Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 20


अब आगे की कहानी – मैं आश्चर्य से स्तंभित सी हो गयी। क्या नीना का मतलब वही था जो मैंने सूना और समझा था? नीना जैसे मेरे भावों और मेरी आतंरिक मनोदशा को पढ़ रही थी। उसने कहा, “तुमने सही सूना और सही समझा। मैं यह कह रही हूँ की हमें हमारे पतियों की अदलाबदली करने के विचार को अस्वीकार नहीं करना चाहिए।“
मैंने हिचकिचाते हुए पूछा, :”नीना मैं तुम्हें दीदी कहूँ तो गलत न होगा. आप ही बताओ हम क्या करें?”
तब नीना ने मेरे और करीब आकर मेरे कानों में कुछ ऐसी बातें कहीं जिसे सुनकर मैं आश्चर्यचकित तो हुई, पर बात नीना की सटीक थी। मेरे पास उससे सहमत होने के अलावा और कोई चारा ही न था। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
नीना के जाने के बाद मैं कुछ तनाव में थी तो कुछ हद तक तनाव मुक्त भी थी। अब मुझे नीना और मेरे पति के बिच क्या हुआ था और क्या होगा उसकी चिंता नहीं रही थी। पर मैं मेरे और राज के बिच क्या होगा उसके तनाव में उलझी हुई थी।
मेरे लिए नीना वास्तव में एक सच्ची दोस्त और शुभचिंतक साबित हुई थी। दूसरी और मुझे उसकी वास्तविक दुनियादारी सूझ बुझ के प्रति सन्मान हुआ।
शामको अनिल जब आये तब तक मैं बिलकुल तनाव मुक्त थी। मैंने हंसकर अनिल से काफी बातचीत की और उसे यह अहसास दिलाने की कोशिश की की मैं उससे नाराज नहीं थी। अनिल भी खुश नजर आ रहे थे। रात को सोने से पहले मैंने अच्छी तैयारी की। मैंने मेरे पॉंवो के बीचमें से मेरी चूत पर से सारे बालोंकी सफाई की जैसा की अनिल को पसंद था। और अनिल की मन पसंद नाइटी पहन कर अनिल का इंतजार करने लगी।
उस रात मैंने कोशिश की की अनिल मेरे साथ सहजता अनुभव करे। जैसा की नीना दीदी ने बताया था, मैंने सबसे पहले अनिल को अपनी बाहों में लिया और धीरेसे उसके कानों में बोली, “डार्लिंग मुझे माफ़ कर दो? मैं उस दिन थोड़ी ज्यादा ही अकड़ गयी थी।”
मेरी बात सुनकर अनिल थोड़े मुस्कुराये और सकुचाते हुए बोले, “नहीं डार्लिंग मैं समझ सकता हूँ। मैं ऐसे ही मजाक कर रहा था।”
मैंने नीना की मार्गदर्शित बात को चालु रखते हुए अनिल की और घूम कर पति के सीने पर अपनी ठुड्डी (चिबुक) को रख कर पूछा, “डार्लिंग तुम उस दिन राज के बारे में क्या कह रहे थे? सच बताऊँ? जब तुम राज के बारें में बात कर रहे थे तब मैं अपने आपको गुनहगार अनुभव कर रही थी और इसी लिए मैं अपना आपा खो बैठी।”
राज ने मेरी और आश्चर्य से देखा और बोले, “गुनहगार, पर क्यों?”
