नमस्कार दोस्तों मेरा नाम रोहन है उम्र 21 कद 5ft 9 बदन गठीला है। मैं अपनी ग्रेजुएशन खत्म कर के दिल्ली आया हूँ, कोचिंग करने।
मुझे सेक्स करने का बहुत साल से मन है पर कभी हो नहीं पाया। कोई मिली तो जगह नही थी, जब जगह थी तब कोई नहीं था।
वो कहते है न इंतजार का फल मीठा होता है ना। पर मैंने कभी नही सोचा था की मैं अपने माँ की उम्र की औरत के साथ पहला सम्भोग करूँगा।
मै दिल्ली आया एक जगह पेइंग गेस्ट में रहने लगा। वह पेइंग गेस्ट एक बड़ी बिल्डिंग में थी, उसमे स्टूडेंट ही रहते थे। उस बिल्डिंग में एक चौकीदार, उसकी पत्नी और उसका बेटा रहता था। उसका बेटा मेरे से 2-3 साल बडा होगा और एक बेटा था जिसकी शादी हो चुकी थी।
वह लोग मध्यप्रदेश के एक गाँव के रहने वाले थे। वो औरत का नाम सरिता था गोरी थी, चेहरे में हलकी झुर्रियां और आकृति 36-30-36 की होगी।
मै अकेले ही रहता था, मेरा एक रूम और किचन साथ में बाथरूम अलग था और मैं ग्राउंड फ्लोर में रहता था, और मेरे आस पास के सरे कमरे खली थे।
वे लोग ऊपर रहते थे। बिल्डिंग में कंस्ट्रक्शन चल ही रहा था इसलिए माकन मालिक नहीं आये थे, और चौकीदार को रखा था। मेरे ग्राउंड फ्लोर में दो बाथरूम थे, उनके मंजिल में बाथरूम नही बना था तो वे लोग ग्राउंड फ्लोर के ही बाथरूम यूज़ करते थे।
एक बार सुबह का टाइम था। आंटी बाथरूम में नहा रही थी तभी मैन गेट की घन्टी बजी तोह,आंटी को लगा उनके पति होंगे तो वो दरवाजा खोलने बाथरूम से निकली और मैं भी अपने रूम से निकला।
मैंने उन्हें देख लिया, उनका बदन भीगा हुआ था पेटीकोट भी भीगी हुई उनके स्तन पर चिपक गए थे उनका पेट की नाभि का आकर उनकी गीली पेटीकोट पे उभर गया था, बहुत सुन्दर नजारा था।
मैंने उनको देख के चेहरा घुमा लिया और वो मुझे बोली की ” गेट खोल दो”, मैंने गेट खोल दिया। वो वापस चले गयी फिर मै अपने कमरे में गया और उनको सोच के मन मचल गया।
मै सोचता था की काश कोई मिल जाये कब तक तड़पता रहूँगा ऐसे पर मैंने इनके साथ करने की नहीं सोचता था। समय गुजरता गया तो मेरी चौकीदार के पुरे परिवार से बनने लगी।
फिर वे लोग मुझे खाना खाने भी बुलाते थे। मुझे बेटा बेटा बोलती थी, और मै उनको सरिता आंटी।
उनको पैसे 4 हज़ार मिलते थे, जो बहुत कम थे तो मैं बोला “मेरे रूम में खना बना दो मैं आपको पैसे दे दूंगा ”
तो वो मान गयी। वो मेरे लिए खाना बनती थी और झाड़ू पोंछा भी लगा देती थी। मेरी वो दोस्त जैसे बन गयी थी। वो मेरे कपड़े भी धो देती थी।
मेरी नियत उनके प्रति बुरी नहीं थी पर जब भी वो झुक के पोंछा लगाती उनकी स्तन की दरार देख के मन मचलने लगता। उनके स्तन के पास एक तिल है जो उनके स्तन की खूबसूरती बढ़ा देता था।
एक दिन उन्होंने मुझे देखते हुए पकड़ लिया और झट से ढक ली। मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई। पर पता नहीं मेरी नजर हमेशा वह चली ही जाती थी। और मुझे सरिता आंटी 3 बार पकड़ चुकी थी।
सोचते रहता था रात में सिर्फ उनका तिल मेरे होश उड़ा सकता है तो पूरी नंगी स्तन मुझे तो पागल कर देगी।
अंत में भगवान ने मेरी सुन ले और ये हुआ मेरे साथ, मैं सुबह सुबह एक बाथरूम में नहा रहा था और तभी जोर से कुछ गिरने की आवाज़ आई बगल के बाथरूम से, मैं देखना चाहता था तो एक छेद मिल गया जिसमे देखा, सरिता आंटी थी और वो पेटीकोट पहनके ब्लाउज पहन रही थी।
