जब हमें लगा कि अब पूजा हमारे वश में आ गयी हैं और अदला बदली को तैयार हैं तभी उसने मुझे तमाचा मार कर अपने इरादे साफ़ कर दिए।
मेरा सिर चकराने लगा और गाल पूरे गरम हो जलने लगे। कानो में बस साय साय की आवाजे आ रही थी। कुछ सेकण्ड के लिए मुझे दिखना ही बंद हो गया।
मैने अपने गाल पर हाथ रख उस जलन को मिटाने की कोशिश की और आंख बंद कर ली. मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो गया। जैसे अचानक कोई बम धमाका हो गया और सुनाई देना बंद हो गया था।
मैने सिर उठा कर आंखे खोली पर सामने पूजा नहीं थी। मेरे पास अशोक और नितीन खड़े थे। पीछे मुड़कर देखा तो पूजा दनदनाती हुयी दरवाजा खोलकर बाहर जाती दिखाई दी.
नितीन ने मेरे कंधे पर हाथ रख मुझे सांतवना दी और तुरंत हरकत में आया और पूजा के पीछे भागा. अशोक ने आगे बढ़कर मुझे अपने सीने से लगा कर मुझे शान्ति दी.
उस चांटे की चोट उतनी नहीं थी जितनी दिल पर चोट लगी थी। मेरी आंखे भर आयी थी और थोड़ी ही देर में आंसू बहने लगे। अशोक ने मुझे शांत करते हुए अपने रुमाल से मेरे आंसू पोंछे और मुझे लेकर रूम से बाहर आ गया।
हम बाहर आये तब तक नितीन और पूजा वहां से जा चुके थे। मुझे लगा मै पूजा को फंसा चुकी थी पर कुछ लोग इस तरह के रिश्तो को अपवित्र मानते हैं और उनकी सोच को इतनी आसानी से डिगाया नहीं जा सकता हैं।
मुझे समझ आ गया कि मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी. मुझे अपने आप पर ही अफ़सोस हो गया कि मै ऐसी क्युँ हूँ! मै क्युँ नहीं पूजा की तरह पतिव्रता बन पायी।
पूजा की तरह मै भी कही बार भटकी थी, पर मै पूजा की तरह समय पर संभल नहीं पायी। काश मै प्रतिमा ना होकर पूजा होती तो आज मुझको अपने आप पर ज्यादा गर्व होता.
अशोक ने मुझे समझाने की कोशिश की कि मै ये सब भूल जाऊ और उसने मुझसे माफ़ी भी मांगी कि उसने मुझे इस काम के लिए फंसाया.
नितीन और अशोक का तो कुछ नहीं बिगड़ा पर पूजा की नजरो में मै हमेशा के लिए गिर चुकी थी। आईने में अपनी शक्ल देखी, उस पर पूजा की उंगलियों के निशान अब लाल हो चुके थे.
उस थप्पड़ की गूँज से मै रात भर सो नहीं पायी। बार बार मेरा दिल रो रहा था। सुबह आईने में मेरे गालो को देखते हुए मै फिर रो पड़ी.
मैने ऑफिस से छुट्टी ले ली. कुछ खाने का दिल भी नहीं कर रहा था। एक इच्छा हुयी कि अभी जाकर पूजा से मिलु और मिलकर उस से माफ़ी मांग लु और फिर उसको सब सच बता दू कि मैं सिर्फ मोहरा थी।
पर मेरी बात का वो क्युँ विश्वास करेगी. फिर मै उसका सामना कैसे कर पाउंगी. दिन भर इसी उधेड़बुन में रही. शाम को स्वीमिंग पर जाने का समय हो गया था। पर हिम्मत नहीं थी वहां जाकर पूजा का सामना कर पाऊ.
शाम को घर आकर अशोक ने मुझे फिर समझाया कि मै उस घटना से अफेक्ट ना होऊ. मेरा बच्चा मेरी हालत देख परेशान रहा। उसे लगा मै बीमार हूँ.
पर उसको क्या पता कि बीमार तो मै आज से पहले थी। पूजा ने तो थप्पड़ के रूप में मुझे एक इंजेक्शन लगाया था कि मै सुधर जाऊ. मुझे अब उस घटना से उभरना ही था और उसको एक सीख की तरह लेना था।
इन सब के बीच एक चीज तो साफ़ हो गयी कि सच में पूजा और अशोक के बीच पहले कुछ संबंध नहीं रहा था। उस होली वाले दिन जो कुछ भी नितीन ने कहा था वो सिर्फ झूठ था, मुझे कमजोर कर चोदने के लिए.
