Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 41


मेजर कपूर ने सुनीता से पूछा, “सुनीताजी क्या आप के पति यहाँ नहीं है?”
सुनीता ने सुनीलजी को दिखाते हुए कहा, “कपूर साहब! वह सबसे खूबसूरत महिला जिनके साथ डांस कर रही है वह मेरे पति हैं।”
कपूर साहब बोल पड़े, “अरे वह तो मिसिस जसवंत सिंह है।”
सुनीता ने कहा, “कमाल है साहब, आप अपने आप उन्हें मिसिस जसवंत सिंह क्यों कह रहे हैं?”हाँ वही ज्योतिजी हैं। देखा आपने वह कितना करीबी से मेरे पति के साथ डांस कर रहीं हैं?”
कपूर साहब ने कहा, “तो फिर आपको किसने रोका है? आप भी तो मेरे साथ एकदम करीबी से डांस कर सकती हैं।”
सुनीता ने अपनी आँख नचाते हुए पूछा, “अच्छा? क्या आप की पत्नी बुरा तो नहीं मानेगी?”
कपूर साहब ने कहा, “भाई अगर आपके पति बुरा नहीं मानेंगे तो मेरी पत्नी क्यों बुरा मानेंगी? वह तो खुद ही उन साहब की बाँहों में चिपक कर डांस कर रही है।”
सुनीता ने कहा, “ठीक है फिर तो।” बस इतना बोल कर सुनीता चुप हो गयी। कपूर साहब को तो जैसे खुला लाइसेंस ही मिल गया हो वैसे वह सुनीता को अपनी बाँहों में दबाकर बड़ी उत्कटता से अपनी जाँघों से सुनीता की जांघें रगड़ते हुए डांस करना शुरू किया।
संगीत में चंद मिनटों का ब्रेक हुआ। मेजर कपूर और सुनीता अलग हुए। मेजर कपूर फ़ौरन व्हिस्की के दो गिलास ले आये और सुनीता को एक थमाते हुए बोले, “देखिये मोहतरमा, मैं सरहद पर तैनात हूँ। कल ही सरहद से आया हूँ।
अगले हफ्ते फिर सरहद पर लौटना है। जिस तरह से सरहद पर लड़ाई छिड़ने का माहौल है, पता नहीं कल ही बुलावा आ जाये। और फिर पता नहीं मैं अपने पाँव से चलके आऊं या फिर दूसरों के कंधों पर। पता नहीं फिर हम मिल पाएं भी या नहीं। तो क्यों हम दोनों अकेले ही इस समाँ को एन्जॉय ना करें? कहते हैं ना की “कल हो ना हो”
सुनीता को याद आया की जस्सूजी ने अपनी पत्नी ज्योति को भी यह शब्द कहे थे। सुनीता सोच रही थी की इन शब्दों में कितनी सच्चाई थी। उसने खुद कई सगे और सम्बन्धियों की लाशें खुद देखीं थीं। उसे अपने पिता की याद आ गयी। सुनीता ने भगवान् का शुक्र किया की उसके पिता जख्मी तो हुए थे, पर उनको अपनी जान नहीं गँवानी पड़ी थी।
सुनीता ने एक ही झटके में व्हिस्की का गिलास खाली कर दिया। यहाँ सुनीता के व्यक्तित्व के बारे में एक बात कहनी जरुरी है। वैसे तो सुनीता एक साधारण सी भारतीय नारी ही थी। वह थोड़ी सी वाचाल, बुद्धि की कुशाग्र, शर्मीली, चंचल, चुलबुली और एक पतिव्रता नारी थी।
पर जब उसे शराब का नशा चढ़ जाता था तब सुनीता की हरकतें कुछ अजीबोगरीब हो जाती थीं। सुनीता को जानने वाला यह मान ही नहीं सकता था की वह सुनीता थी। उसके हावभाव, उसकी वाचा, उसके चलने एवं बोलने का ढंग एकदम ही बदल जाता था। यह कहना मुश्किल था की वह असल में सुनीता ही थी।
सुनीलजी को ऐसा अनुभव दो बार हुआ। एक बार ऐसा हुआ की पार्टी में दोस्तों के आग्रह से सुनीता ने कुछ ज्यादा ही पी ली। पिने के कुछ देर तक तो सुनीता बैठी सबकी बातें सुनती रही। फिर जब उसे नशे का शुरूर चढ़ने लगा तब सुनीता ने सुनीलजी के एक दोस्त का हाथ पकड़ कर उस आदमी को सुनील समझ कर उसे चिपक कर उसे सबके सुनते हुए जल्दी से घर चलने का आग्रह करने लगी।
वह जोर जोर से यही बोलती रही की “पार्टी में आने से पहले तो तुम मुझे बार बार कहते थे की आज रात को बिस्तर में सोने के बाद खूब मौज करेंगे? तो चलो ना, अब पार्टी में देर क्यों कर रहे हो? आज तो मेरा भी बड़ा मन कर रहा है। चलो जल्दी करो, कहीं तुम्हारा मूड (??!!) ढीला ना पड़ जाए!” वह सुनीलजी का दोस्त बेचारा समझ ही नहीं पाया की वह रोये या हँसे?
