नमस्कार मेरे हरामी ठरकी दोस्तों, कैसे हो आप सब? एक बार फिर आपका राहुल हाजिर है एक छोटी सी काल्पनिक कहानी लेकर.
इस कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मेने बिहार के लाडपुर जगह में रहें वाली नेपाली आंटी आशा थापा नाम की रांड को चोदा.
तो दोस्तों, बात तब की है जब मैं कॉलेज में पढ़ रहा था. मुझे बड़ी उम्र की औरतें बहुत पसंद थी. कभी कभी मैं अपने ही दोस्तों की मम्मी को चोदने की सोचता था लेकिन कभी मौक़ा नहीं मिला इसलिए मैं अपने दोस्तों की माँ के नाम की मुठ मार कर काम चलाता था.
जब मेरी वासना अंदर की अंदर बढ़ने लगी तो मेरी इस परिस्थिति को देखते हुए मेरे दोस्त विकास ने मुझे आशा नाम की रांड का नंबर दिया.
मुलतः आशा 48 साल की नेपाली कांछी आंटी थी लेकिन देश आजाद होने के बाद से बिहार में बस गयी थी.
आशा के दो जवान बच्चे हैं उसका पति फौज में नौकरी करता है जो साल में एक बार घर आता है तो अपनी प्यास बुझाने के लिए आशा ने बिलकुल सही धंधा अपनाया है क्योंकि पैसे के पैसे बन जाते हैं और प्यास भी बुझ जाती है.
अगले दिन मेने आशा को फोन किया.
मैं – हेलो, आशा बोल रही है?
आशा – हाँ, तू कौन बोल रहा है, किससे बात करनी है?
मैं – बात तो तुझी से करनी है मेरी जान. आ जाऊं क्या अभी ?
आशा – घर पता है ?
मैं – हाँ पता है मेरी जान.
आशा – हाँ तो आजा और सामान लेता आईयो. 5०० रूपये लगेंगे.
मैं – मेरी जान तुझ पर तो जान कुर्बान है, ये 5०० रूपये क्या चीज़ है.
आशा – हाँ हाँ जल्दी आ नौटंकी मत कर.
उसके बाद मैं अपनी बाइक से सीधा आशा के घर पहुंचा. तो एक नेपाली आंटी उम्र लगभग 48 साल, रंग गोरा, मोटी गदराई भैंस जैसी औरत ने मेरा स्वागत किया जिसका नाम था आशा थापा.
उसके माथे पर लाल बिंदिया, हाथों में चुडीयाँ और पैरों में पायल फनी हुई बिलकुल कामसूत्र की वैश्या लग रही थी मेरी आशा. उसने उस वक़्त गुलाबी रंग की मखमली नाईटी पहनी हुई थी, जिसमे से उसके एक बूब का निप्पल का उभार साफ़ झलक रहा था.
लेकिन दुसरा निप्पल नही दिखाई दे रहा था, इसका कारण मुझे समझ नही आया लेकिन मेने सोचा माँ चुदाये निप्पल मुझे तो मालपुआ खाना था. सबसे पहले रांड ने मुझ से पैसे मांगे. मेने 500 का नोट उसके मुह पे फेंक दिया.
उसके बाद वो मुझे अपने बेड पर ले गयी. और अपनी गुलाबी रंग की मखमली नाईटी खोलने लगी. मेरा 6 इंच का कला लंड आशा आंटी को सलामी दे रहा था.
नाईटी के अंदर उसने ब्रा नही फनी हुई थी इसलिए उसका निप्पल प्रदर्शन हो रहा था लेकिन ये क्या, उसके दूसरे बोब्बे का निप्पल तो था ही नहीं जैसे किसी ने खा लिया हो.
मेने पहली बार अपनी जिन्दगी में केवल एक निप्पल वाली औरत के दर्शन किये थे. उम्र ज्यादा होने के कारण उसका मांसल शरीर थोडा लटक गया था लेकिन चूत उसकी एक दम फैली हुई मैदान लग रही थी जिसमे हलकी-फुलकी घास फूस थी.
पेट के थोड़ा नीचे से चूत की लकीर शुरू हो रही थी जिसका कोई अंत नही था. चूत से 2 इंच निचे लटकता चमड़ा इस चीज का प्रमाण था की आशा आज तक लगभग लगभग 1000 पुरुष से तो सम्भोग अवश्य करा चुकी है.
दोस्तों रांड और शरीफ औरत की सकल आप आराम से पहचान सकते हो. पहली बार आशा का चेहरा देखकर मेने बता दिया था कि ये बिहार की सबसे बड़ी रांड है.
