Bhoot To Chala Gaya – Part 5


मैं जानती थी की मेरे लिए वह काम करना नामुमकिन था। एक तो मैं थकी हुई भी थी। मैंने बॉस को समझाने की बड़ी कोशिश की पर उसका कोई असर नहीं पड़ा। बॉस ने कह दिया की काम तो पूरा करना ही पडेगा। अगर काम नहीं हुआ तो मेरा नौकरी से हाथ धोना तय था। बस और कुछ नहीं बोलते हुए बॉस चले गए। मैंने फाइलें ली और सारा डाटा कंप्यूटर में चेक कर के फीड करने लगी।
काम लम्बा और समय लेने वाला था। मुझे लग रहा था जैसे मुझसे तो वह काम सुबह तक भी नहीं होगा। मुझे काम करते हुए एक घंटा हो गया होगा। दफ्तर बंद होने का समय हो चूका था। एक के बाद एक कर ऑफिस खाली होने लगी। समीर घर जाने के लिए तैयार थे। वह मेरे पास आये। मुझे काम पर लगे हुए देख कर पूछने लगे की क्या बात थी की मैं घर के लिए नहीं निकल रही। मैंने उन्हें सारी फाइलें दिखाई और बोस ने मुझे जो कहा था समीर को सुनाया। मैंने कहा की मुझसे वह काम होने वाला नहीं था और मेरी नौकरी दूसरे दिन जरूर जाने वाली थी।
समीर ने मेरी पीठ थपथपाई और कहा, “उठो, मुझे देखने दो। तुम चिंता मत करो। आरामसे वहां कुर्सी पर बैठो और जब मैं कहूं तो मेरी मदद करो। तुम्हारा काम हो जाएगा।” समीर ने सारी फाइलें मुझसे लेली और मेरी कुर्सी पर बैठ कर वह फुर्ती से काम में लग पड़े। बिच बिच में वह मुझे चाय या बिस्कुट या पानी या फाइल देने के लिए कहते रहे। मैं इस आदमी पर हैरान हो गयी जो मेरे लिए इतनी मेहनत और लगन से काम कर रहे थे। उन्हें यह सब करने की कोई जरुरत नहीं थी।
समीर को एकदम एकाग्रता से काम करते हुए देख मेरा ह्रदय पिघलने लगा। समीर के बारे में जो मैंने उल्टापुल्टा सोचा था उसके लिए मुझे पछतावा होने लगा। तीन घंटे बीत चुके थे। रात के नौ बजने वाले थे। मेरी आखें नींद से भारी होने लगी थी। समीर ने मुझे रिसेप्शन में सोफे पर जाकर लेट जाने को कहा। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
पता नहीं कितना समय हुआ होगा की अचानक मुझे समीर ने कांधोंसे पकड़ कर हिलाया और बोले, “उठो काम ख़तम हो गया। अब खाली प्रिंटआउट लेने हैं।”
मैं हड़बड़ाहट में उठ खड़ी हुई तो नींद के कारण लड़खड़ाई और फर्श पर गिरने लगी। समीर ने एक ही हाथ से मुझे पीठ से अपनी बांह में उठाया। उस हाथ के दूसरे छोर पर उनकी उंगलियां मेरे स्तनों को दबा रही थीं। उनके दुसरे हाथ ने मेरे सर को उठा के रखा था। जैसे राज कपूर और नरगिस का स्टेचू होता था वैसे ही हम दोनों लग रहे होंगे।
मैंने अपनी आँखें खोली तो मेरी आँखों के सामने ही समीर की ऑंखें पायीं। मुझे ऐसा लगा जैसे समीर एकदम जैसे मेरे होंठ से होंठ मिलाकर मुझे उसी समय चुम्बन कर लेंगे। उनकी आँखों में मुझे वासना की भूख दिख रही थी। मेरे बदनमें जैसे बिजली के करंट का झटका लगा हो ऐसे मैं काँपने लगी। यदि उस समय समीर ने मुझे चुम लिया होता तो मैं कुछ भी विरोध न करती। मेरी हालत ही कुछ ऐसी थी।
परन्तु समीर ने अपने आपको सम्हाला। उन्होंने मुझे धीरे से सोफे पर बिठाया और खुद कंप्यूटर के पास जाकर प्रिंट लेने की तैयारी में लग गए। हमारे बदन की करीबियों से न सिर्फ मैं, परन्तु समीर भी हिल गए थे। समीर ने मुझे जब तक वह अपनी तैयारी कर लें तब तक दफ्तर के छोटे से स्टेशनरी रूम में से प्रिंटिंग कागज़ का एक पैकेट लाने को कहा।
