Sanjha Bistar, Sanjhi Biwiyan – Episode 12


जैसे ही रानी के कुछ बोलने की चेष्टा की, फ़ौरन कमल ने अपने होंठ रानी के होठों से चिपका दिए और बोला, “रानी, अब कुछ मत बोलो। जो होगा वह होने दो। अब मैं रुकने वाला नहीं। जिस दिन से मैंने तुम्हें पहली बार देखा था उस दिन से मैं इस दिन का इंतजार कर रहा था।”
और बिना समय गँवाए कमल ने अपना हाथ रानी के घाघरे में डाल कर घाघरे का नाडा खोल दिया। देखते ही देखते रानी का फैला हुआ घाघरा फर्श पर जा गिरा।
रानी सिर्फ पेंटी पहने हुए अपने स्तनों को अपने हाथों से छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए खड़ी शर्म के मारे मरी जा रही थी।
छोटी पेंटी में से रानी के झांटों के बाल भी दिख रहे थे। रानी की समझ में नहीं आ रहा था की वह हाथों से अपने स्तनों को छुपाये या अपनी चूत को।
राज और कुमुद दोनों रानी के आधे नंगे बदन को बाहर से देखते ही रह गए। यह राज की जिंदगी का पहला मौक़ा था जब राज को अपनी पत्नी रानी के नंगे बदन को अपने ही घर की खिड़की में से देखना पड़ रहा था और वह भी किसी और मर्द की बाहों में।
राज का लण्ड उसकी पतलून में फूल गया था और राज से कमल भैया को रानी के नंगे बदन को सहलाते हुए देखकर रहा नहीं जा रहा था।
राज ने अपनी पतलून में हाथ डाल कर अपने लण्ड को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया और अंदर हो रही गतिविधियों को देखने लगा।
कुमुद ने राज को अपने पेण्ट में हाथ डाल कर अपने लण्ड को सहलाते हुए देखा तो वह देखते ही रह गयी। राज के इस अंदाज को वह समझ नहीं पा रही थी।
भला एक आदमी अपनी बीबी की दूसरे मर्द से चुदाई होने वाली है यह देखकर कामोत्तेजित कैसे हो सकता है?
कुमुद ने अपने उत्तेजना से कांपते हुए हाथ से राज का हाथ थामा। राज ने कुमुद की और देखा। उसे लगा की कुमुद बड़े असमंजस में है।
एक और गुस्सा और दुःख है तो दूसरी और उत्तेजना और रोमांच है। पर कुमुद के चेहरे के भाव देखकर राज ने महसूस किया की गुस्सा शायद रोमांच पर हावी हो रहा था।
राज ने तुरंत ही कुमुद के मुंह पर अपनी हथेली जोरों से दबा दी, ताकि वह कुछ भी बोल ना सके और कमल और रानी को पता न चले की राज और कुमुद उन दोनों को खड़की से देख रहे थे।
फिर खिड़की से कुमुद को खिंच कर बरामदे में लाया और धीरे से बोला, “कुमुद डार्लिंग, जो होता है उसे होने दो। रानी मेरी पत्नी है और रहेगी। कमल तुम्हारा पति है और रहेगा। हमारे और तुम्हारे दोनों के पत्नी और पति हमारे ही रहेंगे। इस मिलन से उसमें कोई फर्क नहीं पडेगा। प्लीज शांत हो जाओ।”
राज ने देखा की कुमुद उन दोनों को देखकर बाँवरी सी हो रही थी। राज ने कुमुद को अपनी बाँहों में लिया और उसे शांत करने की कोशिश करते हुए ढाढस देने लगा। पर कुमुद ने राज का हाथ पकड़ कर उसे वहाँ से हटाया और घर के मुख्य द्वार के सामने ले आयी।
बाहर लाउड स्पीकर की वजह से कुछ ज्यादा ही शोर हो रहा था। कुमुद ने राज से रोनी सी आवाज में कहा, “राज अब तुम बताओ, हम क्या करें? मैं तो कहीं की ना रही। मेरा संसार तो तुम्हारी बीबी ने चौपट कर दिया।”
राज ने कुमुद को अपनी बाहों में दबाते हुए ढाढस देते हुए कहा, “कुमुद डार्लिंग, अरे भाई अगर तुम्हारा संसार चौपट हुआ है तो मेरी बीबी की भी तो चुदाई होने वाली है। मेरा तो चौपट नहीं, छौपट ही हो गया। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। कोई आसमान टूट नहीं पड़ा। धीरज रखो और मजे लो। क्या तुम उन दोनों को देख कर उत्तेजित नहीं हुई? सच सच बताओ?”
