Aakhiri Dagar, Purane Humsafar – Episode 21


आखिरकार मैंने शादीशुदा होकर भी राहुल से एक बार फिर चुदवाया ताकि मैं उसके बच्चे की माँ बन पाऊ। राहुल को उसके ऊपर चढ़कर चोदने के बाद मैं उसके ऊपर से हटी।
इतने दबाव में मेरे मम्मो से 1-2 बूंद दूध निकल कर राहुल के सीने पर निकल गया था। मै शरमाई और राहुल हंसने लगा।
राहुल: “तुम्हे याद हैं एक बार मैंने तुम्हारे मम्मो का दूध दुहने की विनती की थी। उस वक्त तो तूम्हारे मम्मो में दूध नहीं था पर आज तो हैं। आज मै फिर तुम्हारे मम्मो का दूध दुहना चाहता हूँ.”
मैं: “नहीं, बिल्कुल नहीं। यह मेरे बच्चे के हिस्से का दूध हैं, मै दूध को बेकार नहीं होने दूंगी”
राहुल: “दूध तो खाना खाने के बाद फिर से बनता ही रहेगा। चलो, गाय की तरह बैठो”
मैं: “नहीं, वेस्टेज होने से माँ के दूध का अपमान होता हैं”
राहुल: “ठीक हैं, मै तुम्हारी बात का सम्मान करता हूँ। पर सिर्फ एक चुदाई से क्या होगा! बच्चा पैदा करने के लिए तो कई बार चोदना पड़ेगा”
मैं: “मै एक महीना इंडिया में ही हूँ। तब तक जितना जी चाहे चोद लेना। मगर इस शहर में यहाँ तुमसे और रूबी से मिलने मै सिर्फ 2 दिन के लिए आयी थी। फिर मै अपनी माँ पापा के शहर में रहुंगी, तुम्हे इसके बाद अगर मुझे चोदना हैं तो मेरे शहर आना पड़ेगा। अभी मै चलू या और करना हैं?”
राहुल: “थोड़ी देर रुक जाओ, लंच करके हम फिर सेकंड राउंड कर सकते हैं”
मैं: “मेरा 3 महीने का बच्चा घर पर हैं और बड़ा वाला बच्चा भी। रूबी उनका ध्यान रख रही हैं और मै सिर्फ यहाँ तुमसे चुदवाने आयी थी। अभी मुझे जाना हैं”
राहुल: “तो फिर शाम को मै रूबी के घर ही आ जाऊ तुम्हे चोदने के लिए? पता दे दो रूबी के घर का”
मैं: “पता मै देती हूँ, पर थोड़ा लेट ही आना, तब तक बच्चे सो जायेंगे”
मैने राहुल को रूबी के घर का पता दिया और अपने कपड़े पहन फिर से रूबी के घर आ गयी। राहुल को चोदने के बाद मेरे पूरे शरीर को बहुत संतुष्टि मिल रही थी।
रात के आठ बजे थे और मै और रूबी अपने बच्चो के साथ खेल रहे थे कि डोरबेल बजी। रूबी ने दरवाजा खोला तो राहुल था। रूबी ने उसको अंदर लिया।
उसको इतना जल्दी यहाँ देख मै घबरा गयी। मेरा बड़ा बच्चा अभी जाग रहा था । मैंने राहुल को लेट आने को बोला था।
मैं: “तुम! इतना जल्दी!”
राहुल: “कण्ट्रोल नहीं हो रहा था”
यह सुनकर मै शर्मा गयी और रूबी पिछे खड़ी हस रही थी। अपने बच्चे के सामने मै कैसे राहुल के साथ अंदर बेडरुम में जाती, पर रूबी ने बात संभाली और राहुल को बेडरुम का रास्ता बताया।
मै रूबी के हवाले अपने छोटे बच्चे को देकर जाने लगी तो बड़े वाले ने मेरे कपड़े पकड़ मुझे रोक लिया कि मै कहा जा रही हूँ। अब मै उसको क्या एक्सप्लेन करती। रूबी ने मेरी मदद की।
रूबी: “बेटा छोड़ दो मम्मी को, मम्मी को अंकल के साथ अंदर बहुत जरुरी काम हैं”
बच्चा भी मासूम था तो पूछ ही लिया कि क्या जरुरी काम हैं। मम्मी की जगह रूबी आंटी चली जाओ।
रूबी: “नहीं बेटा, मेरी ऐसी किस्मत कहा हैं! यह जरुरी काम तुम्हारी मम्मी ही कर सकती हैं। जाने दो, तुम्हारी मम्मी कमजोर हैं ना, वो अंकल ऐसा इंजेक्शन देंगे कि तुम्हारी मम्मी मोटी हो जाएगी”
मैं: “रूबी, तुम संभाल लोगी ना?”
रूबी: “किसको? अंदर वाले को या इन बाहर वालो को?”
मैं: “अंदर वाले को मै संभाल लुंगी, फिलहाल तुम इन दोनो बच्चो को संभालो”
मै अब बेडरुम में गयी, जहा बिस्तर पर पहले ही राहुल बैठा था। मेरे आते ही वो खड़ा हो मेरे पास आ गया।
राहुल: “चलो अब इंतजार नहीं होता, जल्दी से करते हैं”
मैं: “मै तो थक चुकी हूँ, तुम्हे ही करना पड़ेगा”
राहुल: “कर लूंगा, पर अब यह मत कहना कि मै जबरदस्ती कर रहा हूँ”
मैं: “तुम्हे जबरदस्ती करनी हैं तो भी कर सकते हो, मेरी खुली छूट हैं”
राहुल ने मुझे जल्दी से नंगा कर दिया और फिर घोड़ी बना कर बिस्तर पर मेरे दोनो हाथ बाँध दिए। मै घोड़ी बनी बैठी रही और वो मेरे पास आया।
एक हाथ की ऊँगली से उसने मेरी चूत को रगड़ कर गरम किया और दूसरे हाथ से मेरे नीचे लटके मम्मो को हल्के हल्के से हाथ फेराया। उसने मेरे मम्मे दबाने की कोशिश नहीं कि वरना दूध निकल कर बेकार हो जाता।
फिर उसने मम्मो वाला हाथ मेरे पेट, कमर, पीठ जांघो सब तरह रगड़ते हुए मेरे शरीर को महसूस किया। उसके हाथ लगाने भर से मै उत्तेजित हो चुकी थी।
अब उसने मेरी चूत रगड़ना छोड़ा और मेरे पिछे आया। अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा और थोड़ा सा मेरी चूत के अंदर धकेल दिया।
उसने फिर एक झटके में अपना लंबा मोटा लंड मेरी चूत में जोर लगाते हुए उतार दिया और वो बहुत ज्यादा अंदर उतर गया, जिसकी वजह से मेरी एक चीख निकली।
मैने फिर कण्ट्रोल किया और हल्की सिसकियां निकालते हुए उसकी चुदाई का मजा लेने लगी। वो अपने दोनो हाथों से मेरी गांड पकड़े मेरी चूत को डोगी स्टाईल में चोदने लगा।
हम दोनो एक सूर में आहें भरते हुए अब उस चुदाई का आनंद ले रहे थे। कुछ मिनट के बाद मै मुंह खोले तड़पती हुयी खुद ही आगे पिछे हो चुदती रही, मेरा मजा इस से बढ़ता गया।
हम दोनो अब और तेजी से सिसकियां भर रहे थे। जैसे जैसे जड़ने के करीब आते गए उसके झटके तेज होते गए. तभी उसने अचानक अपना लंड मेरी चूत से निकाल दिया।
चुदते चुदते अचानक मेरी सिसकियां बंद हो गयी और मजा आना बंद हो गया। उसने मेरी गांड के दोनो हिस्सों को एक दूसरे से दूर किया और मेरी गांड का छेद खोल दिया। फिर अपने लंड का निशाना मेरी गांड के छेद पर लगाया।
मैं: “राहुल, गांड में नहीं। तुम्हे बच्चा चाहिये या गांड मारनी हैं”
राहुल: “दोनो चाहिए”
यह कहते हुए उसने अपना लंड का थोड़ा हिस्सा मेरी गांड में घुसा दिया। मै इस झटके के लिए तैयार नहीं थी और मै दर्द के मारे जोर से चिखी तो वो रुक गया।
मेरी गांड दर्द के मारे कांपने लगी थी। काफी समय से मेरी गांड ने कोई लंड नहीं लिया था तो मै कांप उठी थी। मुझे ध्यान आया कि मेरे बच्चे और रूबी बाहर ही हैं और वो मेरी चीख सुन क्या सोचेंगे !
