Vidhva Chachi Ki Garam Jawani – Part 3


हेल्लो दोस्तों,
शीला चाची ३६ साल की खूबसूरत औरत थी। उसकी लंबाई ५’४ फीट होगी तो उसकी बूब्स बड़े बड़े और चूतड़ गोल गुंबदाकार थे।
लेकिन इनके पति के असामयिक मृत्यु ने इनके जीवन को दुखदाई बना दिया था। और जब मै उन्नाव पहुंचा तो चाची भावुक होकर रोने लग गयी, और हम दोनों ने एक दूसरे के करीब आकर शारीरिक संबंध बना लिए।
मै दीपक राजवंशी २१ साल का लड़का हूँ, मेरा शरीर कसरती है और मेरी लंबाई ६’० फीट है। मेरी चौड़ी छाती और मोटे चिकने जांघ है, और संयोगवश उन्नाव आने के एक महीना पहले ही मैंने नग्न जवानी का आनंद लेना शुरू किया था।
वो भी अपनी बड़ी बहन रिया के साथ, ख़ैर रात को चाची ने मेरे साथ हम बिस्तर होकर अपने तन की आग बुझाई। फिर वो अपने कमरे में सोने चली गई, तो मै भी गहरी निद्रा में सो गया।
एक तो यात्रा और साथ में दो बार चाची की चुदासी चूत को चोदना, इसलिए थकावट के मारे मै गहरी निद्रा में सो गया था। मैं सुबह ०९:१५ बजे नही उठा, तो चाची मुझे जगाने आई।
चाची – दीपक काफी देर हो चुकी है, अब उठो।
मैं आंखें खोल कर बोला – जरूर, जरा चाय बनाना प्लीज।
फिर मै उठकर वाशरूम गया और फ्रेश होकर घर के बरामदे पर बैठ गया। तो चाची चाय का प्याला लेकर मेरे पास आई, वो खुद भी मेरे बगल में कुर्सी पर बैठी गयी थी।
फिर दोनों चाय पीने लग गये, चाची आसमानी रंग के साड़ी में मस्त दिख रही थी। वो शायद स्नान करके तैयार हुई थी, उनके डीप गले वाली ब्लाऊज से उनके बूब्स का ऊपरी हिस्सा दिख रहा था।
इतने में चाची की सासू वहां आई, तो हम दोनों कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए और सासू बोली – मै मंदिर जा रही हूं, ससुर जी को नाश्ता दे देना।
ये कह कर वो चली गई, तो शीला भी खाली प्याला लेकर रसोईघर की ओर चली गई। मै वहीं बैठा रहा, कुछ पल बाद चाची आई और मेरे बगल में बैठकर बोली।
चाची – तुम भी स्नान कर लो दीपक।
दीपक – थोड़ा रुक के करूंगा, इतना आप ससुर को नाश्ता दे दो।
शीला – अभी वो वाशरूम में है।
फिर कुछ देर तक तो हम दोनों वहां बैठ कर बात करते रहे, फिर शीला उठकर चली गई। मै चाची के कमरे में आ गया और अपना मोबाइल लेकर मम्मी को फोन करने लग गया। कुछ पल बातें हुई और फिर शीला भी वहीं आ कर बैठी गयी।
अब हम दोनों के सिवाय घर में उनके ससुर जी ही थे, वो भी घर के अगले हिस्से में थे। अब चाची मुझे घूरते हुए मेरे करीब खिसकने लग गयी, तो मै शीला की काम इच्छा को समझ रहा था।
मेरा हाथ उनकी जांघ पर चला गया और उसे सहलाते हुए मैने चाची को अपनी बाहों के घेरे में लेकर पकड़ लिया। फिर हम दोनों बेड के बीचो बीच आ गए, शीला बिस्तर पर लेटी हुई थी। मै अब उसके चेहरे पर झुका और गोरे मुखड़े को चूमता हुआ उसकी गोलाई को दबाने लग गया।
वो मेरे चुंबन से सिसक रही थी और तभी मै शीला के रसीले होंठ चूमता हुआ उसकी बाईं चूची को साड़ी पर से ही मसलने लग गया। उसने अपने होंठ मेरे मुंह में भर दिए, और मै उसके होंठ को चूसता हुआ उसके सीने पर से साड़ी हटाने लग गया और मैं बूब्स दबाकर मस्त था।
इतने में मैने होंठ छोड़कर अपना मुंह खोला और शीला समझदार औरत की तरह अपनी लंबे से जीभ को मेरे मुंह में घुसाने लग गयी। तो मै उसकी जीभ चुसता हुआ उसकी चूची के चिकनाहट का आनंद लेने लग गया।
शीला का चेहरा लाल हो चुका था, और वो आंखें बंद रखे स्वर्ग की सैर कर रही थी। कुछ देर तक मैंने उसकी जीभ चूसी और फिर मैं चाची के चूची को मसलता हुआ उसके सपाट पेट से लेकर नाभि तक उसे को चूमने लग गया।
वो तड़प कर बोली – अह उह दीपक अब बर्दास्त नहीं हो रहा है, अब अंदर खुजली हो रही है।
