मैं सुबह उठ कर तैयार होकर जब ऑफिस जा रहा था तब मैंने जाते जाते नीना को एक लम्बी सी किस होठों पर की। फिर बाई बाई करते हुए कहा, “तुम्हे याद तो है ना? एक बार अनिल को थोड़ा उकसा कर उसका टेस्ट करके तो देखो की तुम सच्ची हो या मैं। बोलो करोगी ना?”
मेरी पत्नी नीना ने मुझे धक्का देते हुए कहा, “ठीक है बाबा, याद है। मैं सोचूंगी। अब ऑफिस भी जाओगे या यही बातें करते रहोगे?
मैं फिर पलटा और उसको बाँहों में जकड कर बोला, “सोचना नहीं, करना है। बोलो करोगी ना? वादा करो।“
मुझे बाहर आँगन में मस्ती करते हुए देख कर नीना हड़बड़ा गयी और बोली, “कैसे पागल हो। क्याकर रहे हो? आसपास सब लोग खड़े देख रहे हैं। ठीक है बाबा मैं करुँगी। वादा करती हूँ। अब तुम जाओ भी।”
मैं हँसते हुए चल पड़ा।
उस दिन दोपहर को मैंने अनिल से फ़ोन पर पूछा, “नीना ने मुझे मैगी के दो पैकेट लाने के लिए कहा था, पर मुझे अभी काम है। मैं जा नहीं पाउँगा। क्या तुम मैगी के दो पैकेट नीना को घर दे आओगे? मैं तुम्हारा एहसानमंद रहूँगा।”
मैं जानता था की अनिल को तो मेरे घर जाने का बहाना चाहिए था। उसे इससे बढ़िया बहाना और क्या मिल सकता था? उसने तुरंत कहा की वह मेरे घर के पास ही कहीं जा रहा था। वह जरूर मैगी के पैकेट पहुंचा देगा। मैंने तुरंत नीना को फ़ोन किया और बोला, “नीना डार्लिंग, अनिल थोड़ी देर में हमारे घर आएगा। क्या उसका स्वागत करने के लिए तैयार रहोगी?”
नीना ने झुंझलाते हुए कहा, “तुम क्या अभी तक उस बात को भूले नहीं हो? तुम अनिल की परीक्षा कर रहे हो या मेरी? आखिर तुम चाहते क्या हो?”
मैंने कहा,”तुम मुझे यह बताओ, तुम करोगी या नहीं?”
तब नीना ने असहायता दिखाते हुए कहा, “मैं क्या करूँ? ठीक है बाबा, मैं चेंज करती हूँ। लगता है तुम मुझसे कुछ न कुछ उल्टापुल्टा करवाके ही रहोगे पर अगर कुछ गड़बड़ हो गई, तो मुझे दोष मत देना।”
मैंने कहा, “तुम मेरी डार्लिंग हो मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और करता रहूंगा। यह करने के लिए मैं तुम्हे जान बुझ कर कह रहा हूँ। कुछ होगा तो वह मेरी गलती है, ना की तुम्हारी। मैं तुम्हें कभी भी दोष नहीं दूंगा। ”
हमारी बात चित के आधे घंटे में ही अनिल घर पहुंचा और उसने बेल बजाई पर किसीने दरवाजा नहीं खोला। तब अनिल ने दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया। जब वह अंदर आया तो घर में कोई नहीं था। उसने बाथरूम में नहाने की आवाज सुनी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।
अनिल समझ गया की नीना बाथरूम में नहा रही थी। अनिल ड्राइंग रूम में बैठ कर इंतेजार करने लगा। तभी बाथरूम के अंदर से आवाज आयी, “सुचित्रा, मैं आती हूँ। तू रसोई में जा कर बर्तन साफ़ कर।” सुचित्रा हमारे घर में सफाई, बर्तन, पोछा इत्यादि करती थी। अनिल समझ गया की नीना को लगा की सुचित्रा आयी थी।
थोड़ी ही देर में नीना बाथरूम से बाहर आयी। वह तौलिये में लिपटी हुई थी। जब उसने देखा की रसोई में कोई नहीं था तो वह ड्राइंग रूम में आयी। तब उसने अनिल को देखा। अनिल ने नीना को तौलिये में लिपटे हुए देखा तो उसकी तो सिटी पट्टी गुम हो गयी।
नीना का आधे से ज्यादा बदन खुला हुआ था। उसके उन्नत स्तनोँ का मस्त उभार दिख रहा था। तौलिया नीना की जांघों तक ही था। नीना की सुडौल जांघे अनिल को पागल बना रही थी। नीना के भीगे हुए बाल उसके मुंह और पुरे बदन पर बिखरे हुए थे। भीगी हुयी नीना उसे सेक्स की मूर्ति लग रही थी।
जब नीना ने अनिल को देखा तो वह एकदम चिल्लाने लगी। फिर यह सोच कर एकदम चुप हो गयी की कहीं पड़ौसी उसकी चीख सुनकर भागते हुए आ न जाएँ। वह थोडी सहम कर बोली, “अरे अनिल, तुम? यहाँ, इस वक्त?”