तब मैंने कहा, “वह इसलिए की उस रात जब राज बाथरूम का नलका ठीक करने आये थे तब नलका टूटने से पानी के फव्वारे में हम दोनों ही भीग गए थे। मैंने अपने बदन पर वही पतली नाइटी पहनी थी और पुरे भीग जाने के कारण राज के सामने मैं जैसे पूरी नंगी दिख रही थी। वह मेरे नंगे बदन को घूर घूर कर ताक रहा था। मेरे स्तन और निप्पले खड़ी हुई थी। मेरी नाइटी मेरे पुरे बदन से चिपक कर पूरी तरह से पारदर्शी हो गयी थी। मैंने जब राज को देखा तो वह भी पूरा भीगा हुआ था और उसके पांवों के बिच उसका लन्ड खड़ा हो गया था। मैं बहुत उत्तेजित हो गयी थी। राज भी एकदम उन्माद में था। उस शाम को अगर राज ने थोड़ा सा भी आग्रह किया होता तो पता नहीं क्या हो जाता और आज मैं तुम्हें अपनी शक्ल दिखने के लायक न होती। मैं तुरंत वहां से भाग निकली। इसी कारण मैं अपने आप को गुनहगार अनुभव कर रही थी।”
तब अनिल ने मेरे स्तनों को प्यार से सहलाते हुए कहा, “डार्लिंग तुम्हें गुनहगार अनुभव करने की कोई जरुरत नहीं है। यह कोई भी स्त्री पुरुष के लिए स्वाभाविक है।”
फिर अनिल एकदम गंभीर से हो गए। उन्होंने मुझे अपने पास बिठाया और बोले, “देखो डार्लिंग, शादी के कुछ सालों बाद पति पत्नी में नवीनता ख़त्म हो जाती है। मैथुन में उत्सुकता, उत्कंठा और रहस्य नहीं रहता। तब फिर एक अलगता या नवीनता लाने की आवश्यकता होती है। अगर पति पत्नी में सम्पूर्ण विश्वास हो तो कुछ नवीनीकरण अथवा कुछ नया प्रयोग करने में कोई बुराई नहीं है। क्या मैंने गलत कहा?”
मैंने सहजता से ही जवाब दिया, “नहीं, बात तो आपकी सही है। पर नवीनीकरण से आपका मतलब क्या है?” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
तब अनिल ने कहा, “मेरा मतलब है मैथुन कार्य में विविधता। अथवा यूँ कहो की जिस व्यक्ति के साथ आपको वही पुरानी उत्तेजना का अनुभव हो जो पहली बार सेक्स करने से हुआ था अगर उसके साथ सहजता से सेक्स का अनुभव किया जाय तो उसे नवीनीकरण कह सकते है।”
मैंने फिर वही सवाल दुहराया, “क्या मतलब?”
अनिल ने जवाब दिया, “तुमने अभी अभी कहा की उस शाम को बाथरूम में राज के साथ खड़े हुए जब तुम दोनों भीग गए तो तुम और राज दोनों बड़े उत्तेजित अनुभव कर रहे थे। तुमने यह भी कहा की अगर राज उस समय कुछ कर बैठता, यानी अगर राज उस समय तुम्हारे कपडे निकाल कर अगर तुम्हें चोदने के लिए आग्रह करता तो तुम मना नहीं कर पाती क्योंकि तुम भी तो उत्तेजित थी। सही या गलत?”
इस बार मैं चुप रही। अनिल की बात तो सही थी। अनिल बोला, “तुम्हारा मौन ही तुम्हारी सहमति दर्शाता है। नवीनता से मेरा मतलब यह है की ऐसे समय में अगर तुमने राज के साथ सेक्स करने में सहमति दिखाई होती और राज से तुमने चुदवायी करवा ली होती वह तुम्हारे लिए नविन एवं अति उत्तेजक अनुभव होता और उसीको नवीनी करण कह सकते हैं।”
मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “पर यह गलत बात है। यह तो अपने पति के साथ धोका हुआ न?”
अनिल, “हाँ यदि पति या पत्नी से छुप कर करते हों तो। पर अगर पति पत्नी दोनों की मर्जी से यह होता है तो फिर धोखा कैसे? बोलो? क्या तुम मानती हो?”
मैं अपने पति की और देखने लगी। मैंने पूछा, “तो बताओ, तुम क्या चाहते हो?”
