Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 14


मैंने लिखी एक सीधी सादी कहानी जो की कुछ सालोँ पहले का मेरा अनुभव था। उसे आप पाठकों ने इतना पसंद किया की मैं प्रशंषा के ऐसे सैलाब समान पत्रों से अभिभूत हो गया हूँ। मैं सब पाठक गण का तहे दिल से आभारी हूँ। मैंने उस कहानी को वहीं ख़त्म करने का सोचा था क्योंकि वह काफी लंबी हो चुकी थी। मैंने सोचा नहीं था की आप लोग मुझे आगे लिखने के लिए इतना मजबूर कर देंगे।
चलिए तो फिर आगे बढ़ते हैं।
उस रात मेरी पत्नी जीवन में पहली बार कोई गैर मर्द के साथ सोई थी। मेरे लिए भी यह कोई साधारण अनुभव नहीं था। जिनकी पत्नी सुन्दर और सेक्सी होती है उनको तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
सर्व प्रथम वह पति हैं जो अपनी सुन्दर और सेक्सी पत्नियों के सौन्दर्य का लाभ स्वयम ही लेते है। वह दूसरों से अपनी सुन्दर पत्नी को दूर रखने की कोशिश में लगे रहते है। उनकी पत्नियों को जब अन्य पुरुष घूरते हैं तो वह नाराज हो जाते हैं और अपनी पत्नी को किसी गैर मर्द से मिलाने में झिझकते हैं। ऐसे पति अक्सर ईर्ष्या की आग में जलते रहतें हैं और इतनी सुन्दर पत्नी होनेके बावजूद हमेशा दुखी रहते हैं। अक्सर उनकी पत्नियां भी दुखी रहती हैं क्योंकि पति उनपर हमेशा शक की निगाह रखते हैं।
दूसरे वह जो उनकी पत्नी दूसरों की पत्नियों से ज्यादा खूबसूरत है इस बात से वह हमेशा बड़े गर्वान्वित महसूस करते हैं। वह अपनी पत्नियों को अपने मित्रों और सोशल ग्रुप में ले जाने में सामान्यतः लालायित रहते हैं; जिससे की वह सबको दिखा सकें की उनकी पत्नी सबसे ज्यादा सुन्दर है और वह ऐसे पत्नी के पति हैं। पर ऐसे पति भी अपनी पत्नी को दूसरोँ से खुलकर मिलने देने से कतराते हैं।
तीसरे वह, जो अपनी पत्नी खूब सूरत है उसका पूरा आनंद लेते हैं। सबसे पहले वह अपनी पत्नी से खूब प्रेम करते हैं और उसे अपने प्रेम के बंधन में ऐसे बाँध देते हैं की चाहते हुए भी वह किसी और के चक्कर में न पड़े। बादमें जब एक बार उन्हें तसल्ली हो जाती है की उनकी पत्नी हमेशा उनकी ही रहेगी तब वह उसे दूसरों से खुल के मिलाते हैं और गैर मर्दों के पत्नी को घूरने पर नाराज न होकर उस का पूरा आनंद लेते हैं।
मैं शायद चौथी ही किस्म का इंसान था जिसने अपनी पत्नी से खूब प्रेम कर उसे अपने प्रेम के बंधन में ऐसे बाँध लिया था की वह किसी और के चक्कर में न पड़ सके। बादमें एक बार तसल्ली हो जाने पर उसे दूसरों से खुल के मिलाता रहा। न सिर्फ गैर मर्दों के घूरने पर नाराज न होकर उस बात का भरपूर आनंद लिया; बल्कि ऐसा भी सोचने लगा की हमारे (मैं और मेरी पत्नी) दोनों के मन पसंद किसी गैर मर्द के साथ मिलकर क्यों न मैं मेरी पत्नी से जमकर सेक्स करूँ और उसे वह आनंद दूँ जिसकी शायद उसे कल्पना भी न हो। यह विचार मुझे बड़ा उत्तेजित करता था।