राहुल ने अब धीरे धीरे मेरी गांड में अपना लंड अंदर बाहर करना शुरु किया। मै इस बार तैयार थी तो उसको सहन किया और अपनी चीख दबाए रखी।
राहुल को मेरे सिर्फ मजे लेने थे तो थोड़ी देर गांड मारने के बाद उसने अपना लंड फिर बाहर निकाला और चूत में घुसा दिया। मुझे फिर थोड़ी शांत मिली।
मै एक बार फिर आगे पिछे हो चुदने लगी। राहुल ने भी धक्के मारना शुरु कर दिया। कुछ मिनट की चुदाई के बाद मेरी मजे के मारे हालत खराब हो गयी और मै जोर जोर से सिसकियां मारने लगी।
राहुल ने मुझे पूरा चोद दिया और अपना पानी पूरा मेरी चूत में खाली कर दिया और उसके ठीक बाद मै भी पूरी ताकत लगाये आगे पिछे होते हुए उसके लंड को अपनी चूत में रगड़े जड़ गयी।
हमारी आवाजे शांत होने के बाद राहुल उठा और अपना लंड साफ़ करने वाशरूम में गया। वो बाहर आया तो मैंने राहुल को अपने हाथ खोलने को बोला।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुयी और रूबी की आवाज आयी। राहुल ने अपनी पैंट पहन ली और दरवाजा खोलने चला गया, जब कि मै अभी भी नंगी बिस्तर पर घोड़ी बने बंधी थी। मैंने उसको रुकने को बोला पर वो नहीं रुका।
उसने रूबी को अंदर कमरे में ले लिया और दरवाजा बंद कर दिया। इस तरह नंगी बंधे हुए मै रूबी के सामने शर्मा रही थी। मैंने रूबी को अपने हाथ खोलने को कहा और रूबी आगे बढ़ी पर राहुल ने उसको पिछे आकर उसकी कमर से पकड़ रोक दिया। उसने उस से आने का कारण पुछा।
रूबी: “वो छोटे वाले को भूख लगी हैं, प्रतिमा को उसको दूध पिलाना पड़ेगा”
राहुल: “दूध का इंतजाम मै करता हूँ। रूबी, तुम दो कटोरी लेकर आओ”
रूबी हिचकिचा रही थी और मैंने उसको मना बोला पर राहुल ने उसको जाने को बोल दिया। रूबी बाहर जाकर दो कटोरीयां ले आयी और राहुल को दे दी। राहुल ने रूबी को बाहर जाने को बोल दिया।
मै अब भी घोड़ी बनी बैठी थी और राहुल ने दोनो कटोरीयां मेरे मम्मो के ठीक नीचे रखी और मेरे मम्मे दुहने लगा।
कल मैंने उसको दूध वेस्टेज का हवाला देते हुए मेरा दूध दुहने से मना किया था पर आज उसने उन कटोरियों में मेरा दूध दुहना शुरु कर दिया था।
आज मै कोई बहाना मार कर मना भी नहीं बोल सकती थी। उसने जल्दी ही कुछ दूध इकट्ठा कर लिया और दरवाजा खोल कर रूबी को पकड़ा दिया कि वो मेरे बच्चे को वो निकाला हुआ दूध पिला दे।
राहुल ने आकर मेरे हाथ खोले और मैंने उसको इस हिमाकत के लिए डाँट दिया। पर वो मस्ती के मूड में था और उसको कोई फर्क नहीं पड़ा। राहुल और मैंने अपने कपड़े पहने लिए और बाहर आये। राहुल ने हमसे विदा ली और चला गया।
मेरा बड़ा बच्चा मुझे कहने लगा कि रूबी आंटी कह रही थी कि उन अंकल ने आपको सुई लगायी इसलिए आप चिखी थी। मैंने रूबी को देखा जो हस रही थी। मैंने भी अपने बच्चे को हां बोल दिया कि सुई जोर की लगी थी।
अगले दिन सुबह ब्रेकफस्ट के बाद मुझे मेरे बड़े बच्चे ने बताया कि सुई वाले अंकल आये हैं। मैंने देखा रूबी राहुल को लेकर बेडरुम में आ चुकी थी।
मै तो नहा कर तैयार भी नहीं हुयी थी और अपने स्लीप शर्ट और शार्ट में ही थी। रूबी मेरे दोनो बच्चो को बेडरुम से बाहर ले गयी और मुझे राहुल के साथ अकेले छोड़ दिया। राहुल ने दरवाजा बंद कर आया।
मैं: “तुम इतना जल्दी यहाँ?”
