Adla Badli, Sanyog Ya Saajish – Episode 9


पायल की जिद के कारन हम दोनों में पति एक दुसरे की पत्नी की मसाज कर रहे थे. आगे रियल सेक्स स्टोरी इन हिन्दी में क्या हुआ ये जानिए..
दोनों पति एक दूसरे की पत्नियों को पीठ पर मसाज करने के साथ साथ कपड़ों में ही उनकी गांड चोद रहे थे. मेरी सिसकियों और पायल की चीखो से कमरे का माहौल गरम हो चूका था.
बहुत देर तक ऐसे ही गरमा गरम मसाज चलती रही फिर वो दोनों मर्द रुक गए. हम दोनों बीविया लेटी रही क्योंकि हमारे कपड़े हमसे दूर थे. उन दोनों ने हमारे कपडे उठा के हमारे पास रखे.
डीपू : “हम लोग तेल के चिकने हाथ धोने बाथरूम में जा रहे हैं. तुम दोनों कपडे पहन लो तो आवाज लगा देना हम बाहर आ जायेंगे.”
उनके बाथरूम में जाते ही हम दोनों उठी और अपने कपडे पहनने लगी.
पायल : “देखो, तुम्हारी चुचीयां कैसे तनी हुई हैं. लगता हैं तुमको बहुत मजा आया हैं. आज तो तुम अशोक को छोड़ोगी नहीं.”
मैं: “कैसी गन्दी गन्दी बातें करती हो तुम. थोड़े बहुत तो संस्कार रखों. वो लोग अंदर से सुन लेंगे तो.”
पायल: “अरे हम सब शादी शुदा हैं, समझदार हैं. ऐसी बातें हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा?”
तभी बाथरूम से आवाज आयी कि क्या बाहर आ सकते हैं. हम लोग कपडे पहन चुके थे तो हां बोल दिया.
पायल: “तुम क्या संस्कारो की पीपड़ी बजा रही हो. संस्कार सिर्फ किताबों और टी वी पर दिखाते हैं. असल ज़िन्दगी में ऐसी परिस्थितियां आती हैं कि सारे संस्कार धरे रह जाते हैं.”
अशोक: “क्या सीरियस डिस्कशन चल रहा हैं? संस्कारो की क्या बातें हो रही हैं भाई?”
पायल: “मैं प्रतिमा को समझाने की कोशिश कर रही थी कि आजकल संस्कार सिर्फ बोलने की चीज़ हैं, असल ज़िन्दगी में लोग निभा नहीं पाते हैं”.
डीपू: “ये तो पर्सन तो पर्सन डिपेंड करता हैं और किस तरह की परिस्थितियां हैं. सब इच्छाशक्ति पर निर्भर हैं.”
अशोक: “बात तो सही हैं.”
मैं: “इंसान चाहे तो, कैसी भी परिस्थितियां हो, संस्कार निभा सकता हैं.”
पायल: “मैं नहीं मानती. मैं किसी को भी चेलेंज कर सकती हूँ.”
अशोक : “क्या बात हैं, माहौल गरम हैं. चेलेंज की बात हो रही हैं.”
पायल: “बोलो, संस्कार टेस्ट चेलेंज मंजूर हो तो”
मैं: “मुझे चेलेंज मंजूर हैं पर करना क्या हैं?”
पायल: “बहुत कठिन हैं, तुमसे नहीं हो पायेगा.”
मैं: “चेलेंज कभी आसान थोड़े ही होता हैं, तुम बताओ.”
पायल: “रहने दो, मुझे खुद को बताते हुए थोड़ी शर्म आ रही हैं.”
डीपू: “तुम लड़किया डरपोक होती हो.”
मैं: “एक्सक्यूज़ मी, क्या कहा तुमने?”
डीपू :”दिल पर मत लो, मैं तो बस ये कह रहा था कि लड़किया कुछ भी बोलने या कोई भी स्टेप लेने से पहले बहुत ज्यादा ही सोचती हैं”.