मैंने उनके स्तनो को देखा उफ़ मैंने आज तक इतने सुन्दर स्तन नहीं देखे थे। कसम से हिलाने से मजबूर कर दिया था उनके स्तनो ने।
उसके कुछ घण्टे बाद सरिता आंटी आई खाना बनाने और झाड़ू लगाने लगी इस बार तो मैंने चेहरा ही नही हटाया उनके स्तनो के दरार से मुझे पता था आंटी आज ब्रा नही पहनी है तो आज का नजारा ज्यादा गहरा था।
मैं कोचिंग गया और जब रात को लौट तो आंटी डिनर बना रही थी मेरा। फिर मुझे परोसी खाना और खाना खाने के बाद मुझसे बात करने लगी।
हम लोग घर परिवार के बारे में बात किये और फिर मैं उनकी शादी के बारे में पूछा और बातो बातो में पूछ दिया की “अंकल प्यार करते हैं की नही और सम्भोग अभी भी करते हो या नहीं”
ये सब आंटी ने सब कुछ बता दिया “अंकल शराबी है तेरे” और बातों में उन्होंने बता भी दिया की 8 साल से सेक्स नही की है।
आंटी ने बताया की उनका बड़ा बेटा के जने क बाद अंकल शराबी हो गए। आंटी थोड़ी शांत हो गयी तो मैंने उनको गले से लगा लिया।
पता नही वो मुझे बहुत जोर से जकड ली उनको बहुत अच्छा लगा, उन्होंने बताया की किसी ने आज तक सीने से नहीं लगाया था, मैंने उनके माथे को चूम दिया और तभी उनके बेटे की आवाज़ आई तो अलग होक चली गयी।
मुझे लग रहा था की सरिता मुझसे आकर्षित हो गयी है। मैं कोचिंग गया फिर रात को आया तो देखा आंटी खाना बना रही थी।
मैंने आंटी की कमर पीछे पकड़ लिया पर इस बार आंटी ने मुझे सुना दिया “तेरी माँ की उम्र की हूँ तेरे जैसा एक बेटा ह मेरे और ये सब कर रहा है तू”।
मै चुपचाप बैठ गया फिर रोज की तरह आज भी डिनर के बात वो मुझे समझायी की “मुझे पता है तेरी उम्र वैसी है तू मेरी स्तनो को घूरता है एक दिन शादी होगी तोह ठीक होगा”
फिर मुझे वो गले से लगा ली और बोलने लगी “बुरा मत मान” जब अलग हो रहे थे तो मैंने उनका चेहरा पकड़ा और उनके होंठो को चूम दिया वो छुड़ाना चाहती थी पर मैंने नही हटाया होंठ और उनके बेटे की आवाज़ से वो छोड़ा के चली गयी।
दूसरे दिन सुबह आई तो मैं नजर नही मिला पा रहा था मैंने उनसे माफ़ी मांगी उस हरकत के लिए।
सुबह वो मेरे लिए खाना बना रही थी मैं कुर्सी में बैठ के पढाई कर रहा था शर्मिंदा हो कर तभी वो आई मेरे पास पीछे से मेरे कानो के पास बोली की “ये चुम्बन आज तक उन्होंने नहीं किया था किसी के साथ मैं सारी रात सो नही पाई, गांव की हु वहा ये सब नही होता”
फिर वो खाना बनाने लगी मैं उठ के उनको पीछे से पकड़ लिया पर इस बार वो मेरे तरफ मुड़ के गले से लगा ली जोर से मैं अपने हाँथ उनके चुतर के ऊपर रख दिया, और जैसे ही अलग हुए हम सरिता मुझे चूमना चाहती थी और आँखे बंद कर ली थी और मै सरिता आंटी को चूमने लगा आंटी को होंठ को चूमना नहीं आता था, तो मै ही चूसता था उनके होंठों को।
फिर मेरे और सरिता आंटी के बिच प्यार जन्म लेने लगा। मै समझ गया था गाँव और पुराने ख़यालात वाले समाज में औरत को बस बच्चे पैदा करने के लिए ही प्रेरित किया जाता है, उनको वो प्यार आज मेरे से मिल रहा है।
सरिता आंटी को बस अब सरिता बुलाने लगा था मैं। हम दोनों को प्यार हो गया था। वो मेरा पत्नी की तरह ख्याल रखने लगी थी। हम दोनों एक दूसरे को चूमने के अलावा कुछ और हरकत नहीं करते थे।