दूसरी बार सुनीता ने दो पेग व्हिस्की के लगाए तब अचानक ही वह योद्धांगिनी बन गयी और वहाँ खड़े हुए सब को चुनौती देने लगी की यदि उसके हाथ में ३०३ का राइफल होता तो वह युद्ध में जाकर दुश्मनों के दाँत खट्टे कर देती। और फिर वह वहाँ खडे हुए लोगों को ऐसे आदेश देने लगी जैसे वह सब लोग फ़ौज की कोई टुकड़ी हो और सुनीता को सेना के जवानों की टुकड़ी का लीडर बनाया गया हो। सुनीता चाहती थी की उस का कमांड सुनकर वहाँ खडे लोग परेड शुरू करें। वह “लेफ्ट, राइट, आगे बढ़ो, पीछे मूड़” इत्यादि कमांड देने लगी थी।
जब वह लोग उलझन में खड़े देखते रहे तब सुनीता ने उन लोगों को ऐसा झाड़ना शुरू किया की, “शर्म नहीं आती, आप सब जवानों को? तनख्वाह फ़ौज से लेते हो और हुक्म का पालन नहीं करते?” इत्यादि।
बड़ी मुश्किल से सुनीलजी ने सबसे माफ़ी मांगीं और सुनीता को समझा बुझा कर घर ले आये। सुनीलजी ने सुनीता को एक बार एक विशेषज्ञ साइक्याट्रिस्ट को दिखाया तो उन्होंने कुछ टेस्ट करने के बाद कहा था, “चिंता की कोई बात नहीं है। सुनीता की नशा हजम करने की क्षमता दूसरे लोगों से काफी कम है। बस सुनीता को शराब से दूर रखा जाय तो कोई दिक्कत नहीं है।
जैसे ही वह ज्यादा नशीली शराब जैसे व्हिस्की, रम, वोदका आदि थोड़ी सी ज्यादा पी लेती हैं तो उनका मन चंचल हो उठता है। जब तक उनपर नशे का शुरुर छाया रहता है तब तक वह उस समय उनके मन में चल रही इच्छा को अपने सामने ही फलीभूत होते हुए देखती है। मतलब वह यातो अपने को कोई और समझ लेती है या फिर किसी और को अपने मन पसंद किरदार में देखने लगती है।
अगर उस समय सुनीता के मन में शाहरूख खानके बारे में विचार होते हैं तो वह किसी भी व्यक्ति को शाहरूख खान समझ लेती है और उससे उसी तरह पेश आती है। उस समय यदि उसका मन कोई फिल्म में एक्टिंग करने का होता है वह खुद को एक्टर समझ लेती है और एक्टिंग करने लग जाती है।
नशा उतरते ही वह फिर अपनी मूल भूमिका में आ जाती है। उसे पता तो चलता है की उसने कुछ गड़बड़ की थी। पर उसे याद नहीं रहता की उसने क्या किया था। तब फिर उसे अफ़सोस होने लगता है और वह अपने किये कराये के लिए माफ़ी मांगने लग जाती है और उस समय उसे सम्हालने वाले पर काफी एहसान मंद हो जाती है।“