सारे कपड़े खोलकर उसने मेरा लंड चूसना चालू किया और रंडी के जैसे लोलीपोप की तरह मेरे लंड को वो चूसे जा रही थी. मैं चरमोत्कर्ष में था, बस झड़ने ही वाला था कि उससे पहले मेने अपना लंड झट से उसके अपवित्र मुह से निकाल लिया और फिर आशा बेड में रंडियों जैसे लेट गयी और बोला कि आजा जल्दी चोद और भी ग्राहक इन्जार कर रहे हैं.
फिर दोस्तों मैं उसके बोब्बे और बदन के साथ खेलने लगा तो उसने मना कर दिया बोला कि जल्दी कर 500 रु में इतना ही मिलता है.
मुझे बहुत गुस्सा आया और मेने अपना खडा लंड उसकी चूत के लटकते हुए चमड़े के अंदर डाल दिया और घस्से लगाने लगा.
मुझमें जितनी ताकत थी मेने अपनी ताकत का इस्तेमाल करके धक्के पर धक्के लगाये लेकन मजाल जो रांड को कुछ पता चला हो. तब मुझे पता चला कि ये मादरजात सबसे बड़ी रांड है.
मेने उसे उलटा किया और उसकी गांड में अपना लंड घुसा दिया तब जाकर कहीं उसे दर्द हुआ और वो सिक्स्कारियां भरने लगी.
और मेने उसकी पीठ में अपने दान्त भी गाड़ दिए जिसके कारण उसे दर्द हुआ और वो चीख पड़ी. धक्कों के साथ साथ उसकी चूड़ियों और पायल की झंकार एक अलग ही माहोल बना रहे थे.
आशा – आःह्ह्ह चूतिये काट मत… अह्ह्ह्हह अह्हह्ह्ह्ह श्ह्ह्हह्ह्ह्ह जल्दी कर हरामी और भी आदमी इन्तजार कर रहे हैं. अगली बार से टोकन लेकर रखना. उम्म्मम्म उम्म्म्म श्ह्हह्ह श्ह्ह्ह ….
मैं – रंडी अह्ह्ह्हह छिनाल, श्ह्ह्हह्ह उम्म्मम्म माँ की लोडी रुक निकलने वाला है मेरा माल.
आशा – गाली मत दे मादरजात वरना अगली बार से नहीं बुलाऊंगी.
मैं – तू क्या तेरा बाप भी बुलाएगा रांड. श्ह्ह्हह्ह्ह्ह मैं आया आआ शा … मैं झड़ने वाला हूँ मेरी रंडी.
आशा – अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह सह्ह्ह्हह्हह्ह्ह उम्म्मम्म्म्म जल्दी मेरी गांड के अंदर ही अपना वीर्य छोड़ दे बहनचोद.
मैं – हाय मेरी जान. आया मैं… अह्ह्ह्ह’ आज तेरी गांड की सुरंग को सफ़ेद गाड़े पानी से भर दूंगा मेरी दुल्हन.
और तरह तरह की कामोत्तेजक आवाजें निकलते हुए हम दोनों चरम सीमा पर पहुँच गए और अंततः मेरा वीर्य आशा की खुली चूत में बहने लगा. और हम दोनों वहीँ निढाल हुए पड़े रहे.
मैं – मजा आया मेरी जान.
आशा – अरे ऐसा मजा रोज आता है मुझे बेटे. अच्छा जरा जल्दी कपडे फन और बाहर 4 अंकल हैं बुलेट में उन्हें अंदर भेज दे.
उसके बाद जब मैं बहार गया तो 2 बुलेट में 4 मोटे ताजे ग्राहक आशा के रूम में चले गए. और मैं बहार खिड़की से छुप कर अंदर का दृश्य देखने लगा.
आशा तो पहले ही नंगी थी और वो 4 आदमियों ने भी अपने कपड़े उतार दिए और आशा के बदन से खेलने लगे.
कोई उसकी चुच्ची चूसता तो कोई उसका पेट चाटता, एक उसकी चूत में हाथों को रगड़ रहा था तो एक आदमी ने उसके मुह में लंड दिया हुआ था. वो चार आदमी आशा पर भारी पड़ गए थे. मन कर रहा था काश मैं भी अंदर होता. लेकिन फिर मैं वहां से चला गया.
बाद में मेने आशा से फोन में पूछा कि एक दिन में कितने मर्दों को ठंडा करती है तो उसने बताया की 25 से रगड़वाती हूँ रोज.
उस हिसाब से 1 महीने में आशा लगभग 700 आदमियों से चुदवाती है और 1 आदमी से 500 रूपये लेती है तो 700 से लगभग 3 लाख 50 हजार रूपये. ये हिसाब लगाकर मेरे आँख कान खुल गए. एक रंडी की इतनी कमाई. बाप रे बाप.
तो कैसी लगी मेरी कहानी ? कमेन्ट अवश्य करें.
नोट: इस कहानी के सभी पात्र और घटनाऐं काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है. यदि किसी व्यक्ति या घटना से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा.