अनीता ने एकबार मुझे रात के दस बजे फ़ोन किया की उसके बाथरूम का नलका ज्यादा पानी लीक कर रहा था। यदि उसको तुरंत ठीक नहीं किया तो उसकी पानी की टंकी खाली हो सकती थी। अनिल उस समय टूर पर था।
जब अनीता का फ़ोन आया तब मैंने अपने पास पड़े हुए सामानमें से कुछ वॉशर, प्लास इत्यादि निकाला। जब नीना ने पूछा तो मैंने सारी बात बतायी। नीना मेरी और थोड़ी टेढ़ी नजर करके देखा, पर कुछ ना बोली।
मैंने उससे पूछा, “तुम चलोगी क्या? तब वह बोली, “बुलाया तो तुमको है। मैं क्यूँ बनूँ कबाब मैं हड्डी?”
जब मैं खिसिया सा गया तो हंस कर बोली, “अरे मियां, तुम जाओ, मैं तो मजाक कर रही थी। मैं बहुत मजेदार सीरियल देख रही हूँ। जाओ अपना काम करके आ जाना।”
फिर थोड़े धीरे शरारत भरे ढंग से बोली, “अगर कुछ बताने लायक हो तो बताना। छुपाना मत। मैं बुरा नहीं मानूंगी।”
मैं भी उसे कहाँ छोड़ने वाला था? मैंने कहा, “हाँ, जरूर बताऊंगा। पर निश्चिंत रहना, मैं अनिता को रसोई के प्लेटफार्म पर चढ़ा कर निचे नहीं गिराऊंगा।”
मेरे मजाक से मेरी भोली बीबी झेंप सी गयी। तब मैंने उसके होंठ पर किस करते हुए हंस कर कहा, “जानेमन, मैं भी मजाक ही कर रहा था।“
मैं अनीता के घर गया उस समय वह नाईटी पहने हुए थी। उसने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। मुझे देखकर उसने अपने कंधे पर एक चुन्नी सी डाल दी और बोली, “देखो ना, मैं आपको इतनी देर रात को परेशान कर रही हूँ। पर क्या करूँ? अनिल नहीं है। खैर, वह होता तो भी क्या करता? वह तो दूसरे दिन प्लम्बर को बुलाऊंगा यह कह कर सो जाता..
तुमने कहा था की मैं तुम्हे आधी रात को भी बुला सकती हूँ। तब फिर मैंने हिम्मत करके तुम्हे बुलाया। अगर यह अभी ठीक नहीं हुआ तो पूरी रात पानी जाता रहेगा और कल सुबह टंकीखाली हो जाएगी। फिर घर का सारा काम ठप्प हो जायगा।“ अनिता बेचारी बड़ी परेशान लग रही थी।
मैंने बाथरूम में जाकर देखा की नलके का वॉशर खराब था। मैं जब बाथरूम में घुसा तो अनीता भी मेरे साथ बाथरूम में घुसी। मैं एक स्टूल सा लेकर बैठ गया। अनीता आकर ठीक मेरे बगल में खड़ी हो गयी। मैं उसकी गरम साँसों को अपने गालों पर महसूस कर रहा था। एक दो बार मैंने अपनी कोहनी हटाई तो उसके बूब्स से टकराई।
मेरे शरीर में जैसे एक झनझनाहट सी दौड़ गयी। मेरी धड़कनें तेज हो गयी। मेरा मेरा ध्यान काम पर कहाँ लगना था। वह इतनी करीब खड़ी थी की मेरी कोहनी उसके भरे हुए स्तन को जैसे छू रही थी। मेरी तो हालत ख़राब थी, पर अनीता को तो जैसे कोई फरक नहीं पड़ता था। मैंने अपने पास से एक वॉशर निकाला और झटसे बदल दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
बस नलका टपकना बंद हो गया। अनीता ऐसी खुश हुयी जैसे उसकी लाटरी लग गयी हो। जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर निकला तो वह मुझसे लिपट सी गयी। मैं क्या बताऊँ मेरी हालत कैसी थी। मेरा लण्ड मेरी पतलून में ऐसे खड़ा हो गया था जैसे सैनिक परेड में खड़ा हो। अनीता जब मुझसे लिपट गयी तब शायद उसने भी मेरे कड़क लण्ड को महसूस किया होगा।
वह थोड़ी झेंप कर अलग हो गयी और बोली, “राज, मैं आज तुम्हे बता नहीं सकती की मैं कितनी खुश हूँ। आज शाम से मैं परेशान थी की मैं क्या करूँ। तुम्हें डिस्टर्ब करने के लिए मुझे माफ़ तो करोगे न? पता नहीं मैं तुम्हारा यह अहसान कैसे चुकाऊंगी।” अनीता ने फिर मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और उसे सहलाते अपना आभार जताया।
मैंने यह बोलना चाहा की, “बस एकबार मुझसे चुदवालों, हिसाब बराबर हो जाएगा। ” पर मैं कुछ बोल नहीं पाया।
मैंने अनीता के कन्धों पर अपना हाथ रखा और बोला, “अनीता, अनिल ने एक बार मुझसे कहा था की मैं नीना में और तुम में फर्क न समझूँ, और तुम और नीना, अनिल और मुझ में फर्क मत समझना। क्या तुम भी अनिल से सहमत हो?”
