Chamatkaari Baba, Ek Number Ka Chodu


बाबा की कहानी बाबा की जुबानी: जगह जगह से लोग मेरे पास अपनी परेशानी लेकर आते, मैं किसी से पैसे नही लेता था इसलिए मेरे पास भीड़ भी लम्बी लगने लगी. भीड़ से बचने के लिए मैने एक उपाय निकाला और मैं मरीज के घर पर जाने लगा.
एक दिन सुबह एक 40 साल का आदमी मेरे पास आया और बोला बाबा मेरी लडकी को कुछ हो गया है. आप चल कर देख लो आपके बारे में बहुत सुना है.
मैंने पूछा – क्या उम्र है उसकी?
उसने कहा – अभी तो 18 की हुई है कई दिनो से पागलों का सा बरताब कर रही है.
मैं  उसकी गाडी मे बैठ कर उसके घर पर गया. मैने उस लडकी की तरफ़ देखा,  दुध के जैसा गोरा रंग काली ऑखें सीना उभरा हुआ कद 4’9″ का.
मैने अपनी ऑखें बंद की और कुछ देर बाद ऑख खोल कर कहा – इस लड़की का ठीक होना ना मुमकीन है.
लड़की के मां बाप रोने लगे और बोले – ऐसा मत कहिये, आप ही हमारी आखरी उम्मीद है आखिर इसे हुआ क्या है?
मैने कहा – इस पर एक प्रेत का साया है जो इसकी जान लेकर जायेगा.
ये बात सूनते ही लड़की की मॉ ने मेरे पैर पकड लिए और बोली – कुछ तो उपाय होगा आप ने तो बहुत से लोगों को ठीक किया है, इसे भी ठीक कर दो.
मैने कहा – मैं इसे ठीक तो कर सकता हुं पर!
पर क्या? – लडकी की मॉ बोली – खुल कर बोलिए कितने पैसे चाहिए जितने भी लेने है लेलो मै दे दुंगी.
मैने कहा – मै भिखारी नही हूं मुझे पैसे नहीं चाहिए.
लडकी की मॉ बोली – मुझको माफ कर दीजिए, आप बताइए क्या करना होगा?
मैने कहा – बहुत कठीन है मुझे कुछ पूजा करनी होंगी.
लडकी के मां बाप राजी हो गये और उन्होने पुजा का सारा सामान मंगवा लिया.
मैं चौकी लगा कर बैठ गया और लडकी की मां,  लड़की और लडकी का बाप सामने बैठ गये.
मैने पूजा शुरू कर दी.
कुछ देर बाद मैने कहा – तुम्हारी लडकी पूरी तरह से ठीक हो सकती है.
लड़की के मां बाप खुश हो गये.
मैने कहा – लेकिन!
लड़की की मम्मी बोली – लेकिन क्या?
मैने कहा – मै अपनी सिद्धि के द्वारा अपने गुरू को अपने ऊपर बुलाऊंगा वही इसे ठीक कर सकते है और वो जैसा भी आप से कहेगे आपको करना होगा. अगर आपने उनकी बात नही मानी तो फिर कुछ नही हो पाएगा, अगर आप लोग तैयार हो तो मैं पूजा शुरू करू और ध्यान रहे अगर किसी तरह का विघ्न पडा़ तो फिर मैं चाह कर भी कुछ नही कर पाऊगा.
लडकी के मां बाप ने कहा – हम तैयार हैं आप पूजा शुरू कीजिये.
मैने आपना काम चालू कर दिया, अब मुझे कोई डर नही था मैने थोडी देर बैठे रहने के बाद मोटी आव़ाज मे कहा – बच्चा!
लडकी की मां (गीता) – जी बाबा.
मैने कहा – ये कलाबा ले इसे अपने पति को दे दे और ये इस कलाबे को ले जा कर रात के 12 बजे तक 121 बार ओम नमो भद्रकालीके का जाप करते हुऐ गॉव के बाहर जो बरगद का पेड है उसमे बंधेगा.