पायल : “अच्छा ठीक हैं, मैं थोड़ा अलग तरह से बताती हूँ. दो लेवल होंगे इस चेलेंज के. पहला थोड़ा कम कठिन, और दूसरा ज्यादा कठिन. दोनों लेवल में मसाज होगी और लड़की को कोशिश करनी हैं कि वो अपनी इच्छाशक्ति से अपनी शरीर की भूख या जरुरत को मन के नियंत्रण में रखें.”
अशोक: “साउंडस इंट्रेस्टिंग.”
मैं: “मसाज !! पर ये तो हम करवा ही चुके हैं, अब क्या बचा हैं.”
पायल: “सुनो ये वो वाली मसाज नहीं. पहले लेवल पर छाती की मसाज होगी. और दूसरे में योनी की.”
चारो चुप हो गए और थोड़ी देर के लिए एक सन्नाटा सा छा गया.
पायल: “हम दोनों ये चेलेंज लेंगे. देखते हैं कौन पूरा कर पाता हैं.”
मैं: “कैसा बेशर्म चेलेंज हैं.”
पायल: “मैंने पहले ही बोला था, चेलेंज कठिन होगा. हवाइयाँ उड़ गयी ना?”
मैं: “ठीक हैं, दोनों मर्दो को बाहर भेज दो, फिर तुम्हे जो मसाज देनी हो दे दो मुझे , मैं तैयार हूँ.”
पायल: “फिर चेलेंज कहा रहा. अपने पति के सामने ही मसाज लेना हैं और वो भी दूसरे किसी मर्द से. जैसा अभी थोड़ी देर पहले हो रहा था”
डीपू: “पायल, ये अब ज्यादा हो रहा हैं.”
अशोक: “सही कहा, नार्मल मसाज के लिए ही वो मना बोल रही थी तो ये तो बहुत मुश्किल हैं.”
पायल: “जिसको चेलेंज लेना हैं, उसको बोलने दो. बोलो प्रतिमा, चेलेंज मंजूर हैं?”
मेरे मुँह पे तो ताला लग गया था. ये सब लोग कही मिलकर मुझे फंसा तो नहीं रहे थे. जरूर इसमें इन तीनो की साजिश हैं. मैं अपने पति की मौजूदगी में कैसे अपने नाजुक अंग किसी अजनबी के सामने खोल दूँ. मैं तो शर्म से पानी में ही डूब मरू.
मैं: “कुछ ओर चेलेंज होता तो मैं ले लेती, पर ये नंगी होकर अपने अंग ओरो को दिखाना और दबवाना कैसा चेलेंज हैं.”
पायल: “चेलेंज मुश्किल हैं तो क्या हुआ, संस्कारो को संभालना भी कौनसा आसान हैं. तुम मना बोल रही हो तो इसका मतलब मैं ये समझू कि तुम फ़ैल रही.”
मैं: “तुम्हे जो मानना हैं वो मान लो, पर मैं ये टेस्ट नही दे सकती हैं.”
पायल: “मैंने ये चेलेंज दिया हैं तो शायद मुझे पहले ये टेस्ट देना होगा. कम से कम टेस्ट के लेवल वन की तो कोशिश मैं कर ही सकती हूँ.”
अशोक: “पायल ये तुम्हारे अकेले का फैसला नहीं हो सकता. तुम्हारे खुद के बाद तुम्हे अपने पति से पूछना होगा कि उसे कोई आपत्ति तो नहीं. फिर मुझे, और मेरे इसमें शामिल होने के लिए मुझे मेरी पत्नी की इजाजत लेनी होगी.”
डीपू: “अगर पायल ने फैसला कर लिया हैं तो मैं उसको रोकूंगा नहीं. मैं ही पहले कह रहा था कि लड़कियों में हिम्मत नहीं होती. अब इसने हिम्मत की हैं तो मैं रोड़ा नहीं बनूँगा. मेरी तरफ से हां हैं.”
अशोक: “अगर पायल के पति को कोई आपत्ति नहीं तो मैं भी तैयार हूँ, अगर प्रतिमा को कोई ऐतराज ना हो तो.”