अनीता ने अपनी मुंडी हिलायी और बिना बोले अपनी सहमति जतायी।
मैंने कहा, “तो फिर एहसान कैसा? अगर यही समस्या नीना की होती तो क्या मैं उसके लिए इतना काम न करता?” मेरी यह बात सुनकर अनीता थोड़ी सी इमोशनल हो गयी। वह मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर तक छोड़ने आयी। बाहर जाते जाते एकदो बार अनीता के भरे हुए बड़े बडे मम्मे मेरी बाँहों पर टकराये।
मैं समझ नहीं पाया की क्या यह अनीता जान बुझ कर कर रही थी और मुझे कोई इशारा कर रही थी या चलते चलते चलते हिलते हुए वह अनायास ही मेरी बाहों से टकरा गए थे।
मैंने भी अनीता को यह सन्देश दे डाला की वह मुझमें और अनिल में फर्क ना समझे। मैं बाहर जाकर अपनी बाइक पर बैठ कर वापस चला आया।
उसदिन के बाद कुछ दिनों तक कई बार मुझे अफ़सोस होता रहा की यदि उसदिन मैं चाहता तो शायद अनीता को अपनी बाँहों में लेकर उसको किस करता उस के गोरे बदन को नंगा कर और शायद चोद भी पाता। परंतु मैं जल्द बाज़ी में हमारे संबंधों को बिगाड़ना नहीं चाहता था।
मैं जब वापस आया तब नीना बिस्तरमें मेरा इंतजार कर रही थी। मैं जानता था की वह वह मुझसे वहाँ क्या हुआ यह सुनने के लिए बेताब थी। मैंने भी हाथ मुंह धोया और बिस्तर में उसके पास जाके अपने कपडे निकाल के लेट गया। उसने जब महसूस किया की मैं तो बिल्कुल नंगा बिस्तर में घुसा हुआ हूँ तो बोली, “लगता है आज कुछ तीर मार के आये हो तुम। बोलो, चिड़िया जाल में फँसी या नहीं।”
मैने नीना को अपनी बाँहों में घेर लिया। मैं उसके नाइट गाउन को उतारने में लग गया। उसके नाइट गाउन को खोल कर उसे बाजू में रख कर फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मुंह पर मुंह लगा कर उसके रसीले होंठ चूसने लगा। मेरा खड़ा लंड उसकी चूत को टक्कर मार रहा था। वह कुछ बोलना चाहती थी, पर चूँकि मैंने उसके होठ होंठ कास कर दबाये हुए थे इसलिए वह कुछ बोल नहीं पायी।
मैंने धीरे से अपने होंठ हटाये और बोला, “चिड़िया जाल में तो फंस सकती थी, पर मैंने उसे नहीं फंसाया। मैं उसे आसानी से फंसा लूंगा अगर तुम सपोर्ट करो तो।”
“तुम्हे मुझसे सपोर्ट चाहिए, एक दूसरी औरत को फ़साने के लिए?” बड़े आश्चर्य से उसने पूछा।
मैंने उसे सहलाते हुए कहा, “हाँ। मुझे तुम्हारा सपोर्ट ऐसे चाहिए की हम कुछ ऐसा करें की जिससे ऐसा ना लगे की अनिल पर या तुम पर पर कोई ज्यादती हो रही है।”
नीना बड़ी उत्सुकता से मेरी बात सुन रही थी। मैंने कहा, “अगर में आज अनीता के साथ कुछ करता और अगर तुम्हे या अनिल को वह मालूम पड़ता, तो क्या तुम्हें मनमें एक तरह की रंजिश न होती? क्या अनिल इससे आहत न होता?” नीना मेरी बात बड़े ध्यान से सुन रही थी। उसने अपना सर हिलाके हामी भरी।
मैंने फिर मेरी पत्नी को सारा किस्सा सुनाया। मैंने उससे कुछ भी नहीं छुपाया। मैंने कहा, “शायद यदि मैं चाहता तो अनीता को अपनी बाँहों में आज जक़ड सकता था, चुम भी सकता था, और शायद चोद भी सकता था। पर मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। मैं तुम्हे बताये बिना कोई ऐसा काम नहीं करूँगा जिससे तुम्हे चोट पहुंचे। ”
मेरी बात सुनकर नीना भावुक हो गयी और बोली,” यही बात तुम्हारे दोस्त पर भी लागू होती है। तुम उस दिन अनिल के बारे में मुझे खरी खोटी सूना रहे थे न? तुम्हारे कहने पर मैं जब अनिल के सामने तौलिया पहन के आयी तो उसने मुझे छुआ भी नहीं। वह चाहता तो सब कुछ कर सकता था..