सरिता के लिए गिफ्ट में काजल लिपस्टिक ब्रा पैंटी और एक नाइटी ऑनलाइन मंगवा दिया था। वो काजल लिपिस्टिक ले ली पर कपडे लेने से मना कर दिया बोली की “कभी और पेहेन के दिखाउंगी”। मैं सरिता के साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहता था।
दीवाली के समय में घर नहीं गया था। तो मैंने उनको दीवाली में साड़ी गिफ्ट में दी, बहुत ही ज़्यादा खुश थी। मेरी एक हफ्ते की छुट्टी थी, तो मैं दिन भर अपने कमरे में रहता था। दीवाली के उस सप्ताह से सरिता मेरे और करीब आने लगी।
एक दिन मैं किचन में कुछ बना रहा था तो पहली बार उसने मुझे पीछे से जकड लिया और गले को चूमने लगी। मैं उसकी तरफ मुड़ा और उसको पागलो की तरह चूमने लगा वो भी पागलो की तरह होंठो को चूस रही थी, आज पहली बार मैंने थोड़ी आगे बढ़ने की सोची और उनके साड़ी के अंदर उनके गांड में हाँथ रख दिया, और दबाने लगा, क्या चिकने चुतर थे उनके कसम से सरिता जोर से जकड़ के चूमने लगी। किसी की आवाज सुनके हम अलग हो गए।
सरिता फिर चली गयी, और उस दिन के बाद से दोपहर का समय भी मेरे साथ बिताने लगी हम लोग बाते करते थे बैठ के और बिच बिच में चूम लेते थे।
उनका बेटा दुकान में काम करता था तो रात को आता था और उनके पति कंस्ट्रक्शन का काम देखते थे। एक दिन दोपहर में आंटी और मैं जमीन में गद्दे में लेट के बात कर रहे थे।
तो मैंने उनको पोर्न मूवी दिखाई रोमांटिक वाली वो पहली बार देखी, सरितक मूड भी वैसा कुछ हो गया था।
मैं बैठा था तो सरिता मेरे तरफ मुह करके मेरी गोदी में बैठ गयी और सरिता चूमने लगी। सरिता पहली बार अपना पल्लू खुद गिराई और मैंने खूब चूमा उसको स्तनो के दरार को गले को।
इसी बिच मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैंने निकल के दिखाया और उनको पकड़ा दिया। सरिता उसको पकड़ के हिलाने लगी फिर मैंने उनको चूसने को बोला पहले मना की पर जैसे ही मुह में डाली वो चूसते रही और मैं झड़ गया।
उसके आँखों में मेरे लिए बहुत प्यार दिखता था। हम दोनों को मौका नहीं मिल रहा था। मैं उनको लण्ड की शांति के लिए नही बल्कि पुरे यादगार तरीके से चोदना चाहता था।
दीवाली की शाम की आंटी को देखा, आंटी मेरी साड़ी पहनी थी कमाल लग रही थी। पिंक कलर की साड़ी सर पे ओढ़नी, बिंदी, काजल, लिपस्टिक में पुरी देसी नारी।
पूजा के लिए मुझे बुलाई उसके बाद मेरे कमरे में आये दोनों, आंटी ने पहली बार कहा “तेरे से प्रेम हो गया है” मैं उनको बोला “मुझे भी ” और होंठो को चूम दिया उस शाम पहली बार उन्होंने मेरा हाँथ लेकर अपनी चूत क अंदर डाल दिया मैं रगड़ने लगा उनकी चूत को ऊँगली से चोद के और उनको चूमते हुए उनको झाड़ा दिया।
मुझे पता था दोनों में अब बहुत ज्यादा तड़प है पर मौका ढूंढ़ रहा था। दूसरे दिन सुबह सरिता मेरे पास आई और मुझसे पैंटी, ब्रा और साथ में नाइटी भी मांगी जो मैंने उनके लिए मंगाई थी।
फिर वो नहा के डायरेक्ट मेरे कमरे में आई क्या नजारा था, सरिता के बाल गीले आंटी छोटी सी लाल रंग की सेक्सी नाइटी में बवाल लग रही थी शर्मा रही थी उनकी गोरी जंग को छुपाने की कोशिश कर रही थी।
वो बोली की देख ले आज मुझे मैं देखता रह गया, फिर जल्दी से बाथरूम चली गयी साड़ी पहनने और उधर से अपने कमरे चली गयी। फिर कुछ देर में आई खाना बनाने।
वो बोली “तू मेरा मर्द होता तो मेरे लिए खूब कपडे ले देता”
मैंने भी बोल दिया “मर्द बना ले आज” वो मेरे को देखने लगी और बोली “आज रात में आऊँगी तेरी पत्नी बनने”।
