो?
डॉक्टर : हां पर क्यों?
मै : तुमने शायद पहचाना नहीं।
मै अपने फोन से स्वाति को मेसेज करता हूं ( क्या तुम मुझसे मिलना चाहती हो)।
स्वाति फोन के मैसेज का जवाब हां में देती है।
मै : लो मिल लो तो फिर।
स्वाति : अर्जुन तुम ही हो।
मै : हां।
स्वाति : तुम्हें कोई भी दिक्कत हो तो सबसे पहले मुझे बताना।
फिर हमारे बीच में बातें होने लगी फिर ऐसे ही 2 दिन और बीत गए। फिर मै स्वाति से उसके केबिन में मिलने गया।
मै : स्वाति अब मै यहां से जा रहा हूं, तो सोचा तुम से बात कर लूं।
स्वाति : हां बताओ ना।
मै : क्या मै तुमसे वैसी बात कर सकता हूं।
स्वाति : तो इतने दिनों से फोन पर कैसी बातें कर रहे थे? और अब शर्मा रहे हो जो कुछ कहना है साफ साफ बोलो।
मै : क्या तुम्हें मेरा लन्ड पसंद आया था?
स्वाति : अरे बाबा कितने बार पूछो गे मैने कहा ना बहुत अच्छा है बस।
मै : नहीं तुम भूल गई होगी चाहो तो दोबारा दिखाउ?
स्वाति : अब तुम मानो गे तो हो नहीं चली दिखाओ।
मै खड़ा हो कर अपनी पेंट उतारने लगा।
स्वाति : अर ये क्या रहे हो मैने तो फोटो दिखाने की बात कही थी।
मै उदास होकर बैठ जाता हूं और फोटो दूढ़ने लगता हूं।
स्वाति : अच्छा चलो दिखाओ आज मै भी पहली बार किसी का लन्ड असली में देखू।मै खुशी खुशी अपनी पैंट उतार देता हूं।
मै : अंडरवियर तुम उतारो ना मुझे अच्छा लगेगा।
स्वाति मेरा अंडरवियर जैसे ही उतारती है मेरा लन्ड उसके सामने किसी साप की तरह फं फना कर उसके सामने आ जाता है और वो उसे बस देखती रहती है।
स्वाति : अर्जुन ये तो बहुत बड़ा है तुम्हारा फोटो में अलग था, असली में तो और भी बड़ा है।
मै : शुक्रिया।
स्वाति जैसे ही मेरा लन्ड मुठ मारने के लिए पकड़ती है मेरा कम निकाल जाता है और उसके सारे कपड़े गंदे हो जाते है।
स्वाति : लो ये महाशय छूने से पहले निकाल गए।
मै : सोरी मैने पहले बार किसी लड़की को अपना लंड दिखाया जज्बात में मेरा माल निकल गया।
स्वाति : चलो दफा हो जाओ यहां से सारे कपड़े खराब कर दिए।
वो इतनी तेज़ चिल्लाई तो मै दर्र गया और अपनी पैंट ऊपर करके वहां से जैसे ही निकला में लड़खड़ा कर गिर गया और मेरा फ्रैक्चर हांथ फिर से टूट गया फिर मै वहां दोबारा भर्ती हो गया।
शाम के समय स्वाति मुझसे मिलने आई।
स्वाति : सोरी मुझे माफ़ कर दो, मै इसलिए नाराज हो गई थी क्युकी वो मेरे नए कपड़े थे। पर तुम ये मत समझना कि तुम्हारा जल्दी माल निकाल गया इसलिए नाराज हूं। वो तो पहली बार था तुम्हारा इसलिए ऐसा हुआ, प्लीज मुझे माफ़ कर दो।
उसकी ऐसी बातें सुनकर मुझे अच्छा लग रहा था और इसी वजह से मेरा लंड खड़ा हो गया।
स्वाति : देखो तुम्हारा लन्ड भी खड़ा हो गया तुम चाहो तो, मै तुम्हारी कुछ मदद कर दू।
मै : नहीं हटो मै खुद कर लूंगा।
स्वाति : तो करो मै भी देखती हूं तुम कैसे करते हो और गुस्से में कब तुम्हारा माल निकलता है।
मै अपना लन्ड निकाल कर मुठ मारने लगता हूं। मुझे 10 मिनट हो जाते है, पर गुस्से की वजह से मेरा माल निकल ही नहीं रहा था।
स्वाति : हो गई तुम्हारी जिद इसके लिए गुस्से की नहीं प्यार की जरूरत होती है।
ऐसा कहते ही वो मेरा हांथ लंड से हटा देता है और खुद मुठ मारने लगती है। मै उसे कुछ बोलता उससे पहले वो मेरे मुंह पर अपना हाथ रख देती है। उसके नरम नरम हाथो की वजह से मेरा लंड और बड़ा हो जाता है।
स्वाति : लगता है तुम्हें पसंद आ रहा है।
मै : नहीं।