अनिल ने तुरंत लपक कर कहा, “क्या तुम हमारे जीवन में नवीनीकरण की इच्छा पूरी करोगी? मेरी इच्छा है की हम दोनों कुछ प्रयोग करते हैं, अगर तुम्हें मुझ पर पूरा विश्वास हो तो।”
मैंने अनिल की विशाल छाती में अपना मुंह रगड़ते हुए कहा, “मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। अब मैं तुमसे कोई दलील अथवा विरोध नहीं करुँगी। तुम मेरे लिए पति से भी अधिक एक दोस्त और शुभ चिंतक हो। तुम जैसा ठीक समझो ऐसा करो।”
अनिल ने कहा, “ऐसे नहीं, तुम यह कहो की तुम जो करोगी अपनी मर्जी से करोगी। दूसरी बात अपने आप को रोकोगी नहीं।”
मैंने अपनी मुंडी हिलाते हुए अनिल को “हाँ” कहा।
मुझे शत प्रतिशत पता नहीं था की मेरा पति नीना के साथ सो चुका था या नहीं। हालांकि नीना ने अश्पष्ट रूप से मुझे कह ही दिया था की उसने अपने आप को राज और अनिल दोनों को समर्पित कर दिया था। नीना के साथ बात में मैंने यह स्पष्टता से पूछना ठीक नहीं समझा की क्या वह मेरे पति के साथ सो चुकी थी या नहीं। । पर अनिल की बात तो सही थी। अगर अनिल ने नीना को चोदा भी था तो मुझे उसे धोकेबाज कहना को कोई हक़ नहीं था क्योंकि उसने मुझसे पहले से ही इजाजत ले रक्खी थी।
अनिल ने तुरन्त मेरे होंठ पर अपने होंठ रखे और मुझे एक घनिष्ठ चुम्बन किया और बोला, “अब मैं चाहता हूँ की अगर राज के साथ तुम्हें ऐसा दुबारा मौक़ा मिले तो तुम राज को और अपने आपको रोकोगी नहीं।”
मैं सोच में पड़ गई। अब मुझे समझ में आया की नीना मुझे सही कह रही थी। उसने मुझे कहा था की अनिल चाहता था मैं राज से करीबी बढाऊँ। नीना ने यह कहा था की मैं उसका विरोध न करूँ और उसको कहूँ की मुझे थोड़ा समय चाहिए।
तब मैंने हिचकिचाते हुए अनिल से कहा, “डार्लिंग, मैं थोड़ी नर्वस हो रही हूँ। मैं इतनी जल्दी बदल नहीं सकती। मुझे थोड़ा वक्त दो और थोड़ी धीरज रखो।”
मैंने यह क्या कह दिया, मेरे पति की जान में जैसे जान आगयी।
पहली बार मैंने अनिल के ऐसे विचारों का विरोध नहीं किया। सच पुछो तो राज के बारेमें मैं भी थोड़ा चिंतन कर रही थी और मैंने अनुभव किया की मैं भी तो राज से सेक्सुअली आकर्षित थी। पर मैं अपने आपको दोषी अनुभव कर रही थी। उस दिन मेरे पति ने मुझे उस दोष भाव से मुक्त कर दिया।
उस दिन उन्होंने मुझे यह एहसास दिलाया की मेरी भावनाओं का भी कोई वजूद है। मेरे मन में वास्तव में मेरे पति के प्रति और सम्मान और प्रेम और भी बढ़ गया। तब मैं यह सोचने लगी की वास्तव में ही मेरे पति यदि नीना को चोदना चाहते हैं तो मुझे उनको हतोत्साहित नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें इसमें सहायता करनी चाहिए। मुझे पता था की वह तो मेरे ही रहेंगे वह मुझे और मेरी बेटी को कभी नहीं छोड़ेंगे और राज नीना को नहीं छोड़ेंगे इसका मुझे पूरा यकीन था। दूसरे राज और अनिल हम पत्नियों की बड़ी इज्जत करते थे। वह हमारी बदनामी कैसे बर्दाश्त कभी नहीं होने देते। जब मैंने यह सब गहराई से सोचा तो फिर मैं एक आझाद पंछी की तरह महसूस करने लगी
मेरे पति अनिल ने मुझे अपनी बाहों में लेकर मेरे बदन के हर अंग अंग में चुम्बन करने लगे और ऐसे प्यार करने लगे जैसे वह मुझसे पहली बार प्यार कर रहें हो। इनका यह भाव देख कर मैं हैरान रह गयी। मेरा थोड़ी नरमी दिखने पर ही वह इतने कृतज्ञ अनुभव कर रहे थे। मैंने सोचा मैं अपने पति को ऐसे मौज करराउंगी की वह भी याद करेंगे।
मैंने उनसे कानोंमें फुसफुसाते हुए कहा, “एक बात कहूँ?” अनिल ने मेरी और देखा और बिना बोले अपना सर हिलाया।
मैंने कहा, “डार्लिंग सच बोलो, क्या तुम नीना से सेक्स करना नहीं चाहते? क्या तुम नीना की और कामुक भाव से आकर्षित नहीं हो ?”
