हेल्लो मित्रो, मैं दीप पंजाबी एक बार फेर से आपके मनोरंजन के लिए नई सेक्स गाथा लेकर हाज़िर हूँ। पिछले हफ्ते पब्लिश हुई “पड़ोसन का घर टूटने से बचाया” कहानी को पसन्द करने के लिए आप सब मित्रो का बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ। बहुत से मित्रो के मेलस मिले। उनमे से एक मेल अजय मिश्रा का मिला। जिसमे उसने एक कहानी आप लोगो तक पुह्चाने की विनती की। जो के इस प्रकार है।
अजय मिश्रा एक प्राइवेट जॉब कर रहा है। उसकी उम्र 30 साल के करीब है। वो परिवार की अकेली औलाद होने की वजह से उसे नज़ायज़ छूट देकर उसे बिगाड़ लिया है।
अब बात करें हमारी कहानी की हीरोइन की उसका नाम ज्योति है। वो भी 30 की है लेकिन अभी तक कुंवारी हैं।
अजय का एक दोस्त है राजीव, राजीव का भी आगे एक दोस्त है विशाल।
विशाल के परिवार में कुल 3 मेंम्बर्स है। विशाल, उसका दूसरा भाई गौरव और उसकी बहन ज्योति मतलब हमारी कहानी की हीरोइन जिसका मैंने ऊपर जिक्र किया है उनके माँ बाप एक सड़क दुर्घटना में स्वर्ग सिधार गए है। माँ बाप के बाद गौरव ने प्राइवेट नौकरी करके अपने छोटे भाई, बहन को पढ़ाया। एक दिन दुर्भाग्य वश विशाल का भी एक्सीडेंट हो गया और उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया।
अजय, राजीव उसका पता लेने उसके घर पे गए। लेकिन घर को ताला लगा देख आस पड़ोस वालो से पता चला के वो अभी तक घर पे नही आया। मतलब के हॉस्पिटल में ही है। जब ये दोनों दोस्त हॉस्पिटल में आये तो देखते है के ज्योति भाई के पलंग पे बैठकर रो रही है, राजीव ने पूछा,” छोटी क्या हुआ रो क्यों रही हो?
ज्योति – (रोते हुए) – भैया को कार ने फेट मार दी है। जिस से उसका बहुत ज्यादा खून निकल गया है। अब डॉक्टर ने बोला है के यदि 1 घण्टे तक खून का इंतज़ाम नही हुआ। तो इस का बच पाना बहुत मुश्किल है। मैं माँ बाप को तो पहले ही खो चुकी हूँ। अब इसे नही खोना चाहती।
राजीव – लेकिन गौरव कहा गया है, उसे खबर दी या नही ?
ज्योति – गौरव भैया, खून का इंतजाम करने गए है।
राजीव – तुम टेंशन न लो छोटी, कुछ नही होगा इसे हम इसे कुछ नही होने देंगे।
इतने में गौरव भी मायूस सा मुंह लेकर आ गया, और आते ही रोने लग गया।
गौरव को रोता देखकर ज्योति और ज्यादा रोने लग गई।
राजीव – क्या हुआ यार, रो क्यों रहे हो। तुम तो ब्लड बैंक गए थे न खून का इंतज़ाम करने, क्या हुआ। मिला क्या खून ?
गौरव – नही यार, इतने बड़े हॉस्पिटल में विशाल के ग्रुप का खून नही है। बैंक वाले बोल रहे है, दूसरे शहर से जाकर ले आओ। अब तुम ही बताओ। इन्हें छोड़कर कहाँ जाऊंगा मैं ?
राजीव — चुप हो जाओ यार प्लीज़, कुछ नही होगा भाई को, तुम बताओ इसके खून का ग्रुप कौनसा है ?
गौरव – ओ पोजटिव, लेकिन यहां नही है।
राजीव – तुम्हारा और ज्योति का कोनसा है ?