यह बात शायद पहले ही से मेरे मन में रही होगी पर पहली बार यह बात ठोस रूप से मेरे सामने तब आयी जब मेरे बॉस ने मेरी पत्नी को जबरन खिंच कर उस पार्टी में डांस के लिए ले जाना चाहा। मुझे तब मेरे बॉस की हरकत से नाराजगी नहीं महसूस हुई, बल्कि एक अजीब से रोमांच का अनुभव हुआ। तब मुझे समझ नहीं आया की मुझे ऐसा महसूस क्यों हुआ। खैर तब तो नीना ने उन्हें साफ़ मना कर दिया और उनको एक करारा झटका देकर भगा दिया।
उस दावत में जब मेरी कमसिन, पतली कमर और ३४ – २८ – ३४ फिगर वाली ख़ूबसूरत पत्नी अपने लहराते हुए बालों और अपनी उछ्रुंखल लचकती चाल में अपने थिरकते हुए लचीले स्तनों की और ध्यान न देते हुए मुख्य हाल में दाखिल हुई तब सारे पुरुष और स्त्री उसी को ताड़ने लगे। ऐसी स्त्री को पुरुष वर्ग कामुकता से देखे तो उसमें कुछ अस्वाभाविक तो था नहीं। पर मेरी पत्नी ने मेरे दोस्त अनिल के पाँव तले की तो जमीन ही जैसे हटा दी। वह तो नीना को देख लोलुपता की खाई में जैसे गिरने लगा। वह सब भुलाकर, यहां तक की उसकी अपनी पत्नी के होते हुए भी निर्लज्जता पूर्वक मेरी बीबी को ताड़ता ही जा रहा था।
उस दावत में अपने आपको बड़ी मुश्किल से सम्हालते हुए मेरे करीबी दोस्त अनिल ने जब मेरी बीबी पर डोरे डालने शुरू किये और बड़े सलीके से वह उसे ललचाने लगा तो मेरे जहन में एक अजीब सा रोमांच होने लगा और मेरे मनमें एक गुप्त भाव जगा जो चाहता था की मेरी बीबी मेरे दोस्त की जाल में फंस जाय।
हालाँकि मैं जानता था की ऐसा कुछ होने वाला नहीं है, क्योंकि मेरी बीबी इतनी रूढ़िवादी और मेरे प्रति इतनी निष्ठांवान थी की मेरे चाहते हुए भी वह दूसरे मर्दों से ललचाना तो दूर, वह ऐसे ठर्कु मर्दों की और तिरस्कार से देखती थी।
पर कहानी में ट्विस्ट तब आया जब मैंने अनिल की पत्नी को पहली बार देखा। हॉल मैं जैसे ही वह दाखिल हुई की मेरी आँखें उस पर गड़ी की गड़ी रह गयीं। अनीता ऐसी मस्त लग रही थी जैसी की मैंने अपने सपने में किसी सेक्सी औरत की कल्पना की थी। मेरे गहन में एक ऐसी सेक्सी औरत की मूरत थी जिसके होंठ पहले हुए मद मस्त गुलाब की पंखुड़ियों की तरह लाल हों और जिसकी चाल से उसके नितम्ब ऐसे थिरकते हों जैसे कोई हाथिनी चल रही हो। जब उसके पति अनिल ने अपनी पत्नी अनीता की मुझसे पहचान कराई तो उसने अपना हाथ लंबाया जिसे अपने हाथों में लेते ही मेरे पुरे बदन में जैसे आग लग गयी।
अक्सर भारतीय पत्नियां कोई पुरुष से पहचान कराने पर नमस्कार करके अपना पिंड छुड़ा लेती हैं। पर मुझे लगा जैसे अनीता मेरा स्पर्श करने के लिए जितना मैं आतुर था उतनी ही वह भी थी। शायद इस लिए भी हो क्यों की उस समय उसका पति मेरी बीबी को इतनी बेशर्मी से घूर रहा था जिससे की उसके पति की नियत साफ़ साफ़ नजर आ रही थी। उधर मेरी पत्नी नीना भी हंस हंस कर उसकी बातों का लुत्फ़ उठा रही थी और शायद अनजाने में ही अनिल को प्रोत्साहित कर रही थी।