मैं उठ खड़ी हुई और वह छोटे से कमरे में घुसी जहां छपाई के काम आनेवाले कागज़ के पैकेट एक ऊँचे ढेर में रखे हुए थे। मैंने थोड़ा कूदकर ऊपर वाले पैकेट को लेने की कोशिश की तब अचानक ही एक चूहा जो कगजों के ढेर के ऊपर था, मेरे सर पर कूद पड़ा। मैं जोर से चिल्लाने लगी पर वह चूहा मेरे बालों में घुसा और अचनाक पता नहीं कहाँ गायब हो गया।
समीर अपनी जगह से भागते हुए आये और बोले, “क्या बात है? तुम चिल्ला क्यों रही हो?”
डर के मारे मैं बोल भी नहीं पा रही थी। मैं फिर जोर से बोल पड़ी, “चूहा!”
मुझे सुनकर समीर जोर से ठहाका मार कर हंस पड़े और फिर अपने आपको नियत्रण में रखते हुए बोले, “चूहा? कहाँ है चूहा?”
अचानक मैंने महसूस किया की मेरी ब्रा के अंदर मेरे स्तनों के ऊपर कुछ चहल पहल हो रही थी। चूहा मेरी ब्रा में घुसा हुआ था और मेरी निप्पलों से खेल रहा था। मैंने समीर से चिल्लाते हुए कहा, “वह तो मेरे ब्लाउज में घुसा हुआ है। उसे तुम जल्द निकालो। प्लीज?” मैं ड़र के मारे लड़खड़ा गयी और गिरने लगी।
समीर ने कुछ सोचे समझे बिना अपना एक हाथ मेरे कूल्हे के निचे रखा और मुझे ऊपर उठा कर मेरी दोनों टांगों को अपनी दोनों टांगों के बिच में जकड लिया ताकि मैं निचे न जा गिरूं और दुसरा हाथ मेरी ब्रा को हटा कर उसमें डाल दिया और चूहेको बाहर भगा दिया। चूहा निचे गिर पड़ा और भाग कर जाने कहाँ चला गया। लेकिन समीर का हाथ जस के तस मेरे स्तनों के ऊपर ही रहा और वह धीरे धीरे मेरे दोनों स्तनों को दबाने और सहलाने लगे। उनकी उंगलियां मेरी निप्पलों के साथ खेलने लगीं। उन्होंने अपनी हथेली में मेरे स्तनों को दबाया और फिर मेरी फूली हुई निप्पलों को जोरों से दबाने लगे। उनका दुसरा हाथ मेरे कूल्हों के निचे मेरी गांड के बीचो बिच की दरार पर था और वह मेरी साडी के ऊपर से ही अपनी उँगलियों को अंदर घुसाने की कोशिश में लगे हुए थे।
शुरू में तो चूहे के डर के मारे, मेरे होशो हवास उड़े हुए थे। पर जैसे मुझे जुछ समझ आने लगा तो समीर के मेरे स्तनों से खेलने और मेरे कुल्हेमें उंगली करने से मैं जैसे मंत्रमुग्ध सी हो गयी। ऐसा मैंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था। चाहते हुए भी मैं उनका हाथ मेरी चूँचियों पर से हटाने में अपने आपको असमर्थ पा रही थी। मुझे लगा जैसे मैं एक नशे में थी। ऐसे ही दो या तीन मिनट बीत गए होंगे और मुझे पता भी न चला। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
धीरे धीरे मुझे परिस्थिति का एहसास होने लगा। मैं समझ गयी की अगर मैंने उस समय कुछ नहीं किया तो पक्का ही था की उस रात वहाँ कुछ न कुछ जरूर हो जाता। मैंने धीरेसे समीर का हाथ मेरे स्तनों पर से हटाया और अपने आपको संतुलित करने की कोशिश की।