गौरव – बी नेगटिव मेरा और ज्योति का बी पोजटिव।
राजीव – तुम यही इनके पास रुको।
मैं और अजय अभी आते है।
फेर दोनों डॉक्टर के कॅबिन की तरफ चले गए। संयोगवश अजय का खून विशाल से मैच हो गया और उसकी वजह से उसकी ज़िन्दगी बच गयी।
दोनों भाई बहन अपने भाई की जान बचाने के लिए अजयका शुक्रिया कर रहे थे।
अब ज्योति की नज़र में अजय के लिए इज्जत बढ़ गयी थी। जो के बढ़नी स्वभाविक भी थी क्योंके उसके सर से बड़े भाई का साया जो उठने से अजय ने बचा लिया था।
ज्योति – थैंक्स अजय, तुम्हारा ये अहसान मै ज़िन्दगी भर नही भूल सकूँगी। तूने मुझे अनाथ होने से बचा लिया। मेरे लायक कोई सेवा हो तो बताना। मैं कभी पीछे नही हटूंगी।
आपने मेरी ज़िन्दगी को अंधेरे में जाने से रोक लिया।
(असल में वो अजय को मन ही मन में प्यार करने लग गयी थी। जिसका उसने एक दिन मौका देखकर इज़हार भी कर दिया। अजय ने भी उसको निराश नही किया, उसका इज़हार कबूल कर लिया)
अजय – कोई बात नही ज्योति, ये तो मेरा फ़र्ज़ था। मेरी जगह शायद कोई और भी होता तो यही करता। बाकि रही बात काम आने की तो वो तो वक्त आनें पे पता चलेगा के क्या होगा। फिलहाल मैं चलता हूँ। ये लो मेरा मोबाईल नम्बर, जब होस्पिटल से छुटी मिल जाये बता देना। हम इसे आकर ले जायेंगे।
दो दिन बाद ज्योति ने घर से फोन किया के भाई को आज छुटी मिलनी है। वक्त निकाल कर आप और राजीव दोनों आ जाना। हमसे अकेले उसे उठाना, बिठाना मुशकिल हो जायेगा।
गौरव भैया भी आफिस गए हुए है। उन्होने बोला के आपको भी बुला लू।
अजय – कोई बात नही हम समय पे पहुंच जायेंगे।
किसी कारणवश अजय होस्पिटल नही पहुच सका। उसने राजीव को अकेले भेज दिया। अब विशाल के पास राजीव, गौरव थे। जबकि ज्योति घर पे अकेली थी। उसने फेर अजय को फोन लगाया के भाई को लेकर अभी तक घर नही आये, कहाँ हो आप सब ?????
अजय – मुझे थोडा काम था सो नही आ पाया । मैंने राजीव को हॉस्पिटल भेज दिया है। थोड़ी देर में फ्री होकर सीधा घर पे ही पहुचता हूँ।
आधे घंटे बाद अजय सीधा ज्योति के पास घर पे आ गया। वो लोग अभी तक घर नही पहुचे थे। ज्योति ने बहुत बढ़िया तरीके से उसका स्वागत किया और खाने पीने में खूब सेवा की। फेर दोनों बैठकर बाते करने लगे। इन्ही बातो बातो में अजय ने उस दिन का वादा याद करवाया के तूने कहा था मेरे लायक काम हो तो बताना ?
ज्योति – हां कहा था, लेकिन बोलो भी मुझसे क्या काम है ?
अजय – देखलो मुकर न जाना, पहले वादा करो के न नही कहोगे।
ज्योति – हां बाबा, नही बोलूंगी ना, लेकिन पता भी चले तूम्हारी डिमांड क्या है ?
अजय – जिस दिन से तुझे देखा है न मेरी रातो की नींद उड़ सी गई है। तुम्हारा इज़हार कबूल तो लिया लेकिन दिल कहता है के अपने महबूब से मुलाकात तो कर, उसके दिल में जानने की कोशिश कर के वो क्या चाहती है। क्या मुझसे शादी करोगी ?
ज्योति – हाँ, लेकिन भैया मानेगे तो, उनकी मर्ज़ी के खिलाफ नही जा सकती। उनसे बात करके देखो क्या कहते है। यदि वो मान गए तो मुझे तुम्हारी बीवी बनने में कोई आपत्ति नही है।
अजय – कोई बात नही, विशाल को ठीक हो जाने दो। जब चलने फिरने लग गया तब बात करूँगा। लेकिन जब तक वो नही आते एक किस तो कर लेने दो।
ज्योति – पागल हो गए हो क्या, दिन का समय है। भाई को लेकर कभी भी आ सकते है। इस लिए आज नही फेर कभी देखेंगे। जब कोई भी घर पे न हुआ तब आ जाना और फेर चाहे जो दिल में आये कर लेना।
अजय ने राजीव को फोन लगाया और पूछा के कब तक घर पे आ रहे हो। तो राजीव ने बोला,” जिस डॉक्टर ने छुटी देनी है। वो आज आया नही है। जबके स्टाफ कह रहा है के 2 घन्टे तक आ जायेगे। सो कुछ कह नही सकते छुटी आज मिलेगी भी या नही। इतना बोलकर उसने फोन काट दिया।
ज्योति – क्या हुआ, कब आ रहे है वो लोग ??
