नमस्कार दोस्तों, मैं समीर फिर से हाज़िर हूँ कहानी का दूसरा भाग लेकर।
तो दोस्तों अब तक आपने पढ़ा कि कैसे भाभी और मेरे बीच अंतरंग सम्बन्ध बने और कैसे हमने इसका आनंद लिया। परिचय में समय न बर्बाद करते हुए आगे की घटना बताता हूँ।
अब तक मैंने भाभी को चूत मर्दन कर एक बार स्खलित कर दिया था । भाभी मेरे मुंह में स्खलित हुईं थीं और अब मैं और भाभी उनको यौवन का रस पान कर रहे थे एक दूसरे से चुम्बन लिप्त हो कर।
भाभी अब और भी ज़्यादा खुल गयी थी मेरे साथ और बेहिचक मेरे शरीर का आनंन्द ले रही थी अपने हाथों के स्पर्श से, इस आनंद में भाभी ने अपना हाथ कब मेरे लंड पर रख दिया पता ही नही चला।
उतेजना के इस खेल में उनके हाथ का आभास अपने लंड पर तब हुआ जब मेरे लंड ने मुझे हुंकार मार कर अपने चरम पर पहुचने की चेतावनी दी।
मैं तुरंत भाभी से अलग हुआ चुम्बन तोड़ कर , भाभी भी असमंजस में आ गयी की मुझे अचानक क्या हो गया।
उनकी प्रश्नवाचक दृष्टि और चुम्बन अलग होने की असहजता साफ़ उनके चेहरे पर दिख रही थी।
मैंने उनको समझते हुए एक चुम्बन उनके होठों पर दिया और उनके निचले होठ को अपने होठ की गिरफ़्त में लेते कर दांतो से काटते हुए कहा – भाभी आपका तो पानी निकल गया लेकिन अपने अगर ऐसे ही मेरे लंड को अपने कोमल हाथों से सहलाती रहीं तो मेरा पानी अब आपके हाथ में निकल जायेगा।
भाभी मेरी बात सुन कर थोड़ा मुस्कुराईं और बोली, अपने प्यारे देवर का पानी में बर्बाद नही होने दूंगी ऐसे, और मुझे धक्का दे कर चित लेटा दिया उन्होंने और अब वह मेरे ऊपर थी। उनके गोलमटोल सुडौल चूचे मेरे चेहरे पर लटक रहे थे, जो कि मुझे उतेजना के चरम पर ले जा रहे थे।
तभी उन्होंने अपने हाथों से मेरे दोनों बाज़ू पकडे और मेरे मुंह पर झुक कर मुझे चुम्बन करने लगीं। उनके इस अदा ने मुझे जैसे घायल कर दिया था।
मैं वैसे ही उसी अवस्था में पड़ा रहा और उन्हें मुझे चुम्बन करने का आनंद लेने लगा। अब तक मैंने जो परम सुख उनको दिया था वह उसका हिसाब बराबर कर रहीं हों मानों।
वह जब चुम्बन में मगन होती और उतेजना में अपनी स्थिरता खोती तो उनके चूचे मेरे सीने से यूं चिपकते मानों खोद कर रास्ता बना रहे हो।
उनके चूचक मेरे सीने पर चुभती तो शरीर में 440 वाल्ट का करंट दौड़ने लगता। अब भाभी भी चुम्बन कर के धीरे धीरे मेरे चेहरे के अन्य भागों को चूमने चाटने लगी थी। जिससे उनकी कामुकता साफ़ झलक रही थी।
ये इशारा था कि उनकी चुत पुनः तैयार हो रही थी यौनक्रिया का आनंद लेने के लिए।भाभी नीचे सरकते सरकते मेरे गले और सीने को बेतहाशा चूमने और चाटने लगीं थीं।
फिर अचानक उनका पूरा ध्यान मेरे छोटे छोटे चुचकों पर केंद्रित हो गया हो मानों। वह इस तरह उन पर टूट पड़ी जैसे कल हो ही न जो करना हो आज करलो।उनकी इस हरकत ने मेरे लंड को झंझोर कर रख दिया, जिसका पता उन्हें भी चल रहा था।
जब जब भाभी मेरे चुचकों पर अपनी जीभ चलतीं या उन्हें दांतो में लेकर मसलती तो लंड स्वतः ही सलामी ठोकने लगता जो सीधे उनकी चूत से रगड़ता। भाभी की चूत पुनः तैयार थी।उससे फिर से पानी रिसने लगा था।