मैंने देखा की मेरे पति के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी। उनके चेहरे के भाव देखकर मैं हंसकर उनका हाथ थाम कर बोली, “अरे यार, इतना परेशान क्यों हो रहे हो? मैं जानती हूँ की तुम नीना पर फ़िदा हो। वह वास्तव में बहुत सुन्दर और सेक्सी है तो अच्छी तो लगेगी ही। और वह भी तो तुमसे आकर्षित है। यह मुझे नीना ने खुद बताया है। मैं तो तुम्हें कहती हूँ की जाओ और उसे पटाओ और अपना झंडा गाड़ दो और किला फ़तेह करो। मैं एक बार नीना को तुमसे चुदती देखना चाहती हूँ। अगर तुमने यह कर लिया तो मैं तुम्हारी कोई भी बात मानने के लिए तैयार हूँ।”
मेरी यह बात नीना के प्लान के मुताबिक़ नहीं थी। पर उस समय मैंने भी जोश में मेरे पति की सबसे प्रबल ललक की पूर्ती करने की आझादी दे दी। और फिर अगर मेरा पति मुझे राज से चुदवाना चाहता था तो फिर नीना को क्यों छोड़ दिया जाये?
मेरी बात सुनकर अनिल का चेहरा खिल उठा। उसने मेरी नाइटी के बटन खोलना शुरू किया। वह धीरेसे बोला, “पर मैं चाहता हूँ की पहले मैं राज और तुम्हे करीब लाना चाहता हूँ। तुम विरोध तो नहीं करोगी न?”
मैं झिझकते हुए बोली, “मैंने तुम्हें कहा है न, मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। पर जो भी करो मुझे थोड़ा समय जरूर देना, प्लीज? एक बात और, जैसा की मैंने अभी आपसे कहा, अगर आप नीना को पटा लेते हो तो समझो मैं इसमें आपके साथ ही हूँ।”
उस रात अनिल इतना खुला हुआ था और मुझे उसने इतना प्यार दिया और उतने प्रेम से और मुझे सेक्स का भरपूर आनंद देते हुए चोदा की जैसे उसने पहले कभी नहीं चोदा था। उस रात मैं भी इतनी खुली हुई और आनंदित थी और मैं उसके लिए नीना की शुक्रगुजार थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
दूसरे दिन सुबह से ही बिजली गायब थी। अनिल ने बिजली ठीक करने के लिए बिजली के मीटर के पास जाकर बड़ी कोशिश की के उसे ठीक करे पर कुछ न हुआ। आखिर में उसने मुझे कहा की वह बिजली मिस्त्री को फ़ोन करेगा। जब अनिल ने फ़ोन किया तो पता चला की हमारे मोहल्ले का ट्रांसफार्मर जल गया था और दुरस्त होते होते शाम हो जाएगी।