साइक्याट्रिस्ट की राय जान कर सुनीलजी की जान में जान आयी। इसी लिए सुनीलजी ख़ास ध्यान रखते थे की सुनीता को कोई ज्यादा मद्य पेय (व्हिस्की, रम, वोदका आदि) ना दे। जब कोई ज्यादा आग्रह करता तो सुनीता को सुनीलजी थोड़ा सा बियर पिने देते, पर बस एकाद घूँट अंदर जाते ही सुनीलजी उसका ग्लास छीन लेते इस डर से की कहीं उसको चढ़ ना जाए और वह कोई नया ही बवंडर खड़ा ना करदे।
पर उस दिन शाम उस समय सुनीलजी कहीं आगे पीछे हो गए और नीतू, कुमार साहब बगैरह लोगों ने मिलकर सुनीता को व्हिस्की पिला ही दी।
नशे का सुरूर सुनीता पर छा रहा था। सेना के जवानों की शूरवीरता और बलिदान की वह कायल थी। वह खुद भी देश के लिए बलिदान करने के लिए पूरी तरह तैयार थी। शराब का नशा चढ़ते ही सुनीता के दिमाग में जैसे कोई बवंडर सा उठ खड़ा हुआ। उसको अपने सामने मेजर कपूर नहीं, कर्नल जसवंत सिंह (जस्सूजी) दिखाई देने लगे। वह जस्सूजी, जो देश के लिए अपनी जान देने के लिए सदैव तैयार रहते थे। वह जस्सूजी जिन्होंने सुनीता के लिए क्या कुछ नहीं किया?
जब कपूर साहब ने सुनीता से कहा की वह देश के लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार थे तो सुनीता सोचने लगी, “जब जस्सूजी देश के लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार थे तो भला ऐसे जाँबाज़ के लिए देशवासियों का भी कर्तव्य बनता है की वह उनके लिए अपना सबकुछ कुर्बान करदें। अगर उनकी इच्छा सेक्स करने की हो तो क्या सुनीता को उनकी इच्छा पूरी नहीं करनी चाहिए?”
सुनीता ने कपूर साहब से कहा, “जस्सूजी, आप मेरे पति की चिंता मत करिये। आप मेरे वचन की भी चिंता मत करिये। जब आप देश के लिए अपनी जान तक का बलिदान करने के लिए तैयार हैं तो मैं आपको आगे बढ़ने से रोकूंगी नहीं। चलिए मैं तैयार हूँ। पर यहां नहीं। यहां सब देखेंगे। बोलिये कहाँ चलें?”
कपूर साहब सुनीता को देखते ही रहे। इनकी समझ में नहीं आया की यह जस्सूजी कौन थे और सुनीता कौनसे वचन की बात कर रही थी? सुनीता उन्हें जस्सूजी कह कर क्यों बुला रही थी? पर फिर उन्होंने सोचा, “क्या फर्क पड़ता है? जस्सूजी बनके ही सही, अगर इतनी खूबसूरत मोहतरमा को चोदने का मौक़ा मिल जाता है तो क्यों छोड़ा जाये, जब वह खुद सामने चलकर आमंत्रण दे रही थी?”