अब भाभी नीचे होती हुई मेरी नाभि पर जीभ फिराती मेरे लंड पर आ गयीं। उनके मुलायम और गर्म होठों का स्पर्श पाकर मेरे पुरे शरीर में कंपकंपी से दौड़ गयी।
जिसे भाभी ने महसूस किया तो मानो सातंवे आसमान पर पहुँच गयीं हों। अब उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर लंड के टोपे पर अपने होठों से चुम्बन लिया। फिर अपने मुंह में भर लिया जैसे कि कोई कुल्फी हो।
उनके मुंह की गर्मी मुझे और मेरे लंड को चरम उतेजना का आनंद दे रही थी थोड़ी देर ऐसे ही मुंह में रख कर जब भाभी ने लंड को अंदर बहार करना शुरू किया तो आनंद की मानों कोई सीमा ही न बची हो।
इस प्रकार बिना कहे कोई पहली बार मेरा लंड चूस रहा था मन तो कर रहा था क्या न करदूँ भाभी के लिए। उनके लंड चूसने के तरीके से नही लग रहा था कि वह ऐसा पहली बार कर रही हों।निपुड़ खिलाड़ी की तरह लंड चूस रही थीं।
जब भी वह तेज़ सी से लंड अंदर बहार करती तो अपने आप ही कमर ऊपर को चली जाती और आनंद बढ़ जाता। भाभी अब बीच बीच में अपनी जीभ से मेरे लंड के छेद को भी स्पर्श कर रही थीं और जीभ इसप्रकार चला रहीं थी छेद पर मानों पूरा लंड निचोड़ लेंगी।
जैसे जैसे वह अपना मुंह मेरे लंड पर चला रही थीं अब मैं चरमोत्कर्ष की तरह बढ़ रहा था, तभी उन्होंने अपने मुंह मेरे लंड से हटा लिया और मेरे लंड के नीचे लटक रहे टाट्टों पर जीभ घुमाने लगीं।
मेरी उतेजना का ठिकाना नही था अब की तभी कुछ ऐसा किया उन्होंने जिसकी आशंका मुझे नही थी। उन्होंने मेरे टाट्टों को अपने मुंह में भर लिया और इस तरह चुभलाने लगीं की मेरी तो जान ही निकल रही थी।
उनके इस उपहार ने मुझे उनका कृतग्य बना दिया था। कुछ देर ऐसे ही टाट्टों को चूसने के बाद वापस लंड मुंह में लेकर चूसने लगीं। लेकिन अब वह साथ ही मेरे टाट्टों को भी अपने हाथों से प्यार से सहला रही थीं।
उनका ये प्यार मुझे मेरे चरम पर ले आया और जब में स्खलन के नज़दीक पंहुचा तो मैने भाभी से कहा कि मैं झड़ने वाला हूँ उन्होंने मेरी बात को सुना अनसुना कर दिया और अब और ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को चूसने लगीं मानों कोई फ्रूटी में स्ट्रॉ डाल कर चूस रहा हो।
कुछ ही शनो में मैं उनके मुलायम होठों की रगड़ और उनके मुंह की गर्मी से उनके मुंह में ही स्खलित हो गया और उन्होंने मेरे लंड से निकलने वाले मेरे वीर्य की एक एक बूंद गटक ली।
अब में उनके मुंह में झाड़ चूका था और उनके मुंह की गर्मी ने मेरे लंड को ढीला कर दिया था । भाभी फिर भी मेरे लंड को यूँ ही चुस्ती रहीं और मेरे टाट्टों से खेलती और सहलाती रहती।
कभी जब वह ज़्यादा उतेजित होती तो मेरे लंड को हलके हलके दांतो से काटने लगती उनकी इन सब हरकतों ने धीरे धीरे कुछ ही देर में फिर से उतेजित कर दिया, और एक बार फिर से मेरा लंड अपना आकार लेने लगा। भाभी के इस तरह से मेरा लंड चूसने और चाटने से मेरा लंड एक बार फिर से पूरी तरह से तैयार था।
अब भाभी ने देर न करते हुए मुझे पलट कर अपने ऊपर खींच लिया। अब भाभी मेरे नीचे लेटी थीं और मैं उनके ऊपर था, मेरे ऊपर अब उनके दूध से शरीर को देख कर मदहोशी सी छा रही थी।