मैंने तो दोपहर में ही उनको इससे काफी ज्यादा करते हुए देख लिया था, तो मेरे लिए तो उनकी ये मसाज कुछ भी नहीं थी. वैसे भी मेरी वजह से उनका ये मजा क्यों छूटे.
दोपहर में तो मैं अपने पति को डीपू के कहर से बचा रही थी, पर अब वो खुद ही तैयार था अपनी पत्नी को सौपने के लिए. इसलिए मैंने भी इजाजत दे दी. हम सब लोग बिस्तर पर आकर बैठ गए.
पायल: “एक टाइम निर्धारित कर लेते हैं. अगर इस समय अवधि तक मैं अपने आप पर नियंत्रण रख पायी तो इसका मतलब ये लेवल पार कर लिया.”
हम सब ने मिलकर 10 मिनट का समय निर्धारित किया.
पायल लेट गयी, और अशोक उसकी बगल में बैठ गए. मैं और डीपू पास में बैठे देखने लगे. अशोक ने आगे बढ़ कर पायल का टैंक टॉप ऊपर उठाना शुरू किया.
सीने से टॉप हटते ही उसके बड़े गोल मम्मे और उन पर गहरी गुलाबी लम्बी मोटी निप्पल थी. वहा का मौसम एकदम बदल गया.
किसी ने सोचा भी नहीं था कि हम यहाँ पहुंच जायेंगे कि दुसरो के सामने कोई नंगा हो अपने बदन का ये हिस्सा दिखायेगा.
डीपू को टाइमर की जिम्मेदारी दी गयी. जैसे ही अशोक ने पायल के मम्मो को छुआ टाइमर शुरू कर दिया गया. अशोक ने अपने हाथों से पायल के दोनों मम्मो को दबोचा और पायल की एक आह निकली.
अशोक: “तुम्हे दर्द तो नहीं हो रहा ना? इतना जोर से ठीक हैं ना?”
पायल: “दर्द नहीं हो रहा. दर्द होगा तभी तो चेलेंज पूरा होगा.”
अशोक अब उसके मम्मो को दबा कर थोड़ा खींचता और फिर छोड़ता. धीर धीरे वो अपना बल बढ़ा रहा था और ओर भी ज्यादा जोर से दबा कर छोड़ रहा था. जिससे पायल की उह आउच चालू हो गयी.
पांच मिनट तक ऐसे ही चलता रहा और अब वो ओर भी तड़पने लगी. वो अब आह्ह्ह्हह आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह की लंबी रट लगा रही थी.
पायल के मम्मे काफी बड़े थे और अशोक के हाथों में नहीं समा रहे थे. अशोक ने अपने दोनों हाथों से एक साथ उसके एक मम्मे को घेरा और दबा दिया. उसका निप्पल फुल कर ऊपर आ गया और निप्पल का ऊपरी हिस्सा और भी चौड़ा हो गया.
उसने पायल के मम्मे को ऊपर की तरफ उठा खींचना शुरू किया जिससे दर्द के मारे पायल चीख पड़ी. जैसे ही उसने मम्मे को छोड़ा वो नीचे जाकर पूरा फेल गया और दो बार ऊपर नीचे उछला. अशोक ने उसके दूसरे मम्मे के साथ भी यही किया.
मैने दोनों मर्दो को देखा, उनका लंड कपड़ो में ही खड़ा हो चूका था. आखिर के दो मिनटों में वो ऐसे तड़प रही थी जैसे मसाज ऊपर की नहीं, नीचे की करवा रही हो.
एक वक्त ऐसा लगने लगा जैसे वो अब झड़ ही जायेगी कि तभी डीपू का लगाया टाइमर बोल गया और अशोक ने पायल को छोड़ दिया.
पायल के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी. उसने चेलेंज पार कर लिया था. वह उठ कर बैठ गयी और टैंक टॉप नीचे कर अपने मम्मे ढक दिए. दोनों मर्द ताली बजा उसकी विजय का जश्न मना रहे थे तो मुझे भी ताली बजानी पड़ी.