मेरे कहने के साथ ही लडकी का बाप कलाबा लेकर चला गया.
मैं फिर ऑखें बंद करके बैठ गया.
थोडी देर बाद!
मैने कहा – बेटा कमरे के दरबाजे खिडकी बंद कर दो और तुम दोनो के शरीर पर जो भी रबड या लोहे की चीज हो उसे अलग कर दो.
गीता ने पुछा – बाबा जी यही या कमरे मे जा कर?
मैने कहा – कमरे मे जाकर कर लो और एक अब सब को केबल सफेद कपडे ही धारण करने होंगे, बाबा के लिए भी सफेद धोती ले आओ.
उसने वैसा ही किया.
आप लोग अंदाजा लगा सकते हो गीता की उम्र का. उसकी उम्र 34 थी और वो पुरे भरे शरीर की मालिका थी.
गीता मुझे धोती देकर अन्दर लडकी और आपने कपड़े बदलने चली गई. जब वो बाहर आई तब तक मैने भी अपने सारे कपडे़ उतार कर केबल धोती ही पहन ली. जैसे ही दोनों माँ बेटी मेरे पास आई़ मेरा लंड़ खड़ा हो कर कहने लगा की अभी दोनों को चोद दे, मगर मैने धैर्य से काम लिया.
गीता औ़र उसकी बेटी केवल साडी पहन कर आई थी.
मैने गीता से कहा – गीता अब जब तक मैं ना कहु तब तक कोई भी इस स्थान को नही छोड सकता.
उसने हामी मे सर हिलाया और उसका पल्ला नीचे गिर गया, मुझे उसके 36 के चूचे साफ दिख गये, उसने जल्दी से पल्ला ऊपर कर लिया!
मेरा इतने मे ही बुरा हाल था, मगर मेरे दोनो हाथों मे लड्डु थे जिन्हे मैं आराम से खाना चाहता था.
दोपहर के 1 बज चुके थे, मैने अब अपना जाल फैलाना चालू कर दिया.
मैने गीता को कुछ आटे मे रोली सिंदूर मिलाकर दिया और मंत्र पढते हुए गीता के हाथ पकड़ कर आटा पानी डालकर मथने लगा. गीता यही सोच रही थी की मै सिद्ध कर रहा हुं, जब आटा टाइट हो गया तो मैने गीता का हाथ पकड कर आटा रजनी की चुत पे रख दिया, गीता कुछ कहते कहते एकदम से चुप हो गई, शायद उसे मेरी कही हुई बात याद आ गई.
मै मन ही मन खुश हो रहा था, क्योकि मुझे लगा कि कही मना न कर दे, मगर ऐसा कुछ हुआ नही तो मेरी हिम्मत अब बढ़ गई और मैने गीता को रजनी की साड़ी उतरने के लिए इशारा किया.
गीता ने रजनी की साड़ी उतार कर एक तरफ रख दी.
अब रजनी जोकि अभी 18 साल की थी मेरे आगे बिल्कुल नंगी बैठी कसमसा रही थी और एक टक मुझे देखे जा रही थी.
मैं अपने हाथ मे राख और रोली लेकर खडा़ हुआ और रजनी को लिटा कर उसके शरीर पर राख लगाने लगा, मैने गीता को ऑख बन्द करके मंत्र पढने के लिए कहा, वो मेरे कहते ही मंत्र पढने लगी.
मैने गीता से कहा – अब अगर तुमने अपनी ऑख गलती से भी खोल ली तो बेटा तू अंधी हो जाएगी. क्योकि मै अब प्रेत को बाहर निकल रहा हुं वो जब रजनी के शरीर से निकलेगा तो वो बहुत चिल्लाएगी. मगर तु मत घबराना अगर वो तेरे अंदर चला गया तो बहुत दिक्कत होगी.
गीता बोली – ठीक है मुझे आप पे पुरा भरोसा है महाराज.
