नमस्कार दोस्तो, आपका अपना दीप पंजाबी एक लम्बे अरसे बाद आपके मनोरंजन के लिए एक नई सेक्स गाथा लेकर फेर हाज़िर है। वैसे तो मेरी पहचान बताने की जरूरत नही, ज्यादातर मित्र बहुत अच्छी तरह से जानते है। लेकिन फेर भी इस साईट पे नए जुड़े मित्रो के लिए बतादू मैं दीप पंजाबी, पंजाब से हूँ। लगभग 3 दर्जनों कहानिया इस साईट के जरिये आप लोगो तक पहुंच चुकी है। समय निकाल कर वो भी पढ़ लेना।
चलो बाते बहुत हो गयी अब मेन मुद्दे पे आते हैं। हमारी आज की कहानी उदयपुर के अजय श्रीवासतव ने भेजी है। हमारी कहानी की मुख्य नायिका की बात करे तो उसका नाम है सविता अग्रवाल (30) जो के मूल रूप से उदयपुर के किसी गांव की ही रहने वाली है। उसकी शादी कपिल अग्रवाल (33) से हुई है, जो के कैमिस्ट की दुकान के मालिक हैं।
भगवान का दिया सब कुछ है उनके पास बस नही तो उनका एक वारिस नही है। जिसकी वजह से वो अक्सर परेशान से रहते है। ऐसे ही एक दिन उनकी ज़िन्दगी में अजय नाम का सक्ष आया। जिसने उनकी पूरी ज़िन्दगी ही बदल दी। तो आगे की कहानी सुनो अजय की जुबानी…..
हलो दोस्तों मैं अजय श्रीवास्तव उदयपुर से हूँ। मेरी उम्र 30 वर्ष है। मैं एक प्राइवेट कम्पनी के दफ्तर में काम करता हूँ। मैं काम की वजह से अपने परिवार से दूर अकेला शहर में रहता हूँ। मैं और कपिल दूर की रिश्तेदारी में से भाई है।
एक दिन मैं किसी जरूरी काम से उनके शहर आया और वापसी पे जाते जाते कपिल की दुकान पे चला गया। दोनों ने बैठकर खाया पीया हंसी मज़ाक किया। दरअसल मैं कपिल की शादी पे ही उससे मिला था।
उसके बाद काम काज में इतना उलझ गया के मिलने का मौका ही नही मिला। मुझे नही पता था के कपिल के कोई औलाद नही है, एक दिन मैंने उसे ऐसे ही पूछ लिया।
मैं — और सुनाओ कपिल भाई, कैसी कट रही है जिंदगी, भाभी जी और बाल बच्चे कैसे है ?
कपिल — क्या बताऊ यार ज़िन्दगी का, बहूत उलझी हुई है। भाभी तेरी वैसे तो बहुत बढ़िया है, बस एक ही कमी है के उसकी गोद अभी तक सूनी है।
मैं — क्या कहा, गोद सूनी है। कमाल के आदमी हो यार, बताया भी नही, मुझे तो लगा के अब तक तो भाभी 2-3 बच्चों की माँ बन चुकी होगी।
कपिल — सही सुना तुमने अजय, सविता आज तक माँ नही बन पायी है। बहुत से डाक्टरों को दिखाया, परन्तु कही कोई सन्तोषजनक हल नही मिला।
ये भी नही के मुझमे कोई कमी है, मेरे शुक्राणु भी पूरे है और पूरा गर्भ तक जाते है लेकिन फेर भी पता नही क्यों वो गर्भवती नही होती। मैंने तो उसे दिल्ली, मुम्बई तक की दवाई खिलाकर देख ली, पैसे भी बरबाद कर लिए लेकिन कोई ख़ुशी देने वाली बात नज़र नही आई।
अब तो दिल करता है के किसी अनाथ आश्रम से कोई बच्चा गोद ले आउ और बाकी रहती ज़िन्दगी भी आसानी से गुज़र जाये। लेकिन सविता बहुत ज़िद्दी है, कहती है के मैं किसी पराये के बच्चे को सीने से नही लगाउंगी। अगर इस घर का वारिस कोई बच्चा हुआ भी तो मेरे पेट से जन्मा हुआ ही होगा, वरना नही होगा। अब तुम ही बताओ, मैं क्या करू?
मैं – बात तो वाकया ही गहरी सोचने वाली है। लेकिन यार इतनी साइन्स बढ़ गई है आज तो शायद ही कोई ऐसा रोग होगा, जिसका इलाज़ सम्भव न हो। फेर भी अगर आप बुरा न मानो तो कुछ दिन के लिए भाभी को मेरे साथ मेरे यहाँ भेज दो। मेरा एक दोस्त मशहूर डॉक्टर है। उनको आपकी रिपोर्ट्स दिखाकर कोई सलाह वगैरह ले सकते है।
कपिल – ऐसा करो तुम आज मेरे घर पे रहो, आज हम उससे बात करेगे। यदि सविता मान गई तो तुम उसे अपने साथ अपने शहर ले जाना।
मैं — ठीक है, देखते है क्या होता है ?