ऑफिस पहुँच कर अनिल का फ़ोन आया की वह उस दिन शाम तीन दिन की टूर पर जा रहा था। मुझे कुछ खरीदारी करनी थी। हमारे घर से थोड़ी सी दूर हमारे एक पड़ोसि युगल को कोई बच्चा नहीं था। वह दोनों मेरी बेटी गुन्नू से बहुत प्यार करते थे। जब मौका मिलता वह गुन्नू को ले जाते और उसके साथ खेल करके उसे कुछ खाना खिलाके वापस दे जाते थे। गुन्नू भी उन्हें बहुत पसंद करती थी और अक्सर उनके वहां जानेके लिए तैयार रहती थी।
मैंने शामको गुन्नू को उन्हीं के वहाँ छोड़ा। और अनिल जब तैयार हो कर स्टेशन जाने के लिए निकले तो मैं भी अनिल के साथ टैक्सी में ही निकल पड़ी क्योंकि मुझे कुछ खरीदारी करनी थी। अनिल मुझे मार्किट में छोड़ कर स्टेशन के लिए निकल गए। शॉपिंग कर के मैं देर शाम को जब गुन्नू को पडोसी के वहाँ लेने के लिए गयी तो पता लगा की बिजली नहीं आयी थी।
घर पहुंचते ही थोड़ी देर में अँधेरा हो गया। मोमबत्ती के प्रकाश में ही मैंने खाना बनाया। रसोई से जब बाहर निकल कर बारामदे में आयी तो मैंने देखा की हमारे पड़ोसियों के वहां तो बिजली आ चुकी थी पर हमारे घर में अँधेरा था। तब तक शामके आठ बज चुके थे। मैंने जब बिजली मिस्त्री को फ़ोन किया तो पहले तो उसने फ़ोन उठाया ही नहीं फिर काफी देर फ़ोन कर ने के बाद जब एक बार उसने फ़ोन उठाया तो झल्लाकर कह दिया की वह व्यस्त था और उसने आने से मना कर दिया।
मैं बड़ी परेशान हो गयी। अब पूरी रात अकेले अँधेरे में गुजारना मेरे लिए असंभव सा था। रात को मुझे बहुत डर लगता था और हमेंशां मेरे पति के होते हुए भी मैं रसोई अथवा बाथरूम की लाइट चालु रख कर सोती थी। मुझे समझ में नहीं आया की मैं क्या करूँ। मैंने जब मेरे पति अनिल को मोबाइल पर फ़ोन किया तो वह पहुँच के बाहर था।
अब तो पूरी रात अँधेरे में ही गुजारनी थी। डर बहुत लग रहा था, पर क्या करती? मन तो किया की राज को बुलाऊँ। फिर सोचा हर वक्त राज को परेशान करना भी ठीक नहीं। दूसरे नीना भी सोचने लगेगी की कुछ भी हुआ तो हर बार मैं राज को ही क्यों बुला लेती हूँ? मनमें यह भी डर था की अगर इस बार ऐसा वैसा कुछ हुआ तो मैं राज को और अपने आप को भी रोक नहीं पाऊँगी।
मैंने मन मसोस कर अपना नाइट गाउन निकाला औरअंदर के सारे कपडे (ब्रा, पैंटी आदि) निकाल कर और बिस्तर लगाने लगी। अचानक फ़ोन की तेज घंटी बजी तो कुछ क्षणों के लिए मैं काँप उठी। मैंने सोचा,”इस वक्त कौन फ़ोन कर सकता है?”