मैं भी उसे शायद रोक नहीं पाती। हम एकदूसरे के इतने करीब खड़े थे। तब भी उसने कुछ नहीं किया। हाँ वह बादमें थोड़ा भावुक हो गया और मुझे बाहों में ले लिया। पर तुरंत उसने मुझसे माफ़ी भी मांगी। हाँ, मैं ये मना नहीं करुँगी के अगर मैं उसे और ज्यादा लिफ्ट देती तो वह मुझे छोड़ता नहीं। शायद मुझे वहीँ चोद देता। पर वह तो हर मर्द करता।“
एक तरफ मेरी बीबी यह कह रही थी की अनिल ने उसे छुआ भी नहीं पर तुरंत वह कह रही थी की अनिल ने उसे अपनी बाहों में ले लिया था। मैं समझ गया की नीना अनिल का पक्ष ले रही थी।
नीना मेरे पास आयी और मुझे अपने हाथों से मेरी छाती पर पिटनेका नाटक करती हुई बोली, “यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है । न तुम मुझे अनिल को उकसाने के लिए कहते और न यह सब होता। मुझे आज इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही है।” यह बोलते हुए भी मेरी बीबी का मुंह शर्म से जैसे लाल हो गया।
मैंने महसूस किया की तब मेरी बीवी इतनी कामान्ध हो गयी की उसने अपनी पोजीशन बदली और मेरे पॉव के बिच पहुँच कर मेरा लण्ड अपने मुंह में डाल कर बड़े प्यार से चाटने लगी। फिर धीरे से वह मेरे लण्ड को मुंह के अंदर बाहर करने लगी जैसे वह मुंहसे अपनी चुदवाइ करवा रही हो। मैं बहुत उत्तेजित हो गया था। मेरे लण्ड में गरम खून दौड़ रहा था। उत्तेजना के मारे मैं अपने आप को सम्हाल नहीं पा रहा था।
जो मेरी प्यारी पत्नी ने हमारी शादी के इतने सालों से नहीं किया था, वह आज कल वह आसानी से मुझे खुश करने के लिए कर रही थी। आजतक उसने मेरे कई बार कहने पर भी मेरा लण्ड कभी भी अपने मुंह में नहीं डाला था। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
आजकल वह मेरे आग्रह किये बिना ही मुझे खुश करने के लिए वह मरे लण्ड को न सिर्फ मुंह में डालती थी पर उसे बड़े प्यार से चूसती भी थी। उसे पता था की ऐसे करने से मैं बहुत उत्तेजित हो जाता हूँ। मेरी प्यारी पत्नी के साथ मैं अब वैवाहिक जीवन का वह आनंद उठा रहा था जो मुझे शादी के सात सालों में भी नसीब नहीं हुआथा। कहीं ना कहीं इसमें अनिल का भी योगदान था इसमें कोई शक नहीं था।
मैंने उसे मेरी टांगो के बिच से उठाकर अपने सीने से लगाया और बोला, “डार्लिंग, मैं तुम्हे इतना चाहता हूँ की जिसकी कोई सिमा नहीं। मैं तुम्हें जीवन के सब सुख अनुभव करवाना चाहता हूँ। एक मर्द जीवन में कई औरतों को चोदता है। मैंने भी तुम्हारे अलावा कुछ लड़कियों को और औरतों को शादी से पहले चोदा है..
