Aakhiri Dagar, Purane Humsafar – Episode 19


जोसफ से शादी के बाद मैं उसके बच्चे की माँ बन चुकी थी और मेरी खुशिया लौट आयी थी। अब मैं राहुल से मिलकर उसकी खुशहाल ज़िंदगी का भी जायजा लेना चाहती थी ।
पहली बार इतने लंबे अंतराल के बाद राहुल से मिलने जा रही थी। जिस तरह हम अलग हुए थे और उसने मुझे जिस हालत में गैर मर्द के साथ पकड़ा था, उसके बाद पता नहीं वो मुझसे मिलना पसंद भी करेगा या नहीं। ख़ास तौर से क्युकी अब उसकी शादी हो चुकी थी तो शायद मुझे पहले की तरह ना मिले। फिर भी मुझे अपने मन की शान्ति के लिए उस से मिलना था।
हालांकि मै उसको रिझाने नहीं जा रही थी पर फिर भी मैंने उसके पसंद के कलर की साड़ी पहनी. उसको मेरे पीठ से ज्यादा खुले ब्लाउज पसंद हैं तो मै वैसे ही ब्लाउज रखती रही हूँ.
मैने चमकीले बोर्डर वाली काली साड़ी और उस के साथ सिल्वर कलर का स्लीवलैस ब्लाउज पहना, जिसमे से मेरी पीठ लगभग नंगी दिख रही थी।
पेटीकोट भी मैंने उसकी पसंद के हिसाब से नाभी के 3-4 इंच नीचे बाँधा, पर फिर सोचा यह ज्यादा हो जायेगा तो 2 इंच नीचे बांध दिया। मेरा आधा पतला गौरा पेट फिर भी काफी अच्छे से दिखता हुआ लूभा रहा था।
मै जिसकी तरह बन संवर कर तैयार हो रही थी मुझे लग नहीं रहा था कि मै शादी शुदा होकर भी उस पुराने प्रेमी से मिलने जा रही थी जिस से मैंने किस तरह संबंध तोड़े थे.
जो भी हो, मैंने प्यार तो सिर्फ उसी से किया था तो मै अच्छे से अपने आप को उसके सामने प्रस्तुत करना चाहती थी। हम दोनो वैसे ही अपनी अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ चुके हैं तो शायद वो मुझे माफ़ कर दे।
रूबी: “जैसे तूम तैयार हुयी हो, राहुल से सिर्फ मिलने जा रही हो या और भी कुछ गंदा काम करने का इरादा हैं?”
मैं: “नहीं, सिर्फ मिलने जा रही हूँ। मैं कुछ ज्यादा बन संवर गयी क्या, कम करु कुछ?”
रूबी: “हां, एक काम करो, पेटीकोट 1-2 इंच थोड़ा और नीचे बांधो, ताकि तुम्हारी सेक्सी कमर अच्छे से दिखे तो सही। और यह ब्लाउज थोड़ा और खुले गले का होता और क्लीवेज दिखता तो मजा आता”
मैं:”वैसे ही बच्चा होने के बाद मेरे मम्मे और ज्यादा भर कर फुल गए हैं, मेरे ब्लाउज में ढंग से आ भी नहीं रहे हैं, अगर साड़ी ना हो तो देखो कितने बाहर झाँक रहे हैं!”
