Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 18


राज ने कस के मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया। सकड़ी जगह में राज की और मेरी कमर जैसे ही एक दूसरे से सट गयी की उसका खड़ा कड़ा लन्ड मेरे पाँव के बिच टक्कर मारने लगा। तब मैं अपने आप को नियत्रण में रख सकने में असहाय पाने लगी और मैं इतनी डर गयी की एकदम वहाँ से भागी और बाहर निकल कर एक तौलिया बदन पर लपेट कर एक और तौलिया के साथ अनिल का एक जोड़ी कुर्ता पजामा राज के लिए मेरे हाथों में लेकर बाथरूम के बाहर ही खड़ी रही।
राज की वह प्यासी भूखी नजर मेरे ह्रदय को चिर गयी थी। मैं राज को दोषी कैसे मानूँ? मेरा हाल भी तो बेहतर नहीं था। राज का हाल देखकर मैं भी तो कामातुर हो रही थी। मेरा आधा मन मुझे उस पराये पुरुष की बाहोँ में जाने के लिए झकझोर रहा था और मेरा दिमाग वहाँ से दूर जाने के लिए कह रहा था। मैंने अपनी कामातुरता पर जैसे तैसे नियत्रण किया।
शायद मेरे बाहर की और भागने से राज को होश आया की वह क्या करने जा रहा था। वह अंदर ही अंदर अपने आपको गुनाहगार महसूस करने लगा होगा क्योंकि वह अपना मुंह बाहर निकाल कर मुझसे माफ़ी मांगने लगा। वह कहने लगा, “अनीता, प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैं बहक गया था। प्लीज मुझे माफ़ कर दो और अनिल से मत कहना।”
मैंने जवाब में अपनी हंसी रोकते हुए कहा, “चलो भाई, बाहर निकलो। मैं अनिल से यह सब बता कर अपने लिए थोड़े ही मुसीबत खड़ी करुँगी? क्या मैं तुम्हें तौलिया दे दूँ?” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
तब राज ने कहा की वह नलके को ठीक कर के ही फिर कपडे बदलेगा। थोड़ी ही देर में राज ने नलका ठीक किया। जैसे ही पानी का फव्वारा बंद हुआ, मैंने बाथरूम का दरवाजा खोला और राज को तौलिया दिया। राज ने मेरी और देखा तो उसका चेहरा देख कर कुछ क्षणों के लिए मुझे राज पर तरस आ गया। मैं उसके मन के हाल भली भाँती समझ पा रही थी। यदि उस समय मेरी जगह नीना होती और राज की जगह मेरा पति होता तो क्या होता यह मैं भली भाँती कल्पना कर सकती थी।
तब अनिल नीना को अपनी बाहों में ले लेता और नीना को उतना उकसाता, तर्क वितर्क करता और अपनी सारी शक्ति उस को मनाने में लगा देता। नीना अनिल की बांहों में आ ही जाती। आखिर में येनकेन प्रकारेण वह उसे चोदने के लिए राजी कर ही लेता और उसे चोदे बगैर छोड़ता नहीं। अनिल की स्त्रियों को ललचाने की क्षमता के बारे में मुझसे अधिक भला और कौन जानता था?
