Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 18


सुनीता फिर अपनी मूल पोजीशन में वापस आ गयी। ज्योतिजी सुनीता की टाँगों के बिच स्थित सुनीता की चूत पर हाथ फेर कर उसे सहलाने और दबाने लगीं।
सुनीता अपनी गाँड़ इधर उधर कर मचल रही थी। उसके जीवन में यह पहला मौक़ा था जब किसी महिला ने सुनीता बदन को इस तरह छुआ और प्यार किया हो। सुनीता इंतजार कर रही थी की जल्द ही ज्योतिजी की उंगलियां उसकी चूत में डालेंगीं और उसे उन्माद से पागल कर देंगीं। और ठीक वही हुआ।
सुनीता की चूत के ऊपर वाले उभार पर हाथ फिराते ज्योतिजी ने धीरेसे अपनी एक उंगली से सुनीता की चूत की पंखुड़ियों को सहलाना शुरू किया। सुनीता की यह कमजोरी थी की जब कभी उसके पति सुनीता को चुदवाने के लिए तैयार करना चाहते थे तो हमेशा उसकी चूत की पंखुड़ियों को मसलते और प्यार से रगड़ते। उस समय सुनीता तुरंत ही चुदवाने के लिए तैयार हो जाती थी।
ज्योतिजी ने धीरे से वही उंगली सुनीता की चूत में डालदी। धीरे धीरे ज्योतिजी सुनीता की चूत की पंखुड़ियों के निचे वाली नाजुक और संवेदनशील त्वचा को सहलाने और रगड़ने लगी। सुनीता इसे महसूस कर उछल पड़ी। उसे ताज्जुब हुआ की ज्योतिजी को महिलाओं की चूत को उत्तेजित करने में इतने माहिर कैसे थे।
ज्योतिजी की सतत अपनी उँगलियों से सुनीता की चूत चोदने के कारण सुनीता की चूत में एक अजीब सा उफान उठ रहा था। सुनीता का पति सुनील सुनीता को उंगली डालकर उसे चोदते थे। पर जो निपुणता और दक्षता ज्योतिजी की उंगली में थी वह लाजवाब थी।
जब ज्योतिजी ने देखा की सुनीता अपनी चूत की ज्योतिजी की उँगलियों से हो रही चुदाई के कारण उन्मादित हो कर अपने घुटनों के बल पर ही मचल रही थी।
तब ज्योतिजी ने सुनीता के बाँहें पकड़ कर उसे अपने साथ ही लेटने का इशारा किया। सुनीता हिचकिचाते हुए ज्योतिजी के साथ लेट गयी तब ज्योति जी बैठ गयी और थोड़ा सा घूम कर अपनी दो उँगलियों को सुनीता की चूत में घुसेड़ कर सुनीता की चूत अपनी उँगलियों से फुर्ती से चोदने लगीं।
अब सुनीता के लिए यह झेलना बड़ा ही मुश्किल था। सुनीता अपने आप पर नियंत्रण खो चुकी थी। पहली बार सुनीता की चूत किसी खबसूरत स्त्री अपनी कोमल उँगलियों से चोद रही थी। सुनीता की चूत से तो जैसे उन्माद का फव्वारा ही छूटने लगा।
सुनीता की सिसकारियाँ अब जोर शोर से निकलने लगीं। सुनीता की, “आह…. ओह…. दीदी यह क्या कर रहे हो? बापरे….” जैसी उन्माद भरी सिसकारियोँ से पूरा कमरा गूंज उठा।
जैसे जैसे सुनीता की सिसकारियाँ बढ़ने लगीं, वैसे वैसे ज्योतिजी ने सुनीता की चूत को और तेजी से चोदना जारी रखा। आखिर में, “दीदी, आअह्ह्ह… उँह…. हाय…. ” की जोर सी सिसकारी मार कर सुनीता ने ज्योतिजी के हाथ थाम लिए और बोली, “बस दीदी अब मेरा छूट गया।” बोल कर सुनीता एकदम निढाल होकर ज्योतिजी के बाजू में ही लेट गयी और आँखें बंद कर शांत हो गयी।
