Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 21


अब आगे की कहानी – उस समय तो मैं अपने बदन की आग में झुलस रही थी और देख रही थी की राज भी उसी आग में तड़प रहा था। मैं भी राज की और आकर्षित थी और शायद मेरे मन में भी राज को पाने की कामना की आग भड़क रही थी। मैं उसे अनदेखा करनेकी कोशिश में लगी हुई थी। पर उस दिन जब राज ने मेरी आँखों में देखा तो मैं पागल से हो गयी।
मेरे हर एक अंग में उत्तेजक काम वासना की अग्नि भड़कने लगी। मैं राज की ऋणी थी। राज ने मेरे लिए अपना जीवन दाँव पर लगा दिया था और वह मेरे कारण उस रात को मुश्किल से मौत के मुंह में से बच निकला था। मेरे ह्रदय में एक भूचाल सा उठ रहा था। मेरी नैतिकता और निष्ठा की नींव हील रही थी, कमजोर हो रही थी। उसके लिए मेरे पति का भी तो बड़ा योगदान था।
मेरा पति अनिल मुझे उकसा रहा था की मैं राज से शारीरिक सम्बन्ध स्थापित करूँ। एक अजीब सी स्थिति बन रही थी। अगर मैं यह कहूँ की सब मेरी मर्जी के खिलाफ हो रहाथा तो वह सच नहीं था। मैं राज को अपना सर्वस्व देना चाह तो रही थी पर सामाजिक बंधनों और प्रणालीयोंके बंधन में बंधा हुआ मेरा मस्तिष्क इसकी इजाजत नहीं दे रहा था। पर मन मष्तिष्क की बात कहाँ सुनता है। इसी कारण जब मेरे पति मुझे उकसा रहे थे तो मेरे पॉंवों के बिच मेरी योनि से जैसे मेरे स्त्री रस की धार बह रही थी।
अचानक राज ने अपना एक हाथ मेरे गाउन के ऊपर मेरी छाती पर रखा। मैं अज्ञात डरके मारे काँप उठी। राज मेरे स्तनों को हलके से सहलाने की कोशिश कर रहे थे। वह डरते थे की कहीं मैं कोई विरोध न कर बैठूं। पर मेरे हाल ही कहाँ थे की मैं कुछ करूँ। मेरे पॉंव एकदम ढीले पड़ गए। मैं कुछ भी बोल न सकी। मेरी बुद्धि कह रही थी की मैं राज का हाथ हटा दूँ, और मन कह रहा थी की बस अब जो हो चुका वह हो चूका। अगर मैं चाहती तो राज का हाथ हटा सकती थी। पर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
जब राज ने देखा की मैं उसके स्पर्श पर कोई विरोध नहीं कर रही हूँ तो उन्होंने पहली बार स्पष्ट रूप से मेरे स्तनों को अपनी हथेली में थोड़े दबाये। पुरे बदन में उठी मेरी कम्पन शायद राज ने भी महसूस की। मैं राज के सर पर झुकी और मेरे स्तनों को मैंने राज के नाक पर रगड़ा। अनजानेमें (क्या वाकई में? या फिर जान बूझकर?) ही मैंने राज को यह संकेत किया की मैं भी चाहती थी की वह मेरे स्तनों को स्पर्श करे।
राज ने अपना सर थोड़ा उठाया और मेरे होंठों को अपने होंठों पर दबा दिए। दूसरी बार राज मुझे चुम्बन करने की चेष्टा कर रहे थे। पर इस बार मैंने मेरे होठों को राज के होंठों पर चिपका दिए और पूरी उत्कटता पूर्वक मैंने राज के चुम्बन को अपनी सकारात्मक सहमति दे डाली। उतना ही नहीं, जब राज ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाली तो मैंने उसे चूसना शुरू किया। मैं राज को उस समय कोई नकारात्मक संकेत देने की स्थिति में थी ही नहीं। तब मैं भी राज के मुंह में अपनी जीभ डालकर उनके मुंह में अपनी लार छोड़ रही थी जिसे राज ने लपक कर चूसना शुरू कर दिया। अब राज और मैं एकदूसरे के बाहुपाश में बंध चुके थे और एक दूसरे को पुरे उन्माद से चुम्बन कर रहे थे।
हमारे बिच की मर्यादाओंकी दिवार जैसे ढहनी शुरू हो चुकी थी। अबतक राज मुझे पुरे सम्मान पूर्वक “अनीता भाभी” के नामसे सम्बोधित कर रहे थे और मैं उन्हें कभी राज तो कभी राज भाई साब कहती थी। अब राज ने मुझे चूमते चूमते बीचमें “अनीता, प्यारी अनीता, डार्लिंग तुम्हारे होंठ कितने रसीली और सुन्दर हैं। तुम कितनी प्यारी और सेक्सी हो।” इत्यादि कहना शुरू कर दिया और एक हाथ से मेरे स्तनों के उभार को अपने हाथों और उँगलियों में बड़े प्यार से अनुभव करना और उनको हलके से दबाना शुरू किया।
मेरे जहन में एक बात आयी। प्यार और सम्मान में कितना अंतर है? सम्मान में अपनापन नहीं होता। सम्मान में एक दुरी होती है। प्यार मेंअपनापन होता है। इंसान प्यार में सबकुछ दाँव पर लगा सकता है। पर सम्मान में जो कुछ अपनी मर्यादामें रहकर हो सकता है वह ही करता है। प्यार में “आप” का प्रयोग आवश्यक नहीं। अक्सर प्यार में “आप”, “तुम” अथवा “तू” में बदल जाता है। अब राज के मन में मेरे लिए और मेरे मन में राज के लिए एक अपना पन, एक प्यार पैदा हो गया था। जिसमें एक दूसरे के प्रति सम्मान तो था ही पर उसे बाहर से दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। हो सकता है उसका मुख्य हेतु अपनी शारीरिक भूख मिटाने का ही क्यों न हो। आखिर पति पत्नी के रिश्ते की नींव भी तो जातीय कामुकता पर ही खड़ी है न?
मुझे ऐसा लगा जैसे हमारे बिच की दूरियां उस समय ख़त्म होने जा रहीथी। राज मुझे अपनी समझ ने लगे थे। मुझे भी अब राज पर एक तरह का ममत्व और अधिकार का अनुभव होने लगा था। मैंने राज की प्यासी आँखों में झांका। अब मेरे लिए राज कोई पराये नहीं रहे थे। मुझे उनकी प्यास बुझानी थी। राज की प्यास बुझाने पर मेरी प्यास भी तो बुझनी ही थी। यही तो प्यार का दस्तूर है न?
मैंने राज का हाथ मेरे हाथों में लिया और बड़े प्यार से मेरी गाउन की ज़िप पर रख दिया। मैंने राज को अपनी दुविधा में से मुक्त किया। राज ने धीरे से ज़िप का लीवर निचा किया तो मेरे दो पके बड़े फलों के समान स्तन युगल गाउन के आवरण से मुक्त हो कर राज की आँखों के सामने लहराने लगे। राज की लोलूप आँखें मेरे चुचियोंको लहराते देख अधिरी लग रही थी। अपने दोनों हाथों में मेरी चूचियों को पकड़ा और उन्हें अपने हाथों में जैसे उनका वजन भाँप रहें हो ऐसे उठा रहे थे।
मेरी लंबी निप्पले कपडे टांगने के हुक की तरह कड़क खड़ी हो गयी थीं। राज की आँखें उन पर गड़ी हुई थीं। धीरे से राज ने अपनी दो उँगलियों के बिच मेरी एक निप्पल को दबाना और खेलना शुरू किया। क्या उसे पता था की मेरे स्तनों के स्पर्श मात्र से मैं अपना आपा खो बैठती थी? राज ने मेरे दोनों स्तनों को आपस में एकदूसरे से साथ जोर से दबाये और उनसे प्यार से खेलने लगे। मुझसे रहा नहीं जारहा था। मेरे स्तनों के स्पर्श से मेरे पुरे बदन में एक तरह का अनोखा अंतःर्स्राव बह रहा था, जिसकी प्रतीति मुझे मेरे पॉंवों के बीचमें हो रही थी। मेरी योनि में से जैसे झरना बह रहा हो ऐसे उत्तेजना के मारे श्राव होने लगा जिसे मुझे छुपाने के लिए परिश्रम करना पड़ रहा था।
राज ने मुझे अपनी गोद में ऐसे बिठाया जिससे मेरी पीठ राज की छाती पर हो। उसके दोनों हाथ मेरी बगल में से होते हुए मेर स्तनों को पकडे हुए थे। मैं अपने कूल्हें में राज के लन्ड की ठोकर अनुभव कर रही थी। बेचारा राज के पाजामें में से बाहर निकलने के लिए कूद रहा था।
राज ने अपना सर मेरे कन्धों पर रखा। वह जैसे मेरे कन्धों को चूमने की कोशिश कर रहा था। उसने पूछा, “अनीता, सच बोलो, क्या तुम मुझको पसंद करती हो?”
मुझे समझ नहींआया क्या जवाब दूँ। एक मर्द की गोद में एक स्त्री अगर आधी नंगी बैठकर उससे अपने मम्मों को मसलवाती है तो फिर यह कैसा सवाल हुआ? साफ़ है की वह न सिर्फ उसे पसंद करती है पर उससे चुदवाने के लिए भी तैयार ही होगी न?
मेरा मन तो किया की मैं लपक कर बोलूं की, “नहीं, मैं तो तुमसे नफ़रत करती हूँ, पर बस मुझे ज़रा खुजली हो रही थी इस लिए मैंने तुमसे मेरी चूचियों को खुजलाने को कहा।” पर मैं जानती थी की उस नाजुक घडी में उसके मन में अजीबो गरीब उथल पुथल चल रही होगी। चूँकि मैं पहले राज की बाहोँ में से एकबार निकल भागी थी इसी लिए शायद उसे डर था की कहीं मैं उठ कर बिस्तर से भाग न जाऊं। राज को शायद पता नहीं था की इस नाजुक समय में वह क्या बोले।
मैंने अपना सर हिलाकर हाँ का इशारा किया और कहा, “राज, तुम एक बहोत अच्छे और बहोत समझदार इंसान हो और मैं तुम्हें बहोत पसंद भी करती हूँ। पर शायद हम जो कर रहे हैं वह ठीक नहीं है। हमें यह सब नहीं करना चाहिए। यह गलत है।” यह कहते हुए मैं बिस्तर में से उठने की कोशिश करने लगी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
पर उस समय सच तो यह था की मैं अपने बोले हुए शब्दों पर पछता रही थी। मैं चाहती थी की राज मुझे रोके और जकड कर जाने न दे। और हुआ भी कुछ ऐसा ही। जब मैं उठने लगी तब राज ने उस रात पहली बार मुझे कस के अपनी बाहों में जकड लिया और मेरे मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा और बोला, “यह तुम क्या कह रही हो। यह गलत कैसे है? क्या तुम नहीं जानती की यही तुम्हारा पति अनिल चाहता है? मैंने कुछ दिन पहले तुम्हें इशारे इशारे में यह बताया था न की तुम्हारे पति अनिल की इच्छा है की हम दोनों पति तुम और नीना को अपनी पत्नी जैसे समझें? वैसे ही अनिल ने क्या तुम्हे नहीं कहा की तुम और नीना हम दोनों को अपने पति समझो? क्या तुम नहीं जानती की अनिल और मैं मिलकर नीना के साथ सेक्स कर चुके हैं? क्या तुम जानती हो की तुम्हारा पति और मेरी पत्नी एकदूसरे के शयन साथी हो चुके हैं? वह एक दूसरे के साथ सो चुके हैं?” राज ने जो प्रश्नों की झड़ी लगा दी तो मैं तो बस सुनती ही गयी और वहां जैसे ठिठक गयी और उठ ही न सकी और राज के बोलने का इन्तेजार करने लगी।
हालांकि मुझे पूरा अंदेशा तो था की उस समय तक मेरा पति नीना को चोद चूका था। मेरे पतिके और नीना के वर्तन से मुझे साफ़ नजर आ तो रहा था; पर मेरा मन यह मानने के लिए तैयार नहीं हो रहा था। मैं रुक गयी। जाने अनजाने मैं में बिस्तर में आ गयी और थोड़ा सा पलट कर राज के सामने अपना चेहरा कर प्रश्नात्मक दृष्टि से राज की और देखने लगी। राज ने मेरी और देखा और फिर धीरे से बोले, “विश्वास नहीं होता? अब मैं तुम्हें स्पष्ट रूप से बताता हूँ की तुम्हारे पति अनिल और मैंने मिलकर नीना को थोड़ी शराब पिलाकर और काफी मशक्कत करके पटा लिया और हमारे साथ मैथुन के लिए राजी कर लिया। होली की रात को जब तुम दिल्ही गयी थीं तब हम तीनों ने मिलकर आपके घर में इसी पलंग पर खूब सेक्स किया था।”
उस समय मैं कुछ बोलने के लायक ही नहीं रही। मुझे आश्चर्य नहीं हुआ। पर मेरे मन का एक कोना जैसे टूट गया। यही बात अगर मेरे पति मुझसे कहते तो मुझे इतना बुरा न लगता। हाँ, अनिल ने मुझे अश्पष्ट रूप से तो कह ही दिया था की मुझे राज के साथ संभोग करना चाहिए। इसका अर्थ यह हुआ की जब वह नीना को चोद ही चुका था तो भला वह मुझे कैसे मना कर सकता था? उस दिन नीना ने भी जरूर बातों बातों में इसका संकेत मुझे दे दिया था।
उस समय मैं नीना को साफ़ साफ़ पूछ न सकी की क्या वह मेरे पति से चुद चुकी थी? अगर मैं पूछ ने की हिम्मत न रख पायी तो नीना मुझे वह बताने की हिम्मत कैसे जुटा पाती?
मेरे मष्तिष्क में जैसे तूफ़ान सा उठ रहा था। क्या राज मुझे कही फुसलाने के लिए तो यह कहानी नहीं बना रहे थे? मैं जानती थी की राज सच बोल रहे थे। ऐसी बातों में झूठनहीं बोला जाता अथवा मजाक भी नहीं किया जाता। पर फिर भी मेरा मन मान नहीं रहा था।
मैंने झिझकते हुए पूछ ही लिया, “राज क्या तुम सच कह रहे हो?”
राज ने कहा, “मुझे जो कहना था कह दिया, अब आगे तुम सोचो की क्या मैं सच कह रहा हूं या झूठ।” मैं जानती थी की राज शत प्रतिशत सच बोल रहा था। मैंने तब राज से पूछा, “क्या तुम मुझे पसंद करते हो?”
राज मुंह बनाते पूछा, “अब ताने मारने की बारी मेरी है। भाई अगर कोई मर्द आपके स्तनोँ को जोर से दबाये और आपको प्यार भरा चुम्बन करके अपनी इच्छा जताए तो क्या उसे ऐसा सवाल पूछना चाहिए?”
राज ने तुरन्त ही अपनी पतलून खोली और निचे खिसका दी। उसने अपने लन्ड को अपनी नीकर से बाहर निकाला और मेरे हाथ में अपना मोटा, लंबा और तना हुआ लन्ड थमा दिया और बोला, “क्या तुम्हें मैं पसंद करता हूँ ऐसा इसे पकड़ने से लगता है?”
राज के इस अचानक कदम से मैं एकदम सहम गयी। पर क्या करती? मैं अनायास ही मेरे हाथमें आया हुआ राज का लन्ड सहलाने लगी। वास्तव में उसका लन्ड ऐसे खड़ा हुआ था जैसे एक सैनिक “अटेंशन” का आर्डर सुनकर खड़ा होता है। उसका लन्ड न सिर्फ लंबा और काफी मोटा था बल्कि एकदम कड़ा जैसे कोई लोहे की छड़ हो। और वह ऊपर की और मेरी तरफ देख रहा था जैसे वह मुझे रिझाने के लिए बिनती कर रहा हो।
राज का लन्ड चिकनाई से लथपथ था। उसका पूर्वद्रव्य धीरे धीरे उसके लन्ड के छिद्र में से निकल कर उसके लन्ड के पुरे घिराव में फ़ैल रहा था। जैसे ही मेरी उंगलियां उसको सहलाने लगीं तो उसके लन्ड के छिद्र में से तो जैसे धारा ही निकल ने लगी। मैंने उसे थोड़े जोर से सहलाना शुरू किया तो राज के मुंह से “आह..;” निकल पड़ी। मैंने राज के अंडकोषों को प्यार से सहलाया और मेरी उँगलियों से उसे मैं बड़ी नजाकत से मालिश करने लगी और हलके से दबा कर उसे प्यार से हिलाने लगी।
“राज मैं एक बात पूछूँ? क्या तुम मुझे सच बताओगे?” मैंने पूछा।
“कहो, मैं सच बताऊंगा।” राज ने कहा।
“तुम्हारी वाइफ नीना से अगर मेरे पति ने सेक्स कर ही लिया है, तो फिर हम क्यों इतना परेशान हो रहे हैं? उनको मज़े करने दो। अनिल नीना पर चढ़ा था तो फिर हम मज़े क्यों न करें? मैं भी तुम्हारे लिए उसी दिन से तैयार थी जिस दिन तुम और मैं मेरे बाथरूम में नलका ठीक कर रहे थे। मैंने उस दिन तुम्हारा उठा हुआ लिंग तुम्हारी निकर में देखा था। अगर उस दिन तुम मुझे पकड़ लेते और कुछ भी करते तो मैं तैयार थी। अनिल मुझे कई दिनों से उकसा रहे थे मैं भी एक नए पुरुष का मझा लूँ। पर मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही थी।”
राज मेरी बात ध्यान से सुन रहे थे। उसने थोड़ी झिझक के साथ मुझे पूछा, “क्या मैं एक बात कहूँ? देखो अब हमारा संबंध देवर भाभी से आगे निकल चूका है। अब एक दूसरे से फालतू की शर्म रखनी नहीं चाहिए। अब तुम सेक्स, साथ में सोना, लिंग जैसे सभ्य शब्दों का प्रयोग छोडो और चोदना, लन्ड, चूत जैसे शब्द, जो की बिलकुल सही हैं उसे प्रयोग करो।
मैंने राज के साथ सहमति जताते हुए कहा, “ठीक है बाबा, अनिल भी मुझे यही कहता है। पर मुझे थोड़ा समय दो। पहले यह बताओ सच में की क्या वाकई तुमने और मेरे पति ने मिलकर नीना के साथ सेक्स लिया था?”
तब मेरे पीछे से दो बाहों ने मुझे रजाई के अंदर खिंच कर जकड लिया। मैं इस अचानक आक्रमण से चौंक गयी। राज तो मेरे सामने कभी मेरे स्तनोँ को तो कभी मेरे मुख को प्यार से निहार रहे थे। उनका एक हाथ मेरी छाती पर और दुसरा हाथ मेरे मस्तिष्क पर था। इसका अर्थ साफ़ था की एक और व्यक्ति मेरे पीछे हमारे बिस्तर में रजाई में घुस गया था। विशाल भुजाओँ और खिंचनेकी ताकत से यह स्पष्ट था की वह कोई पुरुष ही था। मुझे अपनी बाहोंमें कस पर अपने बदन से दबाकर उसने पीछेसे ही मेरे बदन को चूमना शुरू किया।
पर मैं भी ज्यादा देर असमंजस में न रही। मेरे पति के बदन की सुगंध मैं भली भाँती जानती थी। जैसे कोई शेर ने हिरनी को दबोच कर अपने पंजों में जकड रखा हो ऐसे हालात में मैं दबोचे हुए ही बिना मुड़े बोली, “डार्लिंग मैं तुम्हारे शरीर की गंध से पूरी तरह वाकिफ हूँ। मैं जानती हूँ की यह तुम मेरे पति अनिल ही हो।”
अनिल ने मेरी पकड़ ढीली की और पीछे से ही मेरे कान में बोला, “जानूँ, राज सच कह रहा है।” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैं बड़ी ही दुविधा में पड़ गयी। यह सब क्या हो रहा था? मेरा पति तो उस समय ट्रैन में होना चाहिए था। वह कहाँ से मेरे और राज के बिच आ टपका। कहीं वह मेरी जासूसी तो नहीं कर रहा था? मुझे लगा की मैं तो रँगे हाथोँ पकड़ी ही गयी। राज के साथ एक ही बिस्तर पर अर्ध नग्नावस्था में सोना, मेरी स्थिति को भली भाँती प्रकट कर रहा था। इसको समझाना अथवा अपना बचाव करना नामुमकिन था। पर मुझे गुनहगार के कटघरे में खड़ा करने के बजाय मेरा पति तो अपना गुनाह कुबूल कर रहा था। मेरी जान में जान आयी। गुनहगार मैं अकेली नहीं थी। मैं तो गुनाह करने वाली थी पर मेरे पति तो गुनाह कर चुके थे।
अनिल ने मुझे उसी हालात में अपनी बॉहों में जकड़े हुए रखते कहा, “डार्लिंग, राज जो कह रहा है वह सच है। आज मैं तुम्हारा गुनाहगार हूँ। तुम चाहो वह सजा मुझे दे सकती हो। यह सच है की राज और मैंने मिलकर नीना भाभी से जमकर प्यार भरा सेक्स किया है। और मैं चाहता हूँ की आज तुम भी हम दोनों से जम कर सेक्स का पूरा आनंद लो। मैंने तुम्हें जरूर इसके बारेमें स्पष्ट रूप से नहीं बताया, परंतु मैंने तुम्हें आगाह जरूर किया था। फिर भी अगर मुझे तुम सजा दोगी तो मुझे मंजूर है। यदि तुम कहोगी तो मैं आगे से कभी भी नीना से नहीं मिलूंगा। यदि तुम कहोगी तो मैं राज और नीना से रिश्ता तोड़ दूंगा। मेरे लिए तुम सबकुछ हो।”
ऐसे कहते हुए मेरे पति भावुक हो गए और उनकी आँखों में आंसू आ गये। मैं एक अजीब दुविधा में फंसी हुई थी। मैं क्या बोलती? एक और मैं स्वयं गुनहगार थी, पर मुझे दोष देने के बजाय मेरे पति अपने आप को गुनहगार बतला रहे थे। हालांकि मेरे पति की इन गतिविधियों से भलीभाँती वाकिफ थी। भला इस हालात मैं एक पत्नी क्या कर सकती थी?