कपूर सर ने कहा, “मुझे कोई चिंता नहीं। आइये हम फिर इस भीड़ से कहीं दूर जाएँ जहां सिर्फ हम दोनों ही हों। और फिर हम दोनों एक दूसरे में खो जाएँ।” यह कह मेजर साहब ने सुनीता का हाथ पकड़ा और उसे थोड़ी दूर ले चले।
सुनीता ने भी उतने जोश और प्यारसे जवाब दिया, “जस्सूजी, मैं आप को प्यार करने ले लिए ही तो हूँ और रहूंगी। आपको मुझे पूछने की जरुरत नहीं।” सुनीता नशे में झूमती हुई मेजर साहब के पीछे पीछे चलती बनी।
कपूर साहब के तो यह सुनकर वारे न्यारे हो गए। उन्होंने हाथ बढ़ाकर सुनीता के टॉप के बटन खोलने शुरू किये। सुनीता भी कपूर साहब की जाँघों के बिच में हाथ डालने वाली ही थी की अचानक नजदीक में ही कपूर साहब को “सुनीता सुनीता” की पुकार सुनाई दी।
वोह आवाज सुनीलजी की थी। उनकी आवाज सुनकर कपूर साहब जैसे ज़मीन में गाड़ दिए गए हों, ऐसे थम गए। सुनीता अँधेरे में इधर उधर देखने लगी की कौन उसे आवाज दे रहा था। कुछ ही देर में सुनीलजी सुनीता और कपूर साहब के सामने हाजिर हुए।
इतने घने अँधेरे में भी सितारोँ की हलकी रौशनी में अपने पति को देखते ही सुनीता झेंप सी गयी और भाग कर उनकी बाँहों में आ गयी और बोली, “सुनील देखिये ना! जस्सूजी मुझसे कुछ प्यारी सी बातें कर रहे थे। वह मुझसे प्यार करना चाहते हैं। क्या मैं उनसे प्यार कर सकती हूँ? तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है ना?”
सुनीलजी अपनी पत्नी सुनीता को हक्केबक्के देखते ही रह गए। जब उन्होंने कपूर साहब को देखा तो सुनीलजी कुछ ना बोल सके। वह समझ गए की कपूर साहब सुनीता को फुसला कर वहाँ ले आये थे और नशे में धुत्त सुनीता, कपूर साहब को जस्सूजी समझ कर कपूर साहब के साथ वहाँ आयी थी। सुनीलजी किसको क्या कहे?
सुनीलजी को वहाँ देखकर कपूर साहब शर्मिन्दा हो कर सिर्फ “आई ऍम सॉरी” कह कर वहाँ से चलते बने और कुछ ही देर में अँधेरे में ओझल हो गए। सुनीलजी ने प्यार से सुनीता को गले लगाया और कहा, “डार्लिंग, अभी वापस चलते हैं, फिर अपने कमरे में पहुँच कर बात करते हैं।”
सुनीलजी ने अपनी पत्नी सुनीता को प्यार से पकड़ कर अपने साथ ले लिया और कैंटीन की और चल पड़े। कैंटीन में पहुंचकर उन्होंने सुनीता और अपने लिए डिनर मंगवाया और सुनीता को अपने हाथों से खिलाकर सुनीता को प्यार से वैसे ही बच्चे की तरह पकड़ कर अपने स्युईट की और चल दिए।
रास्ते में सुनीता ने अपने पति का हाथ थाम कर उनसे नजरें मिलाकर पूछा, “सुनील, आप बताइये ना, क्या मैंने शराब के नशे में कुछ उलटिपुलटि हरकत तो नहीं की?”