पर राज अनिल नहीं था। राज ने बाथरूम में ही अपने कपडे बदले और फिर बाहर आया। उस कुछ क्षणों की नाजुक अवस्था के बाद राज ने मुझसे और किसी भी तरह का अनुग्रह नहीं किया। मुझे ऐसा लगा जैसे वह सोच रहा था की मैं उसे पसंद नहीं करती और इसी लिए बाथरूम से भाग निकली। उसका चेहरा निराशा से घिरा हुआ था। मेरे मन में उसका चेहरा देख एक टीस सी उठी। मेरा मन तो करता था की मैं उसकी बाहोँ में लिपट जाऊं और उसे कहूँ की मैं भी उसकी तरह ही सेक्स की भूखी और प्यार की प्यासी हूँ। पर मैंने अपने आप को सम्हाला। उस समय यदि मैं थोड़ी सी भी डगमगा जाती तो उस रात मेरा राज से चुदना तय था। तब न मैं उसको रोक पाती न वह अपने आप पर नियत्रण कर पाता।
उस रात को मैं राज की इतनी कृतज्ञ हो गयी की नलका ठीक होने के बाद मैंने उसे बिना सोचे समझे कहा, “मैं इतनी रात गए आपको डिस्टर्ब करने के लिए माफी चाहती हूँ। आपने आकर यह नलका ठीक कर मुझ पर बड़ा उपकार किया है। पता नहीं मैं उसका ऋण कैसे चुका पाउंगी। राज प्लीज आपका मैं यदि कोई भी काम कर सकूँ तो वह मेरा सौभाग्य होगा। मुझसे बिना झिझक आप कुछ भी मांगिये गा। मैं पीछे नहीं हटूंगी।“
उस समय मैं शायद अपने गुप्त मन में चाहती थी की राज मुझे अपनी बाहों में जकड ले और मुझे छोड़े ही न। ऐसी हालात मैं अगर वह मुझको चोदने की इच्छा प्रगट करता तो मैं शायद मना नहीं कर पाती। बादमें मुझे बड़ा अफ़सोस होने लगा की मैं भी बड़ी बेवकूफ निकली की मैंने ऐसा वचन दे दिया। कहीं राज ने गलत सोच लिया होता और वह मुझसे कुछ ऐसी वैसी मांग करता तो मैं क्या जवाब देती? उस समय मेरा हाल ऐसा था की यदि राज कुछ भी कर लेता तो मैं विरोध न करती।
मेरी मनोदशा का यदि सही विश्लेषण करें तो पता नहीं पर कहीं न कहीं मुझे शायद मन ही मनमें यह भी अफ़सोस हुआ होगा की आखिर राज ने मुझसे सेक्स करनेका वचन उसी समय क्यों नहीं माँगा? यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
जब राज जाने लगा तब मैं उसके साथ साथ चली और चलते चलते जाने अनजाने (शायद जान बुझ कर) मेरे बूब्स उस की बाँहों से बार बार रगड़ने लगे। मैं जानती थी की राज बेचारा मेरे स्तनों का स्पर्श पाने के लिए कितना उत्सुक था। उसके लिए मैं उतना तो कर ही सकती थी। यदि उसकी जगह मेरा ठर्कु पति होता तो पता नहीं वह क्या नहीं करता। परंतु राज ने कुछ नहीं किया। तब मुझे ऐसा लगा की हर मर्द मेरे पति की तरह ठर्कु नहीं होता। मेरे मन में राज के प्रति सम्मान और विश्वश्नियता का भाव हुआ।
राज ने रुक कर कुछ खेद पूर्वक मुझे कहा, “इसमें उपकार की क्या बात है? यदि मेरे घर में ऐसे ही नलका खराब हुआ होता और यदि मेरी पत्नी नीना मुझे उसे ठीक करने के लिए कहती तो मेरे उस नलके को ठीक करने पर क्या वह मेरा शुक्रिया करती? अनिल ने मुझे एक बार कहा था की हम दो कपल एक ही हैं। उसने कहा था की वह नीना और तुम में कोई फर्क नहीं समझता। वैसे ही मैं भी तुम में और नीना में फर्क न समझूँ। वह चाहता है की तुम और नीना भी अनिल और मुझ में कोई फर्क न समझो। अगर यह बात सही है तो फिर उपकार की कोई बात ही नहीं है। ”