मुझे क्यों ऐसे लग रहा था की जैसे अनीता की आँखें मुझे देख अनायास ही नशीली हो रही थी। वह मुझे इशारा कर रही थी की मैं उसके करीब जाऊं और उससे कुछ बात करूँ। मैं अपने आपको रोक नहीं पाया। मुझे उसे अपनी बाँहोँ में भरनेकी ऐसी ललक लग गयी की मैं अनीता के बारे में सोचते सोचते बेचैन हो गया। तब मुझे अनिल की मेरी बीबी नीना को लुभाने वाली योजना की सफलता में ही मेरी मंज़िल नजर आयी। जाहिर है मैं मेरी बीबी को अनिल के करीब लाने में अनिल का सहायक बन गया।
जब मैंने देखा की अनिल भी वही सोच रहा था जो मैं सोच रहा था तब तो मुझे मेरी मंझिल करीब ही नजर आने लगी। अनिल को भी मेरी बीबी इतनी भा गयी की वह उसके करीब आने की लिए अपनी बीबी अनीता को मेरे करीब लाने के लिए लालायित हो गया। मैं उसे मेरी बीबी का प्रलोभन दे रहा था और वह मुझे अपनी बीबी का। मेरे और अनिल के एकजुट होने पर भी रास्ता मात्र आधा ही आसान हुआ था। प्रश्न था की बीबियों का अवरोध कैसे तोड़ा जाय। बीबियों को कैसे हमारी योजना में शामिल किया जाय।
तो मेरे मन में यह विचार आया की दोनों बीबियों को एकसाथ मनाना बड़ा मुश्किल काम था। बीबियाँ वैसे ही बड़ी मालिकाना अथवा स्वामिगत होती हैं। वह आसानी से अपने पति को किसी गैर औरत की बाहोँ में देख नहीं सकती। खैर मात्र बीबियों के लिए ही यह कहना भी ठीक नहीं है, क्योंकि पति भी तो ऐसे ही होते हैं। पर हमारे बारे में यह था की मुझे पूरा भरोसा था की हम दोनों पति अपनी पत्नी को एक दूसरे के साथ शारीरिक रूप से सम्भोग करवाने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो चुके थे। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
उसमें भी मैं तो वैसे ही अनिल को मेरी बीबी नीना को ललचा ने की कोशिश करते देख बड़ा उत्तेजित हो रहा था। मैं ऐसा मानता था की एक मर्द एक स्त्री को पूरी तरह जातीय सम्भोग में संतुष्ट नहीं कर पाता है। साधारणतः मर्द जल्दी स्खलित हो जाता है, पर स्त्री एक साथ कई बार स्खलित हो जाने के उपरान्त भी सम्भोग का आनंद लेने के लिए उत्सुक रहती है। उसे जातीय सम्भोग में थकाने के लिए एक मर्द पर्याप्त नहीं। एक स्त्री दो मर्दों को सहज ही संतुष्ट कर सकती है और दो मर्द ही उसको पूरी तरह से संतुष्ट कर सकते हैं।
यह बात शादी के कुछ सालों के बाद तो सटीक साबित होती है। मैं तो स्वयं यह चाह रहा था की मेरी प्यारी खूबसूरत बीबी एक बार हमारे मन पसंद गैर मर्द से जातीय सम्भोग का आनंद ले। बल्कि मेरे मनकी ख्वाहिश थी के मैं ऐसे मर्द के साथ मिलकर मेरी सुन्दर पतिव्रता बीबी को दो मर्दों से एक साथ उत्छ्रुन्खल चुदाई के आनंद का अनुभव कराऊँ। मैं स्वयं उस बात का आनंद लेना चाहता था और मैं अपनी बीबी को भी एक गैर मर्द से चुदाई का आनंद मिले यह अनुभव उसे करवाने के लिए बड़ा ही उत्सुक था। अनिल की पत्नी अनीता मुझे एक बोनस के रूप में मिल सकती थी वह सोचकर मेरे मन में अजीब सी थनगनाहट होने लगी। तब भला मैं कैसे रुकता?
