डांस के बहाने पूजा और अशोक एक दूसरे के करीब आये। फिर जैसा सोचा था वो ही हुआ और पूजा डांस करते थोड़ा बहक गयी पर फिर संभल भी गयी थी। अब हम उसका हाल जानने लगे।
नितीन: “क्या हुआ पूजा, डांस करते थक गयी क्या?”
पूजा: “हां, अब खाना खा लेते हैं, फिर घर चलते हैं”
नितीन: “इतनी जल्दी क्या हैं? थोड़ा और डांस करते हैं ना”
मैं: “चलो पूजा, तुम्हे डांस करने में मजा नहीं आया?”
पूजा: “मजा आया पर अब भूख लग रही हैं, खाना खा लेते हैं”
फिर हम लोगो ने खाना मंगवा लिया। खाना खाते वक्त लगातार पूजा गंभीरता के साथ बीच बीच में अशोक को देख रही थी। मै दो-तीन बार उसको आंख से इशारा कर जैसे पुछा कि क्या हुआ पर वो गरदन हिला कर ना बोल देती कि कुछ नहीं हुआ।
अशोक, नितीन और मै हल्की फुलकी बातों के साथ माहौल को खुश रख रहे थे और पूजा हमारी बात सुन थोड़ा मुस्कुरा भी देती, पर फिर गंभीर हो जाती।
खाना खाने के बाद वेटर को बुलाकर केक मंगवाया गया। नितीन और पूजा ने केक काटा और एक दूसरे को खिलाया और फिर हमें भी.
मैने भी केक की फ्रॉस्ट क्रीम में अपनी ऊँगली भरी और नितीन की तरफ बढा दी. उसने मेरी ऊँगली को अपने मुंह में लेकर अच्छे से चूसना शुरु कर दिया।
पूजा देखते ही रह गयी कि मै इतना खुल क्युँ हो रही हूँ, या माहौल ही ऐसा था। तब तक अशोक ने भी अपनी ऊँगली को पूरी तरह फ्रॉस्ट क्रीम में लपेट दिया। उसने अपनी ऊँगली पूजा की तरफ बढ़ाई और पूजा थोड़ा पीछे हटी.
तब तक नितीन ने भी अपनी ऊँगली फ्रॉस्ट क्रीम में भर कर मेरी तरफ बढ़ाई और मैंने मजे लेते हुए उसकी ऊँगली को अच्छे से चाट कर साफ़ कर दिया।
अशोक भी अपनी ऊँगली जबरदस्ती पूजा के होंठो पर ले आया। पूजा को मुंह खोलना ही पड़ा और अशोक ने अपनी ऊँगली को पूजा के मुंह में उतार दिया और उसको चाटने को बोला.
पूजा शुरु में थोड़ा सकपकाई पर फिर मुझे नितीन की ऊँगली चाटटे देख उसने भी अशोक की ऊँगली को अपने मुंह में रख चाटटे हुए साफ़ कर दिया।
नितीन: “पूजा, तुम भी अशोक अपनी सफ़ेद क्रीम टेस्ट कराओ।”
यह सुन पूजा तो एकदम खामोश हो गयी और चेहरा उतर गया कि नितीन ने क्या बोल दिया।
नितीन: “केक की क्रीम की बात कर रहा हूँ, तुम क्या समझ गयी!”
पूजा बुरी तरह शर्मा गयी और नितीन के कंधो पर एक हाथ मारा और एक थोड़ा मुंह बनाते हुए शर्मीली स्माईल बिखेर दी।
पूजा ने भी अब अपनी ऊँगली क्रीम में भरी और अशोक के होंठो की तरफ बढा दिया। अशोक अब पूजा की ऊँगली को अच्छे से चाटने लगा और पूजा भी शर्माते हुए खिलखिला रही थी।
हम खिलखिलाते हुए हमारी बॉन्डिंग को मजबूत कर रहे थे और जो हो रहा था वो सामान्य हैं यह साबित कर रहे थे। हम लोगो ने फिर बैठ कर केक खा लिया और बीच बीच में एक दूसरे को भी खिलाते रहे।
केक खाने के बाद हम केक पर थोड़ा चर्चा करते रहे कि हमने किस मजे से एक दूसरे को केक खिलाया. इसके बाद मै पूजा के साथ हाथ साफ करने को वाशरूम में गयी और वहीं उसके दिल का हाल जानना चाहा.
मैं: “क्या हुआ, तुम काफी समय से सीरियस क्युँ हो? आयी थी तब तो काफी खुश थी। कोई बात परेशान कर रही हैं?”