मैंने फ़ोन उठाया तो राज फ़ोन पर थे। राज ने पूछा, “मुझे अनिल ने बताया था की तुम्हारे घरमें दिनभर बिजली नहीं आयी थी। तो अब क्या बिजली ठीक हो गयी?” मैंने कहा मैं अँधेरे बैठी थी।
राज ने पूछा, “फिर तुमने मुझे फ़ोन क्यों नहीं किया?” तो मैंने कहा की मैं उन को इतनी रात गए कष्ट देना नहीं चाहती थी।
तब राज ने मुझे एक तगड़ी लताड़ लगाते हुए कहा, “अनीता, मैं तुमसे बहुत नाराज हूँ। तुमने मुझे अपना नहीं समझा। तुम मुझे कष्ट न हो इस कारण अँधेरे में बैठी हो? मैं अब तुमसे और अनिल से बात नहीं करूँगा। अगर सम्बन्ध का मतलब यही होता है तो मेरे लिए इस सम्बन्ध की कोई आवश्यकता नहीं है।”
मैं समझ नहीं पा रही थी की उसे क्या जवाब दूँ। फिर राज ने मुझे अत्यंत धीरज से जब पूछा तो मैंने राज को सारा हाल बताया। एक और मैं राज को कष्ट देना नहीं चाहती थी तो दूसरी और मेरा मन राज को बुलाने पर अत्यंत व्याकुल था। मेरे मन में एक भयंकर द्वन्द चल रहा था। मैं एकदम दुखी और असहायता का अनुभव कर रही थी। राज की सहानुभूति के कारण मैं अपने आपको रोक नहीं पायी और शाम तक हुई मेरी कहानी राज को बताते बताते रोने लगी।
मेरी बात सुनकर राज बड़े दुखी हो गए। राज ने कहा, “तुम ज़रा भी परेशान मत हो। मैं अभी पहुंचता हूँ। नीना तीन दिन के लिए अपने मायके गयी है और मैं अभी कहीं खाना खाने के लिए बाहर जा रहा था।”
मैंने बड़ी राहत की सांस ली। मैंने राज को कहा की वह डिनर हमारे यहां कर सकता है, क्योंकि मेरे वहाँ खाना तैयार था। राज थोड़ी देर चुप रहा फिर उसने कहा की वह थोड़ी ही देर में आ जायेगा। राज मेरे घर करीब दस बजे ही पहुंचा। उसने जब छान बिन की तो सब कुछ ठीक लग रहा था। मैं रसोई में खाना गरम करने में लग गयी। उसको समझ में नहीं रहा था की क्या दिक्कत थी। जब उसे थोड़ी देर लगी तो मैंने कहा पहले खाना खालें फिर बिजली को देखते है।
गुन्नू उस समय सो चुकी थी। राज और मैंने खाना खाया। राज ने खड़े होते हुए कहा की शायद बिजली का फ्यूज ही शार्ट हो गया था, उसे चेक करनेकी जरुरत थी। राज मेन स्विच चालु करने गए और मैं बर्तन साफ़ कर सब ठीक करने लगी थी की मेरा पूरा घर जगमगाहट से चमकने लगा। बिजली आ चुकी थी। अँधेरे में से प्रकाश में आते समय जैसे आँखें चौन्धिया जाती हैं वैसे ही हुआ। अचानक एक धड़ाम सी आवाज आयी। मैं घबराकर दौड़ी। मैंने राज की चीख सुनी।
मैं दौड़ कर जब राज के पास पहुंची तो देखा की राज एक टेबल से टकरा कर फर्श पर निचे बेहोश होकर गिरे हुए थे। शायद उन्हें बिजली का झटका लगा हुआ था। मैंने उन्हें उठाने की कोशिश की पर वह बेहोशी में थे। मुझे समझ नहीं आया की मैं क्या करूँ। मैंने एक गिलास में पानी ले कर राज के मुंह पर छिड़का तो धीरे धीरे उनकी आँखें खुली। लगता था उन्हें काफी दर्द हो रहा था।
राज की आँखें ठीक से देख नहीं पा रही थी। मेरी और एक पलक देखा और शायद वह मुझे पहचान नहीं पाए और टूटे फूटे शब्दों में बड़बड़ाये, “नीना मुझे बिजली का झटका लगा है। मुझे बिस्तर पर लिटा दो।“ राज मुझे नीना समझ रहे थे। राज को ऐसा लग रहा था की वह अपने घर में ही थे।
मैं चुप रही। उस वक्त मैंने राज को यह कहकर परेशान करना ठीक नहीं समझा की मैं नीना नहीं अनीता थी। मैंने राज के कान में फुसफुसाते हुए पूछा, ” क्या मैं डॉक्टर को बुलाऊँ?” राज ने आँखें मूंद ली और अपना सर हिला कर मना कर दिया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