मै ही पागल थी जो उसकी बातों में आ गयी और अपने पति पर शक किया था। हालांकि मेरा पति इसी तरह का हैं जो उसने मुझे ऐसे काम के लिए भेज दिया कि मुझे मेरी ही सहेली ने थप्पड़ मार दिया।
अगले दिन मै ऑफिस गयी, बहुत उदास थी और ऑफिस वाले भी मुझे देख बीमार समझे. ख़ास तौर से मेरा बॉस राहुल मेरी हालत देख परेशान हुआ।
राहुल के साथ मेरे क्या संबंध हैं ये तो आप मेरी कहानी “Nayi Dagar , Naye Humsafar” में पढ़ ही चुके हैं। राहुल मेरे प्यार मे पड़ गया था और मै भी उसको चाहने लगी थी । पर मुझे चोदने की फिराक मे उसने मेरे साथ धोखा किया था । अब हम दोनो के बीच दूरी आ चुकी थी ।
उस वक्त राहुल की सच्चाई जान मुझे जितनी बड़ा झटका लगा था उतना ही बड़ा झटका अब पूजा का थप्पड़ खाकर लगा था।
राहुल दिन भर में जब भी मिला मुझसे मेरी परेशानी का कारण पूछता रहा पर मै उसको टालती रही कि मै ठीक हूँ.
दोपहर बाद मुझे पूजा का फ़ोन आया। अपने मोबाइल की स्क्रीन पर पूजा का नाम देखते ही मेरे गालो की जलन एक बार फिर पैदा हो गयी। मन में एक डर सा बैठ गया। कल पूजा ने सिर्फ थप्पड़ मारा था मुझे कुछ सुनाया तो था ही नहीं.
शायद आज फ़ोन पर मुझे बुरा बोल कर सुनाना चाहती थी और अपनी भड़ास निकालना चाहती होगी. पहले ही मेरा मूड उदास हैं और अब उसकी खरी खोटी सुनने की इच्छा नहीं थी।
मैने पूजा का फ़ोन नहीं उठाया. मेरी हालत देख मेरी ऑफिस की सहेली रूबी भी चिंतित थी। उसने एक साल पहले ही ऑफिस ज्वाइन किया था और जल्द ही मेरी अच्छी सहेली बन गयी थी क्युँ कि वो बहुत समझदारी की बातें करती थी।
वो एक तलाकशुदा महिला थी और 32 के करीब उम्र थी। मुझसे से कही ज्यादा हिम्मत उसमे थी जो अपने पति को सहन करने के बजाय उसको तलाक देकर अपनी आज़ादी भरी ज़िन्दगी जी रही थी।
तलाक के बाद उसका बच्चा कुछ महीनो के लिए बारी बारी से माँ या बाप के साथ रहता था। मै भी कभी कभी सोचती थी कि मै रूबी की तरह मजबूत क्युँ नहीं हूँ.
ऑफिस में रूबी पोस्ट में मुझसे थोड़ी नीचे थी पर उम्र में मुझसे बड़ी थी। पर हम दोनो काफी करीबी सहेलियां थी और एक दूसरे से ज्यादा कुछ छिपाती नहीं थी।
रूबी को मैंने अपने पति के बारे में सिर्फ ये बताया था कि मै उनसे थोड़ी परेशान हूँ. वो मुझे हमेशा खुद की तरह तलाक देने का आईडिया देती रहती और मै उसको हमेशा टाल देती.
दोपहर को लंच के बाद जब हम थोड़ा वॉक पर जाते हैं तो वो मुझे अलग से ले आयी और मेरा हाल जानने लगी।
रूबी: “क्या हुआ तुमको? फिर से तुम्हारे पति ने परेशान किया ना!”
मैं: “नहीं, वो बात नहीं हैं”
रूबी: “तो क्या बात हैं? जो भी हो, तुम्हारी परेशानी का कारण तुम्हारा पति ही होगा”
मैं: “हां वो ही हैं इसके पीछे, मगर पूरी तरह नहीं, इसमें मेरी भी गलती थी”
रूबी: “तू कब तक अपने पति को बचाती रहेगी और उसको सहन करती रहेगी. छोड़ क्युँ नहीं देती उसको. तलाक देकर दूर कर बीमारी. मेरी तरह आज़ाद हो कर सांस ले कर देख”
मैं: “उसकी जरुरत नहीं हैं अभी”
रूबी: “मै फिर कहती हूँ, तुम जैसी औरते अपने पति को सहन करती रहेगी, सिर्फ इसलिए कि रात को चुदने के लिए तुम्हे कोई लंड चाहिये होता हैं।”
मैं: “ये क्या बोल रही हो?”