स्वाति : तो फिर ये महाराज कैसे खड़े है।
मै कुछ नहीं बोलता और वो और तेज़ी से मुठ मारनी लगती है। और वो सुहाना पल भी आ गया मेरा माल निकलने वाला था।
मै : स्वाति हटो मेरा निकलने( तभी स्वाति मेरे मुंह पर हांथ रख देती है)
स्वाति : सिर्फ तुम्हारे लिए मै तुम्हारा गुस्सा पी जाऊं गी।
और वो मेरे लन्ड को अपने मुंह में डाल लेती है और मेरा निकला हुआ माल पी जाती है।
स्वाति : तुम्हारा गुस्सा तो बड़ा स्वादिष्ट था।
मुझे अब हिम्मत आ गई तो मै उसके बूब्स पकड़ने के लिए जैसे ही हांथ आगे बढ़ाता हूं, वो मेरा हाथ पकड़ लेती है।
स्वाति : बस आज के लिए इतना ही तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है आज के लिए इतना सही है बाकी कल करेगे।
मै : करने दो ना।
स्वाति बाय करती हुई वहां से चली जाती है। और मै आज के बारे में सोचता हुआ सो जाता हूं, सुबह जब आंखें खुलती हैं तो स्वाति और उनकी असिस्टेंट मेरा चेकअप करने आई होती है।
असिस्टेंट : बहुत अच्छे अर्जुन तुम्हारी चोट तो जल्दी ठीक हो रही है कोई खास वजह।
मै : ठीक हो ही जाऊंगा जब आपकी डॉक्टर साहिबा इतना अच्छा खयाल जो रखती है।
स्वाति मुझे मुंह बंद रखने का इशारा कर रही थी।
जब उसकी असिस्टेंट चली जाती है।
स्वाति : तुम भी कुछ भी बोलते हो अगर वो समझ जाती तो?
मै : अच्छा एक किस दो ना फिर नहीं बोलेगा।
स्वाति : नहीं कोई देख लेगा रात का इंतजार करो।
मै : नहीं मुझे अभी चाहिए।
स्वाति गुस्से में जाने लगती है, पर पता नहीं क्या सोचती है और जल्दी से आ कर अपने होठ मेरा होठ पर रख कर कसके चूसती है।
स्वाति : अब ठीक है चलो बाय रात को मिलते है।
अब वो हसीन रात आती है जिस रात का मै बेसब्री से इंतजार कर रहा था कि आज मै अपनी वर्जिनिटी तोडू गा
और शायद उसकी भी।
मै अपनी आंखें बंद कर सपने देख रहा था तभी स्वाति आती है और मेरे होंठो को चूमने लगती है वो लगभग 10 मिनट तक मेरे होठ चूसती रहती है, और फिर मै अपनी जीभ उसके मुंह के अंदर डालता जैसे मै उसके मुंह को चोद रहा हूं।
स्वाति : अभी से चुदाई शुरू कर रहे हो वो भी जीभ से कोई अंग तुम्हारा ऐसा है, जो चुदाई नहीं करता पर सच बताऊं तो मजा बोहोत आ रहा है।
मै : अरे अभी मजा शुरू भी नहीं हुआ।
स्वाति : तो मैने कब रोका है तुम्हे, आज मै तुम्हारी हूं जो करना है कर लो।
ये सुनते ही मै उसका टॉप उतार देता हूं और उसके संतरे जैसे बूब्स मेरा सामने आ जाते है और मै उन्हें इतना चूसता हूं कि लाल पड़ जाते है।
स्वाति : अर्जुन आराम से करो तुम तो मेरे संतरे उखाड़ दोगे।
फिर मै उसकी जीन्स उतार देता हूं और पैंटी भी क्या बताऊं इतने सुन्दर चूत एकदम गुलाबी और एक भी बाल नहीं इतनी सुंदर चूत तो मैने सपने में भी नहीं चोदी थी।
स्वाति : अब देखते ही रहो गे की कुछ करो गे भी।
मै उसकी चूत को अपने मुंह से चूसने लगता हूं और वो जैसे पागल सी हो जा रही थी।
स्वाति : बहुत मजा आ रहा है अर्जुन तुम कितने अच्छे से चूस रहे हो और तेज़ करो। 5 मिनट बाद वो भी झड़ जाती है और मै उसका सारा रस पी जाता हूं ( बहुत स्वादिष्ट था वो )
स्वाति : लाओ अब मेरी बारी, तुमने मुझे खुश कर दिया। अब मै तुम्हे खुश करुगी।
स्वाति मेरे सारे कपड़े उतार देती है और मेरा लन्ड सीधे अपने मुंह में डाल लेती है और किसी एक्सपर्ट की तरह चूसने लगती है।
मै : स्वाति सच्ची तुम पहली बार कर रही हो पर इतने अच्छे से कैसे?