मुझसे मेरे पति की आँखों में आंसू देखे नहीं गए। मैं अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पायी और एकदम रो पड़ी। उस समय मैं इतना रोई की शायद मेरी युवावस्था में विदाई के समय ही मैं उतना रोई थी। मैंने मेरे पति अनिल को गले लगा लिया और रोते रोते कहा, “डार्लिंग, तुम मेरे सर्वश्व हो। मैं तुम्हारे बगैर अधूरी हूँ। मुझे तुम अति प्रिय हो। तुमने कुछ भी गलत नहीं किया। जो भी किया वह ठीक किया। मैं तो तुम्हारा आधा अंग हूँ। यदि तुम गलत तो मैं गलत। बल्कि मैं अभी अभी राज के साथ कुछ गलत करने वाली थी. मैं तुम्हारी गुनहगार हूँ।”
मेरी बात सुनकर अनिल के चेहरे से मायूसी हट गयी और एक अजीब सी शरारत छा गयी। अनिल अनायास ही मुस्काये और बोले, “मेरी भोली पागल बीबी। तुम इतनी परेशान मत हो। मैं हमारे वैवाहिक जीवन में नवीनीकरण लाना चाहता हूँ। जो तुमने राज के साथ किया वह कुछ भी नहीं है। मैं चाहता हूँ की आज तुम न सिर्फ राज के साथ परंतु हम दोनों के साथ कस कर, पुरे जोश के साथ सम्भोग करो। डार्लिंग, मैं तुम्हें सच कहूँ? मैं तुम्हें राज के साथ मिलकर रात भर चोदना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ की तुम आज शर्म और लाज के सारे बंधन तोड़कर हम दोनों को उच्छृंखल हो कर चोदो और हम दोनों से स्वच्छन्दता से चुद्वाओ।
मेरे पति की बात सुनकर मेरे पुरे बदन में एक आग से दौड़ गयी। मेरी काम वासना एकदम से मेरे पुरे बदन में फैलने लगी। मैं हकीकत में राज से चुदवाना चाहती थी। मेरे पति ने आज न सिर्फ खुली छूट देदी, बल्कि वह भी मेरे साथ शामिल हो गए। मेरी शादी के बाद मन ही मन में बड़ी इच्छा थी की मैं कभी दो मर्दों से चुदवाऊँ। पर लाज और शर्म के अलावा यह बात नामुमकिन थी। पर आज वह मेरी मन की एक विलक्षण कल्पना सच में बदलती नजर आ रही थी।
मै अपने पति अनिल की बाहोंमें सिमट कर अपनी आँखें झुका कर बोली, “जानूँ मैं तुम्हारी अर्धांगिनी और सह भागिनी हूँ। तुम्हारी इच्छा मेरे लिए आज्ञा के समान है।” वक्त आ गया था की मैं अब सारे सामाजिक बंधनों को दूर दूर फैंक कर वह करूँ जो मेरा मन चाहता है और मेरे पति की इच्छा भी पूरी करूँ। मैं अपने पति को देखने लगी। उनकी आँखों में एक अजीब सा नशा था। मुझे राज के साथ एक बिस्तर में देख उनको जलन नहीं बल्कि एक तरह की उत्तेजना हो रही थी ऐसा मुझे लगा।
मेरे पति अनिल ने पलट कर एक झटके में मेरी रजाई को मेरे और राज के ऊपर से हटा दिया। मेरे स्तन खुले हुए थे और मेरी निप्पले ऐसी तनी हुई थी जैसे धनुष्य में तीर कसके रखा हो। अनिल ने मेरे एक स्तनको अपनी हथेली में उठाया और राज की और देखा और बोला, “राज, दोस्त, मेरी बीबी की चूंचियां भी नीना की चूँचियों से कोई कम नहीं हैं। आओ और खुद अनुभव करो।”
