Majboot Rishte – Episode 1


नमस्कार दोस्तो मैं वेदिता, देसी कहानी के पाठकों के लिए लेकर आई हूं अपनी पहली सेक्स स्टोरी । (किसी भी भूल चुक के लिए कृपया मुझे माफ़ करे और कहानी का आनंद लें,धन्यवाद)।
कहानी पूर्ण रुप से फंतासी है, इसीलिए अपनी छवि को किरदारों से बदलकर कहानी का आनंद लेंवे, और मुझे कहानी के बारे में अपने विचार संदेश में भेजे।
कहानी के किरदार कुछ इस प्रकार हैं।
राज सोनी – परिवार के मुखिया (51 वर्ष)
शिविका सोनी – राज की बेटी (24 वर्ष)
कार्तिक – शिविका का दोस्त। (27 वर्ष)
राज की कद काठी खिलाड़ियों के सामन।
हस्ट पुस्ट, एक सफल व्यवसाई। अपनी उम्र से 20 साल छोटा ही दिखता है।
शिविका एक सुंदर और होशियार कन्या है, उसके शरीर का हर अंग किसीको भी आकर्षित करने में निपुड है। राज के परिवार में 6 सदस्य है। उसकी दो बीवियां- प्रीति और ज्योति, एक बेटा और दो बेटियां। चलिए कहानी को शुरू करते है।
(राज के नजरिए से)
शाम के चार बज चुके थे, रविवार था जिसकी वजह से मैं आज घर पर ही था, दिल्ली के पॉश इलाकों में होने के कारण गर्मी ज्यादा ही महेसूस होने लगी थी, अप्रैल महीने के अंत में ऐसी गरमी होना लाजमी है।
ड्रॉइंग रूम का ए-सी बड़ा है इसीलिए शिविका भी मेरे साथ कमरे में थी, मै लैपटॉप पर प्रोजेक्ट पर लगा था, तभी मैने शिविका से कहा कि मेरा प्रोजेक्ट चलने में दिक्कत दे रहा है उसे सही करके दे, अब शिवी से काम कराना हो तो 2 बाते पहले उसकी मानो फिर कुछ हो।
उसके कहने से पहले मैंने ही हामी भर दी, (अब बाप होने के नाते बचपन से ही लाड़ प्यार में अपनी दोनों बच्चियों की सारी बातें मानता हूं।) वो हस्ते हुए आई और बोली कि आप अपना वायदा तो नहीं भूलोगे, मैने भी पूछा कि ऐसा क्या है जो मै नहीं करूंगा।
अब मुझे क्या पता था कि वो मुझसे डेट पर जाने की परमिशन मांग बैठेगी, बाद में जब उसने मेरा काम कर दिया फिर थोड़ी देर में मुझसे हाँ करवा ही ली अब पछताने से भी कोई फायदा तो था नहीं।
सो मैने पूछा कौन है जिसके साथ आज जा रही हो उसने बाद में बताने को कहा, बात ऐसी है कि बच्चे बड़े हो गए।
खुद अपने पैरो पर खड़े है सो मुझे तो कोई दिक्कत नहीं, वैसे भी शिवी 3 साल कनाडा में रहके आ चुकी, और मुझे अपने तीनों बच्चो पर विश्वास है।
साढे सात बजे शिविका के प्रोमिस के हिसाब से मुझे उसे डेट पर छोड़ने जाना था, उसने मुझे पार्टी के कपड़े पहन के आने को कहा।
फिर मैने अपने कमरे में जा कर कैसुल पार्टीवियर सूट पैंट पहने और बाहर आया, शिवी सोफे पर बैठ कर चेट कर रही थी, मुझे देख के बोली – पापा डेट के लिए कोई स्पॉट फिक्स नहीं हो पा रहा आप हेल्प कीजिए।