मैं खड़ी हुई और अपने आप को सम्हाला। मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं चूहे निकालने के लिए समीर शुक्रिया करूँ या मेरी चूँचियों को और कूल्हों को सहलाने और दबाने के लिए उनकों डाँटू। मैं चुप रही। और क्या करती? मैं बड़ी ही उलझन में थी। इसलिए नहीं की समीर ने मेरे साथ जो किया वह ठीक नहीं था, पर इसलिए की मैं समीर की शरारत का विरोध करना तो दूर, मैं उसके कार्यकलाप से उत्तेजित हो रही थी। समीर का मेरी चूँचियों को सहलाना मुझे अच्छा लगने लगा था। समीर भी मुझे बाहों में लेकर बहुत गरम हो गए थे। उन्होंने जब मेरी दोनों टांगों को अपनी दोनों टांगों के बिच जकड़ कर पकड़ा हुआ था तब उनका लण्ड एकदम कड़ा और खड़ा हुआ था और मेरी जांघों के बिच में ठोकर मार रहा था ।
जब समीर की उत्तेजना कम हुई और उन्हें अपनी गलती समझ आयी तो वह एकदम शर्मिंदा होकर हिचकिचाते हुए माफ़ी मांगते हुए बोले, “मुझे माफ़ करदो नीना। मैं अपने होशोहवास में नहीं था। जो हुआ वह इतना अचानक हो गया। ऐसा करनेका मेरा कोई इरादा नहीं था प्लीज?
मैंने समीर की और देखा। ऐसा लग रहा था की वह वास्तव में दिल से पश्चाताप कर रहे थे। मैं समीर की और देखकर मुस्काई और मैंने कहा, “चलो भाई, ठीक है। चिंता मत करो। कभी कभी ऐसा हो जाता है। हम बहाव में बह जाते हैं।” मैं खड़ी हुई और अपने कपड़ों को ठीक करते हुए अपनेआपको सम्हालते हुए काममें लग गयी।
मेरे बॉस तो मेरी रिपोर्ट देखकर ख़ुशी से पागल से हो गए। उनको मुझसे इतनी जल्दी और इतनी बढ़िया रिपोर्ट की उम्मीद नहीं थी। रिपोर्ट को समीर ने इतने सुन्दर तरीके से बनाया था की हमारे डायरेक्टर ने मेरे बॉस को पूछा की इतनी बढ़िया रिपोर्ट किसने बनायी थी। हमारे डायरेक्टर ने दो दिन के बाद सारे स्टाफ को बुलाया और सबके सामने मेरे उस काम की भूरी भूरी प्रशंशा की और मुझे खास तोहफा दिया। पुरे कार्यक्रम के दरम्यान मैं समीर की और देखती रही। सारा काम तो समीर ने किया था। मैं समीर को आगे करना चाहती थी। मैं चाहती थी की इनाम समीर को मिले। पर समीर ने मेरी और देखकर मुझे चुप रहने का इशारा किया और कुछ भी बोलने से मना कर दिया। मुझे बहुत तालियां और मुबारक बाद मिले और मैं मन में ही मनमें दुखी होती रही की जो यश समीर को मिलना चाहिए था, वह मुझे मिल रहा था।
प्रोग्राम के बाद जब मैंने समीर से पूछा की उसने मुझे कुछ भी बोलने से रोका क्यों? तो समीर ने कहा, “अरे बुद्धू लड़की! अगर तू यह बताती की वह काम तूने नहीं किया था तो जानती है क्या होता? तुझे अभी तक काम आया नहीं इस लिए तेरी नौकरी खतरे में पड़ जाती। और अगर उन्हें यह पता लगता की वह रिपोर्ट मैंने बनायीं थी तो बॉस मुझ पर इल्जाम लगाते की मैं तुम पर ज्यादा ध्यान दे रहा हूँ और मेरे काम पर कम। तो मेरी नौकरी को खतरा होता। इसिलए जो हुआ वह ही ठीक था।’
मुझे अपना फीडबैक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ जरुर करें। ताकि कहानियों का ये दोर देसी कहानी पर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
समीर की बात भी बड़ी तर्कसंगत थी। वास्तव में यह सही था की समीर ने मेरी व्यावसायिक प्रगति को चार चाँद लगा दिए। मुझे समझ नहीं आया की मैं उनका शुक्रिया कैसे करूँ। मुझे यह बहुत ही अजीब सा लगा की मैं समीर के एहसान का बदला कैसे चुकाऊं?