सुनीता की जिंदगी में यह कमाल का लम्हा था। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की वह कभी किसी स्त्री की उँगलियों से अपनी चूत चुदवाएगी। वही हुआ था। उस दिन तक सुनीता ने कभी इतना उन्माद का अनुभव नहीं किया था।
वो काफी समय से अपने पति से चुद तो रही थी, चुदाई में आनंद भी अनुभव कर रही थी, पर सालों साल वही लण्ड, वही मर्द और वही माहौल के कारण चुदाई में कोई नवीनता अथवा उत्तेजना नहीं रही थी। उस दिन सुनीता ने वह उत्तेजना महसूस की।
उत्तेजना सिर्फ इस लिए नहीं थी की सुनीता की चूत किसी सुन्दर महिला ने अपनी उँगलियों से चोदी थी, पर उसके साथ साथ जो जस्सूजी के बारे में उन्मादक बातें हो रही थीं उसने आग में घी डालने का काम किया था। जस्सूजी का लण्ड, उनसे चुदवानिकी बातें जस्सूजी की बीबी से ही सुनकर सुनीता के जहन में कामुकता की जबरदस्त आग लगी थी।
उस सुबह सुनीता और ज्योतिजी के बिच की औपचारिकता की दिवार जैसे ढह गयी थी। सुनीता ने तो अपनी उन्मादक ऊँचाइयों को छू लिया था पर सुनीता को ज्योतिजी को उससे भी ऊँची ऊंचाइयों तक ले जाना था।
सुनीता ने थोड़ी देर साँस थमने के बाद फिर ज्योतिजी को पलंग पर लिटा दिया और फिर वह घुटनों के बल पर उनपर सवार हो गयी और बोली, “दीदी अब मेरी बारी है। आज आपने मुझे कोई और ही जन्नत में पहुंचा दिया। आज का मेरा यह अनुभव मैं भूल नहीं सकती।”
यह सुनकर ज्योतिजी मुस्करादीं और बोली, “अभी तो मैंने तुझे कहा उतनी ऊंचाइयों पर पहुंचाया है? अभी तो मैं और मेरे पति तुझे अकल्पनीय ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।”
ज्योतिजी के गूढ़ार्थ से भरे वाक्य सुनकर सुनीता चक्कर खा गयी। उसे यकीन हो गया की ज्योतिजी जरूर उसे जस्सूजी से चुदवाने का सोच रही थी।
ज्योतिजी की बात का जवाब दिए बिना सुनीता अपने एक हाथ से ज्योतिजी की चूत के ऊपर का उभार सहलाने लगी और झुक कर सुनीता ने अपने होँठ ज्योतिजी के स्तनोँ पर रख दिए।
सुनीता ने दुसरा हाथ ज्योतिजी के दूसरे स्तन पर रखा और वह उसे दबाने और मसलने लगी। अब मचलने की बारी ज्योतिजी की थी। सुनीता ने अपनी उँगलियाँ अपनी चूत में तो डाली थीं पर कभी किसी और स्त्री की चूत में नहीं डाली थीं।
उस दिन, पहली बार ज्योतिजी की चूत को सहलाते पुचकारते हुए सुनीता ने अपनी दो उंगलियां ज्योतिजी की चूत में डाल दीं। ज्योतिजी ने जैसे ही सुनीता की उँगलियों को अपनी चूत में महसूस किया तो वह भी मचलने लगी।
सुनीता एक साथ तीन काम कर रही थी। एक तो वह ज्योतिजी की चूत अपनी उँगलियों से चोद रही थी, दूसरे उसका मुंह ज्योतिजी के उन्मत्त स्तनोँ को चूस रहा था और तीसरे वह दूसरे हाथ से ज्योतिजी का दुसरा स्तन दबा रही थी और उनकी निप्पल को वह उँगलियों में भींच रही थी।
सुनीता ने ज्योति से उनको उँगलियों से चोदते हुए धीरे से उनके कानों में कहा, “दीदी, एक बात पूछूं?”
ज्योतिजी ने अपनी आँखें खोलीं और उन्हें मटक कर पूछने के लिये हामी का इशारा किया।
सुनीता ने कहा, “दीदी सच सच बताना, क्या आप मेरे पति को पसंद करती हो?”