मैने उसे एक नए पब के बारे में बताया, वहां का मालिक मेरा दोस्त(पार्टनर) है, सो सीट भी मिल जाएगी और मेरा भी उनसे मिलना हो जाएगा।
शिवी तैयार हो कर आई, उसने ब्लैक कलर की नी-लेंथ गाऊन पहनी थी, बिल्कुल करीना कपूर लग रही थी, मेरे मुंह से खूब तारीफे बटोर ली उसने, और खुश भी बहुत थी, फिर अपने मेंशन से निकलने बाद, सीधे 8:00 बजे हम अपनी जैगुआर (कार) से सीधे पब के आंगे रुके।
वहीं हमें शिवी का डेट (कार्तिक) मिला और बो दोनों साथ में चले गए, मैं भी मैनेजर के ऑफिस मिलने पहुचा।
मैनेजर के ऑफिस में जाकर उसे मिलने के बाद हमारा भी प्रोग्राम शुरू हुआ, उसका ऑफिस पब के ऊपर ही था, हम 6-7 ऑफिस मेंबर्स कि मीटिंग थी। दारू, वोदका, नाश्ता सब का इंतेजाम था और शबाब का भी।
शहर कि टॉप क्लास कि कॉल गर्ल का नाइट शो जो था, अभी 32 साल की होगी, पर अदाएं 22 साल की थी । हम उसके वी।वी।आई।पी क्लाइंट जो थे और सबसे पुराने भी।
(अब इस सब का प्लान मैने शाम को ही फिक्स कर लिया था, दोस्तो ने मुझे ही सारा इंतजाम करने के लिए कहा था।)
उसका नाम श्वेता था, हम सब उसे स्वीटी कहा करते है, उसका बदन ठन्डे से ठन्डे इंसान का ओजार गरम करने के लिए आग का काम करता था।
स्वीटी ने अपनी एंट्री धमाकेदार गाने के साथ की, ऑफिस की लाल लाइट में उसकी गोरी त्वचा पर चांदी सी साड़ी अलग ही कयामत ढा रही थी। पीछे उसके 2 और लड़कियां साथ दे रही थी।
स्वीटी मेरे और मेहरा (पब का मैनेजर) के साथ अलग सेवाएं देने के लिए तैयार गई। सो हमने अलग कमरे में जा कर खूब मज़े करे।
(घर पर ज्योति के ना होने के बाद आज ऐसा मौका मैं हाथ से नहीं जाने देना चाहता था, स्वीटी के साथ पिछले 6 सालो से जुड़ा हुआ था, दो बीवियों के वाबजूद मेरी तड़प ज्यदा थी जो स्वीटी निकाल देती थी।)।
स्वीटी नाचते नाचते अध नग्न तो हो ही चुकी थी उसकी 34 की कमर पर सिल्वर शॉर्ट्स और छाती पर दो बड़े बड़े रस भरे हुई मौसमियां जिसको मैने गोद में लेके छेड़ना शुरू किया और मेहरा उसकी स्त्री योनि पर उल्टा होके पागलों की तरह रस निकाल रहा था।
स्वीटी मेरा लिंग मुंह में दे कर मुझे ऊपर की ओर देखने लगी मैं अभी भी ट्राउजर में था, स्वीटी का शॉर्ट्स खुटनो पर था वो पलंग के बीच में लेटी थी।
मेहरा चड्डी में पलंग के दूसरे कोने में मज़े कर रहा था मैं यहां स्वीटी ऊपर, स्वीटी के स्तन मुझे बहुत लजीज लग रहे हैं, ऊपर से उसके ओठों पर मेहरून लिपस्टिक आकर्षित लग रही थी।
मेरी आंखो में स्वीटी ने नजर मिलाई, मेरे नाग रूपी लंड पर उसके ओठों का घिर्षण मुझे अलग ही आनंद दे रहा था, उसका थूक मेरे साडे सात इंच लंड पर शहेद की तरह बहे रहा था।