अनिल की जबान पर तो जैसे ताला लग गया था। बड़ी मुश्किल से बोला, “नीना मुझे माफ़ कर दो। मुझे पता नहीं था की तुम नहा रही हो। मैंने घंटी तो बजायी पर दरवाजे पर कोई न आया। राज ने फ़ोन किया था की तुम्हे मैगी के दो पैकेट चाहिए। वह देर से आयेगा इस लिए उसने यह पैकेट मुझे लाकर तुम्हे देने के लिए बोला।”
ऐसा कहते हुए अनिल ने नीना को मैगी के दो पैकेट हाथ में थमाये। पर उसकी नजर तो नीना के मम्मो पर अटकी हुयी थी। जब नीना मैगी लेने करीब आयी तो अनिल से तौलिये में झांके बगैर रहा नहीं गया। हालाँकि नीना ने तौलिया एकदम ताकत से पकड़ रखा था, नीना के स्तन तौलिये में समा नहीं रहे थे और बाहर से ही दिखायी दे रहे थे। नीना की जांघे घुटने से ऊपर तक नंगी थीं। उस समय अनिल का मन किया की वह नीना को अपने आहोश में कर के वहीँ उस पर चढ़ जाय और चोद डाले।
अनिल नीना के अधनंगे बदन को देख कर अपना नियंत्रण रख नहीं पाया। उसने आगे बढ़ कर नीना को अपनी बाँहों में ले लिया। नीना ने शायद अनिल के मन के भाव भाँप लिए थे। उसने आपना तौलिया और ताकत से पकड़ा। नीना की अपनी समस्या थी। वह एक हाथ में तौलिया पकडे थी और दूसरे हाथ में मैगी। वह अनिल का विरोध करने में असमर्थ थी। उसने अपने बदन को हिला हिला कर अनिल के बाहुपाश से छूटने की बड़ी कोशिश की, पर अनिल की ताकत के सामने उसकी एक न चली।
अनिल ने उसे अपनी बाहोँ में लपेट कर अपने होठ नीना के होठ पर रखना चाहा। तब नीना ने एक हाथ में पकड़ा मैगी का पैकेट फेंक दिया और उस हाथ से अनिल को धक्का देकर दूर हटाया और भागती हुयी बैडरूम में चली गयी। अचानक उसे ध्यान आया की उसने अपने पीछे बैडरूम का दरवाजा तो बंद नहीं किया था। वह डर के मारे कांप रही थी की कहीं अनिल पीछे पीछे बैडरूम में न आ जाए। पर जब नीना ने पीछे मुड़कर देखा तो अनिल भौंचक्का सा ड्राइंग रूम में बुत की तरह खड़ा उसे देख रहा था।
थोड़ी देर मैं नीना कपडे चेंज कर नाईट गाउन पहन कर आयी। अनिल ड्राइंग रूम में ही था। नीना ने अपने केश बाँधे नहीं थे। खुले बालों में वो फिर भी उतनी ही सेक्सी लग रही थी। अनिल ने देखा की गाउन के नीचे शायद नीना ने कुछ और पहना नहीं था। क्योंकि उसके बदन के सारे उभार उसके गाउन में से साफ़ नजर आ रहे थे। उस वक्त अनिल की शक्ल रोनी सी हो गयी।
अनिल ने नीचे झुक कर नींना से कहा, “भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये। आप को उस हालत में देख कर मैं अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पाया। मैंने बड़ी भारी गलती कर दी। जब तक आप मुझे माफ़ नहीं करेंगे तब तक मैं यहां से नहीं जाऊँगा। और राज को इस बारेमें मत बताइयेगा। कहीं वह मुझसे बोलना बंद न कर दे।“