रूबी: “राहुल के सामने आते ही अपना पल्लू गिरा देना, बेचारा बेहोश हो जायेगा तुम्हारा क्लीवेज देख कर”
मैं: “वो अपनी बीवी का क्लीवेज देखता होगा, अब मेरे क्युँ देखेगा ! चल मै चलती हूँ, मेरे बच्चो का ख्याल रखना, मै जल्दी आ जाउंगी”
रूबी: “चिंता मत कर, आराम से चुदवा कर आएगी तो भी कोई बात नहीं”
मै सीधा ऑफिस पहुंच गयी राहुल से मिलने. वहां का अधिकतर स्टाफ पुराना ही था तो हम मिलकर खुश थे। फिर मैं राहुल के केबिन के बाहर दस्तक देने के बाद उसके बुलाने पर अंदर गयी।
दरवाजा खोलते ही देखा राहुल अपनी सीट पर बैठा अपने काम में व्यस्त था। उसके केबिन को देख फिर पुरानी यादें ताजा हो गयी। इसी केबिन में पता नहीं कितनी बार हम दोनो के बीच चुदाई हुयी थी।
मैने राहुल को आवाज लगायी और मेरी आवाज सुनते ही वो पहचान गया और एक झटके में अपना सिर उठा कर मुझे देखा और देखता ही रह गया।
प्यार ऐसी चीज हैं जो कभी खत्म नहीं होती। वो तुरंत अपनी सीट से उठ गया और हम दोनो एक दूसरे की तरफ चलते हुए पास आ गए। हम दोनो के चेहरे पर एक चौड़ी स्माईल थी।
पास में आकर इधर मैंने अपना हाथ आगे बढाया ताकि हाथ मिला पाऊ और ऊधर उसने अपनी दोनो बाहें आगे कर दी मुझे गले लगाने के लिए।
मुझे हाथ मिलाते देख उसने अपनी बाहें नीचे कर दी और अपना हाथ मिलाने को आगे बढाया और उसी वक्त मैंने अपनी दोनो बाहें फैला दी उसको गले लगाने को।
हम दोनो का मिसकोर्डिनेशन देखने के बाद हम दोनो ही हस पड़े और फिर एक दूसरे के गले लग गए। इतने समय बाद उसके गले लग मेरे दिल को एक ठंडक पहुंची। वो मुझसे नाराज नहीं था यह जान ख़ुशी भी थी।
उसने मुझे इतना टाइट हग कर लिया था कि मेरे मम्मे जितने दब सकते थे उतना दब गए और उसके हाथों ने मेरी नंगी पीठ से छू कर मुझे हल्का सा करंट दिया।
सच ही हैं, असली सुकून तो अपने प्यार की बाहों में ही होता हैं। हमें कुछ सेकण्ड लगे यह अहसास करने में कि हम दोनो ही किसी और से शादी शुदा हैं और हम एक दूजे की बाहों से अलग हुए।
राहुल: “इतने समय बाद तुम्हे देखकर बहुत अच्छा लगा। तुम तो और भी खुबसूरत होती जा रही हो !”
मैं: “थैंक यू, तुम भी वैसे के वैसे ही हो, एकदम हैंडसम”
राहुल: “बॉब ने मुझको बताया था कि तुमने जोसफ से शादी कर ली हैं और बधाई हो अब तो तुम्हे बच्चा भी हो गया जो मै तुम्हे नहीं दे पाया”
मैं: “सब किस्मत का खेल हैं”
राहुल: “तुम चाहती तो हम दोनो एक हो सकते थे”
मैं: “वो सब बातें छोड़ो. अपनी बीवी से नहीं मिलवाओगे ?”
राहुल: “मेरी टेबल पर जो काम पड़ा हैं, वो ही मेरी बीवी हैं”
मैं: “मजाक मत करो, तुमने जो सगाई का निमंत्रण भेजा था वो लड़की, शादी तो कर ही ली होगी तुमने अब तक!”
राहुल: “तुम एक अंजान आदमी के साथ अपनी इज्जत गवाने का नाटक कर सकती हो तो मै क्या एक झूठी सगाई का नाटक नहीं कर सकता?”
मैं: “यह क्या बोल रहे हो तुम?”
राहुल: “मै तुमसे दूर हो जाऊ और तुम्हे भूल जाऊ इसके लिए तुम हर किसी के साथ किस करने और यहाँ तक कि चुदवाने से भी नहीं कतराई! मै नहीं चाहता था कि तुम मेरी वजह से यह गंदे काम और कर अपनी इज्जत दांव पर लगाओ, इसलिए मैंने तुमसे नाराज होने का नाटक किया और वो झूठी सगाई का नाटक”
मैं: “तो फिर मेरा त्याग तुम व्यर्थ जाने दोगे? तुम किसी लड़की से शादी क्युँ नहीं कर लेते?”
राहुल: “प्यार या तो रूही से किया या फिर तुम से। तुम दोनों ही मुझे छोड़ गए। शादी करता तो तुम्ही से करता। तुम्हारे तलाक के बाद थोड़ी उम्मीद जागी थी पर तुमने वो भी तोड़ी। पर अच्छा हुआ, मुझसे दूर होकर तुम माँ तो बन पायी ”
मैं: “तुम सोच नहीं सकते मुझे कितना बुरा लग रहा हैं। मैने शादी कर घर बसा लिया और तुम मेरे लिए ऐसे ही रह गए। अब क्या करना हैं तुम्हे?”
राहुल: “मै अब भी तुमसे शादी करने को तैयार हूँ। फिर से इंतजार कर लूंगा, अगर तुम कभी भी जोसफ से तलाक लो तो मेरे दरवाजे हमेशा खुले हैं”
मैं: “मैने सिर्फ तुमसे प्यार किया हैं, और मुझे तुमसे ज्यादा प्यार करने वाला कभी मिल भी नहीं सकता। मगर मै शादीशुदा हूँ और बच्चे की माँ भी बन गयी हूँ। अब मै तुम्हारी नहीं हो सकती”
राहुल: “पहले भी तो तुम अशोक की बीवी थी और एक बच्चे की माँ, फिर भी हमारा एक होने का समय आया था”
मैं: “अशोक से तो मै वैसे ही परेशान थी, पर जोसफ बहुत अच्छा इंसान हैं। तुम मेरा इंतजार बंद कर दो, इसके बदले तुम जो चाहोगे मै तुम्हे दूंगी”
राहुल: “पक्का?”
मैं: “तुमसे प्यार किया हैं, तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ”
राहुल: “मै चाहता हूँ कि तुम मेरें बच्चे की माँ बनो। अब तो तुम्हारी मेडीकल परेशानी दूर हो गयी हैं। वो बच्चा मै पालुंगा, हमारे प्यार की निशानी।”
मैं: “यह क्या कह रहे हो राहुल? मै अशोक को धोखा दे सकती थी पर जोसफ को धोखा नहीं दे सकती। यह गलत हैं, तुम कुछ और मांग लो।”
राहुल: “मुझे तुमसे बस यहीं चाहिये। या तो मुझसे शादी कर लो नहीं तो मुझे मेरा बच्चा पैदा करके दो। अगर नहीं दे सकती तो कोई बात नहीं, मै वैसे भी जी रहा हूं तुम्हारी याद में, जी लूंगा”
मैं: “प्लीज मुझे ऐसे मत फंसाओ”
मेरे तो हाथ पैर यह सोच सोच कर ही कांप रहे कि मै राहुल के साथ अब कैसे चुदवा सकती हूँ और कैसे उसके बच्चे की माँ बन सकती हूँ, यह गलत होगा।
राहुल ने मेरी दोनो हथेलियां पकड़ ली, मेरे हाथ अभी भी कांप रहे थे। फिर उसने एक हाथ से मेरी साड़ी का पल्लू मेरे कंधे से गिराना चाहा और उसके लिए वो कंधे पर लगी पिन खोलने लगा।
मैं: “नहीं राहुल, मै तुम्हे मना नहीं कर पाउंगी पर यह गलत हैं”
राहुल: “अगर यह गलत हैं तो मुझे रोक लो मै उसी वक्त रुक जाऊंगा”
उसने मेरा पल्लू गिरा दिया और मै ऊपर से सिर्फ स्लीवलैस ब्लाउज में खड़ी थी। मेरी तेज तेज साँसों के साथ ही माँ बनने के बाद मेरे और भारी हो चुके मम्मे ऊपर नीचे तेजी से हिलने लगे।
राहुल: “मै अपनी सेक्रटरी को बोल देता हूँ कि वो किसी को केबिन में ना आने दे और हमें डिस्टर्ब ना करें। इस बीच तुम चाहो तो अपना पल्लू फिर ढक कर अपनी ना बता सकती हो”
राहुल अपनी डेस्क पर लगे फ़ोन से फ़ोन करने लगा और मै ऐसे ही पल्लू नीचे गिराए खड़ी रही और तेज तेज साँसों के साथ अपने ब्लाउज के नीचे बंधे अपने मम्मो का प्रदर्शन करती रही। राहुल का त्याग देख कर उसको मना करने की इच्छा नहीं हो रही थी।
राहुल फ़ोन रखकर फिर मेरे पास आया। उसने अपने होंठ आगे लाकर मेरे ऊपर के पतले होंठ को अपने होंठो में हल्के से भर लिया और खिंच कर छोड़ दिया।
फिर उसने मेरे नीचे के होंठ के साथ भी यहीं किया। फिर हम दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने में मगन हो गए और 2-3 मिनट तक ऐसे ही चूमते रहे।
उसके बाद राहुल मेरे पीछे आया और और मेरे ब्लाउज का हूक खोल कर उसको ढीला कर दिया। फिर वो आगे आया और मेरा ब्लाऊज मेरे कंधे और बाहों से निकाल कर मुझे ब्रा में ले आया।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मै क्या करु। मै शादीशुदा होकर अपने पुराने आशिक़ के सामने आधी नंगी खड़ी थी और वो मुझे चोदने वाला था। जोसफ का ख्याल कर मुझे बहुत बुरा लग रहा था।
मै अब कोई एक्स्ट्रा मैरीटल अफैयर में नहीं पड़ना चाहती थी, पर मै राहुल को मना नहीं बोल पा रही थी क्युँ कि वो मेरा आज भी इंतजार कर रहा था।
उसने अब मेरे पेटीकोट से साड़ी निकालनी शुरु कर दी। मेरे चारो और घुमते हुए उसने मेरी साड़ी को निकाल कर नीचे गिरा दिया। फिर मेरे पेटीकोट पर हाथ रख उसको बांधे डोरी की गांठ भी खोल कर मेरा पेटीकोट निकाल दिया।
मै जब यहाँ राहुल से मिलने आयी थी तब सोचा नहीं था कि मै उसके सामने इस तरह अंदर के कपड़ो में खड़ी होउंगी। मै जो गुनाह करने जा रही थी उसके डर के मारे मेरे हाथ पैर अभी भी कांप रहे थे।
राहुल की उंगलिया अब मेरे नंगे पेट, कमर, जांघो, सीने और पीठ पर फिरते हुए मुझे नशा दिला रही थी। अब वो मेरे पिछे खड़ा था और मेरे ब्रा का हूक खोलने लगा।
ब्रा ढीला होकर मेरे मम्मो से थोड़ा खिसका और फिर उसने ब्रा को भी मेरे शरीर से अलग कर मुझे टॉपलैस कर दिया। उसके हाथ जल्दी ही मेरे नंगे मम्मो पर थे और प्यार से हाथ फेर रहा था। पिछली बार जब उसने मेरे मम्मो को छुआ तो तब से अब तक मेरे मम्मे और भी बड़े हो चुके थे और उनमे दूध भी भरा था।
उसने अपने दोनो हाथ मेरी नंगी पतली कमर पर रखे और अपना मुंह मेरे निप्पल पर लगा दिया और चूसने लगा। मेरे मम्मो में अभी थोड़ा दूध था तो थोड़ा उसने भी पी लिया।
थोड़ा दूध दोनो मम्मो से पीने के बाद उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और सोफे पर लेटा दिया। वो मेरी टांगो की तरफ बैठा था।
उसने हाथ आगे बढा कर मेरी पैंटी नीचे उतारना शुरु कर दिया। पैंटी निकालने के बाद उसने मेरी चूत को छुआ और मै झटके साथ पूरा हिल गयी। मुझे रह रह कर झटके लग रहे थे।
उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत पर रगड़ना शुरु किया और मेरी आहें निकलने लगी और मै आंखे बंद किए सिसकियाँ मारने लगी।
फिर वो उठा और अपने कपड़े भी खोलने लगा। कपड़े खोलते हुए मुझे राहुल में जोसफ दिखाई दिया। वो भी इसी तरह कपड़े खोल कर मुझे चोदता हैं। पर फिर जोसफ की याद आने के साथ ही अहसास हुआ कि मैं जो करने जा रही हूँ वो गलत हैं।
मैं: “मै तुम्हे नहीं रोक रही राहुल, पर तुम अगर मुझे चोदोगे तो यह जबरदस्ती चोदने जैसा होगा”
राहुल अपने कपड़े उतारते हुए मेरी बात सुनकर रुक गया।
राहुल: “तुम मेरे बच्चे की माँ बनोगी पर अब मै तुम्हे तब तक नहीं चोदुगा जब तक कि तुम खुद मेरे ऊपर आकर मुझे नहीं चोद देती। तुम्हे जितना समय चाहिये सोच लो, मुझे तुम्हारा हां या ना दोनो मंजूर हैं पर कोई जबरदस्ती नहीं करनी”
यह कहते हुए उसने अपने कपड़े वापिस पहनना शुरु कर दिया। मै सोफे पर ऐसे ही नंगी लेटी थी। फिर उसको कपड़े पहनते देख मै उठी और अपने कपड़े उठा कर फिर पहनना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद मै कपड़े पहन तैयार हो गयी और वो मुझे ऐसे ही खड़े खड़े देखता रहा।
राहुल: “कल छूट्टी हैं, मै तुम्हारा फार्म हाऊस पर इंतजार करूँगा। तुम मेरे ऊपर आकर मुझे चोदोगी तो मै समझ जाऊंगा कि तुम मेरे बच्चे की माँ बनने को तैयार हो”
एक तरफ पति के प्रति मेरी वफ़ादारी तो दूसरी तरफ मेरे प्यार में तड़पता राहुल। मेरे सामने दुविधा थी कि मैं क्या करू। अगले एपिसोड में जानिए मैं क्या फैसला करती हूँ।
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