मैं कोचिंग गया कंडोम लेके आया और रात को सरिता आई मैंने देखा की सरिता मेरे गिफ्ट की साड़ी पहनी है, और काजल और लिपस्टिक लगाया था। सुंदर दिख रही थी, वो खाना बनाने लगी मैं उनकी तड़प ही बढ़ा रहा था कभी कमर सेहलके कभी पीठ को चूम के।
आंटी ने मुझे बोला की अपने परिवार को खाना “खिला के आती हूँ” और बहाना बनायीं की मेरी तबियत ख़राब ह तो मेरे पास रहेंगी। वो आई तो बचे हुए बर्तन धोने लगी।
मैं उनके पास गया और फिर उनको छेड़ने लगा। कमर में चकौती काट देता तोह कभी पीठ को चूम देता। फिर वो काम खत्म कर के मुझे जोर से सीने से लगा ली.
मैंने उसकी लिपस्टिक से उनकी मांग भर दी और बोला “अब मै भी आपका पति”
फिर मैंने घूँघट को गिरा दिया और उनको चूमने लगा,उनके होंठ गुलाबी मेरे होंठो के साथ खेलने लगे। सरिता अपने आप को मेरे हवाले कर चुकी थी। वह मुझे गले से लगा के चूम रही थी।
मैं पहले उसकी कमर को पकड़ के चूम रहा था फिर उनकी कमर सहलाते हुए पीछे से पैंटी में हाँथ डाल के चिकनी गांड को सहलाने लगा।
फिर उठा के किचन की स्लैब में बैठा दिया और चूमने लगा उनको प्यार से गालो को चूमा फिर उनके होंठो को, फिर उनके गले को चूमने लगा उनके गले में हलकी सी झुर्रियां थी, फिर उनका पल्लू हटाया और उनकी दूध की दरार दिखने लगी और उनका तिल दिखने लगा फिर मैंने उनकी पैंटी में हाँथ घुसा के ऊँगली करने लगा।
मैंने उनको तड़पने के लिए उनकी पेटीकोट को उठाया और उनकी पेटीकोट में घुस गया और उनकी चूत को पैंटी के ऊपर से जइब से छेड़ने लगा।
सरिता बहूत तड़प रही थी मैंने उनकी होंठों को चूमा तोह पगलो की तरह चूम रही थी। वो गीली हो चुकी थी मैंने ऊँगली डाल डाल के गीली कर दिया था।
फिर मैंने उनकी ब्लाउज का हुक खोला और साथ में उनके बाल खोल दिए, ब्लाउज उतरने के बाद, मेरी गिफ्ट की स्टाइलिश ब्रा भी उतार दी।
उसके दूध गोरे ताने भूरे निप्पल मुझे पागल बना रहे थे मैं उनको दबा के चूसने लगा चूमने लगा वो हलके से “आह आह “की आहे भरने लगी फिर मैंने उनकी कमर से पैंटी और पेटीकोट को साथ में पकड़ के निचे खीच के उतार दिया।
उसके बाद क्या दृश्य था, काजल भरी आँखों में तड़प खुले बालो में, माँग में लिपस्टिक का सिन्दूर, होंठ लाल हांथो और पैरो में गोदना गुदा हुआ, दूध गोरे हलके से भार से झूले, पेट में हलकी झुर्रियां और बालो से ढकी चूत, मुझे पुकार रहे थे, प्यार करने के लिए।
मैंने सरिता को चुतर पकड़ के उठाया उसके बाल मेरे चेहरे पे मुझे चूमने लगी और जमीन में पड़े गद्दे में लेटा दिया।
मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था की एक गांव की, मेरे माँ से भी बड़ी औरत मेरी पहली गर्लफ्रेंड बनेगी और मेरी पत्नी भी, उसके साथ मै यह सब करूँगा।
वो मुझे तड़प की निगाहो से देख रही थी और अपने अंगो को छुपाने की कोशिश कर रही थी।मैंने अपने सरे कपडे उतार दिए और कमरे की लाइट बंद कर दी पर एक मोमबत्ती जला दी, माहौल रोमांटिक सा था।
मैं उसके एक एक हांथो को अपने हांथो को जकड लिया और उनके ऊपर बैठ के चूमने लगा।
फिर चूमते हुए उनकी दूध को चूसा और निप्पल को दांतो से काटा। जब मैंने पेट को चूमना सुरु किया तब वो जादा ही पागल हो गयी थी।नाभि में जीभ को घुसा दिया और धीरे से उनकी चूत के पास पंहुचा और टंगे खोल दी उनकी चूत के बालो में हलकी से मोगरे की खुसबू आ रही थी.