राज एकदम धीमे स्वर में बोले की वोह ठीक हो जाएंगे बस उन्हें थोड़ा सर दर्द हो रहा था। राज के मुंह से थोड़े थोड़े समय के बाद एक छोटी सी आह निकल जाती थी। मुझसे राज का दर्द देखा नहीं जारहा था। मेरे लिए राज ने कितना जोखिम उठाया था। मुझे बड़ा दुःख हुआ। मैं राज को हलके से घसीट कर, खींचकर बैडरूम में पलंग के पास ले आयी। पर उन्हें उठाना मेरे बस में नहीं था। राज तभी भी आधी तन्द्रा में ही थे। बैडरूम में अँधेरा था। मेरे पास मौका नहीं था की मैं लाइट जलाऊं।
मैंने राज को कहा, “राज थोड़ा सा उठो और पलंग पर लेट जाओ।” राज ने फिर धुंधलाती नजर में आँखें खोली। राज को उठाते हुए उनका मुंह मेरी छाती में दबा हुआ था। शायद राज कुछ देख नहीं पा रहे थे। मेरे स्तन राज के मुंह पर दबे रहने के कारण मेरे बदन में मैं एक अजीब सी सिहरन का अनुभव कर रही थी। मेरे रोँगटे खड़े हो गए थे। जैसे ही मैंने राज को थोड़ा उठाया तो वह भी थोड़ा जोर लगा करउठे और पलंग पर लेट गए। मैंने राज को रजाई में ढक दिया तब अचानक राज ने रजाई के अंदर से मेरा हाथ पकड़ा और बोले, “नीना डार्लिंग मेरे पास आ जाओ और मेरा सर दबा दो?”
मैं क्या करती? चुपचाप मैं रजाई के अंदर राज के साथ घुसी और राज का सर दबाने लगी। जैसे ही मैंने रजाई में अपने पाँव घुसाए की मेरी नाइटी मेरी जांघों के ऊपर तक चढ़ गयी। क्योंकि मैं दोनों हाथों से राज का सर दबा रही थी, मैं अपनी नाइटी को ठीक भी नहीं कर पायी। ऐसा करते हुए मुझे राज के साथ सिमट कर लेटना पड़ा। मेरा सारा बदन राज से चिपका हुआ था। उस समय भी मेरे स्तन राज के मुंह से चिपके हुए थे। जैसे ही मैं राज का सर दबाने लगी तब राज के मुंह से “आह” सी आवाज निकलने लगी। राज को अच्छा लग रहा था। अचानक मैंने अनुभव किया की राज ने अपना मुंह खोला और मेरी नाइटी के साथ ही मेरे एक स्तन को अपने मुंह में ले लिया और उसे पहले हलके से चबाया और फिर उसे चूमने लगा।
मेरे लिए अपने आप को नियत्रण में रखना नामुमकिन हो गया। मैं राज के मुंह में अपने स्तनों का अनुभव कर जैसे पगला सी गयी । मेरा रोम रोम रोमांचित हो उठा था। राज के इतने करीब होने से मैंने राज के लन्ड को मेरी चूत पर ठोकर मारते हुए महसूस किया। शायद राज मुझे नीना समझ कर उत्तेजित हो रहे थे। उनका लन्ड उनके पाजामें में एकदम खड़ा हो गया था। एक पल के लिए मैंने सोचा की मैं राज को जगाऊँ और कहूँ की मैं उनकी पत्नी नीना नहीं अनिल की पत्नी अनीता थी। पर पता नहीं क्यों मैं कुछ भी बोल नहीं पायी।
मेरी छाती और मेरे स्तन राज के मुख से सटे हुए थे। मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी जब मैंने देखा की राज अधखुली तन्द्रा में एकटक मेरे फले फुले हुए स्तनों को बिलकुल अपनी आखों के सामने लगभग स्पर्श करते हुए देख रहे थे। राज को शायद यह एहसास हो रहा था की वह उनकी पत्नी नीना के नहीं बल्कि मेरे स्तन थे। कभी वह मेरे स्तनों को तो कभी वो मुझे देख रहे थे। ऐसे लग रहा था जैसे वह मेरे स्तनों को छूने और चूमने के लिए मेरी इजाजत चाहते हों। मैं चाह रही थी की वह मेरे दोनों स्तनों को मेरी नाइटी हटाकर नंगा कर दे और पकडे और जोर से मसल दे और अपने मुंह में लेकर उन्हें चूसे और काटे।