सुनीलजी ने अपनी पत्नी की और प्यारसे देख कर सुनीता के बालों में अपने होँठ से चुम्बन करते हुए कहा, “नहीं डार्लिंग, कुछ नहीं हुआ। तुम थकी हुई हो। थोड़ा आराम करोगी तो सब ठीक हो जाएगा।”
सुनीता अपने पति की बात सुनकर चुपचाप एक शरारत करते हुए पकडे जाने वाले बच्चे की तरह उनके साथ अपने कमरे में जा पहुंची। वहाँ पहुँचते ही सुनीता भाग कर पलंग पर लेट ने लगी पर सुनीलजी ने सुनीता को प्यार से बिठाकर उसका स्कर्ट और टॉप निकाल फेंका।
सिर्फ ब्रा और पेंटी पहने लेटी हुई अपनी खूबसूरत बीबी को कुछ समय तक सुनीलजी देखते ही रहे फिर उसे उसका नाइट गाउन पहनाने लगे। सुनीता ने जब अपने पति को कपडे बदलते हुए पाया तो उसने उठकर अपने आप अपना नाइट गाउन पहन लिया और अपने बदन को इधर उधर करते हुए अपनी ब्रा और पेंटी निकाल फेंकी और लेट गयी।
कोने में जल रही सिगड़ी से दोनों कमरों में काफी आरामदायक तापमान था। सुनीलजी ने देखा की सुनीताकुछ ही मिनटों में गहरी नींद सो गयी। सुनीलजी अपनी पत्नी को बिस्तर पर बेहोश सी लेटी हुई देख रहे थे। उसका गाउन पलंग पर फैला हुआ उसकी जाँघों के ऊपर तक आ गया था।
सुनीता की नंगी माँसल जाँघों को देख कर सुनील का लण्ड खड़ा हो गया था। वह बेहाल लेटी हुई अपनी बीबी को देख रहे थे की कुछ ही पलों में सुनीलजी को अपनी पत्नी सुनीता के खर्राटे सुनाई देने लगे।
सुनीलजी पलंग के पास से हट कर खिड़की के पास खड़े हो कर सोचते हुए अँधेरे में दूर दूर जंगल की और सितारों की रौशनी में देख रहे थे तब उन्हें भौंकते और रोते हुए भेड़ियों की आवाज सुनाई दी। उन्होंने कई बार शहर में भौंकते हुए कुत्तों की आवाज सुनी थी पर यह आवाज काफी डरावनी और अलग थी। सुनीलजी की समझ में यह नहीं आ रहा था की यह कैसी आवाज थी।
तब सुनीलजी ने जस्सूजी का हाथ अपने काँधों पर महसूस किया। जस्सूजी और ज्योति अपने कमरे में आ चुके थे। ज्योतिजी कपडे बदल ने के लिए वाशरूम में गयी थी।
सुनीलजी को खिड़की के पास खड़ा देख कर जस्सूजी वहाँ पहुँच गए और उन के पीछे खड़े होकर जस्सूजी ने कहा, “यह जो आवाज आप सुन रहे हो ना, वह क्या है जानते हो? यह कोई साधारण जंगली भेड़िये की आवाज नहीं। यह आवाज सेना के तैयार किये गए ख़ास भयानक नस्ल के कुत्तों की आवाज है।“
जस्सूजी ने थोड़ा थम कर फिर बात आगे बढ़ाते हुए कहा, “सेना में इन कुत्तों को खास तालीम दी जाती है। इनका इस्तेमाल ख़ास कर दुश्मनों के बंदी सिपाही जब कैद से भाग जाते हैं तब उनको पकड़ ने के लिए किया जाता है। उनको अंग्रेजी में “हाऊण्ड” कहते हैं।
यह कुत्ते “हाऊण्ड”, जानलेवा होते हैं। इनसे बचना लगभग नामुमकिन होता है। कैद से भागे हुए कैदी सिपाही के कपडे या जूते इन्हें सुँघाये जाते हैं। अगर कैदी को मार देना है तो इन हाउण्ड को कैदियों के पीछे खुल्ला छोड़ दिया जाता है। हाउण्ड उन कैदियों को कुछ ही समय में जंगल में से ढूंढ निकालते हैं और उनको चीरफाड़ कर खा जाते हैं।
अगर क़ैदियों को ज़िंदा पकड़ना होता है तो सेना के जवान इन हाउण्ड को रस्सी में बाँध कर उनके पीछे दौड़ते रहते हैं। यह हाउण्ड कैदी की गंध सूंघते सूंघते उनको जल्द ही पकड़ लेते हैं।“
जस्सूजी ने बड़ी गंभीरता से कहा, “सुनीलजी मेरी समझ में यह नहीं आता की यह हाउण्ड किसके हैं। हमारी सेना ने तो इस एरिया में कोई हाउण्ड नहीं रखे। तो मुमकिन है की यह दुश्मनों के हाउण्ड हैं। अगर ऐसा है तो हमारी सीमा में दुश्मनों के यह हाउण्ड कैसे पहुंचे? मुझे डर है की जल्द ही कुछ भयानक घटना घटने वाली है।”
जस्सूजी की बात सुनकर सुनीलजी चौंक गए। सुनीलजी ने पूछा, “जस्सूजी कहीं ऐसा तो नहीं की हमारी सेना के कुछ जवानों को दुश्मन ने कैदी बना लिया हो?”