वो बोली “तुम्हारे लिए फूल को रगड़ी थी”
मैंने उनकी चूत को जुबान से चाटने लगा और जुबान से चोदने लगा, सरिता मेरे बालो को सहलाने लगी और आहे भरने लगी।
मैं घुटने मोड़ के बैठ गया और अपने लण्ड में कंडोम पहना और उनके पैरो को ऐसे खीचा की मेरे गोद में आ गयी और मेरा लण्ड उनकी चूत में।
वो इतने जोर से तड़पी की उसने मेरे छाती को काट ली। मैं उनको उछालने लगा सरिता मुझे चूम चूम के चुदने लगी। मुझे लग रहा था की मैं कोई बुद्धि नही कोई जवान को चोद रहा हूँ।
उनका चेहरा देख के तो ऐसा लग रहा था की सरिता का आज कौमार्य भंग हुआ है।आँखे बंद कर के वो धीमी आवाज में आहे भर रही थी।
फिर मैंने उनको घोड़ी बना दिया और जोर जोर से चोदने लगा। उस वक़्त उनकी आवाज जोर जोर से आने लगी। कमरे में अलग ही माहौल था, मोमबत्ती की रौशनी, पायल और चूड़ी की छनक और खनक, घप घप की आवाज़, और सरिता की धीमी आहे।
सर्दी वाली रात में हम एक दूसरे की गर्मी का आनंद ले रहे थे। सरिता काफी थक गयी थी। फिर मैंने सरिता को लेटा दिया और उसकी टंगे फैलाई और हमारे देसी स्टाइल मे धीरे धीरे चोदने लगा।
सरिता झड़ चुकी थी पर मैं अभी नही झड़ा था। सरिता मुझे चुमते चूमते चुद रही थी और बाद में मैं भी चूत क अंदर कंडोम में झड़ गया। फिर वो मेरे बहो में आ गयी और हम चूमते चूमते सो गए।
सुबह 4 बजे ही उठ गए दोनों, वो अपने कमरे में जाना चाहती थी, पर मैंने रोक लिया। ठण्ड के समय में सुबह का हाल बुरा होता है और सरिता थी साथ में तो मैंने सरिता को कास के बहो में भर लिया और चूमने लगा और टांग फैला के फिर लंड को डाला और जोर जोर से चोदने लगा, सुबह भी दो बार चुदाई कर दी मैंने।
सरिता मेरे बाहो में थी नंगी मुझे प्यार कर रही थी और आंसू आ गए उसके आँखों में और बोली “भगवान से दुआ करुँगी की तू ही मेरा पति बने” ये बात मेरे दिल को छु गयी।
फिर हमारा प्यार दो महीनो तक चला। इसी बिच मैंने 9 बार चुदाई की उनके साथ कभी सीढ़ियों में, कभी बाथरूम में कभी छत पर। फिर माकन मालिक आ गए और उनको जाना पड़ा वापस।
जाने से पहले आई थी बेचारी रोने लगी थी।खूब रोई और बोली की” मारने से पहले तुम मिले और प्रेम भी कर ली दुआ करूंगी की अगले जनम में मैँ तेरी औरत बनु”।
उनको मुझे चुदने से ज्यादा मेरे होँठो को चूमना पसंद था। जाने की एक रात पहले चुपके से आई थी और 2 घण्टे रो रो कर चूम रही थी मेरे होंठो को। वो चली गयी, हमेशा मुझसे दूर।