जैसे की इस कहानी की श्रृंखला के पूर्वार्ध में दर्शाया गया था, मेरी सरल और निष्ठावान (जिसे मैं नीरस समझता था वह) सुन्दर सेक्सी पत्नी नीना, मेरे और अनिल के चालाकी भरे कारनामों से हमारे झांसे में आ ही गयी। होली की उस रात को हम दोनों ने उसे उतना उकसाया की उसे जाने अनजाने हम दोनों की बाहों में आना ही पड़ा। यह सच है की हमने उसे कूटनीति अपना कर पहले ललचाया और अनिल के व्यक्तित्व द्वारा प्रभावित किया।
अनिल ने भी मेरी बीबी से काफी सेक्सुअल शरारतें कर के अपनी और आकर्षित करनेकी कोशिश की। फिर उस रात उसे थोड़ी शराब पिलाकर तनाव मुक्त किया। मैंने उसे स्त्री जाती कमजोर होने के नाम पर चुनौती देकर बहकाया। अनिल ने नौकरी खोने की हृदयभेदक झूठी कहानी सुनाकर मेरी बीबी को भावुकता में डुबो दिया। और तब आखिर में मैंने मौका देख कर उसे मेरे दोस्त को अपने स्त्रीत्व द्वारा सांत्वना देने (अर्थात अनिल को बाहों में लेना, चुम्बन, शारीरिक संग करने देना और करना इत्यादि) के लिए बाध्य किया।
फिर क्या था? हम दोनों उसे छोड़ते थोड़े ही? जैसे ही मेरी पत्नी उस होली की रात को अपनी नैतिकता में थोड़ा सा समझौता कर बैठी की हम दोनों ने उसे अपने जाल में फांस ही लिया। मेरी बीबी को भी थोड़ा बहुत अंदेशा तो था ही की हम दोनों मर्द मिलकर उसको एक साथ थ्री सम सेक्स में शामिल करने के लिए बहुत इच्छुक थे। मैंने तो मेरी बीबी को साफ़ साफ़ मेरी ऐसी इच्छा थी ऐसा बता ही दिया था। पर वह ज़रा भी टस की मस नहीं हो रही थी। इसीलिए हमें यह सब करना पड़ा। आखिर में हमें पता लगा की वह भी अपने ह्रदय के एक गहरे छुपे हुए अँधेरे कोने में अनिल के बारेमें एक तरह की ललक अनुभव कर रही थी। अनिल का व्यक्तित्व उसे एक उत्तेजना देता था। अनिल के बारेंमें बात करने मात्र से ही वह अपने अंदर ही अंदर उत्तेजित हो जाती थी। पर वह स्वयं भी इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। हमें उसे तैयार करना था।
अनिल के व्यक्तित्व ने मेरी पत्नी को काफी प्रभावित किया था। परंतु जैसे की हिंदुस्तानी महिलाएं शादी शुदा स्त्री मर्यादा के कारण अपनी इच्छा प्रकट नहीं कर पाती, वैसे ही नीना ने भी अनिल के प्रति जो थोड़ा आकर्षण था, उसे अपने ह्रदय के कोई कोनेमें गाड़ दिया था। यहाँ तक की मेरी पत्नी यह मानने से भी मना करती थी की वह अनिल के प्रति कामुक भाव से आकर्षित थी। मैं उसी आकर्षण को उस अंधकूप से बाहर निकालकर अपनी पत्नी के सामने प्रकट करना चाहता था।
खैर, जब एकबार मर्यादा का बाँध टूट गया तब मेरी बीबी मेरे और अनिल के द्वारा रातके एक बजेसे सुबह के चार बजे तक काम क्रीड़ा का आनंद लेती रही; या यूँ कहिये की वह हम दोनों मर्दों से चुदती रही और हम दोनों मर्दों को चोदती रही। उस रात की सुबह चार बजे जब हम दोनों मर्दों ने दो बार अपना वीर्य मेरी बीबी के मुंह, बदन पर और चूत में उंडेल दिया और मेरी पत्नी उस रात शायद छह बार झड़ गयी तब हम मर्दों ने अपने हथियार डाल दिए। नीना तो तब भी तैयार थी। उसका जूनून देखने लायक था।