कुमुद ने राज की और देखा और मुंह बनाते हुए बोली, “मैंने कभी कोई भी स्त्री पुरुष को चोदते हुए अब तक नहीं देखा था। अगर वह दोनों मेरे पति और तुम्हारी पत्नी ना होते, तो मैं वास्तव में उनके चोदने का पूरा आनंद लेती।”
राज ने कहा, “तुम चिंता मत करो। अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। हम लोग उनकी ही जबान में उनको जवाब देंगे ना। चलो अब हंस दों। हम उन युगल के रंग में भंग करते हैं और उनकी पूरी फिरकी करते हैं। तुम यह मत जताना की हम ने कुछ भी देखा है।”
राज की बात सुनकर कुमुद उठ खड़ी हुई। राज ने कुमुद का हाथ पकड़ा और उसे वापस दरवाजे पर ले आया।
बाहर किसी कारण अचानक लाउड स्पीकर बंद हो गए। तब अंदर से कमल और रानी की आवाजें सुनाई देने लगीं।
राज ने कुमुद को चुप रहने का इशारा करते हुए घंटी बजायी। राज और कुमुद ने महसूस किया की अंदर से आवाजें आनी बंद हो गयीं।
थोड़ी देर के लिये अचानक सन्नाटा छा गया। काफी समय के बाद अंदर से रानी की आवाज आयी, “रुको, आती हूँ।”
जब दरवाजा खुला तो राज और कुमुद ने देखा की पकडे जाने के डर और शर्म के मारे रानी के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। उसके बाल बिखरे हुए थे और रानी उसे संवारने की कोशिश कर रही थी। रानी अपना ब्लाउज भी ठीक ठाक करने में लगी हुई थी।
जैसे ही राज और कुमुद ने घर के अंदर कदम रखा तो कमल को राज के बैडरूम से निकलते हुए देखा। राज और कुमुद का सामना होते ही कमल की नजरें झुक गयीं। वह राज और कुमुद से आँखें नहीं मिला पा रहा था।
राज ने बड़ी ही सरलता से पूछा, “रानी डार्लिंग, दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यों हुई? कहीं आप दोनों बिज़ी तो नहीं थे?”
राज का सवाल सुनकर रानी के चेहरे से तो जैसे हवाइयां उड़ने लगीं। वह अपने पति से नजरें नहीं मिला पा रही थीं। रानी की आँखें एकदम सुनी हो गयीं।
वह अपने पति की और चेहरे पर एकदम हक्की बक्की भाव शून्य नजर से देखती रह गयी। उसके पास कोई जवाब नहीं था।
राज ने रानी को खिंच कर अपनी बाँहों में लिया और बोला, “तुम कहीं अपना सपना साकार करने में तो नहीं लगी थीं?”
रानी के हाल ऐसे हो गए की काटो तो खून ना निकले। जब रानी काफी समय तक निरुत्तर रही, तो राज कमल की और घुमा और बोला, “भैया, आप और रानी चुप क्यों है? खैर, कोई बात नहीं। पर मुझे आपको एक खुश खबर देनी है। वह आपको कुमुद देगी।”
राज की बात सुनकर कुमुद आगे बढ़ी और रानी की और घूमी। कुमुद रानी के करीब गयी और अपना हाथ उठाकर कुमुद ने रानी के गाल पर एक जोरदार तमाचा जड़ दिया और बोली, “क्या गुल खिला रही थी मेरे पति के साथ?”