सुनीता की भोली सी बात सुनकर ज्योति हँस पड़ी और बोली, “मैंने तुझे पहले ही नहीं कहा? मैं उन्हें ना सिर्फ पसंद करती हूँ, पगली मैं उनके पीछे पागल हूँ। तुम बुरा मत मानना। वह तुम्हारे ही पति हैं और हमेशा तुम्हारे ही रहेंगे। मैं उनको छीनने की ना ही कोशिश करुँगी ना ही मेरी ऐसी कोई इच्छा है…
पर मैं उनकी इतनी कायल हूँ की मैं सारी मर्यादाओं को छोड़ कर उनसे खुल्लमखुल्ला चुदवाना चाहती हूँ। मैंने आज तुझे मेरे मन की बात कही है। और ध्यान रहे, मैं अपने पति से भी कोई धोखाधड़ी नहीं करुँगी, क्यूंकि मैंने उनको भी इस बात का इशारा कर दिया है।”
सुनील के बारे में ऐसी उत्तेजक बातें सुनकर ज्योति के जहन में भी काम की ज्वाला भड़क उठी। ज्योतिजी ने सुनीता से कहा, “बहन, तू भी बहुत चालु है। तू जानती है की मुझे कैसे भड़काना है। मैं तेरे पति के बारे में सोचती हूँ तो मेरी चूत में आग लग जाती है…
उनकी गंभीरता, उनकी सादगी और उनकी शरारती आँखें मेरी चूत को गीली कर देती हैं। मैं जानती हूँ की आग दोनों तरफ से लगी है। अब तो तू मेरी बहन और अंतरंग सहेली बन गयी है ना? तो तू कुछ ऐसा तिकड़म चला की उनसे मेरी चुदाई हो जाए!”
फिर ज्योतिजी ने सोचा की उनकी ऐसी उटपटांग बात सुनकर कहीं सुनीता नाराज ना हो जाए, इस लिए वह थोड़ा सम्हाल कर सुनीता के सर पर हाथ फिराते हुए बोली, “बहन, मुझे माफ़ करना। मेरी बेबाकी में मैं कुछ ज्यादा ही बक गयी। मैं तुझे तेरे पति के बारे में ऐसी बातें कर परेशान कर रही हूँ।”
सुनीता ने जवाब में कहा, “दीदी, मैं जानती हूँ, मेरे पति आप पर फ़िदा हैं। और मैं उसे गलत नहीं समझती। आप जैसी कामुक बेतहाशा खूबसूरत कामिनी पर कौन अपनी जान नहीं छिड़केगा? अब तो हम दोनों ऐसे मोड़ पर आ गए हैं की क्या बताऊँ? मुझे ज़रा भी बुरा नहीं लगा दीदी, क्यूंकि मैं जानती हूँ की आप अपने पति जस्सूजी से बहुत प्यार करते हो…
यही तो कारण है की आप मुझे उनसे चुदवाने के लिए ऐसे वैसे बड़ी कोशिश कर प्रोत्साहित कर रहे हो। कौन पत्नी भला अपने पति से चुदवाने के लिए किसी स्त्री को तैयार करेगी, जब तक की उसे अपने पति से बहुत प्यार ना हो और उन पर पूरा विश्वास ना हो?”