इतने में शाम हो गयी और हम दोनों दुकान बन्द करके कपिल के घर आ गए। घर पे आते ही कपिल ने मेरा परिचय सविता से करवाया, “सविता ये है अजय, मेरी दूर की रिश्तेदारी में मामा का लड़का है। ये बहुत साल बाद आज अपने घर आया है। इसकी सेवा में कोई कमी नही आनी चाहिए।
मैंने और सविता ने एक दूसरे को नमस्ते बुलाई और वो किचन में से हम दोनों के लिए पानी लेने चली गयी। मुझे तो सविता पहली ही नज़र में भा गई, जिसका शायद उसको भी संकेत मिल गया था। लेकिन अजनबी रिश्तेदार होने की वजह से बात साफ नही हो सकी।
सविता ट्रे में 2 गिलास पानी के लेकर आई और हम दोनों को परोसे। मेरी तो नज़र ही सविता पे अटक गयी। मन में सोचने लगा काश मुझे भी ऐसी बीवी मिल जाये न तो मज़ा आ जाये। वो इसी ख्याल में खोया हुआ था के कपिल ने मेरे कन्धे पे हल्का सा धफ्फा मारते हुए पूछा, क्यों कैसी लगी तेरी भाभी, मस्त है न,
मैं– हाँ भाई, बहुत मस्त है, आप किस्मत वाले ओ, जो ऐसी मस्त बीवी के हकदार हो। सच पूछो तो मुझे आपसे जलन महसूस हो रही है।
इसपे हम ठहाका मारकर दोनों जोर से हंसे। इतने में सविता चाय लेकर आई और पूछा, किस बात को लेकर दोनों भाई हंस रहे है, मुझे भी बतादो न, थोडा मैं भी खुश हो सकूँ।
कपिल — हम क्यों बताये आपको, ये बात तो हम दोनों की सीक्रेट है !
और फेर ठहाका लगाकर हंस पड़े।
स्वाति – चलो न बताओ, आपकी मर्ज़ी, ये लो चाय पीलो, वरना ठंडी हो जायेगी।
सबने इकठे होकर चाय पी और ढेर सारी बाते करने के बाद कपिल ने सविता को मेरे सामने ही पूछ लिया,” सविता तुमसे एक जरूरी बात करनी है।
सविता — हांजी कहिये, मैं सुन रही हूँ।
इस से पहले कपिल कुछ बोलता, बीच में मैं बोल पड़ा,” भाभी बात दरअसल ये है की मैंने और कपिल भाई ने dicide किया है के आपको मेरे साथ मेरे शहर चेकअप के लिए जाना होगा। जिस से ये sure हो जायेगा के किस कमी की वजह से आपकी कोख अभी तक हरी नही हुई है ?
सविता — वो तो ठीक है लेकिन हम ऐसे चेकअप पहले भी बहुत से करवा चुके है, सबमे रिपोर्ट्स नॉर्मल ही आती है। फेर बाहर से अलग टेस्ट करवाने का क्या फायदा, हम पहले ही कितने रूपये खराब कर चुके है। कोई हल मिला क्या ? नही ना…. तो और ज्यादा पैसे की बर्बादी क्यों ?? भगवान ने मेरी गोद भरनी होती तो अब तक भर चुके होते, वैसे भी अब मेरा भगवान के ऊपर से विश्वास सा उठ गया है, मैंने पता नही पिछले जन्म में कोनसे पाप किये है, जो अब तक मातृत्व सुख से वंचित हूँ।
मैं – भाभी मैं आपका दुःख भली भाँति समझता हूं। लेकिन एक बार और दिखने में क्या हर्ज़ है। मेरा खास दोस्त अमेरिका से इसकी नॉलज लेकर आया है और उसने अपनी लैब खोली है। आप एक बार मेरे साथ चलो, मेरा दिल कहता है के आपको नामोशी नही उठानी पड़ेगी।
कपिल — हां, सविता मान भी जाओ न प्लीज़ एक बार, अजय भी हमारे भले के लिऐ ही इतना कर रहा है, वरना तुम ही सोचो इसमें इसका क्या फायदा है ?
सविता — चलो ठीक है, जैसा आपको अच्छा लगे। लेकिन मेरी भी एक शर्त है की ये लास्ट चांस है। इसके बाद इस मैटर के बारे में आपकी कोई बात नही मानूंगी।
कपिल – चलो, ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, अब ज्यादा बाते न करो, खाना बनाओ और तैयार हो जाओ जाने के लिए। रात की 9 बजे की ट्रेन है।
आधे घण्टे में ही खाना पानी तैयार करके सविता खुद भी तैयार हो गयी।
शाम के 8 बजे कपिल हमे स्टेशन छोड़ आया। रात के 9 बजे की ट्रेन थी, जो सीधे मेरे शहर तक जानी थी।
दोस्तों कहानी जारी रहेगी, तब तक अपना फीडबैक जरुर लिखियेगा।
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