मैंने सब कुछ भूल कर भाभी को फिर से चूमना शुरू कर दिया। अब मैं भाभी के होठों को अपने मुंह में लेकर फिर से चूमने लगा और अपनी जीभ उनके मुंह में पेल कर उनकी जीभ को चूसने लगा।
मेरे चुम्बन का भाभी पर अलग ही असर हुआ , भाभी अब पहले से भी ज़्यादा कामुक हो गईं थीं। अब वह अपनी कमर उठा उठा कर मेरे लंड पर रगड़ रही थी जैसे कि लंड न मिला तो पागल हो जाएंगी।
मैंने भी अब भाभी को छेड़ने की सोची और अपने लंड को उनकी चूत से दूर कर देता जब भी वह अपनी चूत लिंगमुंड से लगा कर रगड़ती।
भाभी मेरी इस हरकत से झुंझला उठी और उन्होंने चुम्बन से अलग होते हुए मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया, और अपनी चूत पर सेट करते हुए अंदर लेने की कोशिश करने लगीं। मैं भी कहाँ पीछे हटने वाला था।
मैं भी अपने लंड को पीछे कर लेता, जब भाभी से बर्दाश्त न हुआ तो उन्होंने जोर से मेरे निचले होठों को मुंह में लेकर दांत चुभा दिए जिससे मुझे काफी दर्द हुआ और होंठ पर जहाँ उन्होंने दांत लगाये थे, वहां से खून आ गया थोड़ा सा मैंने भी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए अपना लंड एक ही बार में उनकी चूत के अंदर घुसा दिया।
भाभी का ज़ोर का झटका लगा, मेरे इस वार से जिसकी भाभी को उम्मीद नहीं थी । भाभी के मुंह से एक ज़ोर की चीख निकली और आंख से आंसू आ गए।
मुझे अंदर से थोड़ा बुरा लगा लेकिन हूँ तो एक मर्द ही न लंड पर गर्व भी महसूस हुआ कि एक शादीशुदा औरत की चीख निकल दी लंड डाल कर।
मैं अब भाभी को संभालते हुए थोड़ा सा ठहर गया और भाभी को फिर से अपने आगोश में लेकर चुम्बनबद्ध हो गया। जब भाभी भी फिर से मेरे चुम्बन का प्रतिउत्तर देने लगीं तो मैने फिर से अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया।
भाभी अब मेरे हलके हलके धक्कों का पूरा सहयोग कर रहीं थीं अपनी कमर उचका उचका कर । जोकि उनके आनंद को दर्शा रहा था। भाभी थोड़ी थोड़ी देर में अपने हाथों को पीठ पर सहला रही थी मानो हर धक्के का आनंद ले रहीं हो।
जब भी में अपने लंड को उनकी गहराई में उतरता तो भाभी के मुंह से एक हलकी सी सिसकी आहः के रूप में आती।
मैं भी भाभी की चूत का पूरा आनंद उठा रहा था। भाभी की चूत की गर्मी और योंकि की कसावट मेरे लंड को एक अलग ही आनंद दे रही थी।
जब मैं लंड को चूत में पूरा घुसता तो उनकी चूत मेरे लंड को ऐसे गिरफ्त में ले लेती जैसे छोड़ना ही न हो और जैसे ही में पीछे खींचता अपने लंड को चूत प्पः की आवाज़ के साथ लंड को बाहर की ओर भेजती।
ऐसे ही धक्के लगाते हुए 10 मिनट हो गए और भाभी की चूत में कसावट और ज़्यादा बढ़ गयी जिसका मतलब था कि भाभी अपने स्खलन की तरफ बढ़ रही है।
मैंने भी भाभी को उनके स्खलन का एक अलग ही आनंद दिलाने की ठानी और अब मैंने अपनी गति बढ़ा दी और तेज़ धक्के मारने लगा।
बीच बीच में मैं अपने लंड को चूत से पूरा बाहर निकल कर एक झटके में ही अन्दर घुसा देता था। मेरी इस हरकत से भाभी और तेज़ सियाकियां लेती। जो मुझे और भी आनंद देता।
इसी प्रकार जब भाभी की गिरफ्त और बढ़ने लगी मेरे लंड और मेरी पीठ पर तो मैने भी झटकों की गति और बढ़ा दी।
भाभी अपनी पूरी ताकत से करम ऊपर लती और पुरे ज़ोर से मेरे लंड को अपनी चूत में घुसा लेती। उनकी इस अदा पर मेरा मर मिटने का जी चाह रहा था।