अगर तुम मुझसे इतना प्यार नहीं करती तो मैं शादी के बाद भी किसी न किसी औरत को चोदता होता। मैं तुम्हें भी ऐसे आनंद का अनुभव करवाना चाहता हूँ। अपनी पत्नी या अपने पति के अलावा और किसीको चोदने में या और किसीसे चुदवाने में कुछ अनोखा ही आनंद आता है। यह मैं जानता हूँ। वही आनंद मैं चाहता हूँ की तुम अनुभव करो।“
मुझे तब ऐसा लगा जैसे मेरी बात सुनकर नीना कुछ रिसिया गयी। वह मेरा हाथ छुड़ा कर बोली, “जानू, मैं सच बोलती हूँ। मुझे मात्र तुमसे ही सेक्स का आनंद लेनाहै। मैं तुम से बहुत ही खुश हूँ। पर लगता है तुम मुझ से खुश नहीं हो इसीलिए ऐसा सोचते हो। मैंने तुम्हें पूरी छूट दे रखी है। जहां चाहे जाओ, जिस किसीको चोदना है चोदो। मैं तुम्हे नहीं रोकूंगी।”
फिर मैंने नीना की चिबुक पकड़ कर कहा, “मेरी प्यारी डार्लिंग मेरी कसम है यदि तू ज़रा सा भी झूठ बोली तो। सच सच बताना, अनिल ने जब तुझे बाँहों में लेकर डांस किया था और जब तुम अनिल के ऊपर धड़ाम से गिरी और उस समय जब अनिल ने तुम्हे बाहों में लिया और तुम्हारे बूब्स दबाये तो क्या तुम उत्तेजित नहीं हुयी थी? आज सिर्फ सच बोलना।”
नीना जैसे सहम गयी। उसने कभी सोचा भी नहीं था की इस तरह कभी उसे भी कटहरे में खड़ा होना पड़ेगा। उसके गाल शर्म के मारे लाल हो गये। थोड़ी देर सोच कर वह बोली, “हां यह सच है। मैं झूठ नहीं बोलूंगी। उसे छू कर मेरे जिस्म में रोमांच सा हो रहा था। पर मैंने कभी भी उसके या किसी और के बारे में ऐसा वैसा नहीं सोचा। एक बात और भी है..
शादी का बंधन एक नाजुक धागे से बंधा हुआ है। कभी कभी उसे ज्यादा खींचने से वह धागा टूट सकता है। ऐसे पर पुरुष सम्बन्ध का मतलब उस धागे को ज्यादा खींचना। एक बात और। अपनी पत्नी को पर पुरुष से जातीय सम्बन्ध के लिए उकसाना खतरनाक भी हो सकता है। हो सकता है मुझे दुसरेसे चुदवाने में मझा आने लगे और मैं बार बार दूसरे मर्द से चुदवाना चहुँ तो?”
बातों बातों में मेरी सीधी सादी पत्नी ने मुझे वैवाहिक सम्बन्ध की वह बात कह डाली जो एक सटीक खतरे की और इंगित करती थी। मेरी बीबी ने मुझसे अनिल का नाम लिए बगैर यह भी कह दिया की एक बार चुदने के बाद हो सकता है वह अनिल से बार बार चुदवाना चाहे..
तब फिर मुझे इसकी इजाज़त देनी होगी। पर मैंने इस बारे में काफी सोच रखा था और मेरी पत्नी के लिए मेरे पास भी सटीक जवाब था। हालांकि मेरी पत्नी की बातों से मुझे एक बात साफ़ नजर आयी की पिछले कुछ दिनों में नीना और अनिल के थोड़े करीब आने से मेरी पत्नी का अनिल के प्रति जो भय अथवा वैमनस्य था, वह नहीं रहा था। मुझे अब हमारा रास्ता साफ़ नजर आ रहाथा।
तब मैंने कहा, ” डार्लिंग, मुझे एक बात बताओ, मानलो आज दिन में अनिल ने तुम्हे यदि चोद दिया होता, तो क्या तुम मुझे छोड़ देती? या क्या मैं तुम्हें छोड़ देता? मैं तुम्हें यह कहना चाहता हूँ की सेक्स और प्रेम में बहुत अन्तर है। आज हम पति पत्नी मात्र इस लिए नहीं हैं क्योंकि हम एक दूसरे से सेक्स करते हैं..