फिर मै उसकी कमर के पास बैठकर उसकी साड़ी सहित पेटीकोट को उसकी कमर तक उठा दिया। शीला की चिकनी केले के थम्म से जांघों को सहलाता हुआ मै झुका और जांघ को चूमता हुआ उसके दूसरे जांघ को सहलाने लग गया।
अब दोनों जांघें अलग होने लगी और मुझे उसकी चूत का दर्शन हो गये। शीला के गुंबद्दाकर चूतड़ के नीचे एक तकिया डालकर उसके दोनों पैर को दो दिशा में किया और चिकनी चूत को निहारता हुआ मै झुक गया।
अब चूत के ऊपरी सतह पर होंठ लगाकर उसे चुंसने लग गया. तो वो अपने चूतड़ को उच्काने लगी और बोली।
चाची – उई मां चूत में कीड़े रेंग रहे है चाटो ना दीपक।
ये कहते हुए उसे चूत के छेद को खोल दिया और मै चूत के अंदर जीभ पेलकर उसे चाटता हुआ उसके कमर से जांघ तक को सहला रहा था। मेरा लन्ड बरमूडा में टाईट हो चुका था और अब उसकी चूत कुटाई तय थी।
मै तेजी से जीभ पल पेलकर चूत को चाटता रहा और वो बोली – उई मां मर गई, अब चोद डालो दीपक आह चूत को तेरा लोड़ा चाहिए।
अब मै शीला की चूत को चाटकर उठा और अपना बरमूडा खोलकर लंड को पकड़ा और शीला के चूत के सामने घुटने के बल बैठ गया। फिर मैंने सुपाड़ा को चूत में घुसा दिया, शीला की चूत गरम थी और तभी मै उसकी कमर को थामे एक जोर का झटका चूत में दे दिया।
अब मेरा लंड चूत को चीरता हुआ अन्दर दाखिल हो गया, थोड़ा सा लंड बाहर था तो दूसरा झटका चूत में दे कर उसे मै चोदने लग गया। शीला टांग फैलाए चूत चुद्वा रही थी तो लंड गापा गाप अंदर बाहर होने लग गया।
चाची – अह उह उम जोर से पूरा ताकत लगाकर चोदो मेरे राजा।
मै चाची को बैठे बैठे चोद रहा था, चूत और लंड दोनों गरम थे लेकिन फिलहाल कोई रस छोड़ने को तैयार नहीं था तभी मै चाची के कमर पर हाथ लगाकर साड़ी को हटाने लगा, वो डर रही थी।
लेकिन मेरे जिद के आगे वो पूरी मजबूर थी। शीला का निचला हिस्सा पूर्णतः नग्न था और अब मै उसके बदन पर सवार होने से पहले उसकी पीठ पर हाथ लगाया और ब्लाऊज सहित ब्रा खोल दी।
अब दो जिस्म नग्न थे तो चाची के बदन पर सवार होकर मैं उसकी चुदाई करने लग गया। अब उसके स्तन मेरे छाती से रगड़ खा रहे थे, तो चाची अब अपने नितम्ब को ऊपर नीचे करते हुए बोली।
चाची – अह उह अब नहीं मेरा झड़ गयी अहह।
मै तेज झटका देता हुआ चूत के रस का इंतजार करने लगा, कुछ पल बाद चूत में रस था तो मैने लंड को चूत में ही रहने दिया और उसके स्तन को चूसते हुए मस्त हो रहा था। वो अपने छाती से मुझे लगाकर दूध पिला रही थी।
मैं शीला के ३६ साईज के बूब्स को चूसता रहा और कुछ देर बाद वो अपना स्तन मेरे मुंह से निकाल दिया। तो मैने उसके दूसरे चूची को पल भर तक चूसा और उसके बदन पर से उतर गया।
शीला की जांघों के बीच मैं अपना चेहरा लगाकर चूत को मैंने फैलाया और जीभ से उसकी चूत को चाटना मैंने शुरु कर दिया। उसकी चूत के रस का स्वाद नमकीन था तो चाची बोली – उई अब चाट नहीं, चोद ना ओह दीपक चूत की आग बुझा डाल।
फिर चाची को मैंने बेड पर कुतिया बना डाला, इसके गांड़ के सामने लंड पकड़े बैठा और चूत में लंड घुसाने लग गया। अब मैंने उसकी रसीली चूत में लंड पेलकर चुदाई शुरू कर दी, तो शीला अपनी गांड़ आगे पीछे करते हुए चुदाई का मजा बढ़ाने लग गयी।
और मेरा शेर उसकी गुफा का आनंद ले रहा था, अब मेरी तेज चुदाई ने उसकी चूत को गरम कर दिया था। तो मेरा हाथ उसकी चूची को पकड़ कर दबाने लग गया, हम दोनों स्वर्ग की सैर कर रहे थे।
९-१० मिनट की चुदाई के बाद, मै चिंख उठा और मैं बोला – ले बे रण्डी पिला अपनी चूत को मेरे लंड का रस।
मैं अपने लन्ड वीर्य गीराकर शांत पड़ गया, कुछ देर बाद शीला मेरे लंड और चूस के वीर्य का स्वाद ले रही थी। फिर हम दोनों अलग हुए, और वो अपने कपड़ा पहनकर वाशरूम की और भाग गयी।
अब मै भी बरमूडा पहन अपने को आराम देने लगा।
आगे क्या हुआ वो सब अगले भाग में।

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