अब भाभी अपने स्खलन के चरम पर थी और दो तीन धक्कों में ही भाभी ढेर हो गईं। मैंने भी भाभी के स्खलन का सम्मान करते हुए अपने धक्के धीरे धीरे काम किये उनके काम रास की स्खलन की गति के हिसाब से और उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में कास के जकड़ लिया मानों मेरे अन्दर समां जाना चाहती हों।
फिर जब उनकी सांसे सम्भली और वह अपने होश में आईं तो उन्होंने मुझे बिना कुछ कहे चूमना शुरू कर दिया और ज़ोर से अपने से दबा कर पीठ पर हाथ सहलाने लगीं।
उनके इस तरह से मुझे प्यार करने की वजह से मेरी नज़र उनकी नज़र से टकरा ही गयी और उन्होंने धीरे से इशारा से धन्यवाद् कहा। अब तक वह अपने को संभाल चुकी थीं।
अब मैंने फिर से धक्के मारने शुरू कर दिया लेकिन लेटे लेटे भाभी को चोदते हुए थाल गया था तो मैंने अपनी पोजीशन बदलने की सोची और भाभी की चूत से अपना लंड निकाल लिया।
भाभी समझ नही पायी की में क्या चाहता हूँ तो उन्होंने पूछा क्या हुआ।
मैंने कहा कुछ नही बस ऐसे करते करते थक गया मज़ा नही आ रहा ऐसे।
तो भाभी ने पूछा तो कैसे करोगे तब।
मैंने भाभी को खींचा और बिस्तर के कोने पर ले आया। उन्हें कमर उठाने को बोल कर उनकी कमर के नीचे तकिये लगा दिए दो।अब भाभी कुछ ऊँची हो गयी थीं।
मैंने भाभी के पैरों को पकड़ा और एक को उठा कर अपने कंधे पर रख दिया और दूसरे को फैला कर अपनी कमर के पीछे कर दिया। भाभी की चूत अब पहले से ज़्यादा फ़ैल गयी थी।
भाभी को भी अब मज़ा आ रहा था चुदने में मुझसे। और जब में धक्के लगता तो मेरे टट्टे उनकी गांड पर लड़ते तो एक अलग ही आनंद का अनुभव होता।
अब मैं जोश में आकर भाभी की चूत बहुत बुरी तरह से चोद रहा था। भाभी फिर से सिसकियाँ लेने लगीं थी। मेरे झटकों के साथ मैं भी अपने स्खलन की तरफ बढ़ने लगा था।
जैसे जैसे मैं झटके बढ़ा रहा था भाभी की चूत फिर से और कसने लगी थी। ये भाभी का तीसरा स्खलन था। भाभी अब पूरी तरह पागल हो रही थीं। और ज़ोर की आवाज़ें निकलने लगीं थीं। मेरी पीठ भाभी की उतेजना की गवाही दे रही थी।
भाभी ने फिर से अपने नाख़ून मेरी पीठ में गड़ाने शुरू कर दिए थे और पूरी ताकत से मेरे लंड को अपनी चूत में रोकने की कोशिश करतीं।
उनकी चूत की कसावट और गर्मी मेरे लंड को हथियार डालने पर मजबूर कर रही थी। मेरी उत्जेजना अब चरम पर थी और उत्जेजना में आकर मैंने भाभी की टाँगों को और फैला दिया और झटको की गति बढ़ा दी।
करीब 8 से 10 झटकों में ही मैं और भाभी एक साथ झड़ने लगे। मैंने अपना वीर्य भाभी की चूत में ही झाड़ दिया मेरा और भाभी का वीर्य भाभी की चूत से रिस कर बाहर आ रहा था। भाभी इस स्खलन के बाद पूरी तरह से निढाल हो गईं थीं।
मैं भी थका हुआ महसूस कर रहा था। हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को बाँहों में भरे सो गए।
तो दोस्तों ये थी मेरी और मेरी भाभी की पहली चुदाई की कहानी,जोकि शुरुआत थी एक नयी कहानी की। अपने कमैंट्स और सुझाव के लिए की आपको स्टोरी कैसी लगी? मुझे ईमेल कर सकते हैं! अपना कीमती फीडबैक ज़रूर दें।
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