दोस्तों एक बार फिर हाजिर है आपका दोस्त राज अपनी कहानी का अगला भाग लेकर. अभी तक आपने पढ़ की कैसे मैंने पहली बार पुजा जोकि मेरी कम्पनी मे काम करती थी के साथ चुदाई की, अब आगे..
पुजा अभी मेरे साथ युही चिपटी पड़ी थी मैने अपने जीवन मे आज पहली बार चुत मे गोते लगाये थे अभी तक मेरे सर पर बस वही नशा चढा था.
पुजा के शरीर पर मैने फिर से हाथ फिराने चालु कर दिये अभी जब मैने चुदाई की थी तब मैं अनाड़ी था लेकिन अब बात और थी.
पुजा के शरीर पर हाथ फेरते हुऐ मेरे हाथ पुजा की चुत पर पहुच गये और मै प्यार से पुजा की चुत रगडने लगा फिर मैने अपने होठों मे पुजा के एक चूचे को भर लिया पुजा कसमसा उठी और पुजा ने अपना हाथ बढाकर मेरे लंड पर रख दिया.
अब मेरा लन्ड फिर से खडा़ हो चुका था, मैने पुजा की चुत चाटनी शुरू कर दी पुजा के मुहं से सी सी की आवा़जें आने लगी. पुजा ने भी मेरा लंड गप से मुहं मे भर लिया और प्यार से चुसने लगी.
हम यु ही काफी देर तक 69 की हालत मे पडेय रहे, फिर मैं पुजा के ऊपर आ गया लंड को पुजा की चुत पर रखने के बाद मैने एक ही झटके मे पूरा लंड पुजा की चुत मे जड़ तक उतार दिया.
मुझे बहुत मजा आ रहा था और पुजा ने थोडी सी ऊ आ की फिर नीचे से गांड उठा उठा कर साथ देने लगी.
मै अबकी बार जल्दी नही झडना चाहता था, क्योकि मुझे बहुत मजा आ रहा था, इसलिए मैं रूक रूक कर धक्के लगा रहा था. तो यु हीं चुदाई के मजे लेके मै चुदाई करने लगा.
फिर मैने पुजा की चुत मे से लंड़ निकाल लिया.
पुजा ने पुछा – राज निकाल क्यों लिया बडा मजा आ रहा था?
मैने कहा पुजा – मैं अब लंड़ को तुम्हारी गांड मे डालूंगा.
पुजा बोली – नही राज वहां नही जब चुत है तो गांड़ क्यों? वैसे भी मैने आजतक कभी किसी से गांड नही मरवाई और चुत भी मेरे पति के बाद तुमको दी है.
मैने बहुत जिद की लेकिन पुजा नही मानी, तो मैनें फिर से लंड़ पुजा की चुत मे डाल दिया. अब मे बिना रूके तेज तेज धक्के लगाने लगा और पुजा हर धक्के के साथ ऊह कर उठती.
आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं एक बार फिर झड़ गया. इसी तरह हमने उस रात 3 बार चुदाई की और सुबह होते ही हम फ्रेश होकर आफिस के काम मे लग गये.
पुजा बार बार मुझे छेड रही थी, तभी बोस आ गये, बोस ने हमें नोटिस कर लिया था. क्योकि पुजा की ऑखों मे अलग सी चमक दिख रही थी.
अब हमें जब भी समय मिलता हम आफिस मे ही चुदाई का खेल खेल लेते और जब पुजा कहती तो मैं पुजा के कमरे पर जा कर भी उसकी चुदाई कर आता.
एक दिन अचानक पुजा नौकरी छोड कर चली गई, पुछने पर उसने बताया कि उसका पति अब उसे अपने साथ लेके जा रहा है, उसका मन तो नही है पर उसे जाना पडेगा.
उसने कहा अगर मै चाहु तो वो रूक सकती है.
मैने पुछा कैसे? तो उसने कहा शादी कर लो.
तो मैने कहा ये मुमकीन नही है.
वो बोली मै जानती थी इस लिए जा रही हुं किस्मत मे होगा तो फिर मिलेंगे, और वो मेरी तरफ मुस्कुराते हुए चली गई.
इधर मेरे सीने पे सांप लेट रहे थे, पुजा के जाने के बाद मेरी दुनिया उजड़ सी गई थी, के एक दिन अचानक मेरे फोन पर बोस की बीबी का फोन आया.
ऱाज क्या कर रहे हो?
मैने कहा – कुछ खास नही.
मैडम- राज मुझे शोपिंग पे जाना है डाईवर भी नही है तुम बाईक लेकर आ जाओ.
मैं बाइक लेकर मैडम के घर पर पहुच गया. क्योकि बोस ने मुझे पहले ही बोल दिया था मैडम के साथ जाने के लिये.