जस्सूजी ने अपने हाथ अपनी स्टाइल में झकझोरते हुए कहा, “ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। यही तो सोचनेवाली बात है। कुछ ना कुछ तो खिचड़ी पक रही है, और वह क्या है हमें नहीं पता।”
सुनीलजी ने घूमकर जस्सूजी का हाथ थामकर कहा, “जस्सूजी, आप बहुत ज्यादा सोचते हो। भला दुश्मन के सिपाहियों की इतनी हिम्मत कहाँ की हमारी सीमा में घुस कर ऐसी हरकत करें? क्या यह नहीं हो सकता की हम अपना दिमाग बेकार ही खपा रहे हों और वास्तव में यह आवाज जंगली भेड़ियों की ही हो?”
जस्सूजी ने हार मानते हुए कहा, “पता नहीं। हो भी सकता है।”
सुनीलजी ने जस्सूजी की नजरों से नजर मिलाते हुए पलंग में लेटी हुई अपनी बीबी सुनीता की और इशारा करते हुए कहा, “फिलहाल तो मुझे सुनीता के खर्राटों की दहाड़ का मुकाबला करना है। पता नहीं आपने उस पर क्या वशीकरण मन्त्र किया है की वह आपकी ही बात करती रहती है।”
सुनीलजी की बात सुनकर जस्सूजी को जब सकते में आते हुए देखा तो सुनीलजी मुस्कुराये और फिर से जस्सूजी का हाथ थाम कर अपने पलंग के पास ले गए जहां सुनीता जैसे घोड़े बेचकर बेहाल सी गहरी नींद सो रही थी। अपनी आवाज में कुछ गंभीरता लाते हुए सुनीलजी ने कहा, “जस्सूजी मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूँ। क्या आप बुरा तो नहीं मानेंगे?”
बड़ी मुश्किल से सुनीता की माँसल जाँघों पर से अपनी नजर हटाकर जस्सूजी ने आश्चर्य भरी निगाहों से सुनीलजी की और देखा। अपना सर हिलाते हुए जस्सूजी ने बिना कुछ बोले यह इशारा किया की वह बुरा नहीं मानेंगे। सुनीलजी बोले,”जस्सूजी, क्या आप अब मुझे और सुनीता को अपना अंतरंग साथी नहीं मानते?”
जस्सूजी ने जवाब दिया, “हाँ मैं और ज्योति आप दोनों को अपना घनिष्ठ अंतरंग साथी मानते हैं। इसमें पूछने वाली बात क्या है?”
सुनीलजी ने कहा, “तब फिर क्या हम दोनों पति पत्नी की जोड़ियों में कोई पर्दा होना चाहिए?”
जस्सूजी ने फ़ौरन कहा, “बिलकुल नहीं होना चाहिए। पर आप यह क्यों पूछ रहे हैं?”