पूजा: “नहीं मै खुश हूँ, कोई बात नहीं हैं”
यह बोल कर वो नकली हंसी अपने चेहरे पर ले आयी।
मैं: “नहीं कोई तो बात हैं जो तुम्हे परेशान कर रही हैं। तुम मुझे बता सकती हो. बोलो, खुल कर बात करो, मै तुम्हारी सहेली हूँ ना?”
पूजा: “तुम्हे कुछ अजीब नहीं लगा, जिसकी तरह वो दोनो डांस कर रहे थे। तुम बुरा मत मानना पर मुझे लगा कि अशोक मेरे कुछ ज्यादा ही करीब था”
मैं: “तुम भी क्या छोटी छोटी चीजे सोच रही हो. रोमांटिक गाना चल रहा हैं, तो कोई दूर रहकर थोड़े ही डांस करेगा. लड़की के पास आकर तो डांस करना ही पड़ेगा ना”
पूजा: “तुम्हे बुरा नहीं लगा! मुझे लगा नितीन भी तुम्हारे साथ कुछ ज्यादा ही खुल रहा था”
मैं: “मुझे तो कुछ अजीब नहीं लगा। सब नार्मल था। अशोक भी मेरे साथ ऐसे ही डांस करता हैं”
पूजा: “पता नहीं, मुझे बहुत गलत लगा”
मैं: “तुम भी ना, क्या क्या सोच लेती हो. अगर नितीन मेरे साथ कुछ गलत कर रहा होता तो अशोक उसको रोक नहीं देता. इसी तरह तुम्हारे साथ अशोक गलत करता तो नितीन रोक देता. तुम्हे क्या महसूस हुआ डांस करते वक्त?”
पूजा: “पता नहीं, मै बता नहीं सकती उस वक्त क्या क्या चल रहा था मेरे दिमाग में”
मैं: “मुझे लगता हैं तुम्हे अशोक के साथ डांस करना अच्छा लगा। मुझे पता हैं नितीन को डांस करना नहीं आता, शायद इस वजह से तुम्हे
अशोक के साथ डांस करना अच्छा लगा हो. एक काम करते हैं फिर से डांस करते हैं, तुम्हे पता लग जायेगा”
पूजा: “नहीं नहीं, मै तो वैसे ही घबराई हूँ पिछले डांस से ”
मैं: “इसमें घबराने की क्या बात हैं। अशोक के साथ डांस करना अच्छा लगा तो अच्छा लगा, इसमें छुपाने की क्या बात हैं। नितीन थोड़े ही बुरा
मानेगा. उसको तो अच्छा लगेगा कि सालगिरह के दिन उसकी बीवी खुश होगी. चलो बाहर तुम्हारा अशोक के साथ डांस करवाते हैं और तुम्हारा डर भगाते हैं”
पूजा: “नहीं प्लीज प्रतिमा, ऐसा मत करो. मेरे तो हाथ पैर वैसे ही कांप रहे हैं। मुझे नहीं करना ये सब”
मैं: “नर्वस होना तो और भी अच्छी निशानी हैं। चलो, शर्माओ मत. मेरी गारंटी हैं नितीन कुछ नहीं बोलेगा. बस तुम अपना मन बना लो. तुम्हे अशोक के साथ डांस करना हैं ना?”
पूजा: “पता नहीं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हैं। मुझे कुछ नहीं करना, हम घर चलते हैं”
मैं: “मुझे ऐसा क्युँ लगता हैं कि डांस करते हुए तुम उत्तेजित हो गयी थी। तुम्हारी अंदर की वासनाऐं भड़क गयी थी। अब उसी आग को शांत करने के लिए तुम नितीन को जल्दी से घर ले जाना चाहती हो”
पूजा: “ऐसा कुछ नहीं हैं, वो सिर्फ एक डांस था। और मेरी कोई वासनाऐं नहीं भड़की. मुझे घर जाने की कोई जल्दी नहीं हैं”
मैं: “तो फिर तुम्हारी सालगिरह की पार्टी एन्जॉय करो ना. एक राऊंड डांस का हो जाए. मै भी देखती हूँ तुम्हारी वासनाऐं भड़कती हैं या काबू में रहती हैं”
पूजा: “प्लीज ऐसा मत करो प्रतिमा”
मैं: “मतलब तुम मानती हो, तुम्हारी वासनाऐं भड़की थी। इसमें छुपाने की क्या बात हैं। भड़क गयी तो भड़क गयी, इसमें क्या हैं!”
पूजा: “कोई वासना नहीं भड़की”
मैं: “तो फिर डांस करने से क्युँ डर रही हो? तुम्हारी सच्चाई बाहर आ जाएगी, यहीं ना?”