मैं सोच में पड़ गई। भई इस का क्या मतलब था? क्या मैं राज को अपना पति मान लूँ? क्या अनिल भी वैसा ही सोच रहा था? क्या मेरा पति अनिल, राज की पत्नी नीना को भी अपनी पत्नी समझ ले? क्या इसका मतलब यह था की मेरे और नीना हम दोनों के दो पति थे और राज और अनिल की हम दोनों पत्नियां? क्या मेरा पति अनिल और नीना का पति राज यही प्लानिंग कर रहे थे? क्या ऐसा कह कर राज मुझे यह सन्देश देना चाहता था की उस शाम मुझे बाथरूम में से नहीं भाग जाना चाहिए था? यह सोच कर मेरा माथा ठनका।
पर मुझे ऐसा लगा की शायद यह मेरे दिमाग का कीड़ा था। हमारे पति ऐसा नहीं सोच सकते। मैं अनिल को भली भांति जानती थी। वह तो मुझ पर हमेशा मालिकाना हक़ जताता था। उनका शायद कहने का मतलब यह होगा की हम एक दूसरे से इतने करीब हो गए थे की हमारा सम्बन्ध दोस्ती से भी बढ़ कर और करीब का निजी हो चुका था जिसका नाम देना मुश्किल था। शायद इसी कारण मुझे राज को आधी रात को बुलाने में कोई परेशानी नहीं हुयी और वह आ भी गया। और नीना ने भी अपने पति को किसी और की पत्नी से अकेले में आधी रात को मिलने के लिए इजाजत दे दी। यह सोच कर मैंने अपने आपको सांत्वना दी।
मैं उस समय की बातें सोचने लगी जब हमारी शादी हुई थी। हमारी शादी के बाद का समय मेरे लिए कोई स्वर्णिम युग से कम नहीं था। उन दिनों हम दोनों खूब चुदाई करते थे। अनिल का मोटा और लंबा लन्ड शुरू शुरू में मुझे बड़ा परेशान करता था। शादी के तुरंत बाद तो मेरी चूत इतनी चुदाई की वजह से सूज जाती थी। उस वक्त मेरा पति अनिल अपने आप पर संयम रख कर मुझे ठीक होने का मौका देता था। अनिल मुझसे बहोत प्यार करता था। खैर वोह मुझे अब भी बहोत प्यार करता है। पर हमारी सेक्स लाइफ में जब मेरी बेटी गुन्नू पैदा हुई उस के बाद से थोड़ी दुरी जरूर पैदा हुई थी।
हमारी शादी के बाद से अनिल हमेशा मुझ पर मालिकाना हक़ रखता था। मुझे कोई घूर के देखे वह उसे पसंद नहीं था। वह मुझे अपनी निजी संपत्ति मानता था। यह मुझे भी अच्छा लगता था। मैं सिर्फ मेरे अनिल की बनकर रहना चाहती थी। हम दोनों ने शादी के तीन साल खूब मजे किये।
गुन्नू के जन्म के बाद से धीरे धीरे हम पति पत्नी की दूरियां थोड़ी बढ़ने लगीं। साधारणतः स्त्री की प्रसव के बाद सेक्स में रूचि कम हो ही जाती है। मेरा सिझेरिअन हुआ था। और डॉक्टरों ने शायद आपरेशन के बाद मेरी योनि के छिद्र को थोड़ा ज्यादा ही बड़ा सील दिया था। उस कारण जब अनिल ने मुझे बेटी के प्रसव के बाद पहली बार चोदा तो उसे वह पहली चुदाई के जैसा आनंद नहीं आया।
तब से अनिल सेक्स करने से बचने लगे । मैं यह समझ गयी थी, पर क्या करती? अब हमारे सक्से में वह गर्माहट नहीं थी। जब मैं तैयार होती तो अनिल पोछे हट जाते और जब वह गरम होते तो थकान के कारण मैं बहाना बना लेती। और जब हम दोनों गर्म हो जाते तो मज़ा तो आता था पर वह बात नहीं बन पाती थी। इसका हमारे वैवाहिक जीवन पर विपरीत असर होने लगा। मैं तुरंत इस बात को समझ नहीं पायी।
जब हमारे जीवन में राज और नीना आये और जब मैंने देखा की मेरा पति अनिल, राज की पत्नी नीना की और आकर्षित होने लगा था, तब धीरे धीरे मेरी समझ में आया की सेक्स की दुरी की वजह से हम पति पत्नी में वह पहले वाली बात नहीं रही थी। पर तब शायद देर हो चुकी थी। मैं मन ही मन बड़ी दुखी रहने लगी। मैं तब मेरेपति का दोष भी नहीं निकाल सकती थी। मुझे मेरे पति अनिल की शादी के पहले दी हुई हिदायत याद आयी की अगर वह किसी और औरत को चोदे तो मैं बुरा न मानूँ। मैंने भी उसे शादी से पहले ही इजाजत दे दी थी। पर अब मैं उस पर अपना हक़ जमा रही थी। मैं उसका किसी भी औरत से बंटवारा नहीं करना चाहती थी। मेरे लिए सब असह्य होता जा रहा था।