मेरे मन में बड़ी अजीब सी चहल पहल हो रही थी। राज से इतनी करीबी के कारण मेरे मनमें एक अजीबो गरीब सिहरन हो रही थी। मेरी छाती तेजी से धड़क रही थी। राज से इतनी करीबी मुझे अज्ञात भावावेश के तरंगों में झूला रही थी। मेरे मन में ऐसे हलचल मची थी के शायद मैं चाहती थी की राज मुझे जबरदस्ती खिंच कर मुझे चुम्बन करे और मुझे अपनी विशाल छाती से लगाले।
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
मुझे ऐसा लगा जैसे राज कुछ कहने की कोशिश कर रहे थे । ठीक से सुनने के लिए, मैं झुककर उनके मुंह के पास अपने कान ले गयी। तब राज ने मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और मेरी ठुड्डी ऊपर उठाकर मेरी आँखों में गहराई से झाँकने लगे। राज की आँखों में वासना भरी प्यास नजर आ रही थी। मैं जानती थी की राज मेरे लिए बहुत तड़पते थे। मैं मेरी छाती में मशीन की तरह धड़कती हुई तेज धड़कनों को जैसे सुन रही थी। मेरी छाती इतनी तेज धड़क रही थी की शायद राज को भी मेरी धड़कन सुनाई पड़ रही थी। मैं राज की आँखों में आँखें डाल न सकी।
राज मुझे पाना चाहते थे। मुझे काफी पक्का अंदेशा था की उस समय मेरे पति शायद उनकी पत्नी नीना से शारीरिक सम्बन्ध बना चुके थे। मेरे पति ने भी बात बात में मुझे यह इंगित तो किया ही था। नीना ने खुद ने यह बात इशारों इशारों में मुझे कह दी थी। शायद राज को भी यह पता था। शायद राज को अनिल और नीना के शारीरिक सम्बन्ध से कोई आपत्ति नहीं थी। कई बातें ऐसी थी जिसका मुझे काफी अच्छा अंदेशा तो था पर मैं मेरे पास कोई ठोस प्रमाण नहीं था और ना ही मैंने उस पर ज्यादा विचार किया था।
आप सब मुझे प्लीज इस ईमेल पर अपनी टिपण्णी जरूर भेजें, [email protected]

शेयर
dedi kahanisuhagraat kitamil sexx storiesindiansex stories2maa beta sex story comdesi sexy gaandsexy komalamma magan otha kathaigalgaysex.comhot aunty tamil sex storiesmamiyar pundai kathaigalsexy teacher sex studentdad sex storiesdoctor tamil kamakathaikalmaa bete ki chudai ki kahaniya hindi metamil sx storydevar bhabhi sex storyindian bhai bahan sextrain main sexssex storiesdesi bahu commasoom bachi ki chudaiseduce bhabhiboor mai lundपजाबी सेकसchut chudai desibhabi with sextamil sex storesbirthday gift sexdesi office porndesi sex.pati patni ki suhagraatdesi gay blowjobmousi meaningtuition sexrandi didiamazing sex storiesodia hot gapakannada first night sex storiesdesi talemaa bete ki mast chudaisex partner in ahmedabadtamil new sex story combhai bhen storytamil amma magan kamamchudai ki story hindi meinsex letestsexy hot chudaicollage teacher sexindian hindi desibreastfeeding sex storiesrandimalayalam sexstories netnew hindi sexy storyhindi sex bhai bahanmeri jawanihome hindi sexgand sex kahanipunjabi family sextamil sex stories.sexy hindi khani commalayalam sex stories teachersavita kahaniindian sex with momsex kahaniyanbhabhi storegroup sex in officegujarati saxy storysexey storydesi sex storibhai se chudai ki kahanichut me aagsex with air hostagehindi sexy storisenew kannda sex storieshandi sexi storyantarvasna latest sex storieschut ki pyassbhabi chodahindi ki chudaisexi storyisex ki kahani newindian desi girlshemale sex femaleindian mummy sexbaap beti chudai kahani hindidesi kahnierotic stories of indiataujigaand sex