खैर, उस के बाद नीना ने कहा वह नहाना चाहती है। तब अनिल ने और मैंने मिलकर हमारी नायिका, मेरी पत्नी को उसके मना करने पर भी जबरन अपनी बाहों में उठाया और उसे बाथरूम में ले गए। नीना उस रात की महारानी थी और हम दोनों उसके गुलाम।
उस रात नीना शायद अपने वयस्क जीवन में पहली बार खुद नहीं नहायी। अनिल ने और मैंने मेरी बीबी को बड़े प्यार से नहलाया। नहलाते हुए भी अनिल मेरी पत्नी के मम्मों को और उसके चूतड़ के गालोँ को बार बार अपनी हथेलियों में सहलाने और भींचने में लगा रहता था। यह सब देखकर मेरी उत्तेजना की कोई सिमा नहीं थी। नीना उस रात को अपनी इतनी अति विशिष्ट सेवा का मजा ले रही थी। शादी के बाद उसको एक मात्र मर्द से सेवा मिलती थी। उस रात उसकी आज्ञा पालन और सेवा करने के लिए दो मर्द उत्सुक थे।
मैं उस रात काफी थक गया था। जैसे ही हम नहा कर बाहर निकले और हमने अपने अपने रात्रि के सूट और गाउन इत्यादि पहने, की हम सब एक साथ धड़ाम से बिस्तरे में जा गिरे। उस समय अनिल ने मेरी पत्नी को बाँहों में लिया और उसे चुम्बन करने लगा। उसने अपनी प्रेमिका एवं मेरी बीबी को बताया की पिछली रात में जब पहली बार नीना ने वह गाउन पहना था तब नीना उस नाइट गाउन में करीब करीब नग्न ही दिख रही थी। नीना ने जब यह सूना तो वह आयने के सामने जा खड़ी हुई। उसने स्वयं अपनी नग्नता को जब देखा तब वह लाज से अनिल से चिपक गयी और उसे उसकी छाती पर अपने दोनों हाथों से पीटते हुए बोली, “तुम दोनों ने मुझे आज खूब उल्लू बनाया। मैं भी गधी थी जो तुम्हारी बातोँ मेँ आ गयी।” अनिल और मैं नीना को देख मुस्कुरा रहे थे।
जाहिर है की उस रात नीना हम दोनों के बिच में सोई हुई थी। मैंने देखा की मेरी पत्नी कुछ सोच में पड़ी जाग रही थी। पलंग में गिरने के साथ ही मैं तो लुढ़क गया। अनिल भी सो गया। नीना मेरे सामने मेरे चेहरे से चेहरा मिलाकर लेटी हुई थी। उसके कूल्हे अनिल के और थे। थोड़ी मिनटों मैं ही अनिल ने खर्राटे मारना शुरू कर दिया। गहरी नींद में भी अनिल ने नीना के पीछे से नीना को अपनी दोनों बाहोँ के बाहु पाश में जकड रखा था। मुझे ऐसे लगा जैसे अनिल ने मेरी बीबी के स्तनों पर अपना अधिकार जमा लिया था। नींद में भी अनिल की दोनों हथेलियां नीनाके मद मस्त और लाल स्तनों को सहला और दबा रही थीं। उस अवस्था में भी अनिल का लण्ड कड़क था और शायद मेरी बीबी की गांड में गाउन के ऊपर से घुसने की चेष्टा में लगा हुआ लग रहा था।
सुबह अचानक ही मेरी आँख खुली तो मैंने आधी नींद में ही, “आह…. ऑफ़….. आआआ….. हाई…….. माई……. ” इत्यादि आवाजे सुनी। मेरी आँखों की पलकें आधी अधूरी नींद के कारण भारी सी लग रही थी। मुझे अचानक जग जानेसे एकदम साफ़ नहीं दिख रहा था। उस हालात में मुझे ऐसा लगा जैसे अनिल और मेरी बीबी नीना की रात अभी ख़त्म नहीं हुई थी। वह दोनों पूरी तरह निर्वस्त्र हालात में दिख रहे थे। बिस्तर में लेटे हुए ही अनिल पीछे से धक्के मारकर अपना मोटा और कड़ा लण्ड मेरी बीबी की चूत में पेल रहा था और उसे पीछे से जोर से चोद रहा था। अनिल मेरी बीबी की चूत में अच्छे तरीके से अपना लण्ड डालने के लिए टेढा सोया हुआ था और मेरी पत्नी नीना की दोनों टाँगों के बिच में था। नीना का एक पाँव अनिल के निचे और दूसरा पाँव अनिल की सहायता करने के लिए उस के बदन के ऊपर रखा हुआ था।
उस समय सुबह की भीगी मंद मंद हवा चल रही थी और भोर की आभा खिड़की से कमरें में प्रवेश करना चाह रही थी। उजाला न होते हुए भी कमरे में साफ़ दिखाई दे रहा था। मैं एक अंगड़ाई लेते हुए बैठा तो देखा की जैसे की पूरी रात भर हुआ था, अनिल ने अपने दोनों हाथों ,में मेरी बीबी के स्तनों को कस के पकड़ रखा था। मेरी पत्नी मेरी और घूमी हुई थी। अनिल के टोटे फट्ट फट्ट आवाज करते हुए नीना के नितम्ब पर फटकार लगा रहे थे। मेरी पत्नी अनिल के मोटे लंबे लण्ड को अपने योनि मार्ग में इंजन में चलते हुए पिस्टन की तरह अंदर बाहर होते हुए अनुभव का दर्द भरा आनंद ले रही थी और साथ में कामुकता भरे स्वर में कराह रही थी।
अनिल को मेरी पत्नी को इतने जूनून से चोदते देख कर मेरा सर ठनक रहा था। नीना भी उससे बड़े प्यार से चुदवा रही थी। अब वह झिझक नहीं थी। वह दर्द नीना को मीठा लग रहा था। अब मेरी बीबी हंसते हुए अनिल का लंबा और मोटा लण्ड अपने योनि मार्ग में अंदर बाहर होते हुए अनुभव कर रही थी। उसका उन्माद भरा आनन्द उसके चेहरे पर साफ़ झलकता दिख रहा था। वह अनिल को प्रोत्साहित कर रही थी वह उसे और ताकत से चोदे। वह अनिल को जैसे चुनौती दे रही थी। मेरी रूढ़िवादी, शर्मीली, निष्ठावान और नीरस पत्नी एक गैर मर्द की चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी।
मुझे जगा हुआ देख मेरी बीबी थोड़ी झेंप गयी और मेरी और थोड़ी सी सहमी निगाहों से देखने लगी।
मैंने अपना मुंह उसके मुंह के पास ले जा कर उसे चुम्बन किया। परंतु पिछेसे अनिल के जोरदार धक्कों से वह बेचारी इतनी हिल रही थी की मैं उसे ठीक से चूम नहीं पाया। मैंने उसे अपनी आँखों से ही सांत्वना दी और उसके गालोँ पर पप्पी दी।
थोड़ी ही देर में अनिल और नीना अपनी शिखर पर पहुँच गए। अनिल और नीना की कामुकता भरी कराहट से कमरा गूंज उठा। अनिल ने भी एक धक्का और दिया और मेरे देखते ही देखते नीना की चूत में से ढेर सारी मलाई चू कर चद्दर पर गिरने लगी। अनिल के सर पर पसीने की बूँदें झलक रही थी। उसने मेरी और देखा। पिछली रात की मस्ती के मुकाबले माहौल थोड़ा बदला सा लग रहा था। शायद वह सुबह नए दिन का असर था। मेरी बीबी को चोदते हुए देख कर कहीं मैं बुरा न मान जाऊं इस डर से शायद वह थोड़ा सा नर्वस हो रहा था। मैं उसे देखकर मुस्काया। मेरी मुस्कान से नीना और अनिल दोनों ने थोड़ी राहत महसूस की।
अनिल ने मेरी और देखते हुए कहा, “यार, सॉरी। तू गहरी नींद सो रहा था। पिछेसे भाभी इतनी सेक्सी लग रही थी की मैं अपने आप को नियत्रण में रख नहीं पाया। मैं तुझे क्या कहूँ? मैं तेरा जीवन भर का ऋणी हूँ। मैंने मेरी पूरी जिंदगी में इतना जबदस्त सेक्स कभी नहीं किया। आज मेरी जिंदगी की सब ईच्छ पूरी हो गयी।” यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है..
मैंने नीना की और देखा तो उसने अपनी नजरें झुका दी। अनिल की सारी बात उसने सुनी पर वह कुछ नहीं बोली।
जैसे ही अनिल ने अपना गिला और ढीला लण्ड मेरी पत्नी की चूत में से निकाला, नीना बड़ी फुर्ती से पलट कर मेरी बाहों में आ गयी। मैं अपनी बीबी को उस अवस्था में देखकर उत्तेजित हो रहा था। मैंने उसे अपने आहोश में ले लिया। मैं उसके नाक, कान,गाल और उसकी नाभि बगैरह को चूमने लगा। मैं नीना को आश्वस्त करना चाहता था की मैं उससे किसी तरह से नाराज नहीं हूँ और मुझे कोई ईर्ष्या भी नहीं हो रही थी।
नीना अनिल के साथ सम्भोग के बाद और भी खूबसूरत कोई अप्सरा समान सुन्दर लग रही थी। उस नग्न अवस्था में की जब उसकी चूत में से मेरे दोस्त का वीर्य टपक रहा था, वह एक रति सामान लग रही थी। उस सुबह मैंने मेरी पत्नीको पहली बार वास्तव में मेरी काम संगिनी के रूप में अनुभव किया जिसे मुझे अनोखी आल्हादना का भाव हो रहां था।
मैं उठ खड़ा हुआ और एक टिश्यू का बॉक्स लेकर नीना की योनि से अनिल के वीर्य को साफ़ किया और मैं मेरी बीबी से लिपट गया। मैंने उसे कहा, “आज मैं तुम्हें पाकर वास्तव मैं धन्य हो गया। आज तुमने मेरी एक विचित्र कामना को अपनी स्त्री सुलभ लज्जा का त्याग करके फलीभूत किया है इसका ऋण मैं कैसे चुकाऊंगा यह मैं कह नहीं सकता। तुम्हारी जगह यदि कोई और पत्नी होती तो बड़ा दिखावा और हंगामा करती और नैतिकता का झंडा गाड़ती फिरती। बादमें मुझसे छिपकर शायद वही करती जो आज तुमने मेरे कहने से मेरी इच्छानुसार मेरे सामने किया है। ।“
नीना ने मेरी और देखा। स्त्रीगत लज्जा से आँखें नीची कर अपने होठों पर हलकी सी मुस्कराहट लाकर उसने मेरा हाथ थामा और उसपर अपनी प्यारी उँगलियों को हलके से बड़े दुलार से फेरते हुए बड़े ही धीमी मधुर आवाज में बोली, “वास्तव में तो मैं तुम्हारी ऋणी हूँ। तुमने मुझे आज वास्तव में एक सह भागिनी का ओहदा दिया है तुमने मुझे यह अनुभव कराया है की मैं तुम्हारी जिंदगी मैं कितनी अधिक महत्वता रखती हूँ। तुमने मेरे प्रति मालिकाना भाव न रखते हुए मुझे अनिल की और आकर्षित होने के लिए प्रेरित किया। आपने आज मुझे भी बड़े सम्मान के साथ एक गैर मर्द से जातीयता का अनुभव प्राप्त कराया और उसके लिए मुझे कोई चोरी छुपी से कुछ गलत या पाप कर्म भी नहीं करना पड़ा, यह कोई भी पत्नी के लिए एक अद्भुत और अकल्पनीय बात है।“
ऐसा कह कर मेरी बीबी ने मुझे अपनी बाँहोँ में ले लिया। बादमें उसने अनिल की और देखा जो गौर से हमारा वार्तालाप सुन रहा था। नीना ने अपने हाथ बढाए तो अनिल भी उसकी बाँहोँ में आ गया।
मेरी पत्नी तब हंस पड़ी और हलके लहजे में मुझसे बोली, “डार्लिंग, यह मत समझना की मैं आज अनिल से आखरी बार सेक्स कर रही हूँ। तुम्हारा दोस्त सेक्स करने में उस्ताद है। वह भली भाँती जानता है की अपनी प्रियतमा को कैसे वह उन ऊंचाइयों पर ले जाए जहां वह पहले कभी नहीं गयी। मैं उससे बार बार सेक्स करना चाहती हूँ। इसके लिए मैं तुम्हारी सहमति चाहती हूँ। जब तुम मुझे अनिल की और आकर्षित होने के लिए प्रेरित कर रहे थे तब मैंने तुम्हें इसके बारे में आगाह किया था। और हाँ, मैं यह भी जानती हूँ की तुम अनीता को पाना चाहते हो। शायद इसिलए तुम दोनों ने मिलकर यह धूर्त प्लान बनाया। तुम ने सोचा होगा की नीना को पहले फांसेंगे तो अनिता बेचारी को तो हम तीनों मिलकर फांस ही लेंगे। यदि तुमने यह सोचा था तो सही सोचा था। अब मैं तुम्हारे साथ हूँ। जब मैं तुम दोनों के चुंगल में फंस ही गयी तो अनीता कैसे बचेगी? आज मैं भी तुम्हारी धूर्त मंडली में शामिल हो गयी।”