सुनीता की ऐसी कामुकता भरी बातें सुनकर ज्योतिजी गरम हो रहीथी। वैसे भी सुनीता के उँगलियों से चोदने से काफी गरम पहले से ही थी। ज्योतिजी की साँसे तेज चलने लगीं.. उन्होंने कहा, “सुनीता, मैं अब झड़ने वाली हूँ।”
सुनीता ने उँगलियों से चोदने की फुर्ती बढ़ाई और देखते ही देखते ज्योतिजी एक या दो बार पलंग पर अपने कूल्हे उठाके, “आह…. ऑफ़…. हायरे…..” बोलती हुई उछली और फिर पलंग पर अपनी गाँड़ रगड़ती हुई एकदम निढाल हो कर चुप हो गयी। उसकी साँसे तेज चल रही थी।
ज्योतिजी का छूट गया और वह शांत हो गयी। परन्तु उनके मन में से अपन पति से सुनीता को चुदवाने का विचार अभी गया नहीं था। वह इस बात को पक्का करना चाहती थी।
साँस थमने ज्योतिजी ने सुनीता का हाथ अपने हाथ में ले कर पूछा, “मेरी प्यारी बहन, तू क्या बोलती है? जब तुझे सारी बातें साफ़ है तो फिर कुछ करते हैं जिससे तू जस्सूजी के लण्ड का अनुभव कर सके।”
ज्योति जी की बात सुनकर सुनीता थोड़ी सकपका गयी, क्यूंकि वह जो बोलने वाली थी उससे ज्योतिजी काफी हतोत्साहित हो सकती थी।
सुनीता ने दबे स्वर में बड़ी ही गंभीरता से कहा, “दीदी मैं आपसे माफ़ी मांगना चाहती हूँ। पर दीदी, मैं आपसे एक बात बताना चाहती हूँ की ऐसा हो नहीं पाएगा। ऐसा नहीं है की मैं जस्सूजी को पसंद नहीं करती। मैं ना सिर्फ उन्हें पसंद करती हूँ बल्कि दीदी मैं आज आपसे नहीं छुपाउंगी की मैं मैं जब भी उनको देखती हूँ तब मैं उनपर वारी वारी जाती हूँ।
अगर आप की शादी उनसे नहीं हुई होती और अगर मैं उनसे पहले मिली होती तो मैं जरूर उनको आपके हाथों लगने नहीं देती। जैसे आपने उनको और स्त्रियों से छीन लिया था ऐसे मैं भी कोशिश करती की मैं उनको आपके हाथों से छीन लूँ और वह मेरे हो जाएं । पर अब जो हो चुका वह हो चुका। वह आपके हैं और हमेशा आपके रहेंगे। पर मेरी मजबूरी है की मेरी कितनी भी इच्छा होते हुए भी मैं आपकी मँशा पूरी नहीं कर सकती।”
सुनीता की बात सुनकर ज्योतिजी को बड़ा झटका लगा। उन्हें लगा था की सुनीता तो बस अब फँसने वाली ही है, पर यह तो सब उल्टापुल्टा हो रहा था।
ज्योतिजी ने पूछा, “पर क्यों तुम ऐसा नहीं कर सकती? क्या तुम्हें अपने पति से डर है? या फिर लज्जा, या कोई धार्मिक आस्था का सवाल है? आखिर बात क्या है?”
सुनीता ने सरलता से कहा, “ज्योतिजी बात थोड़ी समझने में मुश्किल है। मैं एक राजपूतानी हूँ। मेरी माँ की मैं चहेती बेटी थी। मेरी माँ मुझसे सारी बातें स्पष्ट रूप से करती थीं। जब कोई लड़कों के बारेमें बात होती थी तो मुझे माँ ने बचपन से ही यह सिखाया था की औरत का शील ही उसका सबकुछ है। उसके साथ कभी छेड़ छाड़ मत करना।”
जब मैं थोड़ी बड़ी हुई और माँ ने देखा की ज़माना बदल चुका था। लड़के लडकियां एक दूसरे से इतनी मिलती जुलती थीं की उनमें एक दूसरे के प्रति आकर्षण होना और चुम्माचाटी आम बात हो गयी थी तब माँ ने अपनी सिख बदली और कहा, “ठीक है। आज कल ज़माना बदल चुका है। आज कल के जमाने में लड़का लड़की में कुछ चुम्माचाटी चलती है। तो चिंता की कोई बात नहीं…
पर तुम अपना सब कुछ, अपना शील उसीको देना जो तुम्हारे लिए अपना जीवन तक छोड़ने के लिए तैयार हो और अपनी जान पर खेल कर तुम्हारी रक्षा करे।..