राज हमारे संवाद सुन रहा था। कुछ जिझक और कुछ शर्म के मारे डरते डरते थोड़ा खिसक कर और मेरे दूसरे स्तन पर हलके से हाथ फिराते हुए मेरी निप्पल को अपनी उँगलियों से दबाता हुआ एकदम धीमी आवाज में बोला, बोला, “अनीता वास्तव में तुम्हारे स्तन बहुत सुन्दर और सेक्सी हैं। मेरा मन करता है की मैं इन्हें चूमता और चूसता ही रहूँ।”
न जाने कहाँ से मेरी जबान फिसल गयी और मैं बोल पड़ी, “तो राज, तुम्हें रोका किसने है?”
बस मेरा इतना ही बोलना था की मेरे दोनों प्रेमी एकदम मुझ पर टूट पड़े। मेरे एक स्तन को राज और दूसरे को अनिल जैसे कोई आम चूस रहे हों ऐसे चूसने लगे। मेरे स्तन मेरी बहोत बड़ी कमजोरी है। जब मेरी बेटी भी मेरा स्तन पान करती थी तो मेरी टाँगों के बिच से झरना बहने लगता था। कही भूल से भी बस या ट्रैन में सफर करते हुए या कोई भीड़ वाले इलाके में गुजरते हुए यदि किसी का हाथ मेरे स्तन को छू जाए तो मैं बड़ी विचलित हो जाती थी।
मेरे पुरे बदन में काम की ज्वाला भड़कने लगी। इतेने दिनों की दबी वासना पुरे शरीर में फ़ैल रही थी और अब चूँकि मेरे पति ने भी मुझे पूरी छूट दे छूट दे दी थी जिससे तो मैं जैसे नियत्रण विहीन हो गयी थी। एक वाहन जैसे चालक के नियत्रण से बाहर हो जाए तो रास्ते पर स्वच्छंदता पूर्वक दौड़ने लगता है वैसे ही मेरा हाल था। मेरा मन मेरे नियत्रण के परे हो गया था।
मैने मेरे दोनों प्रेमियों के सर मेरे दोनों बाहों में लिए प्यार से अपने कन्धों पर टिकाकर उन्हें प्यारसे चूमने लगी। मुझे पता नहीं क्या हो रहा था। मैं उस समय अर्ध नग्नावस्था में थी। मेरे परिपक्व लहराते हुए स्तन मेरे दोनों प्रेमियों के हाथों में थे और वह मेरे स्तनों को जोश खरोश से मसल रहे थे।
सामान्यतः हम पत्नियों को अपने पति, अपने बच्चों और समाज से अपनी मर्यादा बना कर रखनी पड़ती ही जिससे की हमारे चरित्र पर कोई लांछन न लगे। पर यहां ऐसा कोई भय नहीं था। मेरा पति खुद मुझे किसी और पुरुष से चुदवाने के लिए उकसा रहा था, मेरी छोटी सी बच्ची गहरी नींद में सोई हुई थी और जब मेरा पति ही मेरी ढाल बना हुआ था तो फिर समाज को क्या पता लगना था?
वक्त आगया था की मैं भी अपनी हवस को संतृप्त करूँ। मैंने मेरे दिमाग से सारे असमंजस और दुविधाओं को उखाड़ फेंका और मैं निःसंकोच होगयी। मैंने मेरे पति की नाक पकड़ी और बोली, “डार्लिंग, मुझे यह बताओ की तुम तो टूर पर जा रहे थे और यहां कैसे पहुँच गए? क्या तुम मेरी जासूसी कर रहे थे?”