स्वीटी बीच में राज राज का नाम ले रही थी जो अत्यन्त उन्मादक लग रही थी, मेरी शरीर पर उसका नशा चरम सीमा पर था, मैं उसके स्तन के निपल पर च्यूंटी काट रहा था।
जिससे उसने मेरे लंड को ओठों से कस के पकड़े रखा, और छाती को छुड़ाने के कोशिश करने लगी, उसके हिलने से मेरा लंड उसके मुंह में गोल गोल घूमने लगा, साथ ही मेहरा ने उसके शरीर पर ओठों के निशान छाप दिए।
स्वीटी अब मेरे लंड से चुदने के लिए तैयार हुई, मैं ने अपना मुंह पहले उसकी चूत पर रखा, जीभ से चूत में प्रवेश किया, उसकी योनि मेहरा के वीर्य से भरी हुई थी।
तभी उसने अपना हाथ नीचे लेजा कर दो उंगलियों पर रस को निकाल कर ऊपर अपने ओठों से चूसने लगी उसकी ये मादक कलाएं मुझे बहुत ही उतेजित करती थी।
इसी बीच मेहरा साहब बाहर गए (2 घंटे कब बीते पता ही नहीं चला, रात 10:45, मेहरा को जाना पड़ा), चूत को चरमसिमा तक उटेजित किया।
फिर स्वीटी और मैने बेड पर घुड़सवारी के मज़े लिए, स्वीटी चूत को लंड पर सिकोड़ के बिल्कुल टाईट करके मुझे झुक कर स्तनों का आनंद दे रही थी उसके बाल उसके चहेरे को ढके थे।
मैने उसके स्तनों के रस को मुंह से निचोड़कर लाल करके ही छोड़ा, स्वीटी ने मुस्कान मारी और मुझे चुम्बन दिया, मेरा वीर्य स्वीटी की चूत की दीवारों में लिप्त सा था जो कभी भी झड़ सकता था।
कमरे के बन्द दरवाजों में सिर्फ हमारी जांघो की थपा थप की आवाजे आर रही थी, उसके स्तनों का ऊपर नीचे होना, मेरा उसके बालो को पकड़ के चोदना अलग ही सुंदर दृश्य प्रतीत हो रहा था।
लंड की दीवानी स्वीटी ने मुझे अब अपनी गांड़ सवारी के लिए मनाया, मैने थूक से उसकी गान्ड कि उंगलियों से चिकनी कि और उसने मेरे लौंडे को मुंह से निकला।
मैने एक झ्टके में सीधे गांड़ में घुसेड़ दिया, पूरे 25 धक्के मारकर गांड़ में ही झड गया। स्वीटी अपनी गांड़ सिर्फ मुझसे ही मरवाती थी।
अब वो थक चुकी थी, और मैने उसकी गान्ड को चाटो से लाल करने के बाद उसके साथ कुछ सेल्फिया खीची, और कुछ ऐसे मेरी स्वीटी के साथ एक और हसीन रात सफलतापूर्वक ख़तम हुई।
रात 11:30 बजे स्वीटी एंड कंपनी की विदाई का टाइम आया, फिर मुझे शिवी की याद आयी, फोन चेक किया, 3 मिस्ड- कॉल।
मैने पब में जा के देखा शायद चली गई थी, (स्वीटी मेरे साथ आई, बाय कहा और ओठों से विदाई ले कर चिड़ाती हुई निकल गई)।
फिर हम सभी मित्रो ने कल मिलने कि हामी भरी, और सभी ने मुझे धन्यवाद भी कहा।
पब से निकलते निकलते मैने शिवी को फोन किया।
इसके बाद जानने के लिए मेरे साथ बने रहिए।
नोट – कहानी के बारे में क्या राय है मुझे संदेश करे, साथ ही कहानी लंबी होने कि वजह से अगले भाग को मैं जल्द ही प्रकाशित करूंगी, तो कृपया संयम रखे।
[email protected]

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