पूजा: “मै डर नहीं रही. मेरी डांस करने की इच्छा नहीं बस. घर नहीं जाना तो कोई बात नहीं, थोड़ी देर बात कर लेते हैं, चलो बाहर”
अब हम दोनो वापिस प्राइवेट रूम में आये और टेबल पर बैठ गए. नितीन और अशोक वहीं थे और जैसे आँखों से इशारा कर पूछ रहे थे कि काम हुआ कि नहीं।
मैने भी आँखों के इशारे से उनको थोड़ा इंतजार करने को कहा. वो दोनो अब रोमांटिक किस्से सुना माहौल नार्मल करने लगे। पूजा भी अब थोड़ा नार्मल हो एन्जॉय कर रही थी। मुझे अब आगे का काम करना था।
मैं: “अशोक ये पूजा तुम्हारे डांस की बहुत तारीफ कर रही थी। ”
पूजा मेरी शक्ल देखने लगी। वो मेरे पास ही बैठी थी तो टेबल के नीचे से ही हाथ मेरी जांघ पर रख दबा दी. मैंने भी उसके कंधे पर हाथ रख दिया।
मैं: “पूजा बोल रही थी कि एक राऊंड और डांस का हो जाए तो मजा आ जाऐ”
पूजा: “मैने कब कहा! ये प्रतिमा की ही इच्छा हैं और मेरा नाम ले रही हैं”
मैं: “अच्छा मेरी इच्छा हैं, अब तो डांस करोगी? चलो ऊठो, आ जाओ मैदान में”
मै अब उठ खड़ी हुयी और मुझसे पहले नितीन और अशोक तैयार थे। मै पूजा को उठाने लगी, वो अपनी जगह से हिली नहीं और सिर्फ मुस्कुराते हुए मना करती रही.
पूजा: “तुम लोगो को डांस करना हैं तो करो, मुझे नहीं करना”
मैं: “इतना क्या शर्मा रही हो? अशोक तुम्हे खा नहीं जायेगा. नितीन तुम्हे कोई आपत्ति हैं कि पूजा अशोक के साथ डांस करे?”
नितीन: “इसमें पुछने की क्या जरुरत हैं! डांस ही तो हैं”
मैं: “चलो पूजा, अब तो नितीन ने भी बोल दिया हैं”
पूजा: “तुम्हे करना हैं तो करो, मै देख रही हूँ”
मैं: “हम यहाँ कोई तमाशा थोड़े ही कर रहे हैं जो तुम बैठ कर देखोगी”
पूजा: “वैसे नहीं देखूंगी. मै तुम्हे देख सीखूंगी फिर वो स्टेप मै कर लुंगी, मुझे तुम्हारी तरह डांस नहीं आता”
मैं: “ठीक हैं। मै नितीन के साथ स्टेप करके बताती हूँ, फिर तुम भी करना”
मै अब नितीन को लेकर टेबल से दूर आयी और उसके साथ डांस करना शुरू किया. मै उसको स्टेप बताती जा रही थी कि उसको मुझे कैसे लिफ्ट करना हैं।
मेरे बताये अनुसार नितीन अब मुझे अलग अलग पोज़ में लिफ्ट कर रहा था और इस बहाने उसे मेरे शरीर के अलग अलग हिस्सों को पकड़ने का मौका मिल रहा था।
कभी वो मेरी जांघो को पकड़ मेरा पाँव थोड़ा उठा लेटा तो कभी मेरी गांड के नीचे से पकड़ ऊपर उठा लेटा। कभी मेरी पीठ पकड़ मेरा वजन अपने हाथ पर लेता।
पूजा और अशोक वो सब ख़ुशी ख़ुशी देख रहे थे। कभी मै नितीन की एक बांह में झूलते पूरा पिछे झुक जाती तो वो मेरे सीने पर होंठ रख पोज़ बनाता।
कभी वो मेरे पिछवाड़े से चिपक रगड़ देता तो कभी सीने को रगड़ते हुए मुझे लिफ्ट करता. मुझे जितने हॉट स्टेप्स आते थे मैंने नितीन के साथ वो सब कर लिए थे और इस बीच नितीन का लंड कड़क हो कर बार मुझे चूभता रहा।
मेरी नजरे बार बार पूजा और अशोक पर भी थी। वो हॉट डांस देख कर वो दोनो भी हिल चुके थे जो उनकी शक्ल बता रही थी। मुझे लग गया कि मेरे और नितीन की तरह वो दोनो भी अब गरम हो चुके हैं।
मै और नितीन अब आकर बैठ गए।
मैं: “चलो पूजा अब तुम्हारी बारी हैं”
पूजा अब नितीन को देखने लगी, जैसे उसकी अनुमति ले रही हो।
नितीन: “अब जाओ भी, इतना क्या सोच रही हो”
पूजा को एक बार फिर हमने अशोक के साथ डांस करने को भेजा, अगले एपिसोड में पढ़िए क्या इस बार पूजा अपना नियंत्रण खो देगी।
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