कॉलेज में मोहित की अपनी एक मदम के साथ सेटिंग थी, पर उस मेडम की चोदते चोदते उसे एक और मेडम की चुदाई करने को मिल गयी, जानिए उसकी रियल सेक्स स्टोरी इन हिन्दी सिर्फ देसी कहानी पर.
डीपू: “माय गॉड, बहुत हॉट मसाज थी. देख कर मेरी हालत ख़राब हो गयी तो तुम्हारा क्या हुआ होगा. हैट्स ऑफ पायल.”
अशोक: “वाकई इसके लिए बहुत हिम्मत चाहिए. बधाई हो पायल.”
पायल: “थैंक यू, मेरे से ज्यादा सहनशक्ति प्रतिमा के पास हैं. क्या बोलती हो प्रतिमा, तुम लोगी ये चेलेंज?”
मैं: “तुमने अच्छे से हैंडल किया पर मुझमे इतनी हिम्मत नहीं कि सबके सामने अपने कपडे खोल सकू.”
पायल: “तुम्हे एक छूट देते हैं, तुम अपने सीने पे एक कपडा ढक कर रखना.”
मैं: “उससे क्या होगा? मेरे सीने को तो कोई छुएगा ही ना?”
पायल: “छूट दे दी फिर भी मंजूर नहीं. तुम दरअसल डरती हो कि तुम चेलेंज हार जाओगी.”
मैं: “नहीं ऐसी बात नहीं हैं. मैं अंदर से बहुत मजबूत हूँ. मुझे एक बार बस अशोक से पूछना हैं.”
पायल: “चलो एक बार फिर से सभी की हामी पूछ लेते हैं. सबसे पहले प्रतिमा, तुम्हे चेलेंज लेना हैं तो सबसे पहले तुम बताओ. अशोक से हम बाद में पूछ लेंगे. अगर उसने ना बोला तो वैसे भी अपने आप पूरा ना हो ही जायेगा.”
मैं अब एक संकट में फंस गयी. मैं ये निर्णय पति पर छोड़ना चाहती थी ताकि मुझ पर दोष ना आये.
मैं: “मैं कभी हार नहीं मानती, सिर्फ इस कारण से मेरी तरफ से हां हैं”
पायल: “अशोक तुम बताओ, हां या ना?”
अशोक: “मैंने अभी अभी तुम्हारे साथ किया हैं तो अब अपने पर आयी हैं तो कैसे मना बोल दूँ. मेरी तरफ से प्रतिमा को इजाजत हैं ”
डीपू: “मैं मसाज देने को तैयार हूँ.”
पायल: “मैं तो पहले से तैयार हूँ. चलो शुरू करते हैं. अशोक तुम टाइमर सम्भालो.”
मैं अब बिस्तर पर लेट गयी और डीपू मेरी कमर के पास बैठा था. मेरे सर के दोनों तरफ पायल और अशोक थे.
पायल को मैंने कपडा लाने को कहा जिससे मैं अपना सीना ढक सकू. वो एक पतली सफ़ेद पारदर्शी चुनरी ले आयी. मुझे उसकी नीयत समझ आ गयी पर डूबते को तिनके का सहारा.
पायल ने वो चुनरी मेरे सीने पर ओढ़ा दी. उसमें से मेरा गुलाबी स्लीप शर्ट आसानी से दिख रहा था. वो चुनरी ज्यादा कुछ छिपा नहीं पाएगी ये मुझे पता था.
मेरे हाथ पैर कांप रहे थे. मैंने अपने दोनों हाथ अपने पेट पर रख अपने शर्ट को दबा रखा था, ताकि डीपू शर्ट को सिर्फ ऊपर से ही खोले, पुरा न खोले.
पायल ने मेरा हाथ पकड़ लिया, दुसरा हाथ अशोक को पकड़ने को कहा. उन दोनों ने मेरे हाथ को मेरे कान के नजदीक ला बिस्तर पर दबा दिया. डीपू का हाथ मेरी शर्ट की तरफ बढ़ा और नीचे से एक बटन खोला.