स्वाति : आज पूरे दिन बस मैंने फोन पर यही सीख है। तुम बस मजे लो।
वो बहुत तीजी से मेरा लन्ड चूस रही थी, अचानक से वो मेरे लन्ड को हल्का सा काट लेती है।
मै : आह स्वाति मुझे लगी, अगर तुम पूरा काट लेती तो?
स्वाति : अब पता चला कैसा लगता है जब तुम मेरे संतरे तोड़े दे रहे थे। अब नहीं करेगी।
मै : मेरा निकलने वाला है।
स्वाति जल्दी से मेरा लंड मुंह से निकाल देती है, मुठ मार कर उसे सीधा खड़ा कर देती है।
मै : स्वाति करो ना जल्दी करो।
स्वाति : नहीं।
वो मेरे लन्ड को बार बार मुठ मार कर छोड़ देती। फिर अचानक से एक पिचकारी निकलती है, मेरे माल की और स्वाति उसे देख कर खूब खुश होती है।
स्वाति : मै हमेशा से ऐसा करना चाहती थी।
और फिर वो गिरे हुए माल को चाट कर साफ़ कर देती है।
वो मेरी आंखों में देख कर मेरा माल साफ कर रही थी, देख कर मेरा लन्ड फिर खड़ा हो गया।
स्वाति : अरे फिर से बड़ी जान है इसमें, लेकिन मै भी हूं जब तक इसकी जान ना निकाल दू हार नहीं मानूंगी।
अब इसके बाद मै उसका हांथ पकड़ता हूं।
मै : अब शुरू करे असली चीज़?
स्वाति थोड़ा शांत हो जाती है
मै : घबराओ मत मेरा भी तो पहली बार है।
स्वाति : तो उससे क्या तुम्हारी चूत तो फटे गी नहीं दर्द तो मुझे होगा।
मै : चिंता मत करो मै आराम से करुगा।
स्वाति : सच्ची।
मै : विस्वास करो।
अब मै उसे डॉगी बना कर उसके पीछे खड़ा हो जाता हूं, और उसकी चूत पर अपना लन्ड फेरता हुआ और मोका देखते ही मै उसके मुंह में हाथ रख कर एक जोर का झटका मारता हूं, वो बहुत जोर से चीखती है पर मेरा हाथ होने की वजह से आवाज नहीं आती है। जब वो शांत होती है।
स्वाति : अंदर गया पूरा।
मै अब उसे कैसे बताता की अभी तक तो सिर्फ लंड का टोपा ही अंदर गया है। मैने उसके सवाल का जवाब नहीं दिया और एक जोर का झटका मारता हूं जिससे मेरा पूरा लन्ड उसकी चूत में समा जाता है। और वो मेरा हांथ काट लेती है और बेहोश हो कर गिर जाती है। लगभग 10 मिनट बाद उसे होश आता है।
मै : तुमने पूछा था ना अब बोलता हूं गया पूरा अन्दर गया।
वो मुझे एक लात मारती है
स्वाति : चुप रहो अब मेरी चूत फाड़ कर रख दी तुमने।
स्वाति मेरा हांथ से खून निकलता देखती है जो उसने काटा था।
स्वाति : मुझे माफ़ करदो।
फिर वो मेरे पट्टी बांध ती है।
मै : अरे अब चुदाई चालू करो वरना सुबह हो जाएगी।
स्वाति : तो आओ चढ़ जाओ घोड़ी पर।
फिर मै अपना लन्ड डॉगी स्टाइल में डाल कर चोदने लगता हूं, अब वो भी मजे ले रहे थी खूब गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी चोदते चोदते 20 मिनट हो गए तभी मेरा निकलने वाला था।
मै : मेरा निकलने वाला है स्वाति बताओ कहा निकालू?
स्वाति : रुको।
और मेरा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगती है और मै अपना सारा माल उसके मुंह में निकाल देता हूं वो उसे पी जाती है।
मै : अरे स्वाति तुम हर बार मुंह में क्यों निकलवाती हो
स्वाति : मुझे तुम्हारा माल बहुत अच्छा लगता है ऐसा लगता है कि बस पिती रहू।
अगर दोस्तो आपको कहानी पसंद आई हो तो मुझे ईमेल जरूर करे।
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