सुनीलजी ने कहा, “मैं भी यही मानता हूँ। पर मैं यहां यह कहना चाहता हूँ की कुछ बातें इतनी नाजुक होती हैं, की उन्हें कहा नहीं जाना चाहिए। हम लोगों को उन्हें बिना कहे ही समझ जाना चाहिए। मैं हम दोनों पति पत्नियों के बिच के संबंधों की बात कर रहा हूँ। मैं चाहता हूँ की हम दोनों जोड़ियों के बिच किसी भी तरह का कोई भी परायापन ना रहे…
अगर हम सब एकदूसरे के घनिष्ठ अंतरंग हैं तो फिर खास कर अपने पति या अपनी पत्नी के प्रति एक दूसरे के पति या पत्नी से सम्बन्ध के बारे में किसी भी तरह का मालिकाना भाव ना रक्खें। मुझे यह कहने, सुनने या महसूस करने में कोई परेशानी या झिझक ना हो की सुनीता आपसे बेतहाशा प्यार करती है और आपको भी वैसे ही ज्योतिजी के बारे में हो।”
जस्सूजी ने सुनीलजी का हाथ थामते हुए कहा, “बिलकुल! मेरी और ज्योति की तो इस बारे में पहले से ही यह सहमति रही है।
फिर सुनील की और प्यार से देखते हुए जस्सूजी बोले, “सुनीलजी, आप चिंता ना करें। आप और ज्योति के बिच के भाव, इच्छा और सम्बन्ध को मैं अच्छी तरह जानता और समझता हूँ। मेरे मन में आप और ज्योति को लेकर किसी भी तरह की कोई दुर्भावना नहीं है। आप दोनों मेरे अपने हो और हमेशा रहोगे। आप दोनों के बिच के कोई भी और किसी भी तरह के सम्बन्ध से मुझको कोई भी आपत्ति नहीं है ना होगी।”
पलंग पर मदहोश लेटी हुई सुनीता की और देखते हुए अपनी आवाज में अफ़सोस ना आये यह कोशिश करते हुए जस्सूजी ने कहा, “जहां तक मेरा और सुनीता के सम्बन्ध का सवाल है, तो मैं यही कहूंगा की सुनीता की अपनी कुछ मजबूरियां हैं। मैं भी सुनीता से बेतहाशा प्यार करता हूँ। मैं सुनीता की बड़ी इज्जत करता हूँ और साथ साथ में उसकी मजबुरोयों की भी बड़ी इज्जत करता हूँ।”
यह कह कर जस्सूजी बिना कुछ और बोले अपने मायूस चेहरे को सुनीलजी की नज़रों से छुपाते हुए, बिच वाले खुले किवाड़ से अपने पलंग पर जा पहुंचे जहां ज्योति ने अपनी बाँहें फैलाकर उनको अपने आहोश में ले लिया। दोनों पति पत्नी एक दूसरे से लिपट गए।
सुनील जी हैरान से देख रहे थे की उनकी निगाहों की परवाह किये बगैर जस्सूजी ज्योति को पलंग पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गए और ज्योति के गाउन के ऊपर से ही ज्योति के बड़े मम्मों को दबाने लगे।
कहानी आगे जारी रहेगी..!
[email protected]

शेयर
dever bhabhi ki chudaikamam tamil storytamiil sexmallu sex novelsgaand chodimaa ki kali chutsexstorieshinditamil scandals storieswww badwap sexkahin to hoga episode 6tamel sex storehindi sex story maa betakhala ke chodabiwi ki chutindian lesbiansex comdesi chubby bhabhidevar bhabhi sex hindi kahanisasur aur bahu sexhindi new chudai kahaniwww bahan ki chudai comgaand maaritamil sex stroyeschat sex commaa beti ki chudai ki kahaniindian sex story auntysex story hindi sasurnayi bhabhi ki chudaidesi kahani.netsavita bhabhi ki chudai kahaniwww indian desi sex stories comhindi sex story readsexy katha in hindiindians3xstoriesbahu kahaniaunty hindi storyindian sex videos daily updateankita sextamil kamakathaigal.comschool me chudaireal chutwww student and teacher sex comsexy family storydesikahani.netwww sex telugu stores combhabhi ki devarrathi kreedegalusexy story in hindi latesti indian sex storieschudai gandincent kahanivillage sex stories in tamiloffice sex indiabiwi bani randisexy desi gaanddeepika sex storysex srorieschodar storysexy unclesdesi sex anutyhot wap siteschool me chudaidesikahani.netgay hindi kathahindi sex cinemadesi beach sexkaha hum kaha tum episode 4sex story videossex stoeieshindi ses kahaniincest mom storiesgigolo ki kahanibhai behen sex storiesmeri nangi bhabhichudai meanspooja chutthreesom sex storiesmalayalam x storiesfucking saaliwww hindi hot sex story comindian sexy storiskamsutra ki kahaniyahot sex story hindi