पहले बटन के बाद दूसरे बटन के लिए उसको चुनरी में हाथ डालना पड़ा. आगे क्या होने वाला था ये सोच डर के मारे मेरा पेट धक् धक् करने लगा. चौथा बटन खुलते ही मेरे मम्मे बीच से थोड़े दिखने लगे.
डीपू ने अब मेरे शर्ट के खुले दोनों हिस्सों को दूर करते हुए साइड में कर दिया. मेरी सांस तो जैसे रुक ही गयी. उन दोनों ने मेरा हाथ अब छोड़ दिया क्यों कि शर्ट खुल चूका था.
डीपू ने अपने हाथों पर तेल लगाया. पति टाइमर के साथ तैयार थे और तीन.. दो.. एक.. गो के साथ टाइमर चला दिया.
अब डीपू ने अपने दोनों हाथ सीधे रखते हुए चुनरी में घुसा कर हलके से मेरे मम्मो पर रख दबा दिया और हाथ ऊपर नीचे मज़ाक करने लगा.
उसको पता था कितना जोर लगाना हैं और कितना रगड़ना हैं. मेरी थोड़ी देर में ही सिसकियाँ छूटने लगी.
इतनी उत्तेजना के मारे तो मेरे सीने और पेट पर रोंगटे खड़े हो गए थे और चूंचीया खड़ी हो गयी थी. मम्मे फूल कर बड़े हो गए थे जो कि डीपू के हाथ में पुरे नहीं आ पा रहे थे. वो अब ऊपर नीचे, दाए बाए से हाथ लाते हुए मम्मो को दबोच रहा था.
इस हलचल से चुनरी भी थोड़ी हिल चुकी थी. मैं जितना हो सके अपने मुँह को बंद रखे आवाज दबा रही थी. फिर भी रह रह कर मेरे संघर्ष की आहें निकल रही थी.
पांच मिनट तक वो ऐसे ही मेरे मम्मो का मान मर्दन करता रहा. मैं जैसे तैसे सब सहन कर रही थी, पर रह रह कर मेरी सिसकिया जरूर निकल रही थी.
शायद पति के साथ होने से मैं डर के मारे उतना आनंद नहीं उठा पा रही थी. ये मेरे लिए अच्छा भी था. ज्यादा मजे लेती तो पति मेरे बारे में क्या सोचते.
पायल : “डीपू क्या कर रहे हो, मर्द बनो. कम से कम अशोक ने किया उतना अच्छा तो करो.”
डीपू की मर्दानगी को चोट पहुंची और उसने मेरे मम्मे ओर भी ताकत से दबोच लिए जैसे आम को निचोड़ कर जूस निकाल रहा हो.
उसके आघात को कम करने के लिए मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कलाइयां पकड़ ली. पायल ने अशोक को बोला और दोनों ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर कान के पास ला दबा दिया.
मैं अब तड़पने लगी और तड़प कर चीखने लगी. पायल को मेरी चीखें सुन मजा आने लगा और वो डीपू को उत्साहित करने लगी.
पायल ने अब एक ओर बदमाशी की और अपने दूसरे हाथ से मेरे सीने पर रखी चुनरी निकाल फेंकी.
अब वो लोग मेरे मम्मो को निचुड़ते हुए साफ़ साफ़ देख पा रहे थे.
डीपू अब मेरी जांघो पर आकर बैठ गया. उसका कड़क लंड मेरी चूत को चुभ रहा था.
वो जानबूझ कर आगे पीछे हो, कपड़ो सहित मेरी चूत को ज्यादा चोद रहा था, जब कि उसको सिर्फ मेरे मम्मे दबाने थे. उससे बचने के लिए मैंने नाटक किया.
मैं: “डीपू धीरे करो, आउच मुझे बहुत दर्द हो रहा हैं. तुम बहुत जोर से दबा रहे हो. आई, उफ्फ माँ ”
डर के मारे डीपू ने अपनी पकड़ ढीली कर दी नीचे से लंड रगड़ना भी भूल गया.
पति ने बताया कि अब सिर्फ दो मिनट बचे हैं.