गीता के ऑख बंद करते ही मै रजनी पे भूखे शेर की तरह टूटन पड़ा! रजनी की चुत पर खुब राख रगडता रहा जब तक उसकी चुत गीली नही हो गई, वो रोने लगी मैने उसकी तरफ ऑख दिखा कर उसे डरा दिया.
फिर देशी घी लेकर उसकी चुत को गीला कर दिया और फिर शहद डाल कर उसकी चुत का रस पान करने लगा.
अब रजनी को मजा आने लगा, मै जोर जोर से मंत्र भी बोल रहा था. ताकि गीता ये समझे कि रजनी प्रेत के अवेश मे बिलाप कर रही है.
फिर मै रजनी के ऊपर 69 की हालत मे हो गया और शहद अपने लंड पे लगा कर लंड रजनी के मुंह मे दे दिया और शहद लगा लगा कर रजनी की चुत चटने लगा.
क्या बताऊं यारों आप सब कल्पना करके देखो 18 साल की कुवारी लड़की की चुत चाटने मे कितना मजा आता है वो भी शहद लगा कर जन्नत की सैर पर था.
जब मुझे लगने लगा की मैं झड़ने वाला हुं तो मैं खडा हो गया और शिलाजित का रस पी कर मंत्र पढते हुए अपना लंड़ रजनी की चुत पर रख दिया.
इसी बीच भंग मिला हुआ शरबत मैंने ये कह कर गीता को पिला दिया की तुम पर किसी बुरी शकि्त का असर नही होगा, तुम अपने ऑख कान ढंग से बंद कर लो ताकि प्रेत तुम पे न सबार हो सके.
रजनी की चुत शहद घी और चुत के पानी की बजह से गीली और चिकनी हो चुकी थी, मैने भी एक हाथ रजनी के मुंह पे रखा और एक ही झटके में अपना आधा लंड रजनी की चुत मे उतार दिया.
इससे रजनी दर्द की वजह से तडफने लगी और फिर मैने धीरे से हल्का सा लंड बाहर लेकर जोर दार प्रहार किया और मेरा लंड़ जड़ तक रजनी की चुत मे समा गया. रजनी बिन पानी की मछली की तरह तडफ रही थी, इतनी टाइट चुत पाकर मेरे भी पसीने छुट रहे थे!
थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैने धीरे धीरे लंड़ को अंदर बाहर करना चालू किया. जब मुझे लगने लगा की रजनी को मजा आने लगा है मैने आपनी गति तेज कर दी और मै कस कस कर धक्के लगाने लगा. अब रजनी भी गांड उठा उठा के मेरा साथ दे रही थी.
रजनी अब मेरी आखो में आँखे डाल कर चुदाई का मजा लेने लगी, उसकी आँखों से ये तो साफ़ पता चल रहा है की लोंडिया सब जानती है.
मै लगातार धक्के लगाये जा रहा था, ऱजनी हर धक्के पर कहार उठती, ऱजनी की चुदाई करते हुऐ मुझे आधा घंटा हो चुका था. फिर मैने रजनी को अपने ऊपर ले लिया और उसकी कमर पकड़ कर उठा उठा कर उसकी चुदाई करता रहा. उसकी चुत से खुन और चुत रस बह रहा था.
कुछ ही देर मे मेरे लंड ने भी अपना रस रजनी की चुत मे भर दिया, लेकिन मेरा लंड़ शिलाजित की वजह से अब भी खडा़ था और मैं उसे चोद रहा था!
कुछ देर और चोदने के बाद मैं अपनी जगह पर आकर बैठ गया और रजनी की चुत को पानी से साफ कर दिया. एक घंटे की पहली चुदाई के कारण रजनी बेसुद सी पडी़ थी, मगर वो अब शांत थी और उसके चेहरे पर एक अलग ही संतुष्टि थी.
रजनी को साफ करके मैने गीता को ऑख खोलने के लिए कहा और गीता ने जैसे ही ऑख खोली..!

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