मैंने समीर से कहा, “समीर, मुझे समझ में नहीं आ रहा की मैं आपका यह क़र्ज़ कैसे चुकाऊँगी। ”
आँख मटकते कहा, “चिंता मत करो, मैं सूद के साथ इसको वसूल करलूँगा।” मैं सोच रही थी की अच्छा होता वह मुझसे कुछ मांग लेते। पर कुछ न मांग कर समीर ने मुझे एक उलझन में डाल दिया।
मैंने परे पति राज को सारी बातें विस्तार पूर्वक बतायीं। मैंने नहीं छुपाया की कैसे समीर मेरे स्तनों से खेलता रहा और मेर कूल्हों की दरार में ऊँगली डालता रहा। मैंने राज से कहा, “वाकई मैंने समीर को न डांटने की भूल की है। मुझे अब ऐसा लग रहा है की जैसे मैंने ऐसा न करके पाप किया है। मैं अपने आप को दोषी मान रही हूँ।”
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी..
पाठकों से निवेदन है की आप अपना अभिप्राय जरूर लिखें ईमेल का पता है “[email protected]”.

शेयर
maa ki gand me lundmaa ki chudai bus mesax satory hindisagi maa ko chodacute tamil sex storiesnew chudai hindimaa ki chudai ki khaniyadesi kahani maa betanewsexstorieschut ki chudai hindi kahaniwww kamukta comlesbian seduction storiesteacher chudai kahaniphone pe sexmastram ki chudai kahaniभाभी बोली- तुम्हें देख कर मुझे तो बहुत प्यार आता हैhindi sex kahani freesex stories bhabhidesikhani2schoolgirl sex storiessex kahani in assamese languagemummy ko sote hue chodaindian cartoon sex storiesbhai ne bhan ko chodadesi fantasy storieswww anterwasna story comsex chat to readdesi wife sharing storiesholi history in hindichudai ka gharmarathi fount sex storymeri sexy chudaiodia gihanasex with sister storiesindian mom son sexpunjabi sex indianbahan ki chudai kahani hindipron story in hindikannada sex stories in newsexy in indiangay story videossexy kahaniyawww meri sex story comhindi gay xxxwww randi ki chudai comxxx kahane hindebada mota lundindia hindi sexhidi sex storychachi ko chodadehati bhabhi chudaihindi sez storiesfudi mari storyxdesi indian comdesi hinde sexsexy khania in hindidesi chaddibengali boudi sex golporecent chudai kahanireal suhagrat sexdelhi wali girl friendmom ko bathroom me chodakachi umar me chudaixxx hindi kahaniyandevar bhabhi hindi sex storytamil old aunty kamakathaikalnind me chudai ki kahanisex stories teacherdesikahnixossip holifirst suhagraat sex