मैं अनिल के चेहरे पर परिवर्तन देख रही थी। जब नीना ने अनिल से गिफ्ट न लेकर मेरे पति को एक करारा झटका दिया था उसके बाद अनिल कुछ मुरझा सा लग रहाथा। पर उसके एकाध दो दिन के बाद वह जैसे चहकने लगा। मैंने सोचा की क्या कहीं उसने नीना को पटा तो नहीं लिया? पर मेरे पास उसका जवाब नहीं था।
उस घटना के बाद से मैं ज्यादा ही व्यस्त हो गयी। बेटी जब प्ले स्कूल में जाने लगी तो मुझे उसे पढाई करानी पड़ती थी। उसको स्कूल में छोड़ के आना फिर लेने जाना इन कामों में से जैसे समय ही नहीं निकल पाता था। होली के त्यौहार में जब पापा और मम्मी ने हम दोनों को दिल्ली बुलाया तो अनिल ने मना कर दिया। उसे ऑफिस में ज्यादा काम था और उसे छुट्टी नहीं मिल पा रही थी। आखिर मैं कुछ दिनों के लिए अकेली ही अपने मायके गयी।
एक बार तो मुझे शक भी हुआ की कहीं वह नीना के साथ कुछ करने का गुप्त प्लान तो नहीं बना रहा था? हर बार होली में हम राज और नीना से खूब होली खेलते थे। उस दिन अनिल नीना को रंग लगाने में मेरे और राज के सामने थोड़ी ज्यादा ही छूट ले लेता था। पर तब भी कोई ऐसी बात नहीं हुई की मुझे या राज को कोई शक का कारण नजर आए। हम सब उस बात को हंसी मजाक में टाल देते थे। राज भी बेचारा मुझे रंग तो लगाता था और मुझे इधर उधर छूने की कोशिश भी करता था। पर शायद अनिल या नीना के डर के मारे, या फिर मैं उस से बच कर भाग निकलती थी उस के कारण कुछ ज्यादा कर नहीं पाता था।
मेरे होली के उपरान्त मायके से वापस आने के बाद मैं मेरे जीवन में कुछ अजीब से बदलाव अनुभव करने लगी। अचानक ही मेरे पति का मेरी और आकर्षण जैसे एकदम बढ़ गया. अनिल मेरी छोटी छोटी बातों का बड़ा ध्यान रखने लगा। मेरे साथ उसने ज्यादा वक्त देना शुरू कर दिया। मेरे लिए तो वह एक स्वप्न के समान था। मुझे ऐसे लगा की शायद होली में अनिल की शरारतों से तंग आकर नीना उसे एक और झटका दे दिया था और उसकी समझ मैं आ गया था की उसका मेरे बगैर चारा नहीं था। मेरी माँ वास्तव में ही सच बोल रही थी, की आखिर में पति को अपने घर में अपनी पत्नी से ही सुकुन मिलता है।
पर मेरे मन में यह शंका घर कर गयी की हो न हो मेरे पति ने नीना को पटा ही लिया था और मौक़ा मिलते ही शायद उसे चोद भी दिया होगा। इसी कारण वह इतना खिल रहा था। राज तो टूर पर रहता ही था। कहीं न कहीं कोई एक दिन मौका पाकर उसने बेचारी नीना को अपनी मीठी मीठी बातों में फांस ही लिया होगा। इसी कारण वह इतना फुदक रहा था और बड़ा खुश नजर आ रहा था। मुझे ज्यादा प्यार जता ने का कारण भी शायद यह रहा होगा की वह स्वयं को गुनहगार अनुभव कर रहा था और इसी लिए वह मुझे खुश रखनेकी कोशिश में लगा था।
मुझे ख़ुशी तो थी की अनिल मुझे ज्यादा समय और ध्यान दे रहा था पर मैं उसका अहसान नहीं उसका प्यार चाहती थी। इसी लिए मैं उसके साथ सहजता या आनंदित अनुभव नहीं कर पा रही थी। उसे भी शायद ऐसा ही लग रहा था जिसके कारण हम दोनों में करीबी आ नहीं पायी और मैं उससे सेक्स करना टालती रही।
बात यहीं ख़त्म नहीं थी। वह हमारी सेक्स लाइफ के बारे में भी बड़ा चिंतित लग रहा था। मेरे दिमाग में घर कर गयी थी की अनिल मुझसे प्यार के कारण नहीं पर उसने जो नीना के साथ कुकर्म किया होगा उस दोष के बोझ में दबे होने के कारण यह प्यार जता रहा था।
जब मुझसे रहा नहीं गया तब मैंने एक दिन उससे पूछा, ” डार्लिंग होली की छुट्टियां बिताकर लौटने के बाद मैं देख रही हूँ की तुम मुझसे ज्यादा ही प्यार जताने लगे हो। क्या बात है? क्या तुम मुझसे कुछ चाहते हो?” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
मेरी बात सुनकर अनिल रिसिया से गए। नाराजगी से मुंह बनाकर वह बोले, “कमाल है! बीबी से प्यार न करो तो मुसीबत और बीबी से प्यार करो तो मुसीबत! नहीं डार्लिंग ऐसी कोई बात नहीं है। बस अब मैं समझ रहा हूँ की अपनी बीबी ही अपनी सच्ची दोस्त और अंतरंग साथीदार है।”
मेरा मन किया की मैं मेरे पति से पूछूँ की क्या नीना ने कहीं उसे फिर से फटकार तो नहीं दिया? पर मैंने न पूछना ही बेहतर समझा। मैंने सोचा जो भी होगा अपने आप सामने आएगा या फिर अनिल स्वयं ही बतादेगे। मुझे थोड़ा इन्तेजार ही करना है।
थोड़ी देर बाद अनिल ने मेरे स्तनों को दबाते हुए पूछा, “डार्लिंग, मुझे राज कह रहा था की तुमने उसे कहा की तुम राज की ऋणी हो और वह जो कहेगा वह करोगी। क्या यह सच है?”
मैंने सकुचाते हुए कहा, “हाँ। सच तो है। राज बेचारा आधी रात को मेरी मदद के लिए आया जो था। मैं वास्तव में उसके एहसान के बोझ के निचे जैसे दब गयी थी।”
अनिल: “तो क्या राज तुमसे जो कुछ कहेगा वह तुम करोगी?”
मैं, “हाँ क्यों नहीं करुँगी? आखिर उसके प्रति मेरा ऋण जो है। जब उसका मन करे अगर वह कुछ स्पेशल डिश खाना चाहता है तो मुझे उसे बनाके खिलाने में बड़ी ख़ुशी होगी। पर बात क्या है? शायद तुम कुछ कहना चाहते हो। क्या राज ने तुमसे कुछ कहा?”
अनिल, “अगर राज तुमसे कहे की वह तुम को चोदना चाहता है तो क्या तुम तैयार होओगी?”
मैं एकदम सोच में पड़गई। कहीं मेरे मन के एक कोने में राज से सेक्स करने की इच्छा तो नहीं छुपी हुई थी? क्या इसी लिए मैंने जाने अनजाने में ऐसा वचन दे डाला था? या फिर क्या मैंने जान बुझ कर तो यह वचन नहीं दिया? क्या मेरे मन में यह बात थी की शायद राज मुझसे सेक्स करने की मांग रख ही दे? तो फिर मुझे उस को मना करने का मौका ही न मिले? तब मुझे उससे सेक्स करने के लिए बाध्य होना ही पडेगा। और ऐसे हालात में मुझे उस बात पर कोई निर्णय नहीं लेना पड़ेगा तो फिर मेरा कोई कसूर तो न हुआ न? मैंने तो कोई शुरुआत नहीं की थीं न? मैंने अपने आप को सम्हालते हुए कहा, “यह तुम क्या पागल की तरह बक बक कर रहे हो? तुम्हारे मन में ऐसा विचार कैसे आया?”
अनिल, “डार्लिंग तुम तो वैसे ही नाराज हो रही हो। तुम ज़रा सोचो। अगर कोई सुन्दर स्त्री कोई ऐसे पुरुष से की, जो उस स्त्री की और आकर्षित है, उस से यह कहे की वह पुरुष उसे जो भी कहेगा वह करेगी तो इसका अर्थ क्या होता है?” बातों बातों में मेरे पति ने मुझे कह ही दिया की राज मेरी और आकर्षित था।
मैं मेरे पति की और देखने लगी। कहीं वह मुझ पर शक तो नहीं कर रहा था? मैंने घबराते हुए कहा, “पर अनिल, मेरा कहने का अर्थ यह तो नहीं था। क्या तुम कहीं मेरे और राज के बारे में उल्टा पुल्टा तो नहीं सोच रहे हो?”
मेरे पति ने तुरंत मुझे अपनी बाहों में लेते हुए कहा, “जानू, मैं तुम्हारे बारे में कभी ऐसा सोच नहीं सकता। मुझे अपने आप पर भरोसा नहीं है, पर तुम पर पूरा भरोसा है। ”
फिर अनिल थोड़ी देर चुप रहा। फिर बोला, “अनीता, एक बार मात्र कल्पना करने के लिए ही यह मान लो की अगर सचमुच में राज तुमसे सेक्स करने के लिए कहे तो तुम क्या करोगी?”
मेरे पति की बात सुनकर मैं आग बबुला हो गयी। अनिल क्या कहना चाहते थे? मैंने बड़े ही रूखे स्वर में अनिल से कहा, “पहली बात तो यह की राज भला ऐसा क्यों कहेंगे? और अगर उन्हों ने ऐसा कह भी दिया तो क्या मैं मान जाउंगी? तुम पागल तो नहीं हो गए? मैं तुम्हें कोई भी हालात में धोका देनेका सोच भी नहीं सकती।”
अनिल मुझ से नजरें चुराते हुए बोले, “और अगर मैं कहूँ की मुझे उसमें कोई आपत्ति नहीं है तो?” मैं अनिल की और गौर से देखने लगी। मैं अपने पति का मन पढ़ने की कोशिश कर रही थी। मैंने पटाक से जवाब दिया, “तब भी नहीं। आपको भले ही आपत्ति न हो पर मैं फिर भी आपसे धोका नहीं कर सकती। ”
“और अगर मैं कहूँ की मैं चाहता हूँ की राज और तुम एक दूसरे से सेक्स करो तो?” अनिल ने डरते हुए पूछा।
मेरे पतिदेव की बातें सुनकर मेरी आँखें फट गयी। आखिर वह क्या कहना चाहते थे?
“लगता है, तुम होश में नहीं हो। तुम्हें पता नहीं तुम क्या बक रहे हो। शादी के पहले से ही मैंने तुम्हें छूट दे रखी है की तुम चाहे जिससे सेक्स करो। पर मैंने तुम्हें कोई वचन नहीं दिया की मैं किसी और से सेक्स करुँगी। कहीं ऐसा तो नहीं की तुम मुझे राज से सेक्स करने के लिए उकसा कर नीना को चोदने के लिए रास्ता बना रहे हो? अगर ऐसा है तो मैं तुम्हें नीना को चोदने की आजादी देती हूँ। मैं तुम्हें वचन देती हूँ की ऐसा होने पर मैं तुमसे कोई गिला शिकवा नहीं करुँगी। फिर तुम ऐसा क्यों सोच रहे हो?” मैंने बड़े ही तेज शब्दों में मेरे पति को झाड़ दिया।
तब अनिल ने कहा, “डार्लिंग, एक बार सोचो। क्या तुम्हें राज की बाहोंमें उस डांसमें राज के साथ कमर से कमर और जाँघ से जाँघ रगड़ते हुए उत्तेजना का अनुभव नहीं हुआ था? सच बोलना?” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
मैं चुप हो गयी और सोचने लगी। अनिल की बात पूरी गलत तो नहीं थी। पर हाँ, एक बात थी। मैं वास्तव में तो अनिल से बदला लेने की लिए ही राज के साथ डांस करने के लिए राजी हुई थी। मैंने लपक कर अनिल से कहा, “देखो डार्लिंग, आज मैं तुम्हें सच कह रही हूँ। जब मैंने तुम्हें नीना के साथ करीबी से डांस करते हुए देखा तो मुझे बड़ा बुरा लगा। मैं अंदर ही अंदर आहत सी हो गयी थी और तुम पर गुस्सा भी थी। तब अचानक राज ने डांस करनेके लिए मुझे आमंत्रित किया। मैंने उसके साथ इसलिए भी बदन रगड़कर डांस किया की मैं तुमसे प्रतिशोध लेना चाहती थी। अब अगर कोई मर्द आपको छुए और गुप्त अंगों को स्पर्श करे तो थोड़ी उत्तेजना तो हो ही जाती है। ”
अनिल के मुंह से अनायास ही हंसी फुट पड़ी। उसने कहा, “देखो, तुमने खुद ही कहा न की इसलिए ‘भी’ तुमने राज के साथ बदन से बदन रगड़ते हुए डांस किया? यहां ‘भी’ का मतलब होता है की आपके मनमें एक तरह की उत्सुकता थी की राज के साथ डांस करना है। और साथ साथ प्रतिशोध भी लेना था। और तुमने माना भी की तुम्हे उत्तेजना हुई थी। सही या गलत? ”
मैं अनिल के साथ तर्क वितरक करने के मूड में नहीं थी। मैं सचमुच में गंभीरता पूर्वक सोचने लगी की अनिल आखिर मुझे क्या कहना चाहता है। मैंने दबे स्वर में पूछा, “मैंने उसे वचन जरूर दिया था पर ऐसा नहीं के वह मेरे साथ सेक्स करने की बात ही करने लगे। यह तो गलत बात हुई न? मैंने भोले पन में वचन दे दिया उसका राज को फायदा नहीं उठाना चाहिए। अगर उसने ऐसा कुछ मांग लिया तो मैं उसे क्या जवाब दूंगी?” मैं थोड़ी देर चुप रही और फिर बोली, तुम ही बताओ, मुझे क्या करना चाहिए?”
अनिल ने कहा, “जरा सोचो। क्या राज अगर तुमसे ऐसा कुछ मांग लेता है, तो क्या वह गलत है? उस रात को तुम्हारी करीबी, तुम्हारे शरीर का उसके बदन से बार बार टकराना, तुम्हारा सिर्फ गाउन में उसके सामने आना बगैरह यह दर्शाता है की तुम राज को कुछ इशारा कर रही थी। और याद करो उस पार्टी में तुमने उससे अपना बदन रगड़ कर जो डांस किया था उससे वह क्या समझेगा? अगर वह तुमसे सेक्स करने की इच्छा बताये तो उसमें उसका कोई दोष कैसे भला? पर फिर भी उसने अपनी वह इच्छा जाहिर नहीं की। शायद इसका अर्थ यह है की वह तुमसे सेक्स करने की इच्छा रखता तो है, पर तुम्हारी सहमति मांगनें में झिझकता है।”
मेरे पति की बात सुनकर मैं उलझन में पड़ गयी। अनिल शायद सही कह रहा था। उसने सारी बातें खुल्ले में उजागर कर दी। झेंपी आवाज में मैंने मेरे पति से पूछा, “प्लीज, मुझे तुम भरमाओ मत। मुझे सही मार्ग दर्शन दो। मैं यह सब झंझट में नहीं पड़ना चाहती। मैं मात्र तुमसे ही सेक्स करना चाहती हूँ। तुम चाहे जिससे सेक्स करो। मुझे तुम्हारे अलावा किस और से सेक्स नहीं करना। तुम इस बारेमें सोचना भी मत।”
अनिल ने धीरे से कहा, “तुम तो परेशान हो गयी। चिंता मत करो। राज ने अभी कुछ मांगा तो नहीं है न? फिर तुम चिंता क्यों कर रही हो? इस बारे में सोचो मत। जब मांगेगा तब देखेंगे।”वह बात वहीँ पर खत्म हो गयी।
पर वास्तव में वह बात मेरे मन में ख़तम नहीं हुई थी। मेरे मन में एक तरह से मंथन शुरू हो गया। मैं मेरे पति के प्रति पूर्णरूपेण निष्ठावान थी पर साथ साथ में कहीं न कहीं राज के प्रति भी मेरे मन में एक कोमल भाव अंकुरित हो रहा था, उसकी अवमानना करना अपने आप से धोखा करने जैसा था।
दूसरे दिन सुबह अनिल जब ऑफिस गया और गुन्नू को मैं उसकी स्कूल बस में छोड़ कर वापस आयी तो चाय की प्याली ले कर बैठे बैठे मैं मन ही मन सोचने लगी की मुझे क्या हो रहा था?
खैर मुझे बहोत सारे काम निपटाने थे। मैं अपने घर काम में लग गयी। मैं अगले दो तीन घंटो में रसोई, सफाई, कपडे इत्यादि में ऐसी उलझ गयी की देखते ही देखते दोपहर हो गई। अभी गुन्नू को आनेमें कुछ वक्त था की अनिल का फ़ोन आया। उसने कहा की उसे अगले दिन टूर पर जाना था।
उसने धीरे से मुझे कहा की वह रात को मुझसे मौज करना चाहता है। हम फ़ोन पर बात करने के समय चुदाई के कार्यक्रम को मौज कहते थे। अनिल ने कहा वह एक ब्लू फिल्म लाया था और वह चाहता था की उस रात को हम दोनों वह ब्लू फिल्म को देखें और फिर इतनी चुदाई करें की उसकी एक हफ्ते की टूर तक वह नशा कायम रहे। अनिल की बात सुनकर मुझे भी अच्छा लगा।
शाम को ऑफिस से आते ही अनिल ने मुझसे कहा, “डार्लिंग, आज डिनर के बाद गुन्नू को जल्दी सुलाकर तुम अच्छी तरह नहाकर ड्राइंग रूम में आ जाना। आज हम खूब मस्ती करेंगे। मैं एक ख़ास ब्लू फिल्म लाया हूँ देखेंगे।”
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
मुझे यह सुनकर सुखद आश्चर्य हुआ। पर साथ साथ अचानक मेरे मन में शक की एक किरण उठी। आखिर बात क्या थी? क्यों अचानक वह मुझे इतना प्यार जता ने की कोशिश कर रहा था? मेरे पति आज कई सालोंके बाद इतने रोमांटिक मूड में नजर आये। कारण कुछ भी हो, मुझे अच्छा लगा। मैंने सर हिला कर हामी भरी और घर काम में लग गयी और अनिल अपने काम में व्यस्त हो गए।
रात को डिनर के बाद मैंने मेरी बच्ची को सुलाया और अच्छी तरह नहा कर मात्र एक नाईट गाउन पहन कर मैं जब ड्राइंग रूम में उपस्थित हुई तो अनिल सारे साजो सामान सजाकर तैयार थे। सेंटर टेबल पर ठंडी बियर और दो गिलास रखे थे। कमरे में मंद सा एक बिजली का बल्ब जल रहा था। अनिल ने फर्श पर ही दो गद्दे बिछा रखे थे जैसे रात हम वहीँ सोने वाले थे।
मेरे पहुँचते ही अपनी बाहेँ फैलाकर मेरे पति ने मुझे अपनी गोद में बिठाया। दिवार के सहारे बड़े तकिये पर अपनी पीठ टिका कर वह बैठे हुए थे। मेरे पहुँचते ही उन्होंने गिलास में बियर डालकर मुझे दी और हम दोनोँ ने “चियर्स” कह कर हलके घूंट पिए। उधर रिमोट से अनिल ने फिल्म चालूकर दी।
आप सब मुझे प्लीज इस ईमेल पर अपनी टिपण्णी जरूर भेजें, [email protected]

शेयर
sexy photo momhindi sex hindi sexsex story with imagemami ki mast chudaimaa bete ki hindi sexy kahanidever ne chodamaganai okkum ammagirls first sexdesi kahani 2016sex hindi kahani downloadtamil amma new kamakathaikalchot m landmarriage night sex storieshindi sexey storymadhuri ko chodaroshan bhabhi ki chudaibhai ne behen ko chodanangi desi bhabhiaunty hot facebooksithi kamakathaikal with photosbhai ne bahan ki chudai kiindian ses storysex mature auntysexy indian.comchut ki malishchut chatai picssex story hindi kahanibaap beti ki chudai ki storydevar sex with bhabhidewar bhabhi sex storylong hindi sex storiesek randisexs storysdost ko chodadeshi kahaniwww sexy store comindian chudai picsmaa ko papa ne chodadesi swap sexpoonam bhabhigirl sexxdesi kahani sex storyshivani bhabhi twittermalyalam sex storiesdoctor patient sex storyhusband wife sex storysexy aunty storieshindi sexy stories in englishread new sexy storydadi maa ki kahanijija sali ki chudai kahanipati patni sexsex stiry hindikamakathalu with photosmalayalam hot storiesnew kambi kathakal comtamil cd storiesbhai ka birthdayaunty chootsex story officesex storyin hindidesi girls sexytrue fuck storiessexy setoremallu sex novelssagi chachi ki chudaichodvani kahaniindian sex officeindian hindi sex.comhindi video sex kahanisex ki khaniसिस्टर की चुदाईsexy stiry in hindiदोस्त की बीवी के साथ प्यारlattest sex storiesfree latest sexdesi group sex storyaunty kamakathikal tamilsexy hindi story in hindiindian desi secinian sex storiesdesi aunty ki chudaisex in office desilund ki pyaasibhabhi ke saath sextamil sex kathai newkambhi kathakalreal indian porn clipsbuddhekhade lund pe dhokhaantrvasna hindi sexy storymalkin ko