अजय – कोई समय नही है, आने को चाहे 1 घण्टे में आ जाये, न आने को कल तक रुक सकते है। चलो तुम ऐसा करो घर पे रहो। मैं चलता हूँ अपने घर, यदि कोई काम हो फोन कर लेना।
जैसे ही अजय, ज्योति को छोड़कर जाने लगा। ज्योति ने उसको भागकर पीछे से इमरान हाश्मी की “जहर” फ़िल्म की अभिनेत्री की तरह पकड़ लिया और अपनी कामुक अदाओ से उसको रिझाने लगी। उसके एक दम के प्रहार से एक पल के लिए तो वो सहम सा गया।
फेर जब उसपे भी उसकी अदाओ का असर होने लगा तो पता नही चला कब उनके होठ 2 से 4 होकर मिल गए। सच पूछो तो ज्योति की समझ में भी नही आया के उस से ये क्या हो गया है, वो अजय की बाँहो में समा जाना चाहती थी। अब अजय भी धीरे धीरे उसके होंठो से होता हुआ उसकी कान पे पपडी को दाँतो से हल्का हल्का काटने लगा और उसकी पीठ सहलाने लगा।
इधर ज्योति आँखे बन्द किये इस कामुक पल का मज़ा ले रही थी। थोड़ी देर में उसने महसूस किया के उसकी चूत में हलचल हुई है। उसने फेर महसूस किया कुछ गर्म द्रव उसकी चूत से बह रहा है। असल में ये काम रस था। जो अजय द्वारा छेड़ देने से व्याकुल होकर बह रहा था।
अजय उसको गोद में उठाकर उनके बेडरूम में ले गया और बेड पे पीठ के बल लिटाकर खुद ऊपर लेटकर उसको जगह जगह से चुमने लगा। अब ज्योति की काम अग्नि भी भड़क चुकी थी। उसके मुंह से लम्बी लम्बी सिसकिया सुनाई दे रही थी।
अजय ने कमीज़ के अंदर हाथ डालकर, ज्योति के मम्मो को मसल दिया। जिस से ज्योति की एक घुटी सी चीख निकल गई। फेर अजय ने अपने हाथ को पीछे खींचकर निचे सलवार की ओर घुमा दिया और उंगलिया सीधी करके सलवार में घुस्सा कर उसकी चूत को टटोलने लगा। उसने महसूस किया के हल्के हल्के बालो को पार करके उसकी उंगलिया किसी द्रव से भीग गयी है।
अपनी चूत पे मर्दाना हाथ का स्पर्श पाते ही ज्योति बहकने लगी। उसने भी काम आवेश में पेंट के ऊपर से ही अजय का लण्ड पकड़ लिया और बोली, अजय प्लीज़ मेरी प्यास बुझा दो। मैं दिन रात काम अग्नि में जलती हूँ। अब मुझसे और बर्दाश्त नही होता। प्लीज़ मेरी काम अग्नि ठंडी करदो। मेरी सभी सहेलिया रोज़ाना अपने यारो से चुदती है और अपने किस्से मिर्च मसाला लगाकर सुनाती है। जिस से मैं आत्म ग्लानि महसूस करती हूँ, क्योंके मेरा कोई यार नही है, जो मुझे जबरदस्त तरीके से चोदकर संतुस्ट कर सके। इस लिए तुम ही मुझे सही बन्दे लगे। जो मेरा ये काम कर सकते हो। तुमपे मैं बहुत भरोसा करती हूँ। उम्मीद है के मेरा भरोसा नही तोड़ोगे।”
अजय — हाँ, जानू बस एक चीज़ ही तोडूंगा।
ज्योति — (आँखों में आखे डालकर) – क्या तोड़ोगे ?