अनिल को तो बस मेरी बीबी के स्तनों के अलावा कुछ और जैसे नजर ही नहीं आ रहा था। वह नीना को सुनते हुए भी उन्हें सहला रहा था। तब नीना ने अनिल की और देखा और बोली, “अनिल आज मैं एक बात स्पष्ट रूप से कहना चाहती हूँ। मैं भी तुम्हारी सहशायिनी तब तक बनी रहूंगी जब तक तुम अनीता को मेरे पति की सहशायिनी बनाने के लिए उत्साहित करते रहोगे। जैसे की तुमने पहले राज से कहा था की मैं और अनीता और तुम और राज के बिच में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। यह बात अब तुम्हें पूरी करनी होगी। हम दोनों अनीता को राजी करने में तुम्हारी सहायता करेंगे।”
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
बदन पर एक भी कपडा नहीं और अनिल को हिदायत देती हुए नीना इतनी सेक्सी लग रही थी की मुझ से रहा नहीं गया। मैंने फुर्ती से मेरा नाईट सूट निकाला और मैं मेरी नंगी बीबी को लिपट गया और उसको लिटा कर उसके ऊपर सवार होकर उसके होठों को चूमने और चूसने लगा और उसपर सवार होकर उसे चोदने लगा।
जब मैंने अनिल की और देखा तो पाया की जैसे ही मैं मेरी बीबी को चोद रहा था तो अनिल ने नीना के हाथ में अपना लन्ड पकड़ा दिया जिसे वह प्यार से सहला रही थी। आश्चर्य इस बात का था की उस समय मुझे मेरी बीबी को चोदते देख कर अनिल का लन्ड फिरसे एकदम कड़क हो गया था। जैसे जैसे मैंने मेरी बीबी नीना को चोदने की रफ़्तार बढ़ाई तो नीना भी अनिल के लन्ड को हिलाने की रफ़्तार बढ़ाती गयी। शायद उस समय मेरी पत्नी अनिल को हस्त मैथुन का आनंद देना चाहती थी।
मैं अपने आप को रोक नहीं पाया तब मुझे मेरी मलाई ही निकालनी थी। देर तक चोदने के बाद मैंने मेरा वीर्य मेरी बीबी चूत में ही खाली कर दिया। मेरे लिए तो यह एक अद्भुत अनुभव था जब मैं एक रात में तीन बार झड़ गया। साथ ही साथ में अनिल भी नीना के फुर्तीले हस्त मैथुन से उत्तेजित हो कर एक बार फिर अपने वीर्य को रोक नहीं पाया और उस के गरमा गर्म वीर्य का फव्वारा नीना के हाथों में और चद्दर पर फ़ैल गया। नीना भी शायद मेरे साथ ही झड़ गयी थी।
आप सब मुझे प्लीज इस ईमेल पर अपनी टिपण्णी जरूर भेजें और पढ़ते रहिएगा.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी.. और मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.

शेयर
sexi chut ki kahanibhai behan chudaisex gay storytamil college sex storiessavita bhabhi hot stories in hindihindisex storysbengali sex story latestsex ki mastigirls talking dirty in hindiwritten sex stories in hindiwww hindi bhabhitamil kathai sexsex with dewartamildesistoriesfree online sex storiesstory hindi menagma sex storieskomalbhabi.comdesi s3x videostamil athai kathaigalreal tamil sex storyhindi sxi khaniyachut chudai ki kahani hindireshma bhabidesi kahani with phototamil amma magan kathaigalsex with randichudai store hindisex written storiesdidi sexy storyin indian sexerotic setullu tunne comtamil www sexchoot ka mazaaapki bhabhiletest telugu sex storiesbhabhi ki gand chatitamil ol kathaienglish sexy storymarathi srx kathaxxx mom story moviesindianpornempiretamil ladies kamakathaikaldesi kahani 2016baap ki chudaiwww desi storynind mai chodadese sex storedesi sex maza comhindisex storisexy story hundihindi teen sex storieschodne ka tipssex atoriesnewhindisexstories.comhumsafar season 1 episode 18indian sex story bookhindi short sex storyindian gangbang sex videosaunty sex kathai tamilboor aur lundchudai sexy story hindihome sex picsmummy ne muth marithelugu sex storybap beti ki chudaiwww sex story kannadadesi kahani.netsuhagraat roomtamil kamakathaialmom son sex storysuhagraat sex stories in hindisextorysexi story in hindi fontbhabhi hindi storyhindi sexey storestamil amma sex storepunjabi desi sex storymaa bete chudai kahanisexy story all