रूबी: “मैने तुमको पहले भी बोला था ना. तुम्हे चुदने की लत लग चुकी हैं। जब तक रात को तुम्हारा पति तुम्हे चोद नहीं देता, तुम्हे खाना हजम नहीं होता. सिर्फ उस चुदने के नशे की खातिर तुम अपने पति को सहन कर रही हो”
मैं: “तुम गलत समझ रही हो, मुझे कोई नशा नहीं हैं”
रूबी: “अच्छा, नशा नहीं हैं! मैंने तुम्हे दो बार चैलेंज दिया था कि एक महीना अपने पति से मत चुदवाना, फिर क्या हुआ उस चैलेंज का?”
मैं: “मैने चैलेंज लिया तो था!”
रूबी: “लिया था तो फिर नतीजा क्या निकला? पहली बार तुमने तीसरी ही रात चुदवा लिया था। और दुसरी बार तो चैलेंज लेने के बाद 4 घंटे भी इंतजार नहीं हुआ और चुदवा लिया”
मैं: “मैने कोशिश तो की थी”
रूबी: “इसे कोशिश कहते हैं! एक महीने का चैलेंज था और 3 दिन भी नहीं टिक पायी”
मैं: “हर औरत में तुम्हारी जितनी हिम्मत नहीं होती ना जो अपने पति को छोड़ कर अलग हो जाए”
रूबी: “वो ही तो मै कह रही हूँ. तुम्हे चुदने की लत लग चुकी हैं। एक दिन भी चुदाये बिना तुम रह नहीं सकती. तुम्हारी चूत पति के लंड की गुलाम हैं”
मैं: “तुम मेरा दर्द बांटने आयी हो या बढ़ाने!”
रूबी: “मै तुम्हारी मदद को ही आयी हूँ. तुम्हारा ईलाज सिर्फ तलाक हैं”
मैं: “यह इतना आसान नहीं हैं”
रूबी: “मुझे पता हैं, यह आसान क्युँ नहीं हैं। पहले तुम्हे अपनी यह लंड की गुलामी की आदत छोड़नी होगी. वरना तुम कभी हिम्मत नहीं कर पाओगी”
मैं: “बात सिर्फ चुदने की नहीं हैं। और भी मजबूरियां हैं, मेरा एक बच्चा हैं”
रूबी: “अपनी चुदाई की लत को अपने बच्चे की आड़ में मत छुपाओ. मेरा भी बच्चा हैं, पर मैंने तलाक लिया ना!”
मैं: “तुम्हारी बात अलग हैं”
रूबी: “क्युँ, तुम्हारी चूत में कोई हीरे मोती जड़े हुए हैं कि तुम्हे रोज चुदवाना जरुरी हैं। तुम पहले कोशिश करो कि एक महीना बिना चूदे रह सकती हो”
मैं: “ठीक हैं मै आज से ही शुरु करती हूँ”
रूबी: “चलो देखते हैं, इस बार तुम कितना रुक पाती हो”
हम लोग फिर ऑफिस में आ गए और अपने काम में लग गए. शाम होने से पहले मुझे एक बार फिर पूजा का फ़ोन आया और मेरे हाथ पैर फुल गए.
मेरा फ़ोन साइलेंट पर ही था और मैंने पूरी रिंग जाने दी पर फ़ोन नहीं उठाया. कॉल ख़त्म होने के बाद मैंने पूजा का नंबर ही ब्लॉक कर दिया।
मुझमे अब हिम्मत नहीं बची थी कि मै पूजा की आवाज सुन पाऊ. किस मुंह से बात करती मै उस से .
रात को अशोक बेडरुम में मुझे चोदने के लिए तैयार था और मैंने रूबी का ध्यान करते हुए अशोक को रोका, पर वो नहीं माना. उसने कहा कि चुदने के बाद मेरी उदासी मिट जाएगी।
उदास तो मै थी और एक चुदाई की जरुरत भी थी पर रूबी को कल क्या जवाब दूंगी यह सोच मैंने मना करती रही.
परन्तु अशोक को मेरी कमजोरी पता थी, उसने मस्ती मस्ती में मेरा शार्ट और पैंटी उतार ही दी और एक बार मेरी चूत में ऊँगली जाने के बाद मै और नियंत्रित नहीं कर पायी।
अशोक ने आखिर मुझे चोद ही दिया और मै उसको मना नहीं बोल पायी। चुदते हुए यहीं दिमाग में चल रहा था कि क्या रूबी सही हैं। मेरी चूत क्या सच में लंड की गुलाम बन चुकी हैं।
चुदाई का मजा तो आ रहा था पर मन में रूबी की बातें मुझे चुभ भी रही थी।
अगले एपिसोड में पढ़िए कि मैं अपने पति के लंड की गुलामी वाली आदत को दूर करने को क्या उपाय करती हूँ।
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