राहुल: “मै बच्चा पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता”
मैं: “बच्चे रात को सो जाऐ उसके बाद आया करो। मै बच्चे को क्या समझाऊ कि तुम कौन हो?”
राहुल: “तुम बोलो तो चला जाता हूँ”
मैं: “अब आये हो तो करके ही जाओ”
यह सुनते ही वो मुझ पर टूट पड़ा और मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और तुरंत मेरे कपड़े निकाल कर मुझे नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया।
एक बार फिर हमने एक दूसरे के अंगो को रगड़ कर और चूस कर तैयार किया। अभी हम चुदाई शुरु ही करने वाले थे कि रूबी ने दरवाजे पर दस्तक दी और अंदर पड़े बच्चे के नैपकिन मांगे।
इस बीच राहुल ने मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया। मै उठना चाह रही थी पर राहुल ने मुझे चोदना शुरु कर दिया था। मैंने उसको अपने ऊपर से हटा कर दूर किया।
मै ऐसे ही नंगी उठकर दरवाजे तक गयी और दरवाजे की आड़ में छुपकर उसको नैपकिन दिया। मेरा मुंह और एक हाथ दरवाजे के बाहर था और बाकी का शरीर कमरे के अंदर दरवाजे के पिछे छिपा था।
इस बीच चुपके से राहुल भी चलकर मेरे पीछे आ गया था और मुझे पीछे से झकड़ लिया। इसके पहले कि रूबी मेरे हाथ से नैपकिन लेती राहुल अपना लंड वहीं खड़े खड़े मेरी चूत में पिछे से डालने लगा। मै अपने शरीर को झटकते हुए राहुल को दूर करने की कोशिश कर रही थी और नैपकिन देते मेरा हाथ हिल रहा था तो रूबी को मेरा चेहरा देख सब समझ आ गया कि राहुल क्या कर रहा होगा। वो मुंह पर हाथ रख हस रही थी
राहुल का लंड कुछ सेकण्ड पहले मेरी चूत में घुसकर वैसे ही चिकना तो था ही, तो बड़े आराम से फिर मेरी चूत में उतर गया और उसने वहीं मुझे चोदना शुरू कर दिया।
एक हाथ से उसने मेरी कमर पकड़ रखी थी और दूसरे हाथ से दरवाजा पकड़ रखा था , जिसकी वजह से मै दरवाजा भी बंद नहीं कर पा रही थी।
रूबी ने नैपकिन ले लिया था पर वहीं खड़ी थी। मेरा मुंह खुला का खुला था और आंहे मै बाहर नहीं आने दे रही थी और सहन कर रही थी।
राहुल पर गुस्सा भी आ रहा था। उसको रोमांच सूझ रहा था और मै शर्मिंदा हो रही थी। मेरे बड़े बच्चे को लगा मै लुका छिपी खेल रही हूँ इसलिए दरवाजे के बाहर मुंह निकाले देख रही हूँ.
मेरे मासूम बच्चे को क्या पता कि मै उस वक्त अपने आशिक से चूद रही थी। मैंने मुंह अंदर लिया और दरवाजा बंद करने की कोशिश की पर राहुल की ताकत के आगे मै बंद नहीं कर पायी।
कुछ सेकण्ड इसी तरह चोदने के बाद ही उसने मुझे दरवाजा बंद करने दिया। मै अब बंद दरवाजे पर दोनो हाथ टिकाये झुक कर खड़ी थी और मेरे पीछे से राहुल मुझे चोद रहा था।
वो बहूत देर तक ऐसे ही मुझे चोदता रहा और मै जड़ गयी पर राहुल तो जड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था, पता नहीं क्या खाकर आया था आज वो.
मैं इस तरह झुककर खड़े थक चुकी थी और मैंने उसको लेट कर चोदने को कहा. उसने मुझे चोदना छोड़ा और मै सीधा खड़ी हुयी.
आखिरी कहानी के अगले आखिरी एपिसोड में पढ़िए कि मेरा क्या अंजाम होगा कुछ सच से पर्दा भी उठेगा।
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