नींना तो जानती थी की उस ने ही अनिल को उकसाया था। उसे तो पता था की अगर अनिल ने उसे ऐसी हालत में देखा तो क्या होगा। वह शुक्र मना रही थी की अनिल उसके पीछे बैडरूम में नहीं आया। अगर वह आया होता तो नीना उसे रोक नहीं पाती।
नीना तब हंस पड़ी और बोली, “अनिल तुम कोई चिंता मत करो। जो हुआ इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। मुझे भी उस हालात में ड्राइंग रूम में नहीं आना चाहिए था। तुम्हारी जगह कोई और भी तो हो सकता था। तब तो और भी मुसीबत हो जाती। मैं राज को कुछ नहीं बताऊंगी। मैं चिल्लाने के लिए शर्मिंदा हूँ। तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।“ यह कह कर नीना रसोई में से चाय बना कर ले आयी।
अनिल को चाय देते हुए नीना ने अनिल से कहा, “माफ़ी तो मुझे भी तुमसे मांगनी है। मैंने तुम्हारी गिफ्ट को नकार दिया था उसके लिए प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैं तुम्हें गलत समझ रही थी। राज ने मुझे बताया की तुम वह गिफ्ट उसे पूछ कर ही मुझे दे रहे थे।“
फिर नीना ने उसे शरारत भरे लहजे में कहा, “अब मुझे वह गिफ्ट चाहिए। और वह ही नहीं और भी गिफ्ट लाते रहना।“
उसके बाद तो जैसे अनिल की चांदी हो गयी। इसके बाद नीना अनिल से कोई औपचारिकता नहीं रखती थी। जब भी अनिल आता तो नीना ख़ास उसे बात करने ड्राइंग रूम में उसके पास आती और उसके साथ भी बैठ जाती थी। कई बार नीना अनिल को रसोई में भी बुला लेती और दोनों इधर उधर की बातें करते।
मेरे सामने भी नीना अब अनिल से शर्माती नहीं थी। कई बार मैंने देखा तो वह अनिल के कोई जोक पर अनिल का हाथ पकड़ कर हंसती थी। परंतु उन के बिच कोई जातीयता वाली बात नहीं दिख रही थी। अब जब वह घर आता तो उसकी आव भगत होने लगी। वह मुन्नू के साथ खेलता और उसको कभी चॉकलेट तो कभी आइसक्रीम ला कर उसने मुन्नू का मन जीत लीया। नीना के साथ भी उसने काफी दोस्ती बनाली थी।
मैं जब नहीं रहता था तब भी अनिल आता जाता रहता था। जब भी अनिल मेरी अनुपस्थिति में आता तब मुझे अनिल और नीना दोनों बता देते थे। नीना अनिल को छोटे मोटे काम भी बताने लग गयी थी। अनिल कभी मेरी अनुपस्थिति में सब्जी लाता तो कभी ग्रोसरी।
मैंने महसूस किया की धीरे धीरे अनिल और मेरी पत्नी नीना के बिच कुछ कुछ बात बन रही थी। अगर बात बन नहीं रही थी तो उनके बिच कोई बात में वैमनस्य भी नहीं रहां था। नीना के मनमें अनिल के प्रति अब पहले जितना शक और डर नहीं रहा था।
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