बल्कि हम पति पत्नी इस लिए भी हैं क्योंकि हम न सिर्फ एक दूसरे से प्यार एवं सेक्स करते हैं पर एक दूसरे की जिम्मेदारियां, खूबियाँ और कमियां हम मिलकर शेयर करते हैं और उसका फायदा या नुक्सान हम क़बूल करते हैं। यदि हम अपने इस बंधन से वाकिफ हैं तो ऐसी कोई बात नहीं जो हमें जुदा कर सके। मैं तो एक जातीय अनुभव करने के मात्र के लिए ही कह रहा हूँ।” नीना कुछ न बोली और चुपचाप मुझे देखने लगी।
उस रात को नीना बहुत खिली हुई लग रही थी। मैंने मेरी पत्नीको इतनी बार झड़ते हुए कभी नहीं देखा। शायद वह हमारी बातों को याद करके अपने ही तरंगों में खोयी हुई थी।
मेरी ज़िन्दगी में बहार सी आ गयीथी। अब मैं पहले से कई गुना खुश था। दूसरी और अनिल भी अपने सपनों में था। उस दिन जब रसोई में वह नीना के इतने करीब आ पाया था, यह सोचने से ही उत्तेजित हो रहा था। पहले उसने जब नीना को देखा था तो वह उसे एक मात्र सपनों में आनेवाली नायिका के सामान लग रही थी।
वह नायिका जो मात्र सपनों में आती है और जिसके छूने कि कल्पना मात्र करने से पुरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। वह वास्तव में भी कभी इतने करीब आएगी यह सोचने से ही उसके बदन में एक आग सी फ़ैली जा रही थी।
एकदिन शाम को हम दोनों दोस्त एक क्लब में जा बैठे। अनिल उसी दिन अपने टूर से वापस आया था। मैं वास्तव में बहुत खुश था। पिछली रात को नीना ने मुझे गले लगा कर इतना प्यार कियाथा की मैं उसके नशे में तब तक झूम रहा था। अनिल ने मुझे इतने खुश होने का कारण पूछा।
मैंने उसे कहा की इसका कारण वह खुद ही था। अनिल एकदम अचम्भे में पड़ गया। उस से जो मैं कहना चाहता था कह नहीं पाया और चुप हो गया। अनिल ने तब कहा, “खैर, मुझे यह बताओ की मेरे घरमें तुम्हारी विजिट कैसी रही? अनीता ने मुझे कहा की उसने एक बार तुम्हे रात को घर बुलाया था।”
मैंने फिर वही सारी कहानी पूरी सच्ची अनिल को सुनाई। जब अनिल ने सुना की अनीता मुझसे लिपट गयी थी तो वह जोर से हंस पड़ा और बोला, “देखा, मेरी बीबी ने भी यह बात मुझसे छुपाई थी। पर तुमने मुझसे नहीं छुपाई। अरे यार, तुम तो बड़े सच्चे और कच्चे निकले। तुम्हारी जगह अगर मैं होता न तो मैं तो अनीता की बजा ही देता।”
मैंने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा, “यार, मैं कोई साधू नहीं। पर तू मेरा पक्का दोस्त है। देख मैंने भी बड़ी मुस्श्किल से संयम रखा था। मन तो मेरा भी उछल रहा था। पर मैं तुम्हें आहत करना नहीं चाहता था।”
अनिल ने तब मुझे एक बात कही। उसने कहा, “यार, तू क्या समझता है? मैं क्या अपनी बीबी को तेरे बारे में बताता नहीं हूँ? मैं अनीता को दिन रात तेरे बारे में बताता हूँ। मैंने तो मेरी बीबी से यहां तक कह दिया है, की यदि राज तुमसे थोड़ी बहुत छेड़खानी भी करे तो बुरा मत मानना। वैसे सच बताओ यार, तुम्हे मेरी बीबी कैसी लगी?”
मैं यह सुनकर हक्काबक्का सा रह गया। तब फिर मरी झिझक थोड़ी कम हुई। मैंने अनिल से पास जाते हुए कहां, “अनिल, सच कहूं। जब अनीता मेरे इतनी करीब बैठी ना तो मेरे तो छक्के छूट गए। मैं तो पसीना पसीना हो गया। बाई गॉड यार, भाभी तो कमाल है।”.
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी.. और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.