अजय – अपने हथोड़े से तुम्हारी ये गोलक (हाहाहाहाहा)
और दोनों जोर जोर से हंसने लगे।
ज्योति — जल्दी करो जानू, कही ये न हो के कोई हमे आकर इस हाल में पकड़ ले। उनके आने से पहले हमने मिशन कप्लीट करना है।
अब वो बेड पे बैठ गई और अपनी बाँहे ऊपर करके अपनी कमीज उतारने का अजय को इशारा किया। अजय ने समय की नजाकत देखते हुए उसकी कमीज़ उसके शरीर से अलग करदी। अब क्रीम कलर की ब्रा में बन्द उसके 2 कबूतर उड़ने के लिए फ़ड़फ़ड़ा रहे थे।
अजय ने उसे जफ्फी में लेकर पीछे से हाथो से ब्रा की हुक खोल दी। ब्रा के उतरते ही बड़े बड़े मम्मे हवा में झूलने लगे। ज्योति तो मारे शर्म के आँखे झुकाये हल्का हल्का मुस्कुरा रही थी। अब अजय ने उसे फेर लिटाया और ऊपर लेटकर उसके मम्मे दबाने और चूसने लगा।
ज्योति की दर्द के मारे जान निकल रही थी। फेर अजय थोडा नीचे होता होता ज्योति ने स्पॉट पेट में चूमने लगा और शरारत से जीभ को उसकी नाभि में घुमाने लगा। इस कामुक एहसास से ज्योति तो जैसे मरे जा रही थी।
इधर ज्योति ने अजय की मुश्किल को आसान करते हुए खुद ही अपनी सलवार का नाडा खोल दिया और हाथ से सलवार नीची करके पैरों से सलवार को निचे उतरने लगी। अजय ने भी अपनी शर्ट उतार दी और पैंट की बेल्ट, ज़िप खोलकर जल्दी से पैरो से निकाल करके बेड पे रखदी और अब वो 69 की पोज़िशन में आ गये।
मतलब के अजय का मुंह ज्योति की चूत पे और ज्योति का मुंह अजय के तने लण्ड पे था। वो दोनों न चाहते हुए भी एक दूसरे की ख़ुशी की खातिर मुख मैथुन करके अपने साथी को खुश करने का यत्न कर रहे थे।
अजय ने तो पहले एक दो बार सेक्स किया था लेकिन ज्योति का आज पहला दिन था। मज़े मज़े के साथ उसकी गांड भी डर के मारे भी फटे जा रही थी के पहला सेक्स कैसा होगा ? परन्तु ज्योति काम आवेश में इतनी अंधी हो चुकी थी के हर दर्द सहने को तैयार ही गयी थी। उसे ये भी था के वो भी अपनी सहेलियों में बैठकर कह सकेगी के उसने भी सेक्स का मज़ा लिया है।
वो इन्ही सोचो में डूबी हुई थी के उसे पता नही चला के कब वो अजय के मुंह में झड़ गई। जिसकी वजह से वो हांफने लगी। अब अजय भी अपना मुंह साफ करके बैठ गया और उसे समझाने लगा के देखो हल्का सा दर्द होगा, घबराना नही, थोड़ी ब्लीडिंग भी होगी। बस थोडा दर्द सह लेना। बाद में तो मज़े ही मज़े है।
चाहे ज्योति ने सर हिलाकर हाँ बोल दी, लेकिन फेर भी एक अंजाना सा डर उसके जिहन में घर किये बैठा था।
वो बोली,” अजय मुझे बहुत डर लग रहा है, अगर तुम बुरा न मानो तो ये काम किसी और दिन पे न रख ले, वैसे भी आज के लिए इतना बहुत है और क्या पता भाईया कब हॉस्पिटल से आ जाये। सो प्लीज मान जाओ न आज नही फेर किसी दिन और सही।” ज्योति को लगा उसकी जान बख्श दी जायेगी। लेकिन हाथ आया शिकार कौन जाने देता है।
अजय ने शरारती अंदाज़ ने कहा,”जानेमन प्यास बढ़ा कर, अब प्यास बुझाने से कतरा रही हो। ये तो नाइंसाफी है। हां तूने पहल न की होती शायद मैं भी किसी और दिन पे ये काम डाल देता। लेकिन अब नही रहा जाता। अब और न तड़पाओ प्लीज़… आओ हम मिलकर आज का मिशन खत्म करे।”
उधर ज्योति की डर के मारे हालत पतली हो रही थी। उसने ना चाहते हुए भी अजय की डिमांड के आगे घुटने टेक दिए और कपकपाती आवाज़ में बोली,” चलो ठीक है जैसे आपकी मर्ज़ी, बस इतना ध्यान रखना के मेरी तबियत पे इसका असर न दिखे। मेरे भाइयो को जरा सा भी शक हो गया वो मुझे जान से मार देंगे।