हम मॉल गये और फिर मैडम को घर पर छोड कर वापस आफिस आ गया. मैडम अब मुझे किसी न किसी बहाने से बुला लेती थी और मुझे जाना पड़ता था.
(कहानी मे आगे बढने से पहले मैं आप को बता दु, मेरी मैडम बोस से लगभग 10 साल छोटी थी और बोस ज्यादातर काम से आउट आफ स्टेट रहते थे, मेरी मैडम दिखने मे माल लगती थी उनकी दो बेटी और एक बेटा था! बोस मैडम को अब ज्यादा समय नही देते थे.)
एक दिन सुबह 10 बजे मैडम का फो़न आया की मुझे कही़ जाना है जल्दी आ जाओ.
मैं बाइक उठा कर मैडम के घर पर पहुच गया.
लेकिन मैडम कहीं पर नजर नही आ रही थी और घर पर कोई नही था, मैडम के बच्चे स्कुल गये थे मैंने आवा़ज दी मैडम कहाँ पर हो मैं आ गया?
मैडम ने आवाज दी, तुम अभी सोफे पर बैठ जाओ मै नहा रही हु.
मै होल मे ही सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा, जिधर होल मे सोफा रखा था उसके सामने ही बाथरूम था, जिसमें मैडम नहा रही थी.
तभी अचानक कुछ गिरने की आवा़ज आई और मैडम करहारने लगी.
मैने पुछा – क्या हुआ?
मैडम की दर्द के साथ आवाज आई – मैं गिर गई हुँ मेरा पैर फिसल गया है मुझसे उठा भी नही जा रहा ऱाज मेरी मदद करो.
मैं अपनी जगह से खडे होकर बाथरूम तक गया. मगर मेरे पैर बाथरूम के बाहर ही रूक गये.
मैने सोचा अन्दर मैडम किस हालत मै होगी?
फिर सोच हो सकता है उन्होने कपडे पहन लिये हो और वो बाहर निकलने वाली हो और पैर फिसल गया हो.
अन्दर से फिर दर्द भरी आवाज आई – कहाँ रह गये राज मेरी मदद करो.
मैने अपने कंपते हुये हाथ दरवाजे पर रखे ही थे की दरवाजा खुल गया. अऩ्दर का जो मंजर मेरी ऑखों के सामने आया, उसने न चाहते हुये भी मुझे हाथ अपनी ऑखो पर रखने के लिये मजबूर कर दिया.
मैडम ने कहा – मुझे उठा ओ क्या बुत बनकर खडे हो?
मैने ऑख बन्द कर के अपना हाथ नीचे मैडम की तरफ बढा दिया, मैडम ने मेरा हाथ पकड़कर इतनी जोर से खिचा की मैं भी मैडम के ऊपर गिर पड़ा.
मैडम दर्द से चिल्लाते हुये – तुम यहाँ मेरी मदद के लिये आये थे या मुझपर गिरने?
मैने ऑखे बंद रखते हुये ही कहा – मैं तो आप को उठाने ही आया था पर?
मैडम डाटते हुये – पर वर छोडो और ऑख खोल कर पहले मुझे उठाओ.
डरते डरते मैने अपनी ऑखे खोली और क्या बताऊ यारों मैडम को देख कर कोई ये कह ही नही सकता था कि वो तीन बच्चों की मॉ भी हैं, और वो इस समय मेरी ऑखों के सामने बिल्कुल नंगी पडी थी और मै उनके ऊपर था.
मैनें उठने के लिये अपनी हथेलियों को फर्श पर टिकाया और उठने लगा, पर मैडम ने हाथ पैर मार कर मुझे फिर से अपने ऊपर गिरा लिया, ऐसा दो तीन बार हुआ.
अब मेरी समझ मे आ गया कि मैडम जानबुझ कर मुझे गिरा रही हैं मेरे सारे कपडे़ गीले हो चुके थे और मेरी हालत खस्ता हो रही थी, मेरा लंड पैन्ट मे ही खडा़ हो चुका था जिसका एहसास अब मैडम को भी हो रहा था.
मुझे जिसकी उम्मीद नही थी वही हुआ, मैडम ने एक ही झटके मे मेरा लंड़ पैन्ट के ऊपर से पकड लिया और बोली – मै यहाँ दर्द से मरी जा रही हुँ और तुम मेरे ऊपर पडे मजे ले रहे हो.
मैने कहा – पर मैं तो.
मैं कुछ कहता उससे पहले ही मैड़म ने अपने होठ मेरे होठों पर रख दिये और अपने हाथों से जल्दी जल्दी मेरा पेन्ट खोलने लगी, जैसे मैं कहीं भाग रह हुँ.
मैं कुछ कह भी नही सकता था, इसलिये चुप पड कर आन्नद लेने मे ही अपनी भलाई समझी और जो हो रहा है होने दिया.