मेरी माँ की सिख मेरे लिए मेरे प्राण के सामान है। मैं उसको ठुकरा नहीं सकती। दीदी मैं आपको निराश कर के बहुत दुखी हूँ। आई एम् सो सॉरी। बल्कि सचमें तो मैं भी जस्सूजी की कायल हूँ और उनसे मुझे कोई परहेज भी नहीं है। मेरे पति तो उलटा जस्सूजी की बातें कर के मुझे छेड़ते रहते हैं…
सिनेमा हॉल में उन्हों ने ही मुझे जस्सूजी के पास बिठा दिया था और जस्सूजी की और मेरी जो राम कहानी हुई थी वह सब मेरे पति सुनीलजी को पता है…
आपकी जो मँशा है वही मेरे पति की भी है। मैंने आपको बता ही दिया है की कैसे जस्सूजी ने मेरे हाथों में अपना लण्ड पकड़ा दिया था और मैंने कैसे जस्सूजी को मेरी ब्रेस्ट्स से खेलने की भी इजाजत दे दी थी।”
ज्योतिजी सुनीता की बात सुनती रही। सुनीता ने ज्योतिजी की और देखा और बोली, “मेरे पति सुनील ने मेरे साथ शादी कर अपना सब कुछ मेरे हवाले कर दिया। वक्त आने पर वह मेरे लिए अपनी जान पर भी खेल सकते हैं तो मैं उनकी हो गयी। अब मैं अपनी माँ की बात कैसे ठुकराऊँ?”
ज्योतिजी सुनीता की बात सुन कर चुप हो गयी। शायद उनको लगा जैसे सुनीता ने उनके सारे मंसूबों पर ठंडा पानी डाल दिया। सुनीता ने महसूस किया की ज्योतिजी उसकी बातें सुनकर काफी निराश लग रहे थे।
सुनीता ने आगे बढ़ते हुए ज्योति दीदी का हाथ थमा और बोली, “दीदी, मैं आपका दिल तोड़ना नहीं चाहती। पर आप भी मेरे मन की बात समझिये। मैं मेरी माँ से वचन बद्ध हूँ। मेरी माँ की इच्छा और सिख की अवज्ञा करना उनका अपमान करने बराबर है…
बस मैं आपसे इतना वादा करती हूँ की आप मेरे पति के साथ जब चाहे जहां चाहे सो सकती हैं, मतलब चुदवा सकतीं हैं। मुझे उसमें कोई एतराज ना होगा।
जहां तक मेरा सवाल है, मने मेरी मजबूरी बतायी। हाँ मैं जस्सूजी को जी जान से प्यार करती हूँ और करती रहूंगी। मैं कोशिश करुँगी की जो सुख मैं उनको नहीं दे सकती उसके अलावा जो सुख मैं उनको दे सकती हूँ वह उनको जरूर दूंगी…
मैं प्रार्थना करुँगी की इस जनम में नहीं तो अगले जनम में ही सही मुझे जस्सूजी की शैयाभागिनी बनने का मौक़ा मिले।”
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी आगे जारी रहेगी!
[email protected]

शेयर
chachi ko hotel me chodahindi sex storieatamilkamakathaikal.mesexy live chatdesi shemale nudewww deshi indian sex comउसने मेरे दोनों चुचूक बड़े प्यार से चूसbetenechodadesi sex apporiya village sexma ke sath suhagratlund ka sexsonaxi ki chutsaxe store in hindetamil sex kathaikal newdesikahaanidesi sex.hindi xxx stories combhabhi devar chudai storysali kahanisex punjab comlesbian sex stories in hindikamukta hindibhabhi ki storymaa beta sex story in hindidesi jabardastitamil anni kamakathaikal in tamil fontkannada sexi storieschoot lund comkamukta wwwhot sex story pornfree incest storieszabardasti chudai storiesandhra sex stories in teluguchachi ki fudihindi sexey storygay kama kathaigalchudai story realmami ke sath sex storyfacebook xossipses storieshospital me sexdidir gudkamakathaikal in tamil 2011indian lesbiansex comindian desi sexi storychude ki kahanidost ki maa kimaa beta sex story hindi mechut marni hapni chachi ki chudaimausi ki chootsaali ki chudai kahaniporn hindi chudaidesi sex stryreal india sex videossex stories netsexy bhabhi story comcousin sex storiessex kahani desiindian cross dressing storieslive sex chat hindibengali gaandstori hotgujarati font storytimal sexfree hindi porn sitedesi sex stories freelatest hot sexbest lesbian storieschudai com hindi mebollywood erotic stories