अजय – कुछ नही होगा यर, हल्का सा दर्द होगा पहले तो फेर यही दर्द मज़ा बन जायेगा।
इतना कहकर अजय में ज्योति को उसकी टाँगे पकड कर अपनी तरफ खींच लिया। अब वो लेट गयी। अजय ने हाथ से चूत का जायजा लिया। वो एक दम सीलपैक चूत थी।
फेर उसने वेस्लीन को अपने लण्ड पे अच्छी तरह से लगा लिया और ढेर सारी वेसलिन ज्योति की चूत में भी अंदर तक लगा दी। फेर वो अपने लण्ड को पकड़कर उसकी चूत के दाने पे घिसाने लगा। जिससे रोमांचक होकर ज्योति हवा में उड़ने लगी।
जब उसे ऐसा करते 5-7 मिनट हो गए तब अजय ने मौका सम्भालते हुए एक जोरदार शॉट मारा। ज्योति गर्दन कटे पक्षी की तरह तड़पने लगी। अजय ने उसे दबोच लिया और ऊपर लेटकर अपने लण्ड से चूत पे दबाव डालने लगा।
ज्योति की चूत में असहनीय दर्द और जलन होने लगी। वो जोर जोर से रोने लगी। अजय ने उसका मुंह बन्द करने की कोशिश भी की लेकिन उसका रोना हर प्रहार से बढ़ता गया और वो गन्दी गन्दी गालिया बकने लग गई।
दस मिनट पहले जितना अजय पे उसे प्यार आ रहा था, अब उस से 10 गुना क्रोध आ रहा था। वो खुद को कोस रही थी के क्यों उसकी बातो में आ गयी और अपनी चूत फड़वा बैठी। उसकी चूत से खून की धारा बहने लगी। जिस से उनकी बेडशीट खराब हो गयी।
ज्योति को लगा कोई चूत में आरी लेकर बैठा है और उसकी चूत के छोटे छोटे टुकड़े कर रहा है। जब उसका दर्द थोडा सा सहनीय हुआ तो अजय ने अपनी कमर हिलाने की स्पीड बढ़ा दी।
चूत नई सील होंने की वजह से अजय का लण्ड भी छिल गया लेकिन दर्द की परवाह किये बिन वो ये मिशन जीतना चाहता था। काफी देर कमर हिलती रहने से अब ज्योति का दर्द भी मज़े में बदल गया और वो भी कमर हिला हिला के लण्ड लेने लगी।
करीब 10 मिनट की इस लड़ाई में 2 बार ज्योति का पानी निकल गया। लेकिन अजय अभी भी अपनी कमान सम्भाले हुए था। शायद घर से ही कोई नशा वगैरह करके आया था। क्योंके नॉर्मल व्यक्ति का ज्यादा से ज्यादा 5 मिनट तक टिक पाना मुश्किल होता है। फेर वो भी एक लम्बी आहहहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् लेकर ज्योति की चूत में ही झड़ गया।
थोड़ी देर वो ऐसे ही लेटे रहे फेर जब उन्हें ख्याल आया के भाई के हॉस्पिटल से आने का वक्त हो गया है। वो जल्दी से उठे और कपड़े पहनकर ऐसे व्यक्त करने लगे के जैसे कुछ हुआ ही नही है।
ज्योति ने जल्दी से वो खून से सनी चदर उठाकर वाशिंग मशीन में डाल दी और उसकी जगह नई चदर बिछा दी। अजय भाग कर पास के मेडिकल पे जाकर वो 2 पेनकिलर ले आया, जिसने 1 उसने खुद और दूसरी ज्योति ने वही खड़े खड़े वो गोली ले ली।
इतने में अजय के फोन पे राजीव की काल आई के वो 10 मिनट में घर पहुंच रहे है। अजय ने उन्हें घर पे होने का बताया। थोड़ी देर बाद घर के दरवाजे पे एम्बुलेंस आकर रुकी।
अजय, राजीव और गौरव ने उसे एम्बुलेंस से उतारकर घर पे लेकर गए और उसे बेड पे लिटा दिया। इधर ज्योति ज्यादा खुश थी के उसने शायद अपने भाई पे किये उपकार का बदला चूत देकर चुकता कर दिया है।
दोस्तो ये थी एक नई कहानी, आपकी कैसी लगी अपनी राय हमे मेरे ईमेल पते पे निसंकोच भेज दे। आपकी बड़ी मेहरबानी होगी। आज के लिए इतना ही फेर किसी दिन नई कहानी लेकर फेर हाज़िर होऊँगा। तब तक के लिए नमस्कार, खुदा हाफिज… समाप्त!
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