तमाचा इतना करारा था की रानी के गाल लाल हो गए थे। रानी की आँखों से आंसू टपक ने लगे। पुरे कमरे में सन्नाटा छा गया। सब जमीन पर नजरें गाड़े चुप हो गए।
ऐसा कुछ होगा उसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी। कमरे में से कोई भी कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं था।
राज के तो होश ही उड़ गए। कुमुद को इतना कुछ समझाने के बाद भी ऐसा होगा यह उसने सोचा न था। कमल राज की पत्नी रानी के करीब गया और उसकी की और गौर से देखने लगा।
उसे कुमुद पर गुस्सा और बेचारी रानी पर दया आ गयी। जो हुआ उसमें रानी का कोई कसूर नहीं था। रानी की आँखें एक दम शून्य सी लग रही थी।
वह एक पुतले की तरह भौंचक्की सी थोड़ी देर खड़ी रही और फिर एकदम जमीन पर लुढ़क कर एक मृत शरीर की तरह गिरने लगी, तब कमल ने भाग कर रानी को अपनी बाहों में ले लिया और उसे उठाकर बैडरूम में ले गया।
जाते जाते कमल ने कड़ी नज़रों से अपनी बीबी कुमुद की और देखा और बोला, “बहुत अच्छा किया तुमने। अपना गुस्सा तुम अगर मुझ पर निकालती तो मैं कुछ ना बोलता। पर बेचारी रानी का क्या दोष था? वह तो मुझे रोकती ही रही। सारा दोष तुम्हारा है। ना तुम मुझसे रूठती और सेक्स के लिए मना करती और ना मैं ऐसी कोई हरकत करता।”
फिर राज की और घूमकर कमल ने कहा, “भाई तुम कुमुद को हमारे बैडरूम में ले जाओ। कुमुद को समझाओ। क्या मैं उसे प्यार नहीं करता? मुझे अभी रानी से माफ़ी मांगनी है। वह बेचारी मेरी वजह से यह सब भुगत रही है।”
कुमुद ने जो करना था वह तो कर दिया, पर अब उसे अपनी करनी पर दुःख और पछतावा होने लगा।
कमल की बात सही थी। रानी का क्या दोष था? रानी बेचारी करती भी तो क्या करती? क्या वह कमल के सामने चिल्लाती और सब को चिल्ला कर बुलाती और कमल पर इल्जाम लगाती?
कमल के व्यक्तित्व के सामने तो अच्छी अच्छी पतिव्रता औरतें भी अपने शील को सम्हाल नहीं पायी तो रानी क्या करती?
राज ने कुमुद की बाहें थामी और कुमुद का हाथ पकड़ कर उसे जैसे खींचकर दूसरे बैडरूम में ले गया।
राज ने धीरे से कुमुद को पलंग पर बिठाया और उसके बाजू में बैठ कर कुमुद की हथेली पर अपनी हथेली को मसलते हुए बोला, “डार्लिंग, मैंने तुम्हारा इतना क्रोधित रूप आज पहली बार देखा। कुमुद तुम इस विकराल रूप में भी बहुत अधिक सुन्दर और सेक्सी लग रही थी। अब महेरबानी करके शांत हो जाओ और अपने इस विकराल रूप को वापस सौम्यता में परिवर्तित करो। मैं तुम्हारे इस भयानक रूप से डर रहा हूँ।”
राज की बात सुनकर कुमुद के चेहरे पर बरबस मुस्कराहट की एक रेखा आ गयी। कुमुद ने अपने आप को सम्हाला और बोली, “राज, मैंने आवेश में आकर बड़ा ही गलत काम कर दिया। बेचारी रानी को मैंने बड़ा ही आहत किया है। मुझे उससे माफ़ी मांगनी चाहिए।” कहकर कुमुद उठ खड़ी होकर दूसरे बैडरूम की और जाने लगी।
राज ने कुमुद को थोड़ा हल्का सा धक्का मार कर पलंग पर बिठाया और बोला, “यह काम कमल भैया को ही करने दो। पहले आप शांत हो जाओ और मेरी बात सुनो।”
कुमुद ने राज की और देखा और उसकी ठुड्डी एक हाथ से पकड़ी और राज का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ कर राज के मुंह को खिंच कर राज के होठोँ को अपने होठोँ से सटा कर राज को एक गहरा चुम्बन करने लगी।
राज भी कुछ बोल ना पाया और कुमुद के रसीले होठों को चूमने और चूसने लगा। राज और कुमुद एक दूसरे से गहरे चुम्बन करने में लग गए।
कुछ देर बाद कुमुद राज से अलग हुई और उसे उलाहना देते हुए बोली, “राज, मैं एकदम शांत हूँ। अब मुझे और कोई सिख नहीं चाहिए राज। अब मुझे क्या करना है, मैं जानती हूँ। और अब तुम मेरी बात सुनो। मैं तुम्हें बताती हूँ की तुम्हें अब क्या करना है।”
यह कह कर कुमुद ने राज के कान में अपना प्लान सुनाया। कुमुद की बात सुन कर राज के चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी। और दोनों ही दूसरे बैडरूम की और चल पड़े।
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