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब मेरे पति अनिल ठहाका लगा कर हंस पड़े और बोले, “अरे मेरी नासमझ बीबी, क्या अभी भी नहीं समझी? यह मेरा प्लान था। मैं जान गया था की तुम राज से आकर्षित तो थी पर लाज और मर्यादा के कारण उसे आगे बढ़ने नहीं दे रही थी। और राज तो खैर तुम्हारे पीछे पागल था ही। मैं स्वीकार करता हूँ की मैं नीना की और आकर्षित था।”
मैंने मेरे पति की बात को काटते हुए कहा, “साफ़ साफ़ कहो न की तुम नीना को चोदना चाहते थे? तुम्हारा उल्लू सीधा करने के लिए तुमने राज को मेरे करीब आने का खुला मौक़ा दिया ताकि राज तुम्हें नीना से करीबी बढ़ाने का मौक़ा दे? और मैं यह समझ गयी हूँ की तुमने और राज ने मिलकर मेरी प्यारी सखी नीना को आखिर चोद ही डाला। और यह सब शायद होली की रात को हुआ। सही या गलत?”
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
मेरे पति की जबान पर तो जैसे ताला लग गया। मेरे सवाल का जवाब देने में मेरे पति की जबान लड़खड़ाने लगी तब मैं ठहाका मारते हुए हंस पड़ी और बोली, “पकड़ लिया न तुम दोनों को? तुम मर्द लोग सोचते हो हम औरतें मंद बुद्धि हैं और तुम्हारी चाल समझ नहीं सकते। अरे हम सब समझते हैं। पर यह गनीमत समझो की तुम इतने सारे हथकंडे अपनाते हो फिर भी हम तुम लोगों को तहे दिल से प्यार करते हैं क्योंकि हम जानते है की मर्द जात बन्दर की तरह होती हैं।
कोई सुन्दर बंदरिया जैसे देखि तो वह कूदने लगते हैं और उस से छेड़ छाड़ करने में और उस को चोदने के लिए उतावले हो जाते हैं। पर जैसे ही वह बंदरिया उसे लात मारती है तो वह फिर कूदते नाचते अपनी पत्नी के पास वापस ही आते हैं, और फिर उससे प्यार जता ने लगते हैं। हाँ कभी कभी कोई भोली बंदरिया फँस भी जाती है, जैसे नीना और मैं फँस गए हैं तुम दोनों बंदरों की जाल मैं।”
आप सब मुझे प्लीज इस ईमेल पर अपनी टिपण्णी जरूर भेजें, [email protected]

शेयर
baap numbriwww sex stories netindian sex gamechudai melatest indian storieschudi ki khaniyachudai ki hindi kahani comghar ki randioffice desidesi sex stories sitesbehan ki gaandindiansexstories. inhot sex videos with storyschool teacher kamakathaikalurdu hindi sex storieshot sex newindian desi porn sitespuja bhabhisex real story in hindisex stories picturesmausi ke saathnokar ki chudaichudai ki hindi khaniyadesibee hindi sex storiesmeri pehli mohabbatsasur ne choda hindi storydirty desi sexindian ladies sex storiestamil all sex storiessex stories in malayalammobile tamil sex storypehli raat ki kahanimaganai otha amma tamil kamakathaikaldesi hot wapwww sex s comwww aunty ki chudai comjungal me chodasuper sex storiesbhai ne chodahot sex kathalutamil sex stoeyindian desi group sexwww sexy hot story comenglish sex stories indianindian sex khaniboobs pressing storiesraja rani chudainew chudai kahanisex chat phonechut ki duniyaindia sex khanidesi sex stiriesbest sex videos of 2016desi bhabi ki chudaitamil sex stories in lateststory bhabhi ki chudaikhaani episode 8free sex chat in indiareal deshi sexpunjabi hot sex storieshindi garam kahaniyacrossdress storychut ki chudai ki kahani hindisex tamil kathabf kahani hindi meodia story sexbahan ki jawanisexy storthindi sex.netbest desi sex storymaa randisex with call girlnanbanin ammavai otha kathaigalchudai ki urdu kahanidesi hot ladiesdesi real sex videostamil sex novelmastram chudai ki kahanihindi sex kahaniyadesi hot netdidi ne patayatamil sex kamakkathaikal comtamil sex pagemaa beta sex hindi storyhardcore indian girlsxxx देशीnangi chachichoot chusai