डीपू ने अब नई चाल चली. उसने अपना पुराना अनुभव इस्तेमाल किया और मेरे मम्मे छोड़ दिए और अपने दोनों हाथों की एक एक ऊँगली से मेरे तने हुए निप्पलों को दाए से बाए और बाए से दाए ठोकर मारने लगा, जैसे बिजली का स्विच बंद चालू कर रहा हो.
उसने अब ठोकर मारने की गति बढ़ा दी. मेरे निप्पल अब लगातार दाए बाए हो कर मुझे गुदगुदी कर रहे थे.
इससे मेरी हालत ओर ख़राब हो गयी. मेरे निप्पल फूल कर ओर मोटे हो गये. उसकी बाकी की मुड़ी हुई उंगलिया जब भी मेरे मम्मो के उभार को छूती मुझे अहसास होता कि मेरे मम्मो के उभार कुछ ज्यादा ही कठोर हो गए थे.
इतना कठोर कि वहां से स्किन खींचने लगी थी. मेरे मम्मे छाती फाड़ कर बाहर आने को उतारू थे.
मेरी पैंटी काफी गीली हो चुकी थी. मुझे लगा अब तो मुझे झड़ने से कोई नहीं रोक सकता, और पायल के सामने मैं चेलेंज हार जाउंगी.
मेरे हाथ उन दोनों ने दबा रखे थे और पाँव पर डीपू बैठा था. मैं बाकी बचे शरीर को दाए बाये हिलाते हुए तड़प रही थी.
मेरे मुँह से लगातार शब्द झरने की तरह बह रहे थे. “ह ह ह, आ ह, आ अ ह, हम्म , हा हा, मत करो, प्लीजजज, उप्स, अहा , माय गॉड”.
अचानक पति के मोबाइल का स्टॉप टाइमर बज उठा, और डीपू को मुझे छोड़ना पड़ा. उन दोनों ने मेरा हाथ भी छोड़ दिया.
पायल: “क्या यार, इसका होने ही वाला था. बस दस पंद्रह सेकण्ड्स ओर मिल जाते तो मैं जीत जाती. पर तुमने बहुत अच्छा नियंत्रण किया, क्यों कि डीपू ये काम बहुत अच्छे से करता हैं.”
ये चेलेंज और मसाज आगे इस रियल सेक्स स्टोरी इन हिन्दी में क्या नया मोड़ लायेगे, उसके लिए अगले एपीसोड का इन्तेजार करिये!

शेयर
malayalam thundu storiesimdian sex storyreal life bhabhinaya saalmosi sex kahaninew punjabi sex videosholi par chudaidevar or bhabhi ki chudaihindi new chudai kahaniphone par chudai ki baatekutte se chudwayawww adult story comtamil sex websitesavita bhabhi ki kahani in hindiki chutdesi kahani.netmom ki chudai sex storydesi sex indiannew aunty ki chudaihindi sixy khaniyaindian sex homemalayalam sexstories netrandi indiaaunty sex story in tamilmalayalam sex kathatamil pundai kathai in tamilerotic bhabihot desi randiladki ko chodnachudai papakannada mole kathegalutamilsex storyesbadwap onlinefuck desi girlssex vatosex chat in phonedoctor ki chudaisexy kahani in hindiindian desi mobhndi sexreal punjabi sex commaa beta desi kahanisexy bhabhi ki sex storydesi indian sex stories combanda raja bia rani gapasex tutionchut ka pyarममी की चुदाईhindi bhabhi ko chodawww badwap sexchuut ki chudaichodai kahani hindishruti hassan sex storymaa beta ki sexgand kaise marwayedesi sex stories tamilgand mari sex storytamil sex stories hotsexy romantic storiesbhai bahan ki sexy kahanisexy teacherhot aunty kamakathaikal malayalamgand ki ranidesi sex fingeringxxx story malayalampahali chudai ki kahanimaa ko choda raat bharhindi cudai ki khaniindian new sex.commaa ki bursadhu se chudaiadult hindi kahaniyahindy sax storyindian threesome storiesmummy chudaigroup hindi sex storyhindi sex story group