मैडम ने जल्दी से मेरी पैन्ट उतार कर मेरे लंड़ को अपने कब्जे मे ले लिया और उसके साथ खेलने लगी.
मैडम तो पहले से ही नंगी पडी थी, उसने मुझे भी झट से एक पल मे नगा कर दिया और मुझे जमीन पर पटक कर मेरे ऊपर सवार हो गईं.
मेरे ऊपर आ कर मैडम ने पहले मेरे शरीर को चाटना शुरू किया और फिर भुखी शेरनी की तरह मुझपर टूट पडी.
मैडम ने मेरे लन्ड को गप से मुहं मे ले लिया और जोर जोर से चुसने लगी, काफी देर चुसने के बाद जब मैं उनके मुहं मे ही झड़ गया, तो मेरा सार विर्य पीने के बाद वो मेरे मुह पर आकर बैठ गई और अपनी चुत मेरे मुह पर रगडने लगी.
मैने भी अब अपनी जीभ मैडम की चुत पर फिरानी चालू कर दी औप फिर बडे प्यार से मैडम की चूत चाटने लगा.
मैडम बोली – राज मेरी नज़र तुम पर बहुत समय से थी तुम ही हो जो मेरी बेरंग जिन्दगी मे रंग भर सकते हो और किसी को कुछ पता नही चलेगा. तुमको क्या पता एक औरत की तडफ क्या होती हैं. और ये कहते हुये उसकी चुत ने बहुत सारा पानी मेरे मुहं पर छोड दिया.
मेरा लंड़ फिर से खड़ा हो चुका था और मैडम की चुत के लिये सलामी दे रहा था, मैने भी अब खुलकर मैडम का साथ देना शुरू कर दिया और मैजम को लिटा कर मैड़म की चूत पर अपना फ़नफनाता हुआ लंड़ रख दिया. मेरे लंड़ के नीचे आज कई दिनों के बाद चुत आई थी मेरे लंड़ ने भी मैडम की चुत के साथ घमासान युद्ध प्रारम्भ कर दिया था.
चुत मे लंड़ जाते ही मै ताबड तोड धक्के लगाने लगा, मैडम हर धक्के के साथ चिल्ला रही थी “हरामी मैं कही भगी जा रही हुं क्या मार ही डालेगा मेरी चुत फट जायेगी दया कर आज तक किसी ने मुझे ऐसे नही चोदा”.
मैने क़हा – मै कहा भगा जा रहा था जो आप मुझपर एक दम से टूट पडीं थी अब भुगतो मजा़.
और मैने अपनी रफ्तार और तेज कर दी, क्योकि मैं अब इतनी जल्दी नही झडने वाला था क्योकि एक बार तो मैं मैडम के मुहं मे झड चुका था.
थोडी ही देर मे मैडम भी मेरे रंग मे रंग गई और गांड़ उठा उठा कर चिल्लाने लगी और तेज राज और तेज मेरी रफ्तार देख कर अब उन को भी मजा आने लगा.
मै युहीं तबा तोड धक्कों के साथ मैडम को लगातार आधे घन्टे तक चोदता रहा, फिर तेजी के साथ मैडम की चुत मे ही झड गया.
मैडम की चुत तो शुरू से आखिर तक लावा उगलती रही, मैं अब झडकर मैडम के ऊपर ही पडा रहा.
एक घंटे बाद मैडम ने मुझे बडे प्यार से अपने से अलग किया और कहा – राज अब बच्चों के आने का सम़य हो गया है तुम जाओ कल फिर आना.
मै वहाँ से आफिस आ गया और फिर ये हमारी दिनचर्या मे सामिल हो गया. अब जब भी आफिस पर कोई नही रहता तो मैडम आ जाती या फिर जब बच्चे घर पर नही रहते तो मै कुछ भी बहाना बना कर मैडम के पास पहुच जाता और हम जम कर चुदाई करते.
यही सिलसिला लगातार एक साल तक चला, मेरी भी पगार बढ़ कर दोगुनी हो गई. पता नही क्यों और उधर मैडम भी मेरे खानपान मेरे जेब खर्च का पुरा ध्यान रखती थी और चुत भी मुझे रोज मिल ही जाती थी.
इधर बोस की बडी बेटी रीता के बोर्ड की परिक्षा सर पर थी बोस को पता था मेरी गणित बहुत अच्छी है, तो बोस ने रीता को गाणित और कंप्युटर पढने के लिये आफिस मे मेरे पास आने की अनुमति दे दी!
शुरू मे तो रीता मुझसे थोडी दुर दुर रहती थी, मगर फिर मुझसे थोडा खुलने लगी.
आगे की कहानी बाद में बहुत जल्दी लिखूंगा, तब तक कमैन्ट करना मत भुलना